शास्त्रों में जीवन का पहला सुख निरोगी काया दूसरा सुख घरमें हो माया तीसरी हो घर में सुलक्षणा नारी बताया गया हैं .ये तो जीवन के आधार हैं , अब यहाँ कोई ये प्रश्न भी रख सकता हैं की सुलक्ष्ण पुरुष भी क्यों न हो ,यह तो सच ही बात हैं की हम अपनी अपेक्षा अपने साथी में सारे गुण देखना चाहते हैं ही . एक ऐसा जीवन जिसमें यदि ये तीनो सुख किसी को मिले तो उस गृह के सामने इन्द्र के राज भवन भी तुक्छ हैं.
पर आज के जीवन की तेज भाग दौड़ में किसके पास समय हैं की वह किसी दुसरे को समझे ,सभी तो यही राग गा रहे हैं की कोई तो हमें समझे , प्रेम /स्नेह की मूल भुत आधार को हम भूल गए हैं की जब कोई हमारा नहीं हो पा रहा हैं तो हम ही उसके हो जाये , पर साधारण बाते ही बहुत ही असाधारण होती हैं.
घरमें माता पिता दादा दादी के साथ जब नाती पोते भी हो और आपके जीवन साथी के साथ आपके ह्रदय से,मन से सीधे सम्बन्ध हो तो मानो आप ने इन्द्र पूरी को ही इस धरती पर साक्षात् कर लिया हैं .पर हम जान कर भी कभी कभी अपना पक्ष नहीं रख पाते हैं. ओर घर में उतना स्नेहयुक्त वातावरण नहीं बना पाते जितना हम चाहते , कभी तो हम अपने को तो कभी अपने जीवन साथी को दोष देते हैं . यह माना की दो व्यक्ति एक जैसे नहीं हो सकते हैं विचारों में एक रूपता नहीं होना एक साधारण बात हैं . पर स्नेह /प्रेम /शांति के लिए जो बाते ,सब में उभयनिष्ट हो उनकी बाते करे, ना कि व्यक्ति विशेष के अव गुणों को आधार बनाया जाये.
पर किसी किस को आप समझाए ,घरमें दस व्यक्ति हैं तो सभी अलग अलग अलग दस दिशाओं में जा रहे हैं , तो क्या साधना कोई ऐसा भी रास्ता सामने रखती हैं जहाँ पर येभी संभव हो जाये,????
क्यों नहीं ,
साधना क्षेत्र के महारथी, महा पांडित्य युक्त व्यक्तिवों से यह छुपा नहीं हैं, ओर उन्होंने इस बात को न केबल समझा बल्कि समझाया की आपसी स्नेह .प्रेम के लिए तो आधार तो साधना ही बनेगी , ओर जब बात स्नेहाधर की हो तो समस्त विघ्नों के हर्ता भगवान् गणेश के सम्पूर्ण वरदायक स्वरुप को कैसे भूल सकते हैं . उनके वरद हस्त में ही वह क्षमता हैं की साधक हर दृष्टी से परिपूर्ण हो सके.
इस साधना को घर का कोई भी व्यक्ति या सभी कर सकता हैं. इस प्रयोग को किसी भी महीने की शुक्लपक्ष के रविवार को किया जाता हैं साधक के लिए उत्तम रहता हैं की वह मंत्र सिद्ध प्राणप्रतिष्ठित श्वेतार्क गणपति को प्राप्त करले. अगर श्वेतार्क गणपति उपलब्ध न हो सके तो किसी भी प्रकार की गणपति प्रतिमा को इस प्रयोग में स्थान दिया जा सकता हैं.
साधना के दिन सुबह ही गणपति की प्रतिमा को पूजा स्थान में स्थापित करे उसके दोनों तरफ एक एक सुपारी रखदे, ये रिद्धि एवं सिद्धि का प्रतीक हैं. गणपति एवं रिद्धि सिद्धि का पूजन करे और प्रतिमा को सिन्दूर चढ़ाये. इसके बाद लड्डू का भोग लगाये. स्नान के बाद श्वेत वस्त्र धारण करे. फिर निम्न मंत्र की २१ माला मन्त्र जाप हो, मंत्र जप के लिए किसी भी माला का उपयोग किया जा सकता हैं, स्फटिक माला उत्तम रहती हैं.
ॐ महागणपति सुख सौभाग्यं वृद्धिम मनोकुलम देहि देहि नमः
मंत्र जप के बाद भगवान गणपति से प्रार्थना करे और सभी सदस्यों को प्रसाद का वितरण करे. यह प्रयोग अगले रविवार तक करे. इस साधना में ध्यान रखने योग्य तथ्य यह हैं की साधना के दरम्यान अज्ञात आशंकाओ को दूर रखे और मन में शुद्ध भाव बनाये रखे, यही चिंतन बना रहे की भगवान गणपति की कृपा से परिस्थितिया अनुकूल हो कर सुख एवं सौभाग्य की वृद्धि हो रही हैं, इस भावभूमि पर भगवान गणपति विशेष प्रसन्न होते हैं.
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In the holy books this is clearly mentioned that there are some basic such /happiness that one should have in this world in order to consider happy like first one is having healthy body secondly having enough finance thirdly have wife having all the good quality. But some one also can raise ,raise question that why not well all good quality holder husband. Its true that we all expect without understanding the limit except all the good quality from our partner he or she as the case may be. In a life if some one get all the three mentioned happiness/such than his house is much more valuable than compare to heaven king indra home.
In today’s life is so fast , no one has time to understand others ,everyone is raising question that he/she will understand him/her first , what is basic thing in any sneh/love relation is that if we are not able to get other than why not be of other .common things are very uncommon.
When in any home grand father grand mother and along with that grand children are also there and if you have very close relation through the heart to your life partner than it is like that heaven comes on the earth.
Sometimes even on knowing this facts we are not successful to have such a lovable environment in our home than either we blame ourself or balme our life partner., yes it is acceptable thing/facts is that no two person in this world will be alike, and same is applicable on their mental attitude , what we can do is to get some common point and start work to create such a material heaven all round us as much as possible.
But how many people in your home are ready to listen ,even on listing you that they really going to change their life. Who knows??
so it is sadhana also can provide remedy on this problem
Why not.
The great scholars of tantra field not unaware of this fact they teach and thought the lesion on this that sadhana will provide the basic foundation on this. And when we want o create the internal mutual sneh/love in among all the family member than who other than Bhagvaan Ganesh can be rescue to us, his ever blessing everyone is sought. His blessing can fulfill all the wish of his sadhak and sadhak can have completeness in all round.
Every one can do this prayog means anyone among the member of the family can do this prayog. This prayog can be started on Sunday of bright light period of moon(shukla paksh) it would be much better if sadhak can have swetark ganapati. And that too have mantra siddha with prana pratishthit. If this type of Ganesh is not available than without any doubt take any Ganesh chitra (photograph) or statute(murti) of him.
On the day of the sadhana installed/sthapit Ganesh statue in your home and place one, one betel nut both side of statue theses represent riddhi and siddhi .than have a poojan of three statue , offer sindur to Ganesh ji. Offer laddhu as a naivaidya . have bath and after that wear white dhoti. Do chant 21 round of rosary with any mala you have. Sphtik mala is the best.
Om mahaganpati sukh soubhagyam vriddhim manokulam dehi dehi namah.”
After completing the mantra jap do the prayer to Bhagvaan Ganesh and distribute the Prasad offer to him amongst the family member . do continue this prayog till the next Sunday continuously. Not to have worry during the sadhana kaal of any unforeseen bad event , and get be pure in this period. Have a faith that Bhagvaan Ganesh blessing creating suitable atmosphere in your home and this attitude is very likable to bhagvaan Ganesh
****RAGHUNATH NIKHIL****
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