Thursday, March 14, 2013

MAYURESH STOTRA - SABHI MANOKAAMNAON KI





“Vakrtund Mahakaay Soorykoti Samprabha |
Nirvighnam Kuru Me Dev Sarv Kaaryeshu Sarvada ||”

Jai Sadgurudev
Dear Brothers and Sisters,
We as per tradition and owing to the fact that we have seen these types of procedures in daily life, we are accustomed to do them. But in accordance with shastras too, Lord Ganpati is worshipped before doing any auspicious work.
Brothers and sisters, all of you know that Lord Ganpati destroys all types of obstacles, provide accomplishments in work and completeness to life in all respects.
It has been said in “Kalau Chandi Vinayako” that In Kalyuga, only Durga and Ganesh can provide complete success.
All human beings, gods and devils perform sadhna of Ganpati Ji for getting success in every work. Even Lord Shiva himself has done Ganesh sadhna and performed his work without any interruption.
Tulsidas has said in Ram Charit Maanas that----
“ Jo Sunirat Siddhi Hoy , Gan Naayak Karivar Vadan |
Karau Anugrah Soi, Buddhi Raashi Shubh Gun Sadan||”
Not even in India but all sadhaks of world do Ganpati sadhna for accomplishment of their work and getting siddhis in all sadhnas…
Sadgurudev has told many procedures of accomplishing this sadhna, which include Mantric, tantric and Stotra procedures. In it, Mayuresh Stotra is also described. Though there are hundreds and thousands of Stotras related to Ganpati Ji but Mayuresh Stotra is considered the best. This mantra is completely activated in itself. Therefore, reading it provides complete success.
Mayuresh Stotra is considered best for getting rid of all type of diseases and anxiety, for peaceful family life, for getting rid of child diseases, for complete peace and for complete success and progress in every field….
This Stotra can be done by any person irrespective of their sex and age. It is auspicious if we start the day with this Stotra…..
This sadhna can be started from any of Wednesday…
1- East direction, yellow or white aasan, Ganpati idol/picture/yantra….
2- Curd, Durva (Green grass), Kush, Flower, Rice, Vermillion, Yellow mustard and Supaari. These eight things have to be taken into container and should be offered as Ardhya….
3- In absence of any article, rice can be used.
4- Ghee lamp is very important and so is offering of Modak (favourite sweet of Lord Ganesha) and Laddu ( round-shaped sweet)
Sadhak should take bath in morning and sit on aasan facing east direction and meditate on Lord Ganpati.
“ Sarv Sthooltnum Gajendrvadnam Lambodram SundaramPrasyandanmdhugandhlubdhmdhupvyaaloolgandsthalam Dantaaghaatvidaaritaareerudhireh Sindoorshobhaakar,
Vande Shailsut Ganpati Siddhipradam Kaamdam ||
Sindooraabh Trinetra Prathutarjathat Hamerddhaanstpadmerddhaanam
Dant Pashaakushesht-anddhu Rukarvilasiddhijpura Viraamam,
Baalendushautmaulli Karipativadnam Daanpuraargand-
Bhaugindra addhbhoop Bhajat Ganpati Raktvastraangraangam
Sumukhaschaika-dantascha kapilo gajakarankah |
Lambodarascha vikato vidhna-naaso vinaayakah ||
Dhumraketu ganaadhyaksho bhaalachandra gajaananah |
Dhvaada-shaitaani naamaani ya: pathech-chhrunuyaa-api ||
Vidhyaa-rambhe vivaahe cha praveshe nirgame tathaa |
Sangraame sankate chaiva vidhna-stasya naa jaayate ||
Now do Shodashaaupchaar poojan of Lord Ganpati Ji….i.e.
Aavahan, Aasan, Paadya, Ardhya, Aachmaneey, Bath, Cloth, Yagyopavit, Gandh (scent), Flower-Durva, Dhoop, Lamp, Naivedya, Eating leaf, Pradakshina and Pushpaanjali.
Thereafter, recite the below Stotra 11 or 21 times--
“Mayuresh Stotra”
Bramho Uvach
Puraanpurusham devam nanakreedakaram muda ,
Mayavinm durvibhavyam mayuresham namamyham||
Paratparam chidanandam nirvikaram hradi sthitam,
Gunatitam gunmayam mayuresham namamyham||
Srijantampaalyantam ch sanharntam nijechchhyaa,
Sarvvighanharam devam mayuresham namamyham||
Nanadaityanihantaaram nanarupani vibhratam,
Nanaayudhdharam bhaktya mayuresham namamyham||
Indradidevtavranndairabhishtutamahanirsham,
Sadsadwyakttmvyakattam mayuresham namamyham||
Sarvshaktimayam devam sarvrupdhram vibhuam,
sarvvidyapravktaaram mayuresham namamyham||
parvatinandanam shambhoranandparivardhnam ,
bhaktanandkaram nityam mayuresham namamyham||
munidhyeyammuninutam munikaamprapurkam ,
samashtivyashtirupam tavaam mayuresham namamyham||
sarvagyannihantaaram sarvgyankaram shuchim,
satygyanmayam satyam mayuresham namamyham||
anekkotibramhaandnaayakam jagdishwaram,
anantvibhvam vishnum mayuresham namamyham||
Mayuresh Uvaach
idam bramhkaram strotam sarvpapprashnam,
sarvkaampradam nranaam sarvopdravnaashnam||
karagrahgatanaam ch mochnam din saptkat,
aadhivyadhiharam chaiv bhuktimuktipradam shubham||
In this manner, you can make your life auspicious and accomplish your work without any hurdles and attain success in your spiritual lives.
This sadhna can be done on any fourth day of each Paksha or every Wednesday or daily too. You can make it as part of your daily sadhna ritual.
Isn’t a very easy and simple procedure…..by the grace of Sadgurudev….


Nikhil Pranaam


-------------------------------------------------------------
"वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्व कार्येशु सर्वदा ||"


जय सदगुरुदेव,
प्रिय स्नेही
स्वजन,
हम परम्परा अनुसार भी और अपने आपको चूँकि बचपन से इसी तरह की विधियां दैनिक जीवन में देखी हैं, अतः हम भी उसी पे चलने के आदि हैं, किन्तु शास्त्र सम्मत भी है कि भी शुभ कार्य के पहले भगवान गणपति का स्मरण किया जाता है.
भाइयों बहनों ये सब जानते है कि भगवान गणपति समस्त विघ्नों का नाश करने वाले, कार्यों में सिद्धि देने वाले, तथा जीवन में सभी प्रकार से पूर्णता देने वाले हैं.
"कलौ चंडी विनायको" के द्वारा कहा गया है कि कलियुग में दुर्गा और गणेश ही पूर्ण सफलता देने वाले हैं......
चाहे मानव हो, देव हो, या असुर हो सभी प्रत्येक कार्य कि सफलता हेतु गणपति जी की साधना संपन्न करते ही हैं, स्वयं भगवान शिव ने भी गणेश साधना सम्पन्न कर अपने कार्यों को को निर्विघ्न संपन्न किया है.
तुलसीदासजी ने राम चरित मानस में कहा है कि----
"जो सुमिरत सिद्धि होय, गण नायक करिवर वदन |
करउ अनुग्रह सोई, बुद्धि राशि शुभ गुण सदन ||"

भारत के ही नहीं वरन विश्व के सभी साधक अपने कार्यों और समस्त साधना में सिद्धि हेतु गणपति की साधना करते ही हैं.....
सदगुरुदेव ने इनकी साधना की अनेक विधियाँ बताई हैं, मांत्रिक भी और तांत्रिक भी साथ ही स्त्रोत भी. उनमें से ही एक मयुरेश स्त्रोत का वर्णन भी है. यूँ तो गणपतिजी से सम्बंधित सैकड़ों, हजारों स्त्रोत हैं, किन्तु मयुरेश स्त्रोत उनमे सर्वोपरि माना गया है . यह मन्त्र अपने आप में पूर्ण चैतन्य है अतः इसका पाठ करने से ही पूर्ण सफलता की प्राप्ति होती है.
सभी प्रकार की चिंता एवं रोग, गृह बाधा में शांति हेतु, बच्चों के रोग निवारण हेतु, शुख शांति प्रत्येक क्षेत्र में पूर्ण सफलता और उन्नति के लिए मयुरेश स्त्रोत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है......
इस स्तोत्र को सभी व्यक्ति स्त्री पुरुष, बाल-वृद्ध,युवा कोई भी कर सकता है . हमारे जीवन में यदि इस स्त्रोत के पाठ से दिन का प्रारंभ हो तो अति शुभ है.....
इस साधना को किसी भी बुधवार से प्रारम्भ कर सकते हैं....
१- पूर्व दिशा, पीला या सफ़ेद आशन, गणपति मूर्ति या चित्र या यंत्र......
२- दहीं, दूर्वा, कुशाग्र या कुश, पुष्प,अक्षत,कुम्कुम्, पीली- सरसों, और सुपारी . इन आठ वस्तुओं को एक पात्र में लेकर अर्ध्य देना है....
३- जिन वस्तुओं या पदार्थों का अभाव हो उसके स्थान पर अक्षत का प्रयोग किया जाता है.
४- घी का दीपक अति महत्वपूर्ण है तथा मोदक या लड्डू का भोग......
साधक प्रातः स्नान कर आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुह कर बैठ जाये, और भक्तिपूर्वक भगवान गणपति का ध्यान करें...
"सर्व स्थूलतनुम् गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरम
प्रस्यन्द्न्मधुगंधलुब्धमधुपव्यालोलगंडस्थलम |
दंताघातविदारितारीरुधिरे: सिन्दुरशोभाकर,
वन्दे शैलसुत गणपति सिद्धिप्रदं कामदम ||
सिन्दुराभ त्रिनेत्र प्रथुतरजठर हमेर्दधानस्त्पदमेर्दधानम्
दंत पाशाकुशेष्ट-अन्द्दु रुकर्विलसद्विजपुरा विरामम,
बालेन्दुद्दौतमौली करिपतिवदनं दानपुरार्र्गन्ड-
भौगिन्द्रा बद्धभूप भजत गणपति रक्तवस्त्रान्गरांगम .
सुमुखश्चेक़दंतश्च कपिलो गजकर्णक:
लम्बोदरश्च विक्तो विघ्ननाशो विनायकः
धूम्रकेतु गणध्यक्षो भालचन्द्रो गजानना:
द्वादशेतानी नामानि य पठच्छ्रणुयदपि |
विद्धारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा |
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्यतस्य ना जायते ||"
अब गणपति जी का पूर्ण षोडशोपचार पूजन करें.....अर्थात--
आवाहन, आसन, पाद्धय, अर्ध्य, आचमनीय, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवित, गंध, पुष्प-दूर्वा, धूप, दीप, नेवैद्ध, ताम्बूल, प्रदक्षिणा और पुष्पांजलि.
तत्पश्चात निम्न स्त्रोत का भक्तिपूर्ण ११ या २१ पाठ करें-----
"मयुरेश स्त्रोत"
ब्रह्मोवाच

पुराणपुरुषं देवं नानाक्रीडाकरं मुदा।
मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

परात्परं चिदानन्दं निर्विकारं हृदि स्थितम्।
गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

सृजन्तं पालयन्तं च संहरन्तं निजेच्छया।
सर्वविघन्हरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

नानादैत्यनिहन्तारं नानारूपाणि विभ्रतम्।
नानायुधधरं भक्त्या मयूरेशं नमाम्यहम्॥

इन्द्रादिदेवतावृन्दैरभिष्टुतमहर्निशम्।
सदसद्वयक्तमव्यक्तं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरूपधरं विभुम्।
सर्वविद्याप्रवक्तारं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

पार्वतीनन्दनं शम्भोरानन्दपरिवर्धनम्।
भक्तानन्दकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपूरकम्।
समाष्टिव्यष्टिरूपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम्॥

सर्वाज्ञाननिहन्तारं सर्वज्ञानकरं शुचिम्।
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

अनेककोटिब्रह्माण्डनायकं जगदीश्वरम्।
अनन्तविभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम्॥

मयूरेश उवाच

इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्वपापप्रनाशनम्।
सर्वकामप्रदं नृणां सर्वोपद्रवनाशनम्॥

कारागृहगतानां च मोचनं दिनसप्तकात्।
आधिव्याधिहरं चैव भुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम्॥

इस तरह आप अपने जीवन में शुभता लाकर, निर्विघ्न हो, कार्यों को संपन्न कर सकते हैं, और अपने साधनात्मक जीवन में भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं .
इस साधना को आप प्रत्येक पक्ष की चतुर्थी, या प्रत्येक बुधवार या प्रतिदिन भी कर सकते हैं, इसे आप अपने दैनिक साधना विधान में भी सामिल कर सकते हैं........
तो है ना अति सरल एवं सहज विधान....... सदगुरुदेव के आशीर्वादस्वरुप वरदान.......

निखिल प्रणाम
****रजनी निखिल****
****NPRU****

No comments:

Post a Comment