Thursday, September 24, 2009

सम्मोहन तंत्र

जीवन में सफलता पाने की चाह किसे नही होती, पर क्या सफलता इतने आसानी से मिल पति है , शायद नही न. आख़िर क्यूँ?????? सफलता की कीमत क्या है !!! क्या सिर्फ़ धन से,ऊँचे कद से,सुंदर चेहरे से सफलता मिलती है ??? नही ऐसा नही है!!! आत्मबल ki, drin ichchha shakti ki , aur ye sab prapt hota hai sammohan shakti ke dwara। Yadi aap me Sammohan shakti jagrat hai to safalta aapse door rah hi nahi sakti,phir chahe wo aapke office me aapka boss ho,aapka jeevan sathi ho, aapka pyar ho ,aapka grahak ho ,koi neta ho ,abhineta ho ya phir koi aam aadmi , is shakti ke saamne kisi ki bhi daal nahi galti. Aap apne sabhi saduddeshya is shakti ke dwara poore kar sakte hain . Shayad aapko pata nahi hoga ki Ruso Rasputin ne isi shakti ke bal par Roos par shasan kiya .ek samanya se charvaahe ne us vishaal rajya ko apna gulam hi bana liya. Kya aapko ye lagta hai ki sirf sammohit karne ka gun hi is shakti ke dwara mil pata hai to ye matr aapki galat-fahmi hai ,kyunki is shakti ke vividh aayam hain, jaise ki aarogya, dhan aur poornta bhi isi shakti ki anugami upshaktiyan hain. Ashtadas siddhiyon me se ek vashitva siddhi ka hi ye ek roop hai. Apara shakti ka ye aadhaar hai. Adhikansh sadhak jinhone apsara,yakshini ki sadhna ki hain, unhe pratayakshikaran to door koi anubhuti bhi nahi hoti kya aapne socha hai ki jo sadhak safal huye hain unme kya visheshta hai, shayad aapne kabhi dhyan hi nahi diya hoga. Bas sadhna ki satyata par iljaam daal kar aur in sadhnaon ko kapol kalpit kah kar apne kartavya ki iti shri kar lete hain, par ye to apni kamiyon ko najar-andaaj hi karma hai . Sammohan ki uchchavastha me ye prataykshikaran ki ghatna to samanya baat ho jaati hai, phir chahe wo Apsara ho, Yakshini ho, lakshmi ho ya anya koi bhi shakti , Sammohan ke paash me abaddh hokar saamne hath baandh kar khadi hoti hain, saamanya manav ki to baat hi chhod dijiye. Bhale hi aapko ye baaten atishiyokti poorn lage par ye satya hai , is satya ko maine Sadgurudev ke aashirvaad se maine G. Kyunki aantrik की miya karne ke baad dhatvik की miya to saamanya baat hi rah jati hai।
सम्मोहन तंत्र , सामान्य त्राटक अभ्यास से भिन्न ही है . क्यूंकि सामान्य त्राटक के क्रम को करते हुए सफलता प्राप्त करने के लिए लम्बी अवधि लगती है और सतत अभ्यास भी वाही ताँता का आश्रय लेने पर ये दुर्लभ घटना शीघ्र ही आपके साधक जीवन में घटित होती ही है . हाँ इसके लिए एक व्यवस्थित जीवन चर्या का पालन थोड़े दिन तो करना ही पड़ता है और यही साधक जीवन की मर्यादा भी है .तभी तो आपकी मनोवांछित शक्ति अपने वरद हस्त को आपके शीश पर रख पूर्णता और सफलता का आशीष देते हुए आपको धनवान व गौरव प्रदान करती हैं. ये सूत्र किताबों में लिखे हुए नही हैं ये तो सिद्धाश्रम की दिव्या चेतना से आप्लावित दिव्या मंत्र हैं जो वहां के योगियों के मध्य ही प्रचलित हैं. हम शायद ये बार बार भूल जाते हैं की हम भी उसी दिव्या भूमि ,उसी परम्परा से जुड़े हुए हैं , हम सभी में भी वही का बीज बोया गया है, अब हम उसेसध्नाओं द्वारा अंकुरित न करें तो ये हमारी कमी है.

५० भस्त्रिका का नित्य अभ्यास आपकी जड़ता को समाप्त कर शरीर को चैतन्य करता है.ये क्रिया नित्य होनी ही चाहिए.

साथ ही शरीर सिद्धि मन्त्र का गुरु द्वारा निर्देशित संख्या में जप करना चाहिए .प्रथम दिवस यही क्रियाएँ होती है.

दूसरे दिन सुषुम्ना नाडी के जागरण के लिए आत्म सिद्धि मंत्र का जप किया जाता है. कल वाला मंत्र भी इसके साथ अनिवार्य ही है. पहले प्रथम दिन का मंत्र जप फिर दूसरे दिवस का मंत्र जप. क्यूंकि शुशुमना नाडी के भेदन के बाद ही सम्मोहन शक्ति का प्रस्फुटन आपमें होता है और आपका चेहरा ओज से आभा से भर जाता है. आपमें दिव्या दृष्टि का उद्भव होता है .

तीसरे दिन चक्र जागरण साधना संपन करनी होती है जिसके द्वारा सम्मोहन मात्र आपके चेहरे पर न होकर समस्त शरीर में प्रसारित हो जाता है , तब आपके स्पर्श मात्र से सामने वाला सम्मोहित हो जाता है.इसके पहले का क्रम वाही रहेगा जो पहले दिन का था.

चौथे दिन अन्तर साधना मंत्र का जप किया जाता पहले के क्रम को संयुक्त करके.इसके बाद साधक में इतनी सामर्थ्यता आती ही की वो वांछित शक्ति को अपने सम्मोहन बल में बाँध कर आवाहित कर सके.

पाँचवे दिन स्वसम्मोहन सिद्धि मंत्र का जप अन्य मंत्रों के साथ किया जाता है .ये संपूर्ण क्रिया २४ दिनों की होती है यदि इस विश्व में कोई सबसे कठिन काम है तो वो अपने आपको अपने अनुकूल बनाना और जैसे ही ये क्रिया होती है ,आपमें चुम्कत्व पैदा होता है अन्य सभी लोहे की भांति आपके आकर्षण छेत्र में आ ही जाते हैं और आप अपनी कमियों को आत्म-निर्देश देकर समाप्त कर सकते हैं और अपने गुणों को और ज्यादा शक्तिशाली कर सकते हैं. यदि आगे इन मंत्रों को लगातार किया जाए तो वशित्व सिद्धि की प्राप्ति होती ही है. याद रखिये सम्मोहन का अर्थ ही होता है ख़ुद को ही मोहित करना यानिकी स्वयं की चेतना को आकर्षित कर परम चेतना से मिला देना. यदि हम २४ घंटे चुम्बकीय शक्ति से युक्त रहेंगे तो हमसे मिलने वाला कैसा भी व्यक्ति हो हमारे सद्वाक्यों को कभी नही ताल सकता. और उच्चावस्था में दिव्या शक्तियां भी हमारे प्रभाव क्षेत्र में आबद्ध हो जातियो हैं. फिर हमारे पास यदि किसी का फोटो भी हो या हमारे मश्तिष्क में किसी का बिम्ब भी हो तो उस व्यक्ति या शक्ति को सम्मोहित कर अप्नेअनुकूल किया जा सकता है, या किसी रोगी के कष्टों को दूर किया जा सकता है . यही क्रिया तिब्बत में बोध-संवहन- विधि कहलाती है. ये मंत्र दुलभ जरूर हैं पर अप्राप्य नही. सद्गुरु के चरणों में प्रार्थना कर हम पूर्ण सम्मोहन प्राप्ति दीक्षा पायें और इन मंत्रों को प्राप्त कर असंभव को भी सम्भव कर सकें. जब हम दिव्यता को पा सकते है तो फिर गिद्गिदाकर अपने आत्म-सम्मान को क्यूँ अपने ही पैरों के नीचे कुचलें या औरों को क्यूँ कुचलने दे. तभी तो कहते हैं न की जिद करो और दुनिया बदलो।

****ARIF****

3 comments:

  1. Aarif kya bina Tratak ke ye sabhi shambav hai. kyoki sammohan ka mool to Tratak hai.

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  2. jay gurudev


    aap ne jo yaha samoohan tantra ke bare me likha he kya me bhi itani samo han sakti pa sakta hu kya muzme bhi itani aakrsh samohan diksh aa sakti he to plz sar ji help plz call 9687876997 YOGESH aap kahe ki itani sakti pane ke liye muze kya kar na hoga me vo karunga




    or sar ji meri mata ko pure sarir me dard hota he manshik tensh n bhi he to kya me ish sadh na se sakti se unhe thik kar sakta hu plz kahe meri help kare aagr ho sakta he to hamare aaha tantriko ke naam pe lutne valoke samne aek gurudev ka sisya aayega or sab ko rog mukt karake gurudev pe sab ko sardh dilaunga muze gurdev ke bare me jan ja bahut aach lagta he plz help

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  3. JAY GURUDEV





    SARJI KYA AE सम्मोहन तंत्र" ME LIKHA HE VO SAB KUCH KYA GURUJI SE SAMOHAN DIKSH LENE SE HO SAKTA HE PLZ HELP SARJI

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