Sunday, December 30, 2012

POORNA SAFALTA HETU - RAAJMUKHI PRAYOG


 
Each and every person has one sweet dream in life that he should attain success in each and every field. May be it is acquiring self-knowledge , family peace , materialistic success , respect in society , spiritual progress and enjoying all pleasures of life , who does not want to attain such type of success in life? Definitely in today’s as well as ancient times every person aspire to attain this type of success and for fulfilling this aspiration, there was no dearth of hard-working people in any era. But Universe operates in accordance with law of karma. So many times, person despite of putting lot of hard-work is not able to attain success due to his karmas of current life and past life. There can be various types of shortcomings underlying this problem. But in order to get rid of these shortcomings person himself has to put in efforts. Prayog presented here is one amazing Vidhaan to get rid of obstacles coming between sadhak and success. Presented prayog is related to Raajmukhi Devi which is one of the forms of Aadya Devi Mahadevi which provides complete happiness and pleasure to sadhak. There are many types of benefits one can attain from this prayog but some important aspects are as follows.
It is Tri-beej samputit sadhna which activates three powers of sadhak i.e. Knowledge, desire and activity. As a result there is development in memory power of sadhak and there is facilitation in understanding novel knowledge.
Raajmukhi goddess has also been called goddess of Vashikaran. Attraction and vashikaran spreads over sadhak’s face through which sadhak can attain success in many fields and many persons are spellbound to automatically consider sadhak to be better than them.
This is primarily a prayog for accomplishment of work but here rather than being a prayog for particular work, it is prayog for accomplishment of all works of sadhak. After doing this prayog, it becomes easy for sadhak to attain success in his works. Along with it, sadhak starts attaining respect in society.
Sadhak can start this prayog on any auspicious day.
Sadhak can do sadhna anytime in day or night but daily time should remain same.
Sadhak should take bath and wear pink dress. If pink dress is not possible, sadhak can make use of white dress.
After this sadhak should sit on pink/white aasan, do Guru Poojan and chant Guru Mantra. Thereafter, sadhak should make one downward facing triangle by vermillion in any container. After this, sadhak should establish oil lamp in centre of this triangle. Sadhak should light it and do Nyas procedure.
Karnyas-
OM HREENG SHREENG KLEEM ANGUSHTHAABHYAAM NAMAH
OM RAAJMUKHI TARJANIBHYAAM NAMAH
OM VASHYAMUKHI MADHYMABHYAAM NAMAH
OM MAHAADEVI ANAAMIKAABHYAAM NAMAH
OM SARVAJAN VASHY KURU KURU KANISHTKABHYAAM NAMAH
OM SARV KAARY SAADHAY SAADHAY NAMAH KARTAL KARPRISHTHAABHYAAM NAMAH

ANGNYAS-
OM HREENG SHREENG KLEEM HRIDYAAY NAMAH
OM RAAJMUKHI SHIRSE SWAHA
OM VASHYAMUKHI SHIKHAYAI VASHAT
OM MAHAADEVI KAVACHHAAY HUM
OM SARVAJAN VASHY KURU KURU NAITRTRYAAY VAUSHAT
OM SARV KAARY SAADHAY SAADHAY NAMAH ASTRAAY PHAT
After this, sadhak should chant 11 rounds of basic mantra.
Sadhak can use Sfatik/Rudraksh/Moonga/Pink Hakik rosary for chanting
Mantra:
(OM HREENG SHREENG KLEEM RAAJMUKHI VASHYAMUKHI MAHAADEVI SARVAJAN VASHY KURU KURU SARV KAARY SAADHAY SAADHAY NAMAH)
After 11 rounds, sadhak should mentally pray to goddess and dedicate jap to her. Sadhak should do this procedure for 3 days. After 3 days, sadhak can wash lamp and container and can again use for any work. Rosary should not be immersed. It can be used again for doing this sadhna.

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जीवन में सभी व्यक्तियो का यह एक सुमधुर स्वप्न होता है की उसे सभी क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति हो तथा उसे जीवन के सभी क्षेत्र में विजय श्री तिलक की प्राप्ति हो. चाहे वह स्वयं के ज्ञान की बात हो, पारिवारिक सुख शांति, भौतिक रूप से सफलता, समाज में मान तथा सन्मान, अध्यात्मिक उन्नति, तथा जीवन के पूर्ण सुख रस का उपभोग करना हो, कौन व्यक्ति अपने जीवन में एसी सफलता की प्राप्ति नहीं करना चाहता? निश्चित रूप से सभी व्यक्ति अर्वाचीन या प्राचीन दोनों ही काल में इस प्रकार की सफलता की कामना करते थे और इसकी पूर्ती के लिए अथाक परिश्रम भी करने वालो की कमी किसी भी युग में नहीं थी. लेकिन ब्रह्माण्ड कर्म से बद्ध है, व्यक्ति अपने कार्मिक वृतियो के कारण चाहे वह इस जन्म से सबंधित हो या पूर्व जन्म से सबंधित, कई बार पूर्ण श्रम करने के बाद भी सफलता की प्राप्ति नहीं कर पता है. इन सब के मूल में कई प्रकार के दोष हो सकते है. लेकिन इन दोषों की निवृति के लिए व्यक्ति को स्वयं ही तो प्रयत्न करना पड़ेगा. प्रस्तुत प्रयोग, साधक और उसकी सफलता के बिच में आने वाली बाधा को दूर करने का एक अद्भुत विधान है. प्रस्तुत प्रयोग राजमुखी देवी से सबंधित है जो की आद्य देवी महादेवी का ही एक स्वरुप है, जो की साधक को राज अर्थात पूर्ण सुख भोग की प्राप्ति कराती है. प्रस्तुत प्रयोग के कई प्रकार के लाभ है लेकिन कुछ महत्त्वपूर्ण पक्ष इस प्रकार से है.
यह त्रिबीज सम्पुटित साधना है जो की साधक की तिन शक्ति अर्थात, ज्ञान, इच्छा तथा क्रिया को जागृत करता है फल स्वरुप साधक की स्मरणशक्ति का विकास होता है तथा नूतन ज्ञान को समजने में सुभीता मिलती है
राजमुखी देवी को वशीकरण की देवी भी कहा गया है, साधक के चहरे पर एक ऐसा वशीकरण आकर्षण छा जाता है जिसके माध्यम से साधक कई कई क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति कर सकता है तथा कई व्यक्ति स्वयं ही साधक को अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति मान लेने के लिए आकर्षण बद्ध हो जाते है.
मुख्य रूप से कार्यसिद्धि के लिए यह प्रयोग है लेकिन यहाँ सिर्फ कोई विशेष कार्य के लिए यह प्रयोग न हो कर साधक के सभी कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग है. इस प्रयोग को करने पर साधक को अपने कार्यों में सफलता का मिलना सहज होने लगता है साथ ही साथ साधक को समाज में मान सन्मान की भी प्राप्ति होने लगती है.
यह प्रयोग साधक किसी भी शुभदिन में शुरू कर सकता है.
साधक दिन या रात्री के कोई भी समय में यह साधना कर सकता है लेकिन रोज साधना का समय एक ही रहे.
साधक को स्नान आदि से निवृत हो कर गुलाबी वस्त्रों को धारण करना चाहिए, अगर गुलाबी वस्त्र किसी भी रूप में संभव न हो तो साधक को सफ़ेद वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए.
इसके बाद साधक गुलाबी/सफ़ेद आसान पर बैठ जाए तथा गुरुपूजन एवं गुरुमन्त्र का जाप करे. साधक को इसके बाद अपने सामने किसी पात्र में कुमकुम से एक अधः त्रिकोण का निर्माण करना चाहिए. इसके बाद साधक उस त्रिकोण के मध्य में एक दीपक स्थापित करे. यह दीपक तेल का हो. इसे प्रज्वलित कर साधक न्यास क्रिया को सम्प्पन करे
करन्यास –
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अन्गुष्ठाभ्यां नमः
ॐ राजमुखी तर्जनीभ्यां नमः
ॐ वश्यमुखी मध्यमाभ्यां नमः
ॐ महादेवी अनामिकाभ्यां नमः
ॐ सर्वजन वश्य कुरु कुरु कनिष्टकाभ्यां नमः
सर्व कार्य साधय साधय  नमः करतल करपृष्ठाभ्यां नमः
अंगन्यास
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं हृदयाय नमः
ॐ राजमुखी शिरसे स्वाहा  
ॐ वश्यमुखी शिखायै वषट्
ॐ महादेवी कवचाय हूं
ॐ सर्वजन वश्य कुरु कुरु नैत्रत्रयाय वौषट्
सर्व कार्य साधय साधय  नमः अस्त्राय फट्

उसके बाद मूल मन्त्र की ११ माला मन्त्र का जाप करे.
यह जाप साधक स्फटिक/रुद्राक्ष/मूंगा/गुलाबीहकीक माला से कर सकता है.
मन्त्र –
 ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं राजमुखी वश्यमुखी महादेवी सर्वजन वश्य कुरु कुरु सर्व कार्य साधय साधय  नमः
(OM HREENG SHREENG KLEEM RAAJMUKHI VASHYAMUKHI MAHAADEVI SARVAJAN VASHY KURU KURU SARV KAARY SAADHAY SAADHAY NAMAH)
११ माला होने पर साधक देवी को मन ही मन वंदन करे तथा जाप उनको समर्पित कर दे. इस प्रकार साधक को यह क्रम ३ दिन तक रखना चाहिए. ३ दिन बाद साधक दीपक तथा पात्र को धो सकता है तथा पुनः किसी भी कार्य में उपयोग कर सकता है. माला का विसर्जन नहीं करना है, इस माला का प्रयोग साधक आगे भी इस साधना हेतु कर सकता है.

****NPRU****

1 comment:

  1. Jai Guru Dev. what should be done in Karnyas.. just say the mantra or other things should be done?

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