मूलाधार
चक्र के जागरण के एक विशेष योग तांत्रिक प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया के करने पर
व्यक्ति को कई प्रकार के लाभों की प्राप्ति होती है.
साधक
की गंध परखने की क्षमता का विशेष विकास होता है तथा उसके पञ्चइंद्री के अंतर्गत
गंध उसमे विशेष रूप से सूक्ष्म गन्धो को
भी अनुभव करने की क्षमता आ जाती है. मूलाधार चक्र के जागरण से समय को गंध
के सबंध में भी याद रखा जा सकता है. एक सुगंध जब व्यक्ति ले चूका हो तो उसके बाद
किसी जगह पर महेसुस हो जाए तो वह सालो के बाद भी उस समय को स्मृति मानस पर ला सकता
है जिस काल खंड में उसे वह सुगंध की अनुभूति हुई थी.
मूलाधार
चक्र का विकास हो जाने पर व्यक्ति को आसान क्षमता प्राप्त होती है तथा लंबे समय तक
बैठने पर उसे कष्ट व्याप्त नहीं होता है
इस
चक्र के जागृत होने पर गुदाद्वार तथा मल निष्कर्षण सबंधित सभी समस्याओ का समाधान
होता है.
आध्यात्मिक
रूप से यथार्थ दर्शन तत्व दर्शन या मूल दर्शन की उपलब्धि यह चक्र करवाता है जिसके
माध्यम से व्यक्ति को अपने अंदर समाहित सत्ता का बोध होने लगता है. उसे आतंरिक
ब्रम्हांड का अहेसास तथा अनुभूति होने लगती है.
मूलाधार
चक्र को जागृत करने की योग तांत्रिक प्रक्रिया इस प्रकार से है.
साधक
सुबहब्रम्ह मुहूर्त में या रात्रीकाल में इस प्रक्रिया का खाली पेट अभ्यास करे
साधक
कोई चुस्त वस्त्र ना पहने और ढीले वस्त्र पहन कर यह प्रक्रिया को करे.
साधक
सिद्धआसान में बैठ कर मूलबंध का अभ्यास करे.
मूलबंध
लगने पर साधक आँखे बंद कर दे तथा चक्र का ध्यान करे, चक्र का ध्यान इस प्रकार से
हो की सबंधित देवी या देवता को चक्र के मध्य में स्थापित रूप से अनुभव करे. एक समय
पर एक ही देवी या देवता का ध्यान किया जाता है.
इसी
ध्यान को मूल बंध के साथ करते हुवे साधक मूलाधार चक्र के बीज मंत्र ‘लं’ का जाप मानसिक
रूप से करे.
यह
प्रक्रिया साधक आधे घंटे से ले कर एक घंटे तक करे. नियमित यह प्रक्रिया करने में
मूलाधार में स्पंदन होने लगता है और उसका विकास धीरे धीरे होने लगता है. साधक के
ऊपर निर्भर करता है की वह इस प्रक्रिया को कितने दिनों तक करता है. इसके अलावा किसी
प्रकार का कोई नियम नहीं है.
साधक
विविध फलो की प्राप्ति के लिए चक्र में जिन देवी देवताओ का ध्यान करना चाहिए वह इस
प्रकार से है.
तंत्र
क्षेत्र में प्रगति के लिए इस चक्र में देवी डाकिनी को स्थापित मान कर उनके
चतुर्भुज रूप का ध्यान करना चाहिए. देवी का रंग लाल है जिनके हर अंग से प्रकाश
निकल रहा है तथा उन्होंने लाल वस्त्रों को धारण किया हुआ है. देवी त्रिनेत्र से
युक्त है. देवी लाल पद्म पर बैठी हुई है तथा देवी ने अपने चार हाथो में त्रिशूल,
खप्पर, तलवार तथा कवच लिए हुए है.
पृथ्वी
तत्व को साधने के इच्छुक व्यक्तियो को इस चक्र के मध्य सात शुण्ड वाले ऐरावत का
ध्यान करना चाहिए.
योग
क्षेत्र में प्रगति के लिए साधक को देवी अम्बिका का ध्यान इस प्रकार करना चाहिए.
देवी शेर पर आरूढ़ है और उन्होंने पीले वस्त्र पहने है. देवी के मस्तक के चारो तरफ
से पीला प्रकाश निकल कर मन को शीतलता प्रदान करता है.
भौतिक
जीवन में प्रगति के लिए गणपति का ध्यान करे जिन्होंने पीले वस्त्र धारण किये हो
तथा अपने हाथो में कमल, लड्डू, अभय मुद्रा तथा एक हाथ में अंकुश रखा हो.
सुखो
की प्राप्ति के लिए साधक देवराज इन्द्र को ऐरावत हाथी पर बैठे हुए ध्यान करे जिन्होंने अपने हाथ में कमल, वज्र,
अंकुश तथा कल्याण मुद्रा में हो.
वैदज्ञान
तथा तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए साधक भगवान ब्रम्हा का ध्यान करे जिसमे उन्होंने
अपने हाथ में वैद, अमृतकुम्भ, माला तथा कमल पुष्प को धारण किया हुआ है.
विद्या
प्राप्ति के लिए (या अभ्यास में विकास के लिए)व्यक्ति को स्वेतवस्त्र
में सज्ज देवी विध्येश्वरी या सरस्वती का ध्यान करना उत्तम रहता है.
इस प्रकार साधक जिन लाभ को प्राप्त करना चाहता हो उस से
सबंधित देवी या देवता को चक्र के मध्य में स्थापित मान कर चक्र का ध्यान करते हुए,
मूलबंध के साथ व्यक्ति को मानसिक मूलाधार बीज मंत्र जाप सम्प्पन करने चाहिए.
व्यक्ति अगर यह क्रिया १५ दिन भी करता है तो उसे अद्भुत अनुभव होने लगते है.
For the activation of
muladhar chakra, there is a special yoga tantric process. By doing this process
one may have many benefits.
Smell sense of the sadhaka
develops especially and under basic five senses one’s ability to understand and
experience smell and micro smells too increases. With activation of muladhara,
one may remember particular time period with particular smell. When one may had
experiences particular smell and the same smell comes again, one may identify
that particular time duration after many years too.
After developement of the
muladhar chakra one may have comfortable aasana seating and one does not
suffers from pain of the long seatings.
Every trouble related to
anus and stool removing processes gets solutions when this chakra is activated.
In the term of spirituality
this chakra leads to ‘yatharth darshan’, ‘tatv darshan’ or ‘mool darshan’
(watching the truth, watching the basic tatva, or watching the base) which
leads sadhana to undersrand the inner power of the sadhak. One may starts
feeling and realizing inner universe.
For the activation of the
muladhar chakra; yog tantric process is as below.
Sadhaka should practice
this process empty stomach in bramhamuhurta or in the night time
Sadhak should wear
comfortable cloths and not tight cloths
Sadhak should sit in
siddhasana and practice moolbandha.
When mool bandh is done
sadhak should close the eye and meditate the muladhar chakra, one should feel
in meditating the chakra, related god or goddess is established in the middle
of the chakra. One should meditate with one god or goddess at a time.
With dhyana and mool bandha
sadhaka should start chanting mooladhar beej mantra ‘lam’ mentally.
This process could be done
from half n hour to one hour. Doing this process regularly may cause vibrations
in the muladhara and development of the muladhara starts gradually. It depends
on the sadhaka that for how many days one continues the process. There are no
other rules for this process.
The benefits which sadhaka
may receive by meditating various gods and goddesses in the chakras are as
below.
For the success in the
Tantra field one may meditate goddess Dakini in the chakra with her four hands.
Her color is red and from every body part of her light is coming out and she
wears red cloths. Goddess has three eyes. She is seated on the red lotus and in
her four hands she has trishul, human skull, sword and Kavach.
The one who is interested
to accomplish Prithvi tatva or basic element earth should meditate Airavat
elephant having seven trunks in the middle of chakra.
For the success in Yoga
filed sadhak should meditate goddess Ambika. Goddess is seated on the tiger and
she wears yellow cloths. The yellow light which gives mental peace is merges
around goddess’s head.
For success in the material
life one should meditate ganapati wearing yellow cloths and who hold lotus,
Laddoo, Abhay Mudra and Ankush Weapon in his hands.
To have comforts or
pleasures one should meditate God Indra seating on the airavata who in his
hands have Lotus, Vajra, Ankush and Kalyaan Mudra.
For the knowledge of veda
or ultimate knowledge one should meditate god Bramha who in his four hand holds
Vedas, vessel filled of nectar, rosary and lotus.
For the knowledge gaining
(or for the help in studies) it is better that one meditates goddess
Vidyeshwari or Saraswati wearing white cloths.
This way sadhaka should
meditate god or goddess according to benefit by believing them to be
established in the middle of the chakra and meditating that particular chakra
with Mulabandha one should do mental mantra chanting of muladhar beej. If one
does this process for 15 days then various divine experiences may felt.
****NPRU****
Jai Sadgurudev,
ReplyDeletegurubrother and sisters of NPRU,
Namashkar
Describe by versatility and freedom of choosing form different of gods and goddesses.
its a new light of knowledge.
Jai Sadgurudev.