Every person wants
to be famous, to get respect in the society, wherever he goes, people want his
company and he is the deserving candidate for getting all the affection. But
how this is possible whereas everywhere only one quality has been given all the
consideration i.e. money.
Sadgurudev has said
in one cassette that few years before independence, person having very high
character or possessing knowledge got all the respect and recognition of the
whole society. Even rich to rich person used to respect that person. Now what
has happened is that money has taken the place of character. There is no
special change but…..due to it, prevailing condition of society and what has happened,
this is well known to you and me.
But this state
cannot be achieved by attaining money in one or two months. Now the alternative
left is to do Mohan or Vashikaran prayog on someone….but on how many person
this prayog can be done since we daily come across so many persons in our life.
So why not do one
sadhna process which automatically creates attraction automatically within us.
People see us and automatically become favorable. They do not create any
problem without any reason and favor us .If such thing happens; it is no less
than any miracle…..
But for this, we
have to do so many sadhna. However, it is not about running away from sadhna.
Sadgurudev has made many of us do so many high-order prayogs .Some of them like
Brahmand Vashikaran prayog, Sampurna Charachar Vashikaran Prayog, such prayogs
which were done by Lord Shri Krishna and Lord Buddha and they brought entire
world under their control. But we considered only this prayogs as normal and
there may be lack of trust too…..This was our shortcoming. But now is the time
to understand these prayogs.
But today when
there is shortage of time then yantra sadhnas can prove to be boon for us, if
we do it with full trust.
Rules for making
this yantra are like this.
·
This
can be created on any auspicious day or festival.
·
This
yantra can be made only on Bhoj Patra.
·
Take
bath in Morning and wear clean clothes..then do this work.
·
Yellow
dress and aasan will be more appropriate .North direction will be appropriate.
·
Mixture
of Red Sandal, Gorochan, Keshar and Kasturi should be used as ink for writing
on yantra.
·
Use the
stick of Jasmine for making yantra.
·
Worship
it for 3 days after making yantra.
·
Remain
celibate for these three days.
After that, keep
this yantra in amulet of triloh and wear it on your arm.As long as you wear
this yantra, you can feel its affect automatically.
Now worship the
yantra by dhoop and deep for 3 days. How to do Sadgurudev Poojan, chanting Guru
Mantra and doing Nikhil Kavach necessarily in both beginning and end is well
known to everyone. There is no point repeating it.
=================================================== हर व्यक्ति चाहता हैं की वह लोक प्रिय हो, समाज मे उसका आदर हो ,वह जहाँ जाए लोग उसके सानिध्य मे रहना चाहे और सभी के स्नेह का पात्र हो .पर कैसे यह संभव हो जबकि चारो तरफ अब सिर्फ एक गुण का ही परिचम लहरा रहा हैं और वह हैं धन ...
सदगुरुदेव एक केसेट्स मे
कहते हैं की आजादी के चंद साल पहले तक
जिनका भी चरित्र उच्च
रहता था या था या होता था , ज्ञानवान भी रहा तो वह पुरे
समाज का स्वत ही आदर का पात्र
रहा , धनी से धनी व्यक्ति भी
उसका आदर
करता था , अब बस इतना
हो गया हैं की चरित्र की जगह धन ने
ले ली हैं .कोई खास बदलाव नही हैं पर .. इस कारण समाज मे आज जो
कुछ हैं या जो हुआ हैं वह हम और आप
जानते समझते हैं .
पर एक दिन या महीने मे तो धन
लाकर यह अवस्था नही लायी जा सकती हैं . तो
अब दूसरा रास्ता बचता हैं की
किसी पर मोहन या वशीकरण
प्रयोग करे ..पर कितनो पर यह प्रयोग
किये जा सकते हैं जबकि
दिन प्रतिदिन के जीवन मे
अनेको लोगों से मिलना होता हैं .
तो क्यों नही साधना का एक ऐसा
विधान कर लिया जाए तो स्वतः हम
मे ही
आकर्षण पैदा कर दे . लोग हमे
देखें और स्वत ही हमारे अनुकूल होते जाए बेवजह
हमारे लिए समस्याए न पैदा करें और अनुकूलता भी दे अगर ऐसा
होता हैं तो यह भी कोई
चमत्कार से कम थोड़ी न हैं .
पर इसके लिए तो कितना न साधना करनी पड़ेगी .हालाकि साधना
से बचने की बात नही
हैं , सदगुरुदेव जी ने तो एक
से एक उच्च कोटि के प्रयोग
हमारे मध्य अनेको को सम्पन्न कराये
हैं कुछ तो ब्रह्माण्ड वशीकरण
प्रयोग , समपूर्ण चराचर वशीकरण
प्रयोग ,ऐसे भी प्रयोग जिन्हें भगवान
श्री कृष्ण और भगवान बुद्ध ने
समपन्न कर के समपूर्ण विश्व
को अपने वशीभूत मे कर लिया
.पर हम उन प्रयोगों को एक
सामान्य सा ही समझते रहे या यूँ कहूँ की विश्वास की
कमी की ऐसा भी हो सकता
हैं ...यही हमारी नुय्नता रही . पर
अब समय हैं की उन प्रयोगों को समझे .
पर
आज जब समय की आत्याधिक कमी हैं
तब
यन्त्र विधान की साधनाए हमारे लिए
वरदान सिद्ध हो सकती हैं यदि पुरे विश्वास
के साथ इनको करते हैं .
इस
यंत्रके निर्माण के
नियम इस प्रकार हैं .
- किसी भी शुभ दिन या पर्व मे इसका निर्माण कर सकते हैं .
- इस यंत्र को भोज पत्र ही बनाया जा सकता हैं .
- प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करके यह कार्य समपन्न करें.
- वस्त्र और आसन पीले रंग के हो कहीं ज्यादा उचित होगा .दिशा उत्तर की उचित होगी .
- स्याही इस यंत्रलेखन के लिए –लालचंदन ,गोरोचन ,केशर और कस्तूरी से मिला कर बनायी गयी हो .
- यंत्र लेखन के लिए चमेली की लकड़ी का प्रयोग करें .
- यंत्र निर्माण के बाद तीन दिन तक इसका पूजन करना हैं .
- इस दौरान (इन तीन दिनों मे) ब्रम्हचर्य का पालन करे .
इसके बाद इस यन्त्र को
त्रिलोह के ताबीज के अंदर रख कर अपनी भुजा मे धा रण कर लेना हैं , जब तक यह यंत्र आप धारण करे रहेंगे तब तक आप
इसका प्रभाव स्वत अनुभव करते रहेगे
.
अब
यंत्र का तीन दिन धूप दीप से पूजन
करना हैं और सदगुरुदेव पूर्ण पूजन , गुरू मंत्र का जप किस प्रकार करना हैं और निखिल कवच का सारी प्रक्रिया के प्रारम्भ और
अंत मे क्यों अनिवार्य रूप से पाठ किया जाता
हैं बार बार लिखने की आवश्यकता नही
हैं यह तो सभी आप ,पहले से ही परिचित हैं .
****NPRU****
Bhai Sahab Jai gurudev aajkal kasturi to sahaj nahi milti to kya proyog mein layein kyunki ye lana aur proyog karana aajkal gairkanuni hai..... kripya samadhan dein
ReplyDeletekasturi ki jagah kya proyog karein kyunki ye sahaj parapyein nahi hai aaj ke samay mein.... jaigurudev
ReplyDeleteBhai Sahab Jai gurudev aajkal kasturi to sahaj nahi milti to kya proyog mein layein kyunki ye lana aur proyog karana aajkal gairkanuni hai..... kripya samadhan dein
ReplyDeleteBhai Sahab Jai gurudev aajkal kasturi to sahaj nahi milti to kya proyog mein layein kyunki ye lana aur proyog karana aajkal gairkanuni hai..... kripya samadhan dein
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