Monday, September 16, 2024

पराशक्ति आवाहन कार्यशाला

 परा शक्ति आवाहन कार्यशाला 





जय सदगुरुदेव

बहुत दिनों के बाद ब्लॉग के माध्यम से फिर सामने हूं
दरअसल लोग इतने डुप्लीकेट हो गए हैं कि यहां पोस्ट आई और तुरंत कॉपी पेस्ट।
इसलिए इसपे काम काम कर दिया है किन्तु अभी थोड़ा तो आप लोगों जुड़े रहना ही होगा ना क्योंकि आपमें कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अच्छे पाठक हैं और निरंतर इंतजार भी करते हैं।
आज की पोस्ट तो इसलिए कि पूर्णिमा के बाद पितृपक्ष के 16 श्राद्ध प्रारंभ होने जा रहें हैं।
अभी वर्तमान में मेरे पास जो कॉल्स है उनमें चाहे कुंडली से संबंधित हो  या  ऐसे ही बात की किंतु समस्या है तो सही । जीवन से जुड़ी  अनेक समस्याएं, स्वास्थ्य, ग्रह कलह, आर्थिक, व्यावसायिक, नौकरी, विवाह , संतान या परा लौकिक,  या शत्रु बाधा ।
कहीं न कहीं इसका कारण कुंडली में ग्रह योग, या किसी दोष के कारण देखा गया है
जिसके आज कल अनेक व्यक्ति अपने तरीके से समाधान बताने मे लगे हुए हैं। किंतु क्या सच में इनसे आप संतुष्ट हैं, रत्न पूजा अनुष्ठान या दान पुण्य ।
किंतु क्या कभी विचार किया है कि आखिर कैसे निजात मिले इससे । और क्या कारण हो सकता है इसका  ?
जब समस्या का कारण पता होगा तो समाधान भी निकलेगा , अन्यथा ओझा छुटभैये तांत्रिक और बाबाओं के जाल में उलझे रह जाओगे ।
पर इस पर थोड़ा सजगता से काम किया  जाए तो निश्चित रूप से इन समस्याओं पर समाधान प्राप्त कर सकते हैं। यही वो समय है जब आपके पितृ आपसे सीधे संपर्क कर सकते हैं यही वो समय है जब आप किसी भी परा लौकिक शक्ति से संपर्क स्थापित कर के उससे समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं ।
और *जो साधक कई दिनों से यक्षिणि साधना, भूत साधना आत्मा आवाहन साधना भी करना चाहते हैं* वे भी 

क्योंकि एक परा शक्ति आवाहन वर्क शॉप इसी दौरान आयोजित होने जा रही है।

तो क्या तैयार है आप ,
यदि हां तो
संपर्क करें .....

आचार्य रजनीनंदा निखिल
8305704084
214rajni@gmail.com 
निखिल परा विज्ञान शोध संस्थान
भोपाल मप्र 

Saturday, April 27, 2024

गुप्त साधना सिद्धि रहस्य चैनल

स्नेही स्वजन !

जय सदगुरुदेव  🌹🙏🏻


प्रकृति का अपना एक शाश्वत नियम है कि मान, पद, प्रतिष्ठा, वैभव कुछ भी और कभी भी यहाँ शाश्वत नहीं रहता। त्याग और नाश ये एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। स्वयं की इच्छा से किसी वस्तु अथवा पदार्थ को छोड़ना त्याग तथा स्वयं की इच्छा ना होते हुए किसी वस्तु अथवा पदार्थ का छूट जाना नाश कहलाता है।


इस प्रकृति में सदा कुछ भी नहीं रहने वाला है इसलिए जीवन को उदारता के साथ जीने का प्रयास करो। सूर्य सुबह अपने पूर्ण प्रकाश के साथ उदय होता है और शाम होते-होते उसका प्रकाश क्षीण होने लगता है और दिन में प्रचंड प्रकाश फैलाने वाला वही सूर्य अस्ताचल में कहीं अपनी रश्मियों को छुपा लेता है। रात्रि को चंद्रमा अपनी शीतला बिखेरता है पर सुबह होते-होते वो भी कहीं प्रकृति के उस विराट आँचल में छुप सा जाता है। 


जिन फलों को वृक्ष द्वारा बाँटा नहीं जाता एक समय उन फलों में अपने आप सड़न आने लगती है और वो सड़कर वृक्ष को भी दुर्गंधयुक्त कर देते हैं। इसी प्रकार समय आने पर प्रकृति द्वारा सब कुछ स्वतः ले लिया जायेगा,अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप बाँटकर अपने यश और कीर्ति की सुगंधी को बिखेरना चाहते हैं या संभालकर संग्रह और आसक्ति की दुर्गंध को रखना चाहते हैं।

    बस इसी एक चाह में कि ज्ञान रूपी गुरु गंगा जल सच्चे साधकों तक पहुंचे चूंकि इसी ब्लॉग को कॉपी पेस्ट किया गया है, एवम किया जाता है ।

तो अब इसी के अल्टरनेट में youtube channel के माध्यम से मैं आपकी रजनी निखिल live रहूंगी।

उम्मीद ही नही पूरा विश्वास है मेरे प्रयास को आप सभी मिलकर सफल बनाएंगे ।

 This is my channel 

https://youtu.be/CIJ6oP7EX9I?si=-Z4fEB4XP8oWHxzk

Plz like n subscribe n share 

जय सदगुरुदेव 

रजनी निखिल 

🌹🙏🏻

YouTube channel

 https://youtu.be/CIJ6oP7EX9I?si=-Z4fEB4XP8oWHxzk

Tuesday, September 28, 2021

ऑनलाइन कार्यशाला (workshop)

 



जय सद्गुरू देव

स्नेही स्वजन !

 

बहुत समय से बस एक ही मेसेज आ रहें हैं, कि हमने ये साधना की, इतने समय से कर रहे हैं किन्तु सफ़लता नहीं मिल रही है, अतः ये सब अब छोड़ कर कुछ दूसरा करे ....

कुछ तो समय की बरबादी कह कर भी साधना छोड़ बैठे....

स्वाभाविक है.... मैने भी ध्यान नहीं दिया... कारण. अनेक प्रकार के गुरू जी अभी छाये हुये हैं तो....

क्षमा कीजिए किन्तु बात कड़वी किन्तु सत्य है.... जानती हूँ इस फ़िर तिलमिलाहट होगी और कुछ उल्टे सीधे लिखें भी...

 

कोई बात नहीं...

अपने उन अनुज स्नेही साधक के लिये ये भी स्वीकार्य है

किन्तु अब इसे समझिये

जब तक गुरुदेव थे तब उन्होने साधको को दीक्षा के माध्यम से साधना का बीज हमारे भीतर स्थापित कर दिया करते थे और साधक को मात्र 75% मेहनत करना पड़ता था, और साधना सिद्ध कर लेते थे...

किन्तु वर्तमान समय में ऐसा कोई गुरु या ऐसा कोई सिद्ध साधक दिखाई ही देता जो व्यक्ति को साधना के पन्थ पे अग्रसर कर सके और उनके मार्ग मे आने वाली प्रत्येक बाधा को दूर कर सके. ....

किन्तु क्या मतलब ये कि किसी को साधना करने के बारे सोचना ही नहीं चाहिए ?

क्या हम आज भी उन कठिन साधनाओं को कर सकते हैं जिनका वर्णन गुरु देव जी ने और अनेक ग्रन्थो मे प्राप्त होता है ?

क्या आज भी महाविद्या सिद्ध होती हैं ?

क्या आज भी अप्सरा यक्षिणी साधना के रहस्य प्राप्त हो सकते हैं ?

क्या आज भी वो सिद्ध आश्रम जिसका वर्णन किया गया है उसके दर्शन की सम्भावना है ?

क्या आज भी सद्गुरू देव आपके मार्गदर्शन हेतु निखिल स्वरूप मे आ सकते हैं ?

क्या आज भी ? क्या आज भी ?

 

हैं ना ऐसे प्रश्न जिनके उत्तर मिलते तो हैं किन्तु स्पष्ट नहीं .....

तो अब हम सीखेन्गे प्रयास भी करेंगे और सफ़लता प्राप्त भी करेंगे... इसी गुरुवार से on line आप आ सकते हैं मेरे साथ googal meet पर साधना सफ़लता के विशिष्ट सूत्रो के साथ ....

इसके लिए आपको मात्र मेरी classएवं चेनल *गुप्त सिद्धि रहस्य* से जुड़ना होगा....

व्यापार नहीं है अतः वो लोग बिल्कुल न जुडे कृपया

जो सच में साधना करना चाहते हैं और जिन्हें सफ़लता चाहिए वे ही.......

पाँच तत्वों क्षिति, जल, तेज, वायु और आकाश के अपने अपने गुण हैं। इनको तन्मात्रा कहते हैं। इन तन्मात्राओं का अनुभव हमें पांच ज्ञानेंद्रियों से होता है। पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं कान, त्वचा, आंख, जिह्वा और नाक

पृथ्वी में पांच गुण हैं।

शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध ( प्रमुख गुण- गन्ध)

जल में चार गुण हैं

शब्द, स्पर्श, रूप, रस (प्रमुख गुण- रस)

अग्नि(तेज) में तीन गुण हैं

शब्द, स्पर्श, रूप (प्रमुख गुण- रूप)

वायु में 2 दो गुण हैं

शब्द, स्पर्श (प्रमुख गुण- स्पर्श)

आकाश में एक गुण है।

शब्द (यही प्रमुख गुण भी है)

 

इन सबकी उत्पत्ति ॐ ब्रम्ह से हुई है।

पाँच कर्मेन्द्रियां हैं

हाथ, पैर, मुँह, गुदा, लिंग

पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और मन (सन्कल्प, विकल्प) मिलाकर कुल 11 इन्द्रियाँ है। ये सांख्य दर्शन कहता है।

भगवान कृष्ण ने कहा है "मैं दर्शनों में सर्वश्रेष्ठ सांख्य दर्शन हूँ।"

यही 11 इन्द्रियों का खेल मनुष्य बच्चों के खिलौने की तरह खेलता रहता है।

विषयों से इन्द्रियों का राग (Attachment) ना रहे तभी वे अंतर्मुखी होंगी। Attachment बना रहेगा तो सुख के साथ दुःख भी आएगा ही।

अष्टांग योग में इनको अंतर्मुखी करने को प्रत्याहार कहा गया है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम के बाद प्रत्याहार आता है।

ऐसा होने से मनुष्य योग शरीर प्राप्त करता है। तब निष्काम कर्म होता है।

योगस्थ कुरु कर्माणि- गीता

योग की स्थिति में रहते हुए कर्म करो। तब कर्मफल नहीं बनेगा।

इसके लिए साधना अनिवार्य है। योग आवश्यक है।

निखिल प्रणाम

 

*कृष्णं वन्दे जगत गुरुं*

*रजनी निखिल*

214rajni@gmail.com

 

Wednesday, December 9, 2020

Important Information/ एक आवश्यक, विशिष्ट सूचना










Jai Sadgurudev,

Dear affectionates

Important information for all of you –

As our group Nikhil Para-science Research Unit has been registered as an institution, there are number of works now being done by us.

  1-      Creation of parad shivalings and Shri yantras  with 16 sansakar processed mercury.

2- Solving the problem of any person through specific rituals

 3- Vedic astrology system, Prashn kundali (astrology related to specific question), astrology results and predictions, and related problems, horoscope making

      4 - Complete removal of any kind of tantra hindrance, phantom barrier through tantric   ritual,

      5- Solution of any enemy related problem (or enemies) or tantra obstacle through Mahakali and Bhairav prayog

      6- In addition to this, there are specific Baglamukhi rituals in which you can get complete victory in social, political and court cases ---

other than this there is a list of some special yantras available in a limited number since they belong to the time of our Sadgurudev. You can see the list in hindi below. 

 

For this you can contact--

 

mail id- 214rajni@gmail.com/ 123npru@gmail.com

 

call / whatsapp-8305704084

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जय सद्गुरुदेव

स्नेही स्वजन

आप सब लोगो के लिए एक विशेष जानकारी----

कि अब निखिल परा विज्ञान शोध (इकाई) जो अब संस्थान के रूप मे रजिस्टर्ड हो चुका है |

अब हमारे संस्थान के द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कारी किए जा रहे हैं ---

1-  8 से 10 संस्कार युक्त पारद मे, 16 संस्कारो के संपुटन के साथ पारद शिवलिंग व श्री यंत्र का निर्माण कार्य

2-  विशिष्ट अनुष्ठानों के माध्यम से किसी भी व्यक्ति की समस्या का समाधान

3-  वैदिक ज्योतिष तंत्र ज्योतिष व प्रश्न ज्योतिष के माध्यम से फलित व भविष्य वाणी, व उससे संबन्धित समस्या का समाधान, कुंडली निर्माण

4-  तांत्रिक अनुष्ठान के माध्यम से किसी भी तरह की तंत्र बाधा,प्रेत बाधा का पूर्ण निराकरण,

5-  कैसी भी शत्रु बाधा हो या तंत्र बाधा हो का समाधान महाकाली व भैरव अनुष्ठान के माध्यम से,

6-  इसके साथ ही विशिष्ट बगलामुखी अनुष्ठान जिसमे आप पा सकते हैं सामाजिक राजनैतिक, व कोर्ट कचहरी मुकदमो मे पूर्ण विजय |

विशिष्ट यंत्र--

ये सभी यंत्र सद्गुरुदेव के समय के हैं तथा साधना विधि के साथ उपलब्ध हैं एवं सीमित संख्या मे उपलब्ध हैं| इच्छुक साधक शीघ्र संपर्क करें

v  सिद्धाश्रम देव लक्ष्मी यंत्र

v  लक्ष्मी महा यंत्र

v  बटुक भैरव यंत्र

v  विजय यंत्र

v  काल भैरव यंत्र

v  मृतुंजय शिव यंत्र

v  सम्मोहन यंत्र

v  गुरु प्रत्यक्ष सिद्धि यंत्र

v  पूर्व जीवन दर्शन यंत्र

v  ब्रह्मास्त्र यंत्र

v  भोगवरदा यंत्र

v  त्वरिता यंत्र

v  कुबेर यंत्र

v  गुरु प्राण स्थापन यंत्र

v  अहम ब्रह्मासमी यंत्र

v  सिद्धिदात्री यंत्र

v  षट चक्र एवं भविष्य सिद्धि यंत्र

v  नरसिम्हा यंत्र

v  चतुवष्ठी/ चौसठ योगिनी यंत्र

v  अनंग यंत्र

v  दुर्गा महा यंत्र

v  पशुपति नाथ शिव यंत्र

v  अघोर पीड़ा नाशक यंत्र

v  गणपती यंत्र

v  हनुमान यंत्र

इसके साथ सौंदर्य लूटिका प्रभेदा महायन्त्र, दृश्य शक्ति परा नविता यंत्र, साबर औलिया यंत्र, किन्नरोत्तमा साधन यंत्र, शून्य साधना यंत्र, नील तारा यंत्र, रसायन मेखला यंत्र (NPRU) के द्वारा साधना विधि के साथ उपलब्ध|

 


इस हेतु आप संपर्क कर सकते हैं--

mail id- 214rajni@gmail.com/ 123npru@gmail.com

call/whatsapp-8305704084

Sunday, June 7, 2020

जय सद्गुरुदेव
स्नेही स्वजन !
बहुत समय के पश्चात आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत हूं क्षमा प्रार्थी हूं क्योंकी आपकी अपेक्षा पर मैं शायद खरी नहीं उतर सकी ... अनेक कारण हैं .... किंतु अभी सिर्फ एक कारण कि जिम्मेदारी के कारण समय का अभाव किंतु अभि प्रमुख कारण ये है कि गुरुदेव के कार्य हेतू जो १४ पारद शिवलिंग १६ संस्कार वाले तैयार किये गये थे वे अब मुझपे कर्ज होते जा रहे हैं, मेरी प्रमुख जिम्मेदारी है कि या इन्हे जिस हेतू तैयार किया गया है उन्हे वही स्थापित करूं या किसी योग्य साधक को सौप दू ,
तो जिस  भी साधक को इसकी अपेक्षा  हो वो कृपया एक बार सोचें अवश्य ..... संपर्क के लिये मो नं 8305704084

इसमें  कुछ भी छल या व्यापार कि कोशिश नही है . कृपया /\
निखिल प्रणाम 
आपकी रजनी निखिल 

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