Tuesday, October 2, 2012

KANKAALI AKARSHAN PRAYOG



Attraction is one of the important aspects of life. Entire world is bound by this attraction element. There is no need to express necessity of Attraction in modern era. Somewhere or the other, every person has got desire to be attractive. There should be glow on face of the person so that every person on earth is motivated internally to be favourable to that person. An aura should be developed around the person’s body through which he becomes favourite of all persons. After activation of attraction element, sadhak definitely gets various types of benefits in both materialistic and spiritual field.

There is development of personality of sadhak, self-confidence develops in sadhak.

An aura develops around sadhak by which all the person coming in contact with sadhak remain favourable to sadhak.

Enemy of sadhak are inspired to forget animosity and become friends of sadhak. Besides this important benefits, sadhak also get other benefits like progress in field of work , earning respect , accomplishing works which were stopped earlier due to some reason or the other etc.

Prayog presented here is very much hidden Prayog through which activation of internal attraction element of sadhak takes place with intensity. To add to that, this prayog is simple. Thus, any person can do it. This prayog related to Goddess Mahakaali is best in itself

Sadhak should start this prayog on 8th day of Krishna Paksha of any month.
Sadhak should bring 9 Jawa (hibiscus red) flowers in the day.

In night, after 9 P.M, go to any Kaali temple. If it is not possible then you can go to any goddess temple except Gayatri Temple. Offer each flower while chanting below mantra. (This procedure should not be done at home)

OM KREENG KANKAALI KREENG NAMAH
After that offer any fruit .Sadhak should take the complete fruit and it should be cut in the front of goddess idol only.
After offering Bhog, sadhak should light oil lamp and recite the mantra 108 times. Sadhak can use Shakti, Rudraksh or Black Hakik rosary for this purpose. If sadhak wishes, he can chant the mantra without rosary too. Sadhak should face the idol of Goddess. Sadhak can use any of the dress and aasan but sadhak should do this prayog in temple itself. After completion of mantra Jap, sadhak should offer mantra Jap to goddess by showing Yoni Mudra. Rosary should not be immersed; it can be used in sadhnas for attraction. Leave the lamp there. If it is possible for sadhak then sadhak should offer clothes along with some dakshina to any girl. This can be done by sadhak on next day too. In this way, this procedure is completed.

After that, sadhak should mentally chant this mantra daily for some days in his worship room. He can chant 7, 21, 51 or 108 times as per his convenience. Sadhak himself will feel the intensity of this prayog.


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आकर्षण जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष है. पूरा विश्व आकर्षण तत्व से बद्ध है. आकर्षण की अनिवार्यता को आज के युग में अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं है. सभी व्यक्ति के मन में कहीं न कहीं ये इच्छा ज़रूर होती है की वह आकर्षण से युक्त बने. चेहरे पर एक ऐसा तेज हो जिससे की दुनिया में सभी व्यक्ति उसको अनुकूलता देने के लिए आतंरिक रूप से प्रेरित हो. व्यक्ति के शरीर के आस पास एक ऐसा प्रभामंडल का निर्माण हो जिसके माध्यम से वह सभी व्यक्तियो का प्रिय बने. आकर्षण तत्व के जागरण पर साधक को निश्चय ही भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों क्षेत्र में कई प्रकार के लाभों की प्राप्ति होती है.

साधक के व्यक्तित्व में निखार आता है, साधक में आत्मविश्वास विकसित होता है.

साधक के आस पास ऐसा प्रभामंडल का विकास होता है जिससे साधक के संपर्क में आने वाले सभी व्यक्ति साधक के अनुकूल रहने लगते है.

साधक के शत्रु साधक से शत्रुता भूल कर मित्रता करने की और अग्रसर होने के लिए प्रेरित होते है. इन मुख्य लाभों के अलावा भी कई लाभों की प्राप्ति साधक कर लेता है जैसे की कार्यक्षेत्र में उन्नति, सन्मान की प्राप्ति, रुके हुवे कार्यों को करवाना इत्यादि.

प्रस्तुत प्रयोग अत्यंत गुप्त प्रयोग है. जिससे साधक के आतंरिक आकर्षण तत्व का जागरण तीव्रता से होता है. इसके साथ ही साथ यह प्रयोग सहज है, इस लिए कोई भी व्यक्ति इसे अपना सकता है. देवी महाकाली से सबंधित यह प्रयोग अपने आप में अन्यतम है.

साधक यह प्रयोग किसी भी कृष्णपक्ष की अष्टमी को शुरू करे.

साधक दिन में ९ जवा पुष्प ले आये.

रात्री काल में ९ बजे के बाद कोई भी काली मंदिर में या अगर यह संभव ना हो तो किसी भी देवी के मंदिर में (गायत्री के अलावा) जा कर निम्न मंत्र बोलते हुवे एक एक पुष्प को समर्पित करे. (यह क्रिया घर पे नहीं होनी चाहिए)

क्रीं कंकाली क्रीं नमः

(OM KREENG KANKAALI KREENG NAMAH)

इसके बाद किसी फल का भोग लगाये. साधक को पूरा फल ले कर जाना चाहिए तथा वहीँ पर देवी की प्रतिमा के सामने ही काटना या अलग करना चाहिए.

भोग लगाने के बाद साधक तेल का दीपक जलाये तथा इस मंत्र का १०८ बार उच्चारण करे. इस कार्य हेतु साधक शक्ति, रुद्राक्ष या काले हकीक की माला का प्रयोग कर सकता है साधक चाहे तो बिना माला के भी मंत्र का जाप कर सकता है. साधक का मुख देवी प्रतिमा के सन्मुख रहे. साधक के वस्त्र तथा आसन कोई भी हो. लेकिन यह प्रयोग साधक को वहीँ मंदिर में बैठ कर सम्प्पन करना है. मंत्र जाप पूर्ण होने पर साधक देवी को योनी मुद्रा के साथ नमस्कार कर जप समर्पित कर दे. साधक माला का विसर्जन न करे, आकर्षण साधनाओ को किया जा सकता है. दीपक को वहीँ पर छोड़ दे. साधक के लिए संभव हो तो किसी कन्या को कुछ दक्षिणा के साथ वस्त्र भेंट करे, यह क्रिया साधक दूसरे दिन भी कर सकता है. इस प्रकार यह क्रिया पूर्ण होती है.

इसके बाद साधक को इस मंत्र का कुछ दिनों तक नित्य प्रातः मन ही मन पूजा स्थान में बैठ कर अनुकूलता अनुसार ७, २१, ५१ या १०८ बार उच्चारण करना चाहिए. साधक स्वयं ही इस प्रयोग की तीव्रता को अनुभव कर पायेगा.


****NPRU****

1 comment:

  1. jai gurudev...
    yah kriya kitne dino tak karni hai......??????

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