Saturn has got its own place among the nine planets. It is also called Punishing authority therefore it is quite natural for all the creatures of universe to be fearful of it since it gives results according to their karmas.
When the karmas have been done then it is necessary to bear the results also. But our sages and saints have evolved certain processes which are capable of reducing results of karmas to the minimum.
This is well-known fact that Saturn planets takes approximately 30 months to move from one zodiac sign to the other which is maximum as compared to other planets. This is the reason that if it is not favorable, person may have to bear the ill-consequences for a very long time.
1. Happening of any accident
2. Mutual disputes among the family-members
3. Sudden loss in business.
4. Emergence of any physical disease.
5. Eye-related disease
6. Feet-related disease
7. Become extremely unhappy or in state of depression
8. And if Saturn is not favorable for sadhak then delay in accomplishment of sadhna.
are certain consequences which one has to bear.
1. This prayog can be done during any eclipse time or on Saturday.
2. This yantra can be made during the eclipse time .Process is very simple hence will take less time.
3. Take merely any paper or Bhoj Patra which is not worn or have no cuts.
4. Take bath and wear clean clothes..then make this yantra.
5. Black ink has to be used for writing yantra.
6. Any type of pen/pencil can be used. If stick of pomegranate is use, then it will be better.
7. If yantra is being made on Saturday then any time of Saturday will be more appropriate.
8. Just make the yantra and worship it with dhoop and deep. Complete Sadgurudev poojan and chanting Guru Mantra in beginning and end is compulsory regardless of whether sadhna is big or small.
Do this sadhna……And you can yourself feel the favorable nature of Saturn planet. Also you can chant any tantric mantra related to Saturn planet, it will provide you more benefits.
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नवग्रहों मे शनि का अपना ही एक स्थान हैं ,इनको दंडाधिकारी भी कहा जाता हैं हैं अतः सृष्टि के समस्त जीवो को उनके कर्मो के अनुसार फल देने के कारण सभी का इनके प्रति भय होना स्वाभाविक भी हैं .
जब कर्म किये हैं तो फल सहन करने की अनिवार्यता भी हैं ,पर हमारे ऋषियों ने अनेक ऐसे विधान निकाले हैं जो इन कर्म फलो के परिणाम अत्यधिक न्यून कर सकने मे समर्थ हैं .
शनि ग्रह , यह तो सर्व विदित तथ्य हैं की शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि मे जाने मे लगभग ३० महीने का समय लेते हैं जो अन्य किसी ग्रह की तुलना मे सर्वाधिक हैं .इस कारण इनकी यदि अनुकूलता न हुयी तो व्यक्ति को काफी लंबे समय तक दुष्प्रभाव झेलने पड़ जाते हैं .
1. कोई दुर्घटना होना
2. घर के सदस्यों का आपस मे मन मुटाव होना
3. अचानक व्यापार मे हानि हो जाना
4. शारीर गत कोई रोग का उभर आना .
5. आखों से सबंधित रोग
6. पैरों से संबधित रोग .
7. अत्यधिक उदास या अवसाद मे होना
8. और साधक के लिए शनि यदि अनुकूल ना हुए तो साधना सिद्धि मे देरी होना
ऐसे अनेक प्रभाव मिलते हैं .
1. इस प्रयोग को किसी भी ग्रहण काल या शनिवार को किया जा सकता हैं .
2. ग्रहण काल मे मे भी इस यन्त्र को बनाया जा सकता हैं सरल विधान हैं अतः समय कम लेगा .
3. मात्र किसी भी कागज़ या बिना कटा फटा भोजपत्र ले ले .और
4. स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करके..इस यन्त्र का निर्माण करें .
5. यन्त्र लेखन के लिए काली स्याही लेना हैं .
6. किसी भी प्रकार की कलम ली जा सकती हैं जो आपके पास हो अनार की लकड़ी हो तो ठीक रहेगा .
7. यदि किसी शनिवार को यन्त्र लेखन कर रहे हैं तब दिन का कोई भी समय उचित होगा .
8. बस यन्त्र बना ले धूप दीप से पूजा कर ले . सदगुरुदेव पूर्ण पूजन और गुरू मंत्र का जप तो हर साधना फिर वह छोटी या बड़ी हो उसमे प्रारम्भ या अंत मे अनिवार्य हैं ही .
इस साधना को समपन्न करें ..और शनि ग्रह की अनुकूलता को आप अनुभव भी कर सकते हैं हाँ चाहे तो शनि ग्रह का कोई भी तांत्रिक मंत्र का जप भी कर सकते हैं यह और भी अनुकूलता देगा .
****NPRU****
Iss yantra ko kya dharan karna hai ki pooja sthan me hi sthapit karna hai.
ReplyDeleteJai Gurudev