(निखिल परा
विज्ञान शोध इकाई)
NPRU के कार्य-
· मन्त्र, तंत्र व यंत्रों पर शोध कार्य
· संस्कारित पारद विग्रह एवं पूर्ण प्राण प्रतिष्ठित यंत्र
· ज्योतिष/साधना केंद्र
BOOKS PUBLISHED BY US:-
1.
APSARA
YAKSHINI RAHSYA KHAND
रस
युक्तता ,प्रसन्नता ,उत्साह ,उमंग ,स्नेह का समावेश एक पूर्ण संतुलित जीवन का अनिवार्य अंग
हैं ,पर आज के आधुनिक जीवन मे ये शब्द अर्थहीन से हो गए
हैं ,नीरस
जीवन और सूखे हुये पेड़ मे कोई अंतर
नही
सौंदर्य साधना जिन्हें अप्सरा और यक्षिणी साधना भी कहा जाता
हैं .उनको सिद्ध करना तो जीवन का गौरव
हैं, जीवन की श्रेष्ठता हैं, जीवन
का एक अर्थ हैं ,अध्यात्म और
साधना मार्ग मे उन्नति के द्वार
खोलना हैं ,अपने भाग्य का मानो स्वयम निर्माण कर ,जीवन
मे वो सब कुछ प्राप्त कर लेना , जो की जीवन का हेतु हैं ,लक्ष्य हैं . जीवन के चार आवश्यक पुरुषार्थो मे से मर्यादित
काम और अर्थ की पूर्णता तो सिर्फ अप्सरा और यक्षिणी साधना के माध्यम से ही
संभव हैं
यद्दपि आज
एक सामान्य व्यक्ति के मानस मे इन साधनाओ को हेय दृष्टी से , काम भाव प्रवर्धन की दृष्टी से
देखता हैं ,और आशंका ग्रस्त होता हैं की
कहीं ये उसको अपने वश मे कर लेगी और .उसका जीवन को निस्तेज बना कर ,नष्ट
करके ही छोड़ेगी .पर यह सब निराधार हैं
सदगुरुदेव जी ने अनेको बार यह समझाया
की जिस तरह जगदम्बा साधना हैं ,महाविद्या साधना
हैं ये भी ठीक उसी तरह की ,एक उच्चस्तरीय साधना हैं अगर साधक इन साधना के प्रति एक स्वस्थ
चिंतन और भाव रख कर साधना करता
हैं .
Delightment, happiness, enthusiasm, affection are an
essential inclusions & part of a full balanced life but in today's modern
life, these words have become meaningless. There is no difference between an
unhappy & a monotonous life & a dry tree.
“Saundarya Sadhana” which is also known as “Apsara / Yakshini
Sadhana” is a matter of proud to accomplish by any disciple in his / her life.
This Sadhana gives meaning & excellence to any disciple’s life & opens
the path of success in Spiritual & Sadhana world. This is just like a
disciple accomplishes all the aim & motto of life by framing his / her own
luck. Out of 4 main Life Pursuits (Purusharth – in Hindi) told for life
fulfillment – 2 of them “Kaam” – (Desires, Pleasures) & “Arth” (Prosperity,
Economic Values) can be fulfilled by the means of Apsara / Yakshini Sadhana.
Although, in today’s context a person looks this sadhana in
bad terms & co relates this Sadhana for desire fulfillment. They always
remains doubtful that this Sadhana can cause harm to him / her & anyone can
control or destroy their lives But, all these doubts are pointless &
Sadgurudev has also explained many times that like there are Jagdamba Sadhana,
Mahavidhya Sadhana similarly Apsara / Yakshini Sadhana is also a very high
level Sadhana (practice) if a disciple performs it with pure concern and feel.
2.
ITAR
YONI AND KARN PISHACHINI VARG SADHNA
इतर योनी का नाम आते ही आज व्यक्ति के मन मे
रहस्य और भय मिश्रित संवेदना का संचार
स्वत ही कर देता हैं,इतनी कथायें कुछ सच पर तो कुछ मनगढंत इस विषय पर जन सामान्य
मे व्यापत हैं या व्यक्ति के मन मे बाल्य काल से ही प्रवेश करा दी जाती हैं की
व्यक्ति उनसे कोशिश करके भी भय मुक्त नही हो पाता हैं पर सदैव से उसे इस विषय पर
रूचि और उत्सुकता रहती हैं ही.
और वास्तविकता सदैव से तथाकथित फैलाए गए भ्रामक प्रचार के विपरीत होती
हैं,सदगुरुदेव ने साधक/शिष्य वर्ग के सामने, इस वर्ग का उस स्वरुप का परिचय कराया, जिनके माध्यम से व्यक्ति यदि इनकी
मित्रता या इनका सहयोग उसे मिल जाये तो
साधक के जीवन मे अनेको सुखद आयाम और इन वर्ग के सहयोग से व्यक्ति भौतिक और
आध्यात्मिक स्तर पर भी अनुकूलता और उच्च सफलता भी प्राप्त करने मे समर्थ हो सकता
हैं.
इन साधनाओ को
सिद्ध करना तो जीवन का गौरव हैं, जीवन की श्रेष्ठता हैं, जीवन का एक अर्थ हैं,अध्यात्म और साधना मार्ग मे उन्नति के
द्वार खोलना हैं,अपने भाग्य का मानो स्वयम निर्माण कर,इनके
माध्यम से परालौकिक जगत से सीधा साक्षात्कार,अनेक
गोपनीय अद्भुत और अलौकिक रहस्यों से स्वयम का साक्षात हैं.
यद्दपि आज
एक सामान्य व्यक्ति के मानस मे इन साधनाओ को एक क्षुद्र साधना मानने का
मानस या इनके साधक को एक हेय दृष्टी से
देखता हैं,और हमेशा आशंका ग्रस्त होता हैं की ये वर्ग उसके लिए सिर्फ नुकसानदायक हैं एवं
कहीं ये उसको अपने वश मे कर उसके जीवन को
छिन्न भिन्न और इन साधनाओ को करने पर कुछ उसके साथ उल्टा सीधा हो सकता हैं. पर इन
अवधारणाओ के विपरीत कुछ जीवट युक्त साधको ने सदगुरुदेव के सतत निर्देशन मे इन
साधनाए को सफलता पूर्वक सम्पन्न किया हैं.और यह सत्य सामने रखा की यह भी साधनाए
उच्च कोटि की हैं इनका कोई वार्म मार्गी स्वरुप का उसे पालन करने की कभी भी कोई
आवश्यकता नही हैं बल्कि नैतिक,सामाजिक
नियमों का पालन करते हुये एक सौम्य,सुसंकृत
साधक,इन
साधनाओ को सम्पन्न कर सकता हैं
पर इन साधनाओ के सूत्र
और गोपनीय मंत्रात्मक ,तंत्रात्मक
विधान कहीं उल्लेखित नही हैं इस कारण साधको को इन साधना मे सफलता
नही मिल पाती हैं.
NPRU और तंत्र कौमुदी की ओर से
प्रस्तुत ग्रन्थ इसी कमी को पूरा करने का एक ठोस प्रयास हैं
.
Whenever a person comes across the name “ITAR YONI”,a strange
feeling mixed with fear and secrecy comes to his / her mind.There are so many
stories related to this subject out of which only few are true.but there are so
many fictional stories of this topic which is being told by our elders in our
childhood due to which we are afraid but instead of all his,we are quite
anxious to know the hidden truth behind these stories.
The Truh is always different from what it has been told sine
so many years. Sadgurudev introduced the true and decent aspect of this subject
to his Disciples / Students and also guided that if a person gets support,help
& proper guidance from these then a disciple can achieve what he wants not
in the materialistic world but can also achieve a position in the Spiritual
community.
To get success by good means & faith in these ITAR YONI
Sadhnas is a very proud feeling for any person.He feels accomplished,supreme
and it opens the door of Success & Luck by the hard work of any disciple.A
disciple can witness the power,energy & divine experiences of the Paranomal world and will be amazed to
learn the hidden secrets of this world.
Although, in today’s context a person looks this topic /
sadhana not in good terms &always remains doubtful that this can cause harm
to him / her & anyone can control their lives by using this
Sadhana.But,despite of all the misunderstandings, many hard working disciples
have succeeded in this Sadhana under the proper guidance of Sadgurudev. They
proved all the misconceptions wrong & presented the true aspect of this
Sadhana that any well cultured, decent & learned person by following the
right path, direction, guidance with society moral values & social rules
can succeed & perform well in this Sadhana.
But,yes the literature of correct rules,tantra & mantra
are not written / available anywhere & beacuse of that many disciples face
problem in these type of Sadhnans & does not get desired results.
The magazine “Tantra
Kaumudi” presented by NPRU is a small but firm step to fill this gap for all
the Disciples who wants to know & learn about these Sadhanas.
३. तांत्रिक षट्कर्म एवं रस विज्ञान गूढ़
रहस्य खंड -
तांत्रिक षट्कर्म, यह तंत्र क्षेत्र की एक ऐसी
विधा है जिसमे सम्मोहन, आकर्षण, वशीकरण, उच्चाटन, सतम्भन, शान्ति कर्म आदि कर्म
सम्मिलित है, जो जीवन को उच्चता देने में अति सहयोगी है पर यह भी सत्य है की इसका
सदुपयोग और दुरुप्योग दोनों हुआ है और दुरूपयोग के कारण जन सम्मान्य के मन में इस
विद्या के प्रति एक आक्रोश सा है, एक भय मिश्रित भावना है ओर हे दृष्टि से देखने
की भावना भी| कुछ अर्थों में समाज का इस ओर ऐसा देखा जाना उचित भी था क्यूंकि इन
क्रियाओं के नाम पर जिस प्रकार के वातावरण की रचना व्यक्ति के सामने होती है ओर
जिस तरह असामाजिक ओर निंदनीय कार्य करने वाले और कुत्सिक मानसिकता वाले व्यक्तियों
ने इस विद्या का प्रयोग अपनी कुत्सिक मानसिकता को पूरा करने के इया किया| परिणाम
स्वरुप लोगो में एक प्रकार का भय संचार हो गया| इस कारण मनो यह विद्या एक मैली
विद्या में बदल सी गयी है|
सदगुरुदेव को अगर साक्षात् तंत्रेश्वर कहा जाये
तो गलत नहीं है क्यूंकि तंत्र का उद्गम तो श्री सदगुरुदेव के श्री चरण कमलों से ही
होता है ओर उनके बिना इस साधना क्षेत्र में कोई गति नहीं है| बात बात पर गाली देने
वाले, तरह तरह के नशे में चूर व्यक्ति मारण, मोहन, वशीकार बिना सोचे विचारे कर
देने को अपने अपना अधिकार समझते हैं पर जब इसकी कीमत चुकाना पड़े तब?
सदगुरुदेव जी ने एक ऐसे साधक की है, जो अपने
दैनिक जीवन की आवश्यकता को पूरी करे साथ ही साथ शिष्ट और शालीन भी हो और जब एक
साधक की अवश्यक्ता तब साधक हो जाए| सदगुरुदेव ने जो इन षटकर्मों का एक नया ही
स्वरुप हम सभी के समक्ष रखा है अपने आप में अद्वितीय है| इस पुस्तक में दिए गए
षट्कर्म प्रयोग गुरु साधना युक्त है तो एक ओर जहाँ उस प्रयोग का लाभ होगा वहीँ
गुरु साधना का भी लाभ मिलेगा| ओर जब ऐसे अद्भुत विधान के लिया थोडा सा कष्ट उठाना
पड़े तो वह भी स्वीकार्य है| यह पुस्तक अनेकों गुप्त सूत्रों से युक्त ओर साधना
सफलता मेआअप्के लिए अनिवार्य ही मन जाए क्यूंकि गोपनीय गुरु परंपरा से प्राप्त
सूत्रों को एक स्थान पर इस तरह से एकत्रित करना बेहद श्रमसाध्य कार्य है| साधकों
को सदगुरुदेव आशीर्वाद से दुर्लभ सूत्र प्राप्त हों जो की अपने आप में विलक्षण हों
और उसे मनोवांछित सफलता दिलाने में सहयोगी भी हों| वही रस शास्त्र तो जीवन की
सर्वोच्चता है, आज रस शास्त्री कहाँ है? और जो है भी वह गोपनीयता के सिद्धांत का
पालन करने वाले हैं, तब इस शास्त्र के एय रहस्यों को समझना और पाना भी सौभाग्य से
कम नहीं है |
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