अभी महर्षि देव दत्त और में एक विशाल गुफा के अंदर बैठे हुए हैं, जहाँ पर मैं एक उर्जा के एक उच्च और विशाल स्त्रोत का अहसास कर पा रहा हूँ. एक ऐसी प्राकर्तिक रूप से स्वतः बनी हुए गुफा, जिसमे स्वतः की प्रकाश की प्राकर्तिक व्यवस्था हैं और इसमें एक अंत्यत स्वच्छ साफ जल से भरा छोटा सा ताल भी हैं | .पास की एक विशाल चट्टान रूपी दीवाल पर एक संत पद्मासन की मुद्रा में बैठे हुए हैं . पूर्णतः ध्यानस्थ अवस्था , ललाट पर त्रिपुंड सुशोभित, अत्याकर्षक चेहरा ,गले में सुशोभित रुद्राक्ष माला ,सुंदर बलिष्ठता युक्त शरीर ,और लहराते हुए केश राशि जो की चट्टान से नीचे तक पहुच रही हैं. इसमें कोई भी संदेह नहीं निश्चय ही वे एक उच्च संत हैं
महर्षि देवदत्त ने कहा की उनका नाम ऋषि मुंड केश ,जिसका शाब्दिक अर्थ तो ये हैं की वो जो अपने केश को मुडित करता हो , पर में देखा की उनके केश राशि की लाबी ५ फीट से कम तो नहीं होगी | मैंने महर्षि की और आश्चर्यचकित दृष्टी से देखा ,उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि उनके १०८ नाम हैं ,पर उनका पहला नाम मुंड केश ऋषि हैं, क्या तुम उन्हें दीक्षा कैसे प्राप्त हुए, न जानना चाहोगे
महर्षि देवदत्त ने कहा ये ही वह प्रथम व्यक्ति हैं जिन्होंने भगवान् शिव से सीधे ही दीक्षा प्राप्त की हैं, उन्होंने कुल १०८ प्रकार की अघोर दीक्षा , भगवान् शिव से सीधे ही प्राप्त की हैं.
मैं अवाक् सा खड़ा रह गया ,कि यह तथ्य तो मैं भी नहीं जनता था कि १०८ प्रकार कि अघोर दीक्षा भी होती हैं ,आज कुछ ही अघोर दीक्षा जैसे कि मुंड स्थापन, मुंड केश ,दंड दीक्षा ,लिंग पिंड प्रचलित हैं ,पर कभी भी ये किस प्रकार से संभव होती हैं उनके बारे में कभी भी विवरण नहीं मिलता हैं. मैं एक ऐसे महान संत के दर्शन करके , मैं बेहद प्रसन्न हुआ .|
देवदत्त कहते गए .."१००० से भी अधिक विभिन्न शाश्त्रों के रचियता हैं ये, शायद तुमने तंत्रेश और साबरी दर्पण के बारे मैं सुना हो , ये दोनों ग्रन्थ भी इन्ही के द्वारा लिखे गए हैं, न केबल यही बल्कि ,रसायन शाश्त्र के भी ये पूर्ण ज्ञाता और सिद्ध हस्त हैं,इन्होने भगवान् शिव से ही सीधे ही सब ज्ञान प्राप्त किया हैं और .."
और क्या .. मैं इन महान व्यक्ति के बारे मैं सम्पूर्णता से जानना चाहता था ,
देवदत्त कहते गए"..तुमने रावन के बारे मैं सुना ही हैं ,तुमने एक बार पूछा था कि रावण निश्चय ही एक उच्च योगी पिछले जन्म में रहा होगा ,तो ये तुम्हारे लिए उत्तर कि यही हैं वह महान संत ,जिन्होंने रावण के रूप में जन्म लिया था .
में आश्चर्यचकित ...यद्दपि में नहीं चाहता था... इनके उपलब्धियां अनगिनत हैं ...मैंने झुक कर इस महान संत को प्रणाम किया, और हम लौट आये | जब मैंने तंत्रेश ग्रन्थ के बारे में देवदत्त जी से पूछा ,तो उन्होंने कहा कि मेरे प्रिय मित्र . तंत्रेश अब केबल सिद्धाश्रम में ही उपलब्ध हैं . पर मरे पास इस महान ग्रन्थ कि कुछ साधनाए हैं यदि तुम चाहो तो इन्हें लिख सकते हो .किसी तरह से मैंने दो साधनाए लिख पाया ,उन मेंसे एक " अघोर वशीकरण साधना " हैं .
यह साधना बहुत ही उच्च कोटि की साधना हैं वशीकरण की, इसमें कोई दो मत हैं ही नहीं ,जिसके माध्यम से आप किसी को भी अपने नियंत्रण में ला कर अनुकूल बना सकते हैं, मैंने महर्षि देवदत्त को इतने उच्च कोटि की साधना ,वह भी इस महान संत की ,प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया
इस साधना को किसी भी सोमबार की रात्रि में ११ बजे के बाद प्रारंभ किया जा सकता हैं ,साधना प्रारंभ करने से पूर्व स्नान करके लाल वस्त्र धारण करले .
कोई एक प्लेट ले ,जो लोहे या स्टील की बनी हो .| इसके अंदर पूरी तरह काजल लगा दे, और निम्नाकित मंत्र लिखे (काजल को इस प्रकार से हटा हैं की )
" ॐ अघोरेभ्यों घोरेभ्यों नमः "
उस प्लेट के उपर जिस व्यक्ति का वशीकरण करना हैं उसका एक वस्त्र का टुकड़ा विछा दें | यदि ये किसी भी प्रकार से संभव न हो तो ,तो कोई भी नया कपडे का टुकड़ा उस पूरी प्लेट पर बिछा दें. |उस के ऊपर उस व्यक्ति का नाम लिख दे, जिस पर ये प्रयोग करना हैं ये नाम लेखन की प्रक्रिया ,सिन्दूर से ही की जाना चाहिए |
. अपने सामने भगवान् शिव का कोई भी चित्र जो भी आपके पास हो और उस व्यक्ति का भी (जिस पर ये प्रयोग किया जाना हैं ) रखे.
इसके बाद पूर्ण मनोयोग से उसी रात्रि में , काली हकीक या रुद्राक्ष माला से ५१ माला निम्नाकित मंत्र जप करें.
शिवे वश्ये हुं वश्ये अमुक वश्ये हुं वश्ये शिवे वश्ये वश्य्मे वश्य्मे वश्य्मे फट
इस मंत्र में अमुक की जगह उस व्यक्ति का नाम उच्चारित करें जिसे आपको वश में करना हैं .
जब ये मंत्र जप पूर्ण हो आप ऋषि मुंड केश और भगवान् अघोरेश्वर से इस साधना में सफलता के लिए प्राथना करें.
साधना काल के दौरान आपको कुछ आश्चर्य जनक अनुभव हो सकते हैं, पर इनसे न परेशान या बिचलित न हो , ये तो साधना सफलता के लक्षण हैं .
----------------------------------------------------------
Maharshi Devdatt and I were now present in a nice big cave, where I can clearly feel a great source of energy. A nice cave was lighting brightly naturally from inside and there was a small pond which was filled with a crystal clear water. On the nearer main wall there was a big stone on which one sage was seated in lotus posture. He was in deep meditation. Great attractive face, tripund of ash on forehead, rudraksha rosary in the neck, perfect muscular body, and long matted hairs were reaching out of the stone. Really, he was a great sage no doubt about his.
Maharishi Devdatt then spoke that his name is Rishi Mundkesh. I was surprised by hearing his name because Mundakesha literally means the one who have shave his hairs, but here I found his matted hairs were not less than 5 feet long. I looked surprisingly to Maharishi. He smiled and said that he has 108 different names, but his one of the first name was Mundkesh Rishi. You know about Mundkesh Aghor diksha. I nodded, an Aghor diksha in which the whole hairs are been removed.
Devdatt continued “This is the first person who received that diksha from lord shiva him self. He got total 108 different Aghor Diksha from lord shiva him self.”
I was speechless, I personally was not aware that there are 108 different aghor dikshas, just few aghor diksha are found today like Mundh sthapan, mundkesh, dand diksha, ling pidan, but no more things are found anywhere about these dikshas. I was really feeling happy to see such a great sage. Devdatt told me “he is author of more than 1000 different scriptures. You might have heard about Tantresh and Shabari Darpan… those are even written by him. Not only this, he is master and component in rasayana even. He learnt everything through shiva him self and….”
What end….I was very curious to know about this man…
Devdatt continued…you know about Ravan. You asked me once that Ravan must be a big sage in his past life, and he must have took avtar. So here is your answer, this is the sage, who took birth as Ravan…
I was surprised…though I shouldn’t be…his achievements are uncountable… I bowed down to the great sage and we were back. But when I inquired about scripture Tantresh, Devdatt told me that my dear friend…Tantresh is only available in siddhashram. Thought I have some sadhana from that great scripture, if you wish you can note down. Anyways I noted two sadhanas only, in which one was Aghor Vashikaran Sadhna.
This is really a great sadhana for vashikaran and can control any one. I really thank devdatt to provide such a wonderful sadhana of such a great sage.
This sadhana should be done on Monday night only after 11 pm. One should take bath and wear red cloths before starting it.
Take any steel or iron plate. Apply collyrium (kajal) all over inside and write the following mantra ( the collarium should be cuted that way)
“om aghorebhyo ghorebhyo namah”
On that place a piece of cloth of the person on which the vashikaran prayog is being done. If that is not possible anyhow, place any fresh cloth piece. On that cloth write a name of the person for whom prayog is being carried out. This name should be written with vermillion.
Place a picture of lord shiva infront of you and if available photograph of the person for which prayog is being done.
After that take black hakeek or rudraksha rosary and with concentration 51 rosaries should be completed of the following mantra on the same night only.
Shive Vashye Hum Vashye Amuk Vashye Hum vashye Shive Vashye Vashyme Vashyme Vashyme Phat.
Here, in mantra, one should chant name of the person to be vash, on the place of AMUK.
After completion of sadhana one should pray to rishi Mundakesh and lord Aghoreshwar for success in the sadhana.
During sadhana, one may have exiting experiences but really not to worry for that. Those are signs of success in the sadhana.
****NPRU****
Respected Arifji,
ReplyDeleteTnks for such sadhna details. Pls tell the direction in which direction should be faced. Second, pls tell after sadhna what to do with the piece of cloth and rosary.
dear Krishan ji, you can do this sadhan north facing direction , and afte rthe completion of sadhana drop that piece of cloth and rosary any pond/lake .
ReplyDeletesmile
Anu
Respected Arifji,
ReplyDeleteCan you please tell me whether I can complete this sadhna in two or three nights. Yesterday I started this sadhna, and one rosary can take 15 minutes. In that way it is going to take more than 9 hours. And if I started at 11p.m. it will go to the next morning. Please give me some guidance. I am waiting for your reply.
Thanks
Jai gurudev anu bhaiya kya is Teevra aghor vashikaran sadhana ko 5 dino me 10 mala roj ke hisab se kiya ja sakta hai kya
ReplyDeleteJai gurudev anu bhaiya kya is Teevra aghor vashikaran sadhana ko 5 dino me 10 mala roj ke hisab se kiya ja sakta hai kya
ReplyDeleteJai gurudev anu bhaiya kya is Teevra aghor vashikaran sadhana ko 5 dino me 10 mala roj ke hisab se kiya ja sakta hai kya
ReplyDeleteJai gurudev anu bhaiya kya is Teevra aghor vashikaran sadhana ko 5 dino me 10 mala roj ke hisab se kiya ja sakta hai kya
ReplyDeleteBhaiya ji, please btaye kya ye sadhna 2 ya teen dino mai ki ja sakti hai.......
ReplyDeleteयह प्रयोग सिर्फ एक ही रात्री में सम्प्पन करना अनिवार्य है.
ReplyDelete