तंत्र के
क्षेत्र में कई सिद्ध प्रयोग अत्यधिक सरल तथा इतने सहज होते है की उन प्रक्रियाओ
को देख कर तथा समज कर व्यक्ति उनको अति सामान्य समजने की भूल कर बैठता है. लेकिन
वस्तुतः ऐसे कई सिद्ध प्रयोग है जिनको करने पर व्यक्ति अपने जीवन की कई विविध
समस्याओ का समाधान प्राप्त कर सकता है. साधक को अपने जीवन में इन प्रक्रियाओ को भी
महत्त्व देना चाहिए. क्यों की सामान्य दिखती यह क्रियाएँ आज के युग में कई द्रष्टि
से महत्त्वपूर्ण है, आजके युग में जहां एक तरफ व्यक्ति अपने जीवन में कई समस्याओ
से ग्रस्त रहता है तब लंबे अनुष्ठान तथा साधन पद्धतियों को करने में साधक को कई
प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है इसके अलावा साधना सामग्री तथा विशेष
नियम आदि का पालन करना भी कई व्यक्तियो के लिए संभव नहीं हो पाता है. अतः साधक एसी
स्थिति में इन लघु प्रयोग के माध्यम से अपने जीवन के कष्टों का निवारण करे तथा
जीवन में प्रगति की ओर बढ सके इसी हेतु यहाँ पर दो ऐसे ही प्रयोगों को प्रस्तुत
किया जा रहा है, जिसमे ज्यादा कोई विशेष विधि विधान आदि नहीं है लेकिन यह प्रयोग
अनुभूत है तथा सिद्धो के मध्य इन प्रयोगों का विशेष प्रचलन है अगर साधक श्रद्धा सह
इन प्रक्रियाओ को सम्प्पन कर ले तो निश्चय ही उसे शीघ्र अनुकूलता की प्राप्ति हो
सकती है.
(१)
मयूरपंख अर्थात मोरपंख से सबंधित तंत्र के क्षेत्र में कई प्रकार
के प्रयोग है, भगवान कार्तिकेय को प्रिय मयूर के पंख के रसायन में भी विविध प्रयोग
प्राप्त होते है. मयूरपंख से सबंधित एक अद्भुत प्रयोग तंत्र के क्षेत्र में
प्रसिद्द है. यह प्रयोग के माध्यम से साधक के मान
सन्मान की वृद्धि होती है, तथा समाज में साधक को विशेष स्थान प्राप्त हो सकता है.
साधक को कार्यक्षेत्र आदि में विशेष रूप से सन्मान तथा अनुकूलता प्राप्त होती है.
यह प्रयोग
साधक को रविवार के दिन करना चाहिए. उत्तम यह रहता है की जिस दिन पुष्य नक्षत्र हो
तथा रविवार हो अर्थात रविपुष्य योग के समय इस प्रयोग को करे. लेकिन अगर यह संभव
नहीं है तो साधक इस प्रयोग को रविवार को भी कर सकता है. साधक को एक मोरपंख लेना
चाहिए, उस मोरपंख के निचे का डंडीका हिस्सा अगर हो तो उसे हटा दें. मोर पंख को धुप
दिया जाए तथा उसको ताम्बे या त्रिलोह के तावीज़ में डाल दिया जाए.
इस तावीज़
को लोहबान का धुप दें तथा लाल धागे में पिरो कर अपनी बांह पर धारण कर ले. या फिर साधक चाहे तो अपने गले में भी धारण कर
सकता है. इस प्रकार प्रयोग करने पर साधक को अनुकूलता की प्राप्ति होती है. साधक को
दो बातों का ध्यान रखना चाहिए.
साधक को ध्यान रखना चाहिए की किसी
और व्यक्ति की नज़र आपके धारण किये हुवे तावीज़ पर न पड़े, अर्थात जब आपने धारण किया
हुआ हो तब वह किसी को दिखाई न दे. धागे दिखे तो कोई दोष नहीं है.
हर रविवार को संध्या के समय उस
तावीज़ को लोहबान का धुप दें तथा उसके बाद फिरसे धारण कर लें.
इस प्रयोग
में विशेष किसी भी प्रकार का कोई मन्त्र, वस्त्र, दिशा, समय आदि का कोई विधान नहीं
है, यह सिद्ध प्रयोग है जिसे कोई भी
व्यक्ति कर सकता है.
(२)
गुरुवार की शाम साधक को स्नान आदि से निवृत हो
कर स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर किसी दरगाह पर जाना चाहिए. साधक अपने साथ सफ़ेद रंग
की मिठाई ले जाए जिसको वह दरगाह में ही बच्चो में बाँट दे. इसके बाद साधक दरगाह के
ऊपर पहले से ही किसी व्यक्ति द्वारा चडाया हुआ एक फूल उठाये.
साधक यह
ध्यान रखे की वह फूल पहले से ही वहाँ पर चड़ा हुआ हो तथा दरगाह के ऊपर ही हो.
अर्थात आस पास गिरा हुआ फूल ना लें. यह
पुष्प कोई भी हो सकता है लेकिन ताज़ा होना चाहिए.
इसके बाद
साधक को एक बार फिर से गरीबोंमें तथा बच्चोको मिठाई आदि बाटें तथा इसके बाद घर आ
जाए. घर आने के बाद साधक उस पुष्प को लोहबान का धुप दें.
धुप देने
के बाद साधक इस पुष्प को रोज अपने साथ रख सकता है. अर्थात साधक को इसे अपनी जेब
में रखना चाहिए.
साधक को
स्नान आदि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र को धारण कर इस पुष्प को अपनी जेब में रखना
चाहिए. इस प्रयोग के माध्यम से भी साधक को
कई प्रकार से सुभीता की प्राप्ति होती है, कार्यों की सिद्धि होती है तथा साधक को
सफलता की प्राप्ति होने लगती है. यह कार्यसिद्धि से सबंधित प्रयोग है. इस प्रयोग में भी साधक को किसी और विशेष
विधि विधान की आवश्यकता नहीं है.
साधक को हर गुरुवार शाम को इस पुष्प
को लोहबान का धुप देना चाहिए तथा उत्तम यह रहता है की साधक उसी दरगाह पर जा कर
बच्चो तथा बुजुर्गो में मिठाई बाटें.
****NPRU****
bahut badiya nikhil ji..... aapko kin shabdo mai dhanywaad diya jaye......
ReplyDeleteNikhi ji, wakai aapke liye kya kahe,aap jaise logo se he manav kalyan ki ummid jagti hai.
ReplyDeleteJay gurudev. Arif bhiya apse nivedan he koi saral yaksini pratyaksikara sadana post kije .please
ReplyDeleteHello sir
ReplyDeletethere are many sadhanas you present here in this blog
but can any common man do these sadhnas and get full benefits ?
I mean dont we need to do develop concentration and other mental abilities before ?
I mean if you dont have good concentration and never practiced meditation or concentration in your life before,
will these sadhanas still give full benefit ?