Friday, November 11, 2011

Simple but highly effective Sadhana for removing financial debt


सदगुरुदेव जी ने  अपने प्रवचनों में अनेक जीवन  की विसंगतियों  पर  हमारा  ध्यान आकर्षित किया हैं  और बताया हैं की  कैसे  इनसे  मुक्त हो कर हम अपना   जीवन श्रेठ  बना  सकते हैं   इन्ही में  से  एक हैं व्यक्ति  का ऋण  युक्त  होना   और यह ऋण   भी अनेक प्रकार  का  हो सकता हैं जिसमे  से  प्रमुख हैं.मात पितृ ऋण, पितर ऋण का, देव ऋण तो का, तो गुरु ऋण   ऐसे  ही  अनेको के  बारे  में शास्त्र   मार्गदर्शन करते हैं,,
  हम यह  जानते हैं  और समझते हैं की   कर्म   रूपी   चक्र  से   बंधा  हुआ  यह संसार   चल रहा हैं ,,  तो इस  ऋण रूपी  शत्रु से  छुटकारा  हमें  कैसे प्राप्त हो   क्योंकि    ये  ऋण   मानो एक रूकावट  हैं  हमारी  उन्नति का ,, सदगुरुदेव   कहते हैं इन सभी  ऋणों  में  सर्वाधिक कठिन  और  जीवन  को नष्ट करने  वाला हैं  "आर्थिक  ऋण"  यह न केबल लेने  वाले  व्यक्ति  को अगर वह    चूका पा रहा हो  तो  व्यक्ति  को स्वतः तिल तिल कर मारता   जाता हैं  अतः  सबसे पहले   इस  पर   ही ध्यान रखना   चाहिए ..
      ज्योतिष  ग्रथ  व्यक्ति के  जीवन में  आये  हुए  ऋण को  मंगल के  माध्यम से  या  मंगल की दोष  पूर्ण स्थिति    से बताते  हैं ,  और सदगुरुदेव ने  इसके  बारे में  अनेको  उदाहरण   भी  हमारे  सामने  रखे हैं ..
           ऋण  मोचक  मंगल स्त्रोत  का  पाठ यदि  मंगल के  यंत्र  के सामने  कुछ दिन  तक लगातार  किया  जाए   तो  अनुकूलता  आती  ही हैं ..कितना जप  रोज़ करना  हैं  उस इ  तो आप स्वयं  ही  निर्धारण करे  की   १/२१/३१/५१/१०८  पाठ  किये  जाना हैं  यह  आप अपनी    ऋण  की  अवस्था   देख कर  कितना किया  जाना  चाहिए  निर्धारित  करें  या  सिर्फ कुछ पाठ .. बस
इसी समस्या के  निराकरण के लिए  यहाँ पर  एक प्रयोग  आपके सामने हैं ...इस  यन्त्र  का निर्माण  आप अष्ट गंध से करे, पूर्ण पवित्रता के साथ . दिन स्वाभविक हैं की मंगल वार   ही होगा,  और हमेशा की तरह  भोज  पत्र  पर बनाना   हैं  .
 मंगल के प्रतीक लाल  रंग   के  वस्त्र पर  इसे    स्थापित  करना   हैं  और  धुप दीप से  इसकी पूजन करना हैं 
 मंत्र:.
              भौमाय   नमः ||
  आप कोई भी  वस्त्र धारण  कर सकते हैं  समय  कोई भी  दिन या  रात   में  कर सकतेहैं  दिशा  का  भी कोई प्रतिबन्ध  नहीं हैं . कम से कम एक  माला  मत्र जप   तो करना   हैं  ही , इसके  बाद इसे  किसी भी  ताम्बे के  ताबीज में   धारण   कर ले  और   ऋण मोचन  स्त्रोत का पाठ  अपनी क्षमता  अनु सार  करते  रहे  निश्चय    ही आपको लाभ  होगा , और हम कोशिश करते हैं  की इससे सम्बंधित कुछ  और विधान आपके सामने  रखे   क्योंकि यह  ऋण मुक्तिता   आज  एक  बहुत बड़ा  प्रश्न   बनती जा  रही हैं 

******************************************************************            Many  times Sadgurudev   ji has   raise  concern  over  the various  complexities  of our life   and   how  to over   come that  , to became    or to  lead a  successful life , in that  complexity  or weakness or   problem  ,whatever  you can say  one is “debt “  and  that  may be  of any  type  ,  debt of  mother  and  father ,  debt of pitar ,  dev debt  or   debt of  guru ,  like   that so many categories mentioned  in our  shastras.
 And we  all know  that whole  world  is  running  under the  wheel of  karma.  But how  we can be  get rid  of this  enemy or shtru   “debt”. Since  this is  one  of the  major obstruction in  achieving progress of  our life. Sadgurudev ji used  to say that in between all  type  of debt  “ the financial  one”  is   very critical , if person is  suffering from that and  not able  to repay than ,   what a  misery he has to face , no one  can easily understand.  So  we  should  or  the person  affected to this , must  have   very care of this point,
   Astrological  books   says  that this  happens  because of    bad position  of mars  planet in  affected  person’s  horoscope.  And Sadgurudev   ji has given many example of that  situation.
If any person  recite daily the  “rina mochan  mangal strot “  than surely he  will  feel   relief.  What will be  the  quantity  , that  you  should  have  to  decide. after  considering   the  seriousness of your  problem.  Either one or 21/31/51/108  times  would  be  better.
   To get relief here is  one prayog.
 Make  this  yantra    ,on  any Tuesday   after observing all the   cleanness and  taking   bath and   in any  bhojpatra   with   ashtgandh .  place  this  yantra on red cloth  and do poojan of this  yantra   with dhup and deep , and  do jap minimum  one mala or  one round  of  this  mantra .
 Mantra
Om bhoumaAy  namah
 And  after  that   place  this yantra  in  any  tabeej made of  copper and  wear it  in your neck. And  after  that do  continuously chant  the  “rin  mochan strot “ regularly  as   you want ,    till you  get  relief.
 In  coming any post , we  will try  to post  some  more  prayog   that will be   helpful   in  removing  financial debt ,since  this is becoming a  great  problem nowadays.

****NPRU****


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1 comment:

  1. ऋणमोचक मंगल स्तोत्र

    मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
    स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥१॥
    लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
    धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥२॥
    अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
    व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥३॥
    एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
    ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥४॥
    धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
    कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥५॥
    स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
    न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥६॥
    अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
    त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥७॥
    ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
    भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥८॥
    अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
    तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥९॥
    विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
    तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥१०॥
    पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
    ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥११॥
    एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
    महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥१२॥
    इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्

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