Monday, November 28, 2011

AAVAHAN-19(BEEJOKT TANTRA MAHATAMYA)


सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद जी के सानिध्य मे योग तांत्रिक जटिल व् गोपनीय रहस्यों से पर्दा उठाता ही जा रहा था . अब इंतज़ार था रात्रि काल का. आवाहन के माध्यम से मुझे उन गोपनीय प्रक्रियाओ को प्राप्त करना था. वस्तुतः ये प्रक्रियाए सदगुरुदेव खुद भी दे सकते थे, लेकिन इसके पीछे उनका क्या चिंतन रहा होगा कुछ पता नहीं. यु भी उनका ये स्वभाव ही रहा है की वह कभी कभी अपने शिष्यों के पास या अन्य सिद्धो के पास ज्ञान प्राप्ति के लिए अपने शिष्यों को भेजते है, इसके पीछे क्या चिंतन होगा कुछ कहना सामर्थ्य के बहार की बात है.
शाम का समय और शुरू हुई आवाहन की गुढ़तम प्रक्रिया मे से एक; सूक्ष्मजगत मे प्रवेश. शुभ्र प्रकाश के मध्य कई दिव्यात्मा अपने आप मे ही लिन. तभी किसी तरफ से एक दिव्यात्मा मेरे पास आ गए, कौन थे वह कुछ ज्ञात नहीं. उन्होंने सीधे ही कहा की एक प्रक्रिया तो मे तुम्हे दे रहा हू लेकिन इसके पूर्ण नियमों का पालन करना आवश्यक है. मुझे आश्चर्य नहीं हुआ की उन्हें मेरे बारे मे कैसे मालूम क्यों की इन सिद्धात्मा तथा दिव्यात्मा के लिए कोई भी चीज़ असंभव नहीं है इसका मे कई बार अनुभव कर चूका था. फिर भी मेने कहा की यह प्रक्रिया किस सबंध मे है. तब उन्होंने कहा की कुण्डलिनी योग मे इस मंत्र का प्रयोग करने पर शरीर अपने आप ही निचे स्थिर हो जाता है तथा उर्ध्व गति त्वरित हो जाती है. इसी प्रक्रिया के माध्यम से मनुष्य अपनी आत्मा से सूक्ष्म लोको की यात्रा भी कर सकता है. लेकिन साधक को चाहिए की वह इस मंत्र का जाप कुण्डलिनी योग के कुछ दिनों अभ्यास करने के बाद ही करे. साथ ही साथ यह मंत्र का जाप अभ्यास के साथ ही  होना चाहिए.
जो मंत्र उन्होंने बताया था वह कृष्ण से सबंधित था जो की इस प्रकार से है:
ओम कृष्ण रुपस्ये क्लीं सर्व सर्वाय फट्
कुण्डलिनी योग के मध्य इस मंत्र का अभ्यास करने पर साधक कुछ ही दिनों मे मूलाधार पर स्थिर होने लगता है और बाद मे उसकी गति उर्ध्व होने लगती है. साधक को ज्ञान मुद्रा मे इसका जाप करना चाहिए तथा वस्त्र सफ़ेद पहेनना चाहिए. इस मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता इसे आतंरिक रूप से जपना होता है. साधक के लिए यह विशेष नियम है की यह मंत्र कम से कम ३ साल तक वो किसी को नहीं बताये.
क्या नाद योग से सबंधित भी कोई प्रक्रिया है ?
नाद योग तथा उसकी योग तांत्रिक प्रक्रियाओ मे बहोत ही तफावत है. इससे सबंधित २ प्रक्रियाए है. पहला मंत्र जो है वह है सोऽहं
मेने कहा की आगे? उन्होंने हस्ते हुए कहा की यही मंत्र है. ये २ बीज है जिसमे शिव तथा शक्ति का समन्वय है. आज बीज मंत्रो के बारे मे साधक रूचि नहीं लेते लेकिन ये सामान्य सी बात है की कितना भी बड़ा मंत्र हो लेकिन ज्यादातर मंत्रो मे बीज होंगे ही. अगर साधक बीज मंत्रो को ही ठीक से साध ले तो किसी भी सिद्धि को प्राप्त करना एक सामान्य सी बात हो जाएगी.
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Complicated and hidden mysteries of yog tantra were being revealed under guidance of sadgurudev Nikhileshwaranand ji. Now it was waiting for eve. I was supposed to collect those secret processes through aavahan. Those processes could have also been given by sadgurudev, but what was the mottow behind his order, I was not aware. He owns nature where he many times send his disciples to other disciples and siddha people to gain knowledge, what his logic remains behind this system, to make any comment there is un eligibility.
Evening time and one of the mysterious processes of aavahan started; to enter in sukshm jagat. Many divine souls were lost in their self in the white lights all over. At the moment, one divyatma came to me, who he was. I do not know about it. He straight came to point, I am giving you one procedure but to follow all the rules and regulations is basic necessary. I felt not strange that how he came to know about me because for these siddhatma and divyatma there is nothing impossible and that I had experienced many times. Then too I asked that the process is related with what subject. That time he told me that in kundalini yoga if this mantra is being performed it may give success in internal downward establishment and speed to go upwards increases. With the same process one can travel with his soul to vatious sukshm lok. But sadhak should use this mantra after some days practice of kundalini yoga. With that sadhak should chant the mantra with practice only.

The mantra given by him which was of Krishna is as follows:

Om Krishna rupasye kleem sarv sarvaay phat

If this mantra is performed with kundalini yoga, in some days sadhak will be able to establish himself in muladhar and after that his upward travel also get started. Sadhak should chant the mantra in gyan mudra and cloths should be white. This mantra should not be chanted with mouth sound, internal chanting should be done. It is also a necessary rule for sadhak is not to give the mantra to anyone for at least 3 years.

Is there any process in relation to naad yoga?

There is a big difference in naad yoga practice and same process of yog-tantra. There are two processes for the same.  First mantra is “soham”

I asked ‘further’? He said laughingly that this is complete mantra. These are two beej mantra among which shiva and shakti is incorporate. Today sadhak do not show much interest in beej mantra but it is very basic thing that how big the mantra could be, majority have the beej mantra in it. If sadhak accomplish these beej mantras then to have any siddhi is very normal thing for those.

****NPRU****   

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