Tuesday, November 27, 2012

NISHCHIT SOUBHAGYA PRAAPTI BHAGVATI KAPALINI PRAYOG


 
In universe, every creature reacts to any activity as per his karmas. These reactions later on form life for person, one such cycle which can be called fate. That’s why person consider fate to be supreme or says that this particular thing was not in our fate. But one more fact is that if person attains one defined fate/fortune due to his evil karmas, he can transform his fortune into good-fortune by getting rid of evil karmas. And this is nothing but sadhna. Therefore, it has been said about tantra that by the means of Tantra, fate can be transformed. Certainly, person does not have this capability but if he attains the assistance from god/goddess through special procedures then he can definitely attain good-fortune. On one hand person can attain spiritual heights through tantric sadhna and on the other hand through it one can attain pleasures of materialistic life. It has been often said about this path that it is only for ascetics. But it is only a misconception. This path is appropriate for both householders and ascetics. Various forms of Aadi Shiva and Shakti are base of these sadhnas. Devi Kapalini is one such form of Aadi Shakti which can very quickly transform life of sadhak. This prayog related to Devi, presented here is for sadhika (female sadhak) and is related to attainment of good luck/fortune. One female play various types of roles and responsibilities in her life. She plays role of daughter, sister, wife, mother and other relations in her life but many times her life stops due to family problems. Many women face various problems related to her in-laws or she does not get the love and affection which she should have got from her husband. Women may tell it or not but the fact is that in today’s era many women are afflicted with these problems. This prayog is cure to these problems. After doing this prayog, bad-luck of sadhika is transformed into good-luck. One gets riddance from problems coming in life and attains pleasure. Family life is strengthened and there is increase in respect of sadhika.

This is only one day prayog which can be started from any auspicious day.
Sadhika should take bath, wear red dress and sit on red aasan. She should do Guru Poojan and chant Guru Mantra.
After this, sadhak should chant 51 rounds of the below mantra. Chanting should be done by Moonga Rosary.

OM HREEM KAPAALINI SAUBHAAGY SIDDHIM DEHI DEHI NAMAH

After completing Mantra Jap, sadhika should pray to goddess Kapalini for increase in good-fortune. On the next day offer food to small girl or satisfy her by giving clothes/dakshina. Offer rosary to any Devi temple along with dakshina.
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सृष्टि में हर एक जीव के कर्मो के अनुसार प्रकृति किसी भी क्रिया की एक प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है. यही प्रतिक्रिया आगे बढ़ कर व्यक्ति के लिए एक जीवन का निर्माण करती है, एक ऐसा क्रम जिसे भाग्य या नसीब कहा जा सकता है. इसी लिए तो व्यक्ति कहता है की भाग्य के आगे किसकी गति है या फिर अपने भाग्य में ही नहीं है इत्यादि. लेकिन एक तथ्य यह भी है की व्यक्ति अगर कर्म दोष के कारण एक निश्चित भाग्य को प्राप्त करता है तो कर्म दोष की निवृति कर वह उस भाग्य को सौभाग्य में भी बदल सकता है. और यह क्रिया ही साधना है, इसी लिए तो तंत्र के बारे में कहा जाता है की तंत्र के माध्यम से भाग्य को भी बदला जा सकता है. निश्चय ही मनुष्य में इतनी सामर्थ्य है या नहीं है, लेकिन अगर विशेष प्रक्रियाओ के माध्यम से वह दैवीय सहायता को प्राप्त करे तो सौभाग्य की प्राप्ति कर सकता है. तांत्रिक साधनाओ में जहां जहां एक और आध्यात्मिक जीवन की उच्चता है तो दूसरी तरफ भौतिक जीवन का पूर्ण आनंद भी.  इस मार्ग के बारे में यह कहा जाता है की यह सिर्फ सन्यासियों के लिए है तो यह सिर्फ एक मिथ्या धारणा है. यह सांसारिक तथा सन्यासी दोनों ही व्यक्तियो के लिए उपयुक्त उपासना मार्ग है. आदि शिव तथा शक्ति के विभिन्न स्वरुप इन साधनाओ का मूल आधार है. देवी कपालिनी आदि शक्ति का एक ऐसा ही स्वरुप है जो की साधक के जीवन को तीव्रता के साथ बदल कर रख देता है. देवी से सबंधित प्रस्तुत प्रयोग साधिकाओ के लिए है, जो की सौभाग्य प्राप्ति के विषय में है. एक स्त्री अपने जीवन में कई कई प्रकार के योगदान तथा विविध प्रकार की भूमिकाओं को पूर्ण रूप से निभाती है, पुत्री, बहेन, पत्नी, माँ से ले कर कई रिश्तों का वहन एक स्त्री अपने जीवन में करती है लेकिन कई बार घर परिवार में समस्याओ के कारण जीवन की गति रुक जाती है. ससुराल पक्ष से सबंधित कई समस्याओ का सामना कई स्त्रियों को करना पड़ता है, या फिर पति की तरफ से जो प्रेम प्राप्त होना चाहिए उसकी प्राप्ति नहीं हो पाती. भले ही एक स्त्री यह बताए या नहीं लेकिन आज के युग में कई कई स्त्री इस प्रकार की समस्याओ से ग्रस्त रहती ही है, इन सब के उपाय में यह प्रयोग है. इस प्रयोग को करने पर साधिका का दुर्भाग्य, सौभाग्य में परिणित होने लगता है. जीवन में आने वाली समस्याओ की निवृति होती है तथा सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही साथ घर परिवार की उन्नति होती है और साधिका के  सन्मान में वृद्धि होती है.

यह सिर्फ एक दिन का प्रयोग है जिसे किसी भी शुभ दिन से शुरू किया जा सकता है.
साधिका रात्री में स्नान आदि से निवृत हो कर लाल वस्त्र को धारण करे तथा लाल आसन पर बैठ जाए. गुरुपूजन तथा गुरुमन्त्र का जाप करे.
इसके बाद साधिका निम्न मन्त्र की ५१ माला मन्त्र जाप करे. यह मन्त्र जाप मूंगा माला से होना चाहिए.

ॐ ह्रीं कपालिनि सौभाग्य सिद्धिं देहि देहि नमः

(OM HREEM KAPAALINI SAUBHAAGY SIDDHIM DEHI DEHI NAMAH)

मन्त्र जाप पूर्ण होने पर साधिका देवी कपालिनी को प्रणाम कर सौभाग्य वृद्धि के लिए प्रार्थना करे. दूसरे दिन कोई छोटी कन्या को भोजन कराये या वस्त्र/ दक्षिणा दे कर संतुष्ट करे. माला को किसी दैवी मंदिर में दक्षिणा के साथ अर्पित कर दे.

****NPRU****

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