Human life is not merely a
coincidence; rather it is result of karmas done in previous lives. We accept it
or not but previous life karmas do affect our present life. Comprehending the
fruits of these karmas is not that much easy. Shastras explains that “Karmo
Gahno Gati”. Similarly Lord Shri Krishna says that there is no such karma which
will not do anything bad along with doing good. Then even small-2 karma will
have an impact. But how can we reduce the impact of these fruits of karma so as
to live a happy and prosperous life and attain higher dimensions in life. For
this purpose, this is one higher-order sadhna related to Mahavidya category
which is capable of getting rid of all those inconsistencies which we are not
able to understand in normal manner and which can be result of any curse in the
past.
Sadhak can start this sadhna from any
auspicious day. Sadhak should do this sadhna in night after 10:00
P.M.
Sadhak should take bath, wear red
dress and sit on red aasan facing north direction.
Sadhak should establish
yantra/picture of goddess Tripur Bhairavi in front of him. Sadhak should
perform Guru Poojan, Bhairav and Ganesh Poojan and thereafter do the poojan of
picture/yantra of goddess Bhairavi. Sadhak should then chant Guru Mantra. After
it, sadhak should do Nyas procedure.
KAR
NYAS
AENG
KLEEM SAUH ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
AENG
KLEEM SAUH TARJANIBHYAAM NAMAH
AENG
KLEEM SAUH MADHYMABHYAAM NAMAH
AENG
KLEEM SAUH ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
AENG
KLEEM SAUH KANISHTKABHYAAM NAMAH
AENG
KLEEM SAUH KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH
HRIDYAADI
NYAS
AENG
KLEEM SAUH HRIDYAAY NAMAH
AENG
KLEEM SAUH SHIRSE SWAHA
AENG
KLEEM SAUH SHIKHAYAI VASHAT
AENG
KLEEM SAUH KAVACHHAAY HUM
AENG
KLEEM SAUH NAITRTRYAAY VAUSHAT
AENG
KLEEM SAUH ASTRAAY PHAT
After nyas, sadhak should chant 21
rounds of below mantra while doing meditation of goddess Tripur Bhairavi.
Sadhak should use Rudraksh rosary for chanting.
OM AiNG SAUH KLEEM SAUH AENG
NAMAH
After completion of
chanting, sadhak should offer the mantra jap to goddess by showing Yoni Mudra
and pray to her for getting rid of all faults, sins and curses. In this manner,
sadhak should perform this procedure for 3 days. After 3 days, Sadhak should
immerse the rosary.
After completion of
sadhna, sadhak gets riddance from Karma’s faults and sins and his luck rises
due to which sadhak moves forward to attain success in all the fields.
-----------------------------------------------------------मानव जीवन केबल मात्र एक संयोग नहीं हैं बल्कि अनेको विगत जीवन के कर्म फलो का परिणाम हैं,विगत में हुए कर्म फल का असर इस जीवन में पड़ता ही हैं, चाहे हम माने या न माने और इन कर्म फलो को समझना इतना आसान नहीं हैं,शास्त्र स्पस्ट करते हैं की “कर्मो गहनों गति “.वही भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं की कोई भी कर्म ऐसा नहीं हैं जिसमे कुछ अच्छा के साथ साथ कुछ बुरा ना हो .तब छोटे छोटे से कर्म फल का असर तो होगा ही,पर इन कर्म फलो को कैसे इनका सर कम से कम किया जा सकें,जिससे एक सुखी संपन्न जीवन जिया जा सकें और जीवन में कुछ उच्चता के आयाम को हस्तगत किया जा सकें, इस हेतु महाविद्या वर्ग से सबंधित एक उच्च साधना जो जीवन में उन विसंगतियों को दूर करने में समर्थ हैं जिसे हम साधारण तौर पर समझ नहीं पाते और जो अतीत में किसी शाप का फल हो .
यह
साधना साधक किसी भी शुभदिन शुरू कर सकता है. साधक को यह साधना रात्रीकाल में करनी
चाहिए. समय १० बजे के बाद का रहे.
साधक
को स्नान कर लाल वस्त्र को धारण करना चाहिए तथा लाल आसन पर उत्तर की तरफ मुख कर
बैठना चाहिए.
साधक
को अपने सामने देवी त्रिपुर भैरवी का यंत्र या चित्र को स्थापित करना चाहिए. साधक
गुरुपूजन भैरव एवं गणेश पूजन सम्प्पन करे तथा देवी भैरवी के यंत्र या चित्र का भी
पूजन करे. साधक को गुरु मन्त्र का जाप करना चाहिए.
इसके
बाद साधक न्यास करे.
करन्यास
ऐं क्लीं सौः अङ्गुष्ठाभ्यां नमः
ऐं क्लीं सौः तर्जनीभ्यां नमः
ऐं क्लीं सौः मध्यमाभ्यां नमः
ऐं क्लीं सौः अनामिकाभ्यां नमः
ऐं क्लीं सौः कनिष्टकाभ्यां नमः
ऐं क्लीं सौः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
हृदयादिन्यास
ऐं क्लीं सौः हृदयाय नमः
ऐं क्लीं सौः शिरसे स्वाहा
ऐं क्लीं सौः शिखायै वषट्
ऐं क्लीं सौः कवचाय हूं
ऐं क्लीं सौः नेत्रत्रयाय वौषट्
ऐं क्लीं सौः अस्त्राय फट्
न्यास
के बाद साधक को देवी त्रिपुर भैरवी का ध्यान करते हुवे निम्न मन्त्र का जाप करना
चाहिए. साधक को २१ माला मन्त्र का जाप करना है. यह जाप साधक को रुद्राक्ष की माला
से करना चाहिए.
ॐ ऐं सौः क्लीं सौः ऐं नमः
(OM AING SAUH KLEEM SAUH AING NAMAH)
मंत्र जाप पूर्ण होने पर साधक को योनी मुद्रा से देवी को जाप
समर्पित करना चाहिए तथा देवी को समस्त दोष पाप एवं शाप की निवृति के लिए प्रार्थना
करनी चाहिए. इस प्रकार साधक को यह क्रम ३ दिन करना चाहिए. ३ दिन बाद साधक को माला
को प्रवाहित करना चाहिए.
साधना सम्प्पन होने पर साधक के कार्मिक दोष तथा पापों की निवृति
होती है तथा भाग्य का उदय होता है जिससे साधक सभी क्षेत्रो में सफलता की ओर कदम
बढाता है.
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