SARVATM
SARVVYAAPKAM SARVSAUNDARY PRAMAANAM |
SARV
SARVE SARVATNKAM PEETAMBARA SHAKTI NAMAAMI ||
Yes, only this meaning is
inferred from above sloka that “All type of beauty manifested at every place,
in every creature or in other words testimony to beauty of whole universe is
one and only Bhagwati Valgamukhi whose blessing can end ugliness and transform
it into beauty”
Very often, sadhak confine any
Mahavidya or Shakti to merely his own emotions and thoughts which deprive
sadhak from complete manifestation of Shakti. For example, if we consider
Mahakaali sadhna capable of destroying enemies only then it is our deficiency,
considering Bhagwati Lakshmi as prosperity provider only is our shortcoming
.Reality is that all Shaktis have got all dimensions within them .The nature of
our results varies in accordance with how we have done sadhna. Which element’s
Dhayan we have done with the Shakti?
Completeness
of human life means that our life is complete in all aspects , life is full of
wealth, children, control over enemies,respect,health……..but along with it, it
is very necessary for person’s life to have internal and external beauty; then
only he attains Kalas and develops qualities. Actually, Bhagwati Valgamukhi is
Shakti of Tripur Sundari Kula and if a Shakti comes under the Tripur Sundari
Kula, then how can it not provide beauty and prosperity. When correct beej are
used with mantras, then it definitely yields desired results.
And when
sadhna of Bagla Mukhi is done in the form of Bhagwati Peetambara then it
definitely provides prosperity and beauty to sadhak. If we consider her only to
be supreme deity of Stambhan then also it is inarguable truth that she can stop
any situation and provides stability. Do you know that when Lakshmi Keelan procedure (through which
Bhagwati Lakshmi is made stable in sadhak’s life) is done through sadhna then
in its root, in that particular mantra, Sookshma Beej prayog of Bhagwati
Baglamukhi is embedded otherwise stabilization of Lakshmi can’t be made
possible.
Do you know that Shakti of
these particular beej is implicit in some special moments or Muhurat through
which sadhak can fulfil his desires. For example, Vakr Kaal contains the
destruction power of Mahakaali or Kaal Bhairav and in this special time, if
sadhna of enemy-destruction or ucchatan is done, then one definitely attains
cherished siddhi. Sinha (Leo) or Vrisabh (Scorpio) ascendant is the time full
of stabilization power of Bhagwati Peetambara and if during this time,
procedure to stabilize wealth is done then sadhak can definitely do Lakshmi
Aabadh procedure (to tie money) with completeness.
Generally, time from 4:30 A.M
to sunrise is called Poorn Saundarya Daata Kaal (Time capable of providing
complete beauty). If this time is not used for sadhna then also if person gets
up during this time and feel the air then he definitely attain a long life. And
if in this time, one lights the Til-oil lamp using
cotton coloured with turmeric after chanting Maaya Beej Yukt Bhagwati
Baglamukhi Beej then he/she attain complete qualities of beauty.
Saundarya (beauty)
has got the following meaning:-
Attainment
of complete manhood i.e. sperm stambhan, Riddance from Diabetes, consciousness
in sperms (For this, benefit will only be attained in case of weak sperm, not
when sperm are nil)
Influential
Voice
Strongly
built body
Sympathetic
Heart
Vibrant
face
Full
attraction capability
Getting rid
of weak body
For
Females:-
Attractive face which is
completely free from marks.
Beautiful Body
Sweet Voice
Fragrant Body
Riddance from flabby body
Regularity
of Menstrual cycle
Attainment
of complete pregnancy capability (After pregnancy, full development of womb and
complete riddance from miscarriage)
Attainment of complete love
Happy Married life
Here there
is deep meaning of Saundarya which one attains slowly and gradually through sadhna .There is no cumbersome procedure.
Concentration and dedication of sadhak paves the way forward to success for
him.
On Sunday morning, take bath
in Brahma Muhurat and wear yellow dhoti or yellow sari. Sit while facing the
north direction. After doing Guru Poojan and Ganpati Poojan, light Til oil lamp
on Baajot in front of you. Lamp should have cotton coloured with turmeric and
dried up accordingly. In the front of lamp, there should be one copper
container having 1 litre water. Do the poojan of that container and lamp by
turmeric only by pronouncing “OM PEETAMBARA SHAKTYAI
NAMAH” and pray
for your success. After that chant mantra HLEEM
HREENG HREEM HREEM HREENG HLEEM NAMAH for 1 hour while looking at
wick of the lamp. After 10-15 minutes, light of that wick becomes more golden
and slowly existence of sadhak is merged in this light. How time passes by,
nobody knows. Concentration of feeling keeps on increasing. After chanting,
after sunrise drink the water of that container or if anyone is unhealthy in
house, then make him drink also.
Do this procedure till Thursday.
You yourself can see the results and tell. All the deficiencies due to which Saundarya
(beauty) of your life, thoughts, body or personality is finished, they are
removes and one attains the beauty again, it may be pertaining to any aspect of
his life.
======================================= सर्वात्म सर्वव्यापकं सर्वसौंदर्य प्रमाणं |
सर्व सर्वे
सर्वात्मकं पीताम्बरा शक्ति नमामि ||
हाँ यही अर्थ तो निकलता है उपरोक्त
श्लोक का की“सभी जगह,सभी प्राणियों में,सभी प्रकार का सौंदर्य जो दृष्टिगोचर होता
है,या ये कहे की इस अखिल ब्रह्माण्ड के सौंदर्य का एक मात्र प्रमाण भगवती
वल्गामुखी ही तो हैं,जिनके कृपा कटाक्ष मात्र से कुरूपता का अंत होकर उसका सौंदर्य
में रूपांतरण हो जाता है.”
बहुधा साधक का किसी महाविद्या या शक्ति
को मात्र अपने भाव विचार में बाँध लेना उस शक्ति के पूर्ण प्राकट्य से साधक को
वंचित कर देता है. जैसे हम महाकाली साधना को मात्र शत्रु नाश की क्षमता से युक्त
ही माने तो ये हमारी न्यूनता ही है,भगवती लक्ष्मी को मात्र जीवन में ऐश्वर्य दात्री
ही मानें तो ये हमारी कमी है,वास्तविकता ये है की सभी शक्तियां सर्व आयामों से
युक्त ही होती हैं,हम जिस तत्व का ध्यान उस शक्ति के साथ करके उनकी साधना करते
हैं,हमें वैसे ही परिणाम की प्राप्ति होती है.
मानव जीवन की सम्पूर्णता का अर्थ ही ये
है की उसका जीवन सभी दृष्टियों से भरा पूरा हो,धन,धान्य,संतान,शत्रु पर
नियंत्रण,सम्मान,आरोग्य आदि से युक्त हो...किन्तु इसके साथ व्यक्ति के जीवन में
अंतर और बाह्य सौंदर्य भी होना आवश्यक है,तभी वो कलाओं या गुणों से युक्त हो पाता
है. भगवती वल्गामुखी वस्तुतः त्रिपुर सुंदरी कुल की शक्ति हैं, और भला जो त्रिपुर
सुंदरी कुल के अंतर्गत आने वाली शक्ति होगी,वो सौंदर्य और ऐश्वर्य प्रदात्री कैसे
नहीं होगी. उपयुक्त बीज का प्रयोग जब मन्त्रों के साथ किया जाता है तो वो
मनोवांछित परिणाम देता ही है.
और जब बगलामुखी की साधना भगवती पीताम्बरा रूप में होती है तो वो साधक को
ऐश्वर्य और सौंदर्य से परिपूर्ण करती ही है, यदि हम उन्हें मात्र स्तम्भन की ही
अधिष्ठात्री मानें तब भी ये तो निर्विवाद सत्य है की वे किसी भी स्थिति को रोक
देती हैं,स्थायित्व देती हैं, क्या आप जानते हैं की जब लक्ष्मीं कीलन
की क्रिया साधना द्वारा संपन्न की जाती है तब भी उसके मूल में उस मंत्र विशेष में (जिसके
द्वारा भगवती लक्ष्मी को साधक के जीवन में स्थायित्व दिया जाता है) भगवती बगलामुखी
का सूक्ष्म बीज प्रयोग समाहित होता ही है,अन्यथा लक्ष्मी का अस्थायित्व संभव नहीं
हो पाता है | साधक के मन में संशय का भाव अवश्य होगा की भला ये कैसे संभव होगा.
क्या आप जानतें हैं की खंडकाल प्रवाह
में अर्थात कुछ विशेष क्षण या मुहूर्त में उन बीज विशेष की शक्ति निहित होती
है,जिसके द्वारा साधक अपना अभीष्ट पूरा करता है. जैसे वक्र काल महाकाली या काल
भैरव की विध्वंश शक्ति से युक्त होता है और उस काल विशेष में यदि शत्रु नाश या
उच्चाटन की साधना की जाए तो अभीष्ट सिद्धि अवश्य होती है. सिंह लग्न या वृषभ लग्न हो तो ये भगवती पीताम्बर की स्थायित्व शक्ति से
युक्त समय होते हैं, और यदि इसमें धन को स्थायित्व देने की क्रिया की जाए तो
निश्चय ही साधक लक्ष्मी आबद्ध की क्रिया सम्पूर्णता के साथ कर लेता है.
वैसे ही मोटे मोटे रूप में यदि ४.३० बजे
सुबह से सूर्योदय तक का समय पूर्ण सौंदर्य दाता काल कहलाता है,इस काल का यदि
साधनात्मक प्रयोग यदि नहीं भी किया जाए तो भी यदि व्यक्ति मात्र इस समय उठ कर वायु
सेवन करे,ऊषा पान करे तो वो निश्चय ही दीर्घायुष्य की प्राप्ति करता ही है. और यदि
इस काल में माया बीज
युक्त भगवती वल्गामुखी बीज का जप कर वो हल्दी से रंजित रुई का दीपक तिल के तेल से
प्रज्वलित करे तो पूर्ण सौंदर्य गुणों से युक्त होता ही है.
सौंदर्य के निम्न अर्थ हैं :-
पूर्ण पौरुषता की प्राप्ति,अर्थात शुक्र
स्तम्भन,प्रमेह से मुक्ति,शुक्राणुओं में चैतन्यता(इस हेतु शुक्राणु कमजोर होने पर
ही लाभ होगा,ऐसा नहीं है की शुक्राणु nill हो)
प्रभावशाली आवाज
सुदृण शरीर
करुणाशील ह्रदय
तेजस्वी चेहरा
पूर्ण आकर्षण क्षमता
कमजोर देह से मुक्ति
स्त्री के लिए
:-
आकर्षक चेहरा जो पूरी तरह दाग धब्बों से
मुक्त हो
कमनीय देह
मधुर वाणी
सुगन्धित देह
थुलथुल देह से मुक्ति
मासिक धर्म की नियमितता
पूर्ण गर्भ धारण की क्षमता प्राप्ति
(गर्भ धारण के बाद उसका पूर्ण विकास और गर्भ पतन दोष से पूर्ण मुक्ति)
पूर्ण प्रेम की प्राप्ति
गृहस्थ सुख में अनुकूलता
यहाँ सौंदर्य के वृहद अर्थ हैं जो इस साधना से शनैः शनैः प्राप्त होते जाता
है. कोई जटिल विधान नहीं, साधक की एकाग्रता और पूर्ण श्रृद्धा ही साधना को सफलता
पथ की ओर अग्रसर करती है|
रविवार की सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि
के पश्चात पीली धोती या पीली साड़ी धारण करके,उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ
जाएँ,गुरु पूजन गणपति पूजन के पश्चात सामने बाजोट पर तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित
करे जिसमे हल्दी से रंजित और सुखाई हुयी कपास या रुई का प्रयोग किया गया हो, उसी
दीपक के सामने ताम्र पात्र में करीब १ लीटर पानी रखा हो,और उस पात्र तथा दीपक का
मात्र हल्दी के द्वारा “ॐ पीताम्बराशक्त्यै नमः” का उच्चारण करते हुए पूजन
करें, और अपने कार्य की सफलता की प्रार्थना करें,ततपश्चात “ह्लीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्लीं नमः”
(HLEEM HREENG HREEM HREEM HREENG HLEEM NAMAH) मंत्र का १ घंटे तक उस दीपक की लौ
की और देख कर जप करें, १०-१५ मिनट के बाद ही उस लौ का प्रकाश और सुनहरा
होता चला जाता है,और धीरे धीरे साधक का अस्तित्व उस प्रकाश में विलीन होते जाता
है,समय कैसे बीत जाता है,पता ही नहीं चलता है,भाव की तन्मयता बढते चली जाती है. जप
के बाद सूर्योदय के बाद उस पात्र के जल का स्वयं पान कर लें या घर में यदि कोई
बीमार है तो उसे भी पान करवा दें, इसी क्रम को गुरूवार तक करें. परिणाम आप स्वयं
ही देख कर बताइयेगा. वे सभी अभाव जिनसे आपके जीवन,विचारों,शरीर या व्यक्तित्व की
सुंदरता समाप्त हो गयी हो,समाप्त होकर पुनः सौंदर्य की प्राप्ति होती ही है,फिर वो
चाहे आपके जीवन का कोई भी क्षेत्र हो.
****RAJNI NIKHIL****
****NPRU****
Jay Gurudev,
ReplyDeleteGurupujan, ganapati pujan ek hi deepak se karna hai ya algse?
Krupaya samaghan kijiye.
-Prashant D.