Jai gurudev all
Messages for Readers:
ज्ञान का संकरण करते रहने से ज्ञान और सिद्धि दोनों ही संकरण से संकीर्ण हो जाते हे . मेने ज्ञान का संकलन करके बूंद बूंद के रूप में आप सबको गंगोत्री बनाया था , अब समय आ गया हे की आप उफनती गंगा बन जाये . जेसे एक जला हुआ दीपक हजारो दीपक जला सकता हे उसी तरह आप ज्ञान रूपी दीपक बन के अज्ञान के अँधेरे को दूर करे. अगर में चाहता तो वो क्रम में ख़तम कर देता और साधना का प्रस्थापित करने का काम अपने शिष्यों पर नहीं छोड़ता मगर मुझे सिर्फ साधनाओ को नहीं भारतवर्ष को जीवित करना था . और भारतवर्ष जीवित होगा आप से, मेरे शिष्यों से, मेरे आत्मीयो से , क्यूंकि मुझे लुप्त हो गई गुरु-शिष्य परंपरा को भी तो प्रस्थापित करना था गुरु तरफ का कम तो मेने कर दिया हे अब शिष्य तरफी कम तो आप ही करेंगे और करना ही पड़ेगा यही मेरी गुरु दक्षिणा होगी . आप सब शिष्यता की और अग्रसर हो कर ज्ञान को आत्मसार करे. जेसे पारद स्वर्ण ग्रहण करते करते एक समय तृप्त होके वापस स्वर्ण बहा देता हे और वो इस पारस की स्थिति को प्राप्त करने के बाद कितना भी स्वर्ण बहाने पर उसमे स्वर्ण की कोई कमी नहीं आती क्यूँ की वो खुद ही स्वर्णमय बन जाता हे . आप भी ज्ञानमय बने और ज्ञान को उसी तरह बहाते रहे यही मेरा ह्रदय से आशीर्वाद हे
-पूज्य गुरुदेव श्री निखिलेश्वरानंद जी
कोई मेरे पास पूरी ज़िन्दगी भर रोज़ आके कहे की मुझे रस विद्या सीखनी हे तो सायद में उसे मृत्यु के बाद उसके अगले जन्म में उसे रसज्ञान देता . फिर आपके सामने तो गंगा बह रही हे. श्री निखिलेश्वरानंद जी का वरद हस्त आपके सर पर हे तो फिर चिंता केसी. आगे बढिए और ज्ञान को आत्मसार करे.
- रसाचार्य श्री नागार्जुन
रस तंत्र ६४ तंत्र अध्ययन की अंतिम कड़ी हे. इसका अद्ययन करने से बाकि सरे तंत्र स्वयं सिद्ध हो जाते हे. आप सब भी तंत्र की उच्चतम स्थिति को प्राप्त करे एसी गुरुदेव से प्रार्थना हे .
- श्री त्रिजटा अघोरी
आप आगे बढे और सिद्धाश्रम गमन करे यही कामना के साथ आपका पथ सुभ रहे यही आशीर्वाद देता हु .
- स्वामी सुर्यानंद
----------------------
ABOUT MAHARSHI DEVDATT SADHANA:
Mantras in hindi :
Viniyog
अस्य महर्षि देवदत्त प्रणित निखिलेश्वर्ये रसेश्वर स्वरूपे मंत्रस्य रस सिद्धि रस ज्ञान अर्थे जपे विनियोगः
Mool Mantra :
ॐ निखिलेश्वर्ये रसेश्वर्ये नमः
THOSE WHO ARE NOT ABLE TO DO THIS SADHANA FOR WHOLE 3 DAYS, CAN DO THIS SADHANA ON ANY ONE DAY OF 24-25-26 OF THIS MONTH BY CHANTING 101 ROSARY OF THIS MANTRA.
After sadhana if you wish, you can send me your experiences on my E-mail: Raghunath.nikhil@yahoo.com
Jai gurudev
****RAGHUNATH NIKHIL****
Messages for Readers:
ज्ञान का संकरण करते रहने से ज्ञान और सिद्धि दोनों ही संकरण से संकीर्ण हो जाते हे . मेने ज्ञान का संकलन करके बूंद बूंद के रूप में आप सबको गंगोत्री बनाया था , अब समय आ गया हे की आप उफनती गंगा बन जाये . जेसे एक जला हुआ दीपक हजारो दीपक जला सकता हे उसी तरह आप ज्ञान रूपी दीपक बन के अज्ञान के अँधेरे को दूर करे. अगर में चाहता तो वो क्रम में ख़तम कर देता और साधना का प्रस्थापित करने का काम अपने शिष्यों पर नहीं छोड़ता मगर मुझे सिर्फ साधनाओ को नहीं भारतवर्ष को जीवित करना था . और भारतवर्ष जीवित होगा आप से, मेरे शिष्यों से, मेरे आत्मीयो से , क्यूंकि मुझे लुप्त हो गई गुरु-शिष्य परंपरा को भी तो प्रस्थापित करना था गुरु तरफ का कम तो मेने कर दिया हे अब शिष्य तरफी कम तो आप ही करेंगे और करना ही पड़ेगा यही मेरी गुरु दक्षिणा होगी . आप सब शिष्यता की और अग्रसर हो कर ज्ञान को आत्मसार करे. जेसे पारद स्वर्ण ग्रहण करते करते एक समय तृप्त होके वापस स्वर्ण बहा देता हे और वो इस पारस की स्थिति को प्राप्त करने के बाद कितना भी स्वर्ण बहाने पर उसमे स्वर्ण की कोई कमी नहीं आती क्यूँ की वो खुद ही स्वर्णमय बन जाता हे . आप भी ज्ञानमय बने और ज्ञान को उसी तरह बहाते रहे यही मेरा ह्रदय से आशीर्वाद हे
-पूज्य गुरुदेव श्री निखिलेश्वरानंद जी
कोई मेरे पास पूरी ज़िन्दगी भर रोज़ आके कहे की मुझे रस विद्या सीखनी हे तो सायद में उसे मृत्यु के बाद उसके अगले जन्म में उसे रसज्ञान देता . फिर आपके सामने तो गंगा बह रही हे. श्री निखिलेश्वरानंद जी का वरद हस्त आपके सर पर हे तो फिर चिंता केसी. आगे बढिए और ज्ञान को आत्मसार करे.
- रसाचार्य श्री नागार्जुन
रस तंत्र ६४ तंत्र अध्ययन की अंतिम कड़ी हे. इसका अद्ययन करने से बाकि सरे तंत्र स्वयं सिद्ध हो जाते हे. आप सब भी तंत्र की उच्चतम स्थिति को प्राप्त करे एसी गुरुदेव से प्रार्थना हे .
- श्री त्रिजटा अघोरी
आप आगे बढे और सिद्धाश्रम गमन करे यही कामना के साथ आपका पथ सुभ रहे यही आशीर्वाद देता हु .
- स्वामी सुर्यानंद
----------------------
ABOUT MAHARSHI DEVDATT SADHANA:
Mantras in hindi :
Viniyog
अस्य महर्षि देवदत्त प्रणित निखिलेश्वर्ये रसेश्वर स्वरूपे मंत्रस्य रस सिद्धि रस ज्ञान अर्थे जपे विनियोगः
Mool Mantra :
ॐ निखिलेश्वर्ये रसेश्वर्ये नमः
THOSE WHO ARE NOT ABLE TO DO THIS SADHANA FOR WHOLE 3 DAYS, CAN DO THIS SADHANA ON ANY ONE DAY OF 24-25-26 OF THIS MONTH BY CHANTING 101 ROSARY OF THIS MANTRA.
After sadhana if you wish, you can send me your experiences on my E-mail: Raghunath.nikhil@yahoo.com
Jai gurudev
****RAGHUNATH NIKHIL****
Jay Gurudev,
ReplyDeleteapka mail id se Non Delivery Report aa raha hai .
gurukripa se sadhana kiya ,mantra jaap ke liye parad mala ka use kiya tha.kripa karke bataye parad mala ka bisarjan karna hai ya pooja sthan pe sthapan karna hai.
Regards
Bishwajit
oops... sorry everyone...I written (of course by mistake) .com instead of of .in . So my actual e-mail Id is
ReplyDeleteRaghunath.nikhil@yahoo.in
Raghu bhai, is sadhana me kitni mala jap karna h tin dino me?
ReplyDeleteor kon si mala?? yantra? asan colour? time?
plz thodaaa sa or bata dijiye..