Tuesday, April 9, 2013

DAINIK JEEVAN ME POORN AATM SURAKSHA HETU - POORN PHETKARINI APARAJITA PRAYOG


                           


Leaves are all dead on the ground,
Try to keep those that the oak is keeping…..

I found above lines of Robert Frost very inspirational…..It may happen that you may read it and think that what is so special in it???....But my dear brothers and sisters, if you try to understand these lines, you will find that essence of life is contained within them…..Literal meaning of it is-
 “The time which has been passed has already passed, but those moments which are in our hands is life. Live these moments because there is nothing immortal in life……everything is susceptible to change in which change is the only unchanging reality. But contrary to it, time is like flowing river which flows without any limits….no drop of water, once passed, will return back to you……..past is like arrow which have already been fired and future is like arrows kept in quiver….Only Present is one such arrow which we can utilize and those who possess the capability to hit the target, can truly attain the bliss….”
Aren’t these lines amazing and today’s article is connected to it because every one of us has seen both good and bad aspects of life. But the problems which we have faced due to lack of alertness, at least we can be saved from them by doing this procedure…..Isn’t it!!
You all will agree with this fact is that life changes every moment. But it is not necessary that every change happens for good. For example, let us consider our daily life……we have become so much materialistic that we don’t even know that in which direction river of our life is flowing……It is true that life is like flowing river, life and death are two banks of it and both the banks are stable at their own ends. But due to lack of alertness and knowingly, changing one bank with the other cannot be called an intelligent thing….
So many girls commit suicide everyday either due to rape or eve-teasing. Unfortunately, if they do not do it, our society deprives them their right of living peacefully in society. So many innocent girls go to school but do not return back to home. Small kids go outside their home for playing but do not return back……Today, we are living in such society where not only ladies and small kids are insecure but males also are insecure…They will go from home to office but what will happen in midway, no one can say….Common man gets unsettled by such incidents but he does not make any concrete efforts to counter them…
१)   But it is point worth pondering over that why such alarming incidents happen in civilized society???
२)   Are we providing appropriate security to wife, daughters and kids of our family???
)Are we capable of doing self-defence ourselves that we can secure our family and society???
….there can be so many questions like this but simple answer of each question is none but a big NO. Reason for it is our low willpower which not only encourages such vicious persons but also provides conducive environment for them to flourish… But Tantra says that there is no such problem whose solution cannot be obtained… I know that this article is focused on society rather than Tantra but its solution is somewhere contained in Tantra since Tantra is one such precise weapon which will react in accordance with direction in which it has been used…Therefore today we will know about tantric procedure of self-defence told by Sadgurudev…
This procedure can be done by any family member, even a child can do it because this procedure will work only for the one by whose name, and resolution has been taken. And upon doing this procedure, whenever you go outside your home, just read this mantra 51 or 108 times. This will ensure your security in every circumstance till the time you reach home safely….
Procedure-
On midnight of any Tuesday, wear red dress and sit on red aasan facing south direction. Perform Guru Poojan, Ganpati and Bhairav poojan and make Maithun chakra on ground in front of you and establish supaari in its middle at place where Bindu is located. Ignite one mustard oil lamp on right hand side of Maithun chakra i.e. on your left side and offer turmeric mixed sindoor on supaari. And after it, chant 51 rounds of below mantra by rudraksh, Moonga or Black agate rosary. This is Poorn Aparaajita Phetkaarini Mantra which attacks and provides security at one and same time. In Tantra, Phetkaarini sadhna has got its own importance and Mayank used to tell me that he has heard a lot of appreciation of this mantra from Sadgurudev and Sadgurudev in every shivir from1995 to 1998 used to tell sadhaks to do this mantra daily for 5 minutes. It is highly intense mantra in itself.
Mantra-
HLEEM PHOOM HLEEM
After completion of chanting, pray to Sadgurudev and mother Phetkaarini for success and offer mantra Jap to her. Offer one Aachmani of water beneath the aasanand on the next day, wash the Maithun Chakra with clean water and ignite Guggal dhoop there. Keep supaari at any uninhabited place and offer dakshina and sweets to any small girl. In future, daily chanting of this mantra for 5 minutes provides security to sadhak.
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Leaves are all dead on the ground,
Try to keep those that the oak is keeping…..
Robert frost  की ये पंक्तियाँ हमेशा से मुझे बहुत प्रेरणादायक लगती हैं.....हो सकता है आप इन्हें पढ़ें और सोचें की इनमें ऐसा विशेष क्या है???....मगर मेरे प्रिय भाइयों और बहनों इन पंक्तियों को समझोगे तो पता चलेगा की इनमें जीवन का सार निहित है......इनका शाब्दिक अर्थ है-
    जो समय बीत गया उसका अर्थ है वो काल की बलि चढ़ चुका है, मगर अभी के जो पल तुम्हारे हाथ में हैं वो जीवन है, इसी को जी लो क्योंकि जीवन में कुछ भी शास्वत नहीं है....सब कुछ परिवर्तन के अधीन है जिसमें केवल और केवल परिवर्तन ही अपरिवर्तनीय है पर इसके विपरीत समय निर्विघ्न प्रवाहित होने वाली जीवंत नदी के समान है.....पानी की एक बूंद भी लौटकर किसी के पास वापिस नहीं आएगी.....भूत निशाना साधे बाण के समान है और भविष्य तरकश में रखे बाण के समान ....केवल वर्तमान ही एक ऐसा बाण है जिसे हम उपयोग में ला सकते हैं और इस बाण से जो लक्ष्य साधने की क्षमता रखते हैं, वो ही आनंद को प्राप्त कर सकते हैं......
हैं ना कमाल की पंक्तियाँ और आज के हमारे इस लेख से भी इनका बहुत लेना देना है क्योंकि हममें से हर किसी ने जीवन के हर अच्छे बुरे पहलु को देखा है पर जो तकलीफें हमने सतर्कता की कमी के कारण झेली हैं इस प्रयोग को करके हम कम से कम उन दिक्कतों से तो बच सकते हैं.....हैं ना !!
इस बात से तो आप सब सहमत होंगें की जीवन पल प्रति पल बदलता है पर ये जरूरी नहीं होता ही हर बदलाव अच्छाई के लिए हो, जैसे हम आज कल की अपनी दिनचर्या को ही लेते हैं.....हम सब इतने भौतिकवादी हो चुके हैं की जीवन की नदी किस ओर बह रही है इसका ज्ञान ही नहीं....
.....यह बिलकुल सत्य कथन है की जीवन एक बहती नदी है,  जिसके जीवन और मृत्यु दो किनारे हैं और दोनों किनारे अपनी-अपनी जगह पर स्थिर हैं पर सतर्कता की कमी के कारण जानते बुझते एक किनारे को दुसरे किनारे के साथ बदल देना तो कोई समझदारी नहीं.....
 कितनी लडकियाँ प्रतिदिन बलात्कार या फिर उनके साथ हुई घटिया छेड़छाड़ के कारण आत्म हत्या कर लेती हैं और यदि दुर्भाग्यवश कोई ऐसा ना करे तो हमारा समाज उससे सुख चैन से जीने का अधिकार छीन लेता है, कितनी मासूम छोटी-छोटी बच्चियां घर से स्कूल तो जाती हैं मगर वापिस नहीं आती, छोटे बच्चे खेलने के लिए घर से बहार निकलते हैं मगर लौट कर नहीं आते....हम आज ऐसे समाज में जी रहे हैं जहाँ स्त्री या छोटे बच्चे तो दूर की बात रही पुरुष तक सुरक्षित नहीं हैं......घर से ओफिस के लिए निकलेंगे तो रास्ते में कब क्या घटित हो जाए कोई नहीं कह सकता....
आम आदमी को ऐसी घटनाएँ विचलित तो करती हैं पर वो उनके विरुद्ध कोई ठोस कदम नहीं उठाता....
१)पर यहाँ सोचने वाली बात ये है की ऐसी त्रासदियाँ सभ्य समाज में क्यों घटित होती हैं???
२)क्या हम अपने घर की बहु बेटियों और बच्चो को उचित सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं???
३) क्या हम खुद अपनी आत्म रक्षा करने में इतने सक्षम हैं की हम अपने परिवार और फिर समाज को सुरक्षित कर सकें???
......कितने ही जटिल सवाल किन्तु हर सवाल का एक साधारण जवाब “ नहीं .......a big NO “ कारण हमारी आत्म कमज़ोरी जो भुत, पिशाच और चोरों के समान ऐसे दुष्ट लोगों को ना केवल पनपाती है बल्कि उन्हें हृष्ट-पुष्ट होने के लिए एक उचित वातावरण भी प्रदान करती है.....पर तंत्र कहता है ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान ना हो......
मैं जानती हूँ ये लेख तंत्र पर केन्द्रित ना होकर समाज पर है पर इसका समाधान कहीं ना कहीं तंत्र में ही निहित है क्योंकि तंत्र एक ऐसे अचूक हथियार के समान है जिसका जिस दिशा में उपयोग किया जाएगा बिलकुल प्रतिक्रिया के रूप में ये वैसे ही कार्य करेगा.....इसीलिए हम आज ये जानेंगे की सदगुरुदेव ने कैसे तंत्र से आत्म रक्षा करने का विधान समझाया है......
इस प्रयोग को आपके घर का कोई भी सदस्य कर सकता है, यहाँ तक की बच्चे भी क्योंकि यह विधान उसी के लिए कार्य करेगा जिसके नाम का संकल्प लेकर इसको किया जाएगा और एक बार इसे करने के बाद आप जब भी घर से बाहर जाएँ इस मन्त्र को मात्र ५१ या १०८ बार पढ़ लें जिसके आप घर से बाहर जाने तक से अपने घर सकुशल लौटने तक पूरी तरह हर परिस्थिति से सुरक्षित रहेंगे.....

प्रयोग विधि -
किसी भी मंगलवार की मध्य रात्री को लाल वस्त्र धारण कर लाल आसन  पर बैठ जाएँ और मुहं दक्षिण की ओर हो. पूर्ण गुरु पूजन,गणपति व भैरव पूजन संपन्न कर सामने भूमि पर एक मैथुन चक्र का निर्माण कर उसके मध्य में जहाँ बिंदु होता है वहाँ एक सुपारी स्थापित कर लें और उस मैथुन चक्र के दाहिने अर्थात आपके बायीं तरफ एक सरसों तेल का दीपक प्रज्वलित कर लें और सुपारी पर हल्दी मिश्रित सिन्दूर अर्पित कर दें.और इसके बाद रुद्राक्ष,मूंगा या काली हकीक माला से निम्न मंत्र की ५१ माला जप कर लें ये पूर्ण अपराजिता फेत्कारिणी मंत्र है जो आक्रमण और सुरक्षा एक साथ करता है.तंत्र में फेत्कारिणी साधना का अपना महत्त्व है और मुझे मयंक बताते थे की उन्होंने सदगुरुदेव से इस मंत्र की बहुत प्रसंशा सुनी है और सदगुरुदेव लगभग हर शिविर में १९९५ से ९८ तक इसे साधकों को ५ मिनट नित्य  करने को कहते रहे हैं. ये अपने आप में अत्यधिक तीक्ष्ण मंत्र है.
मंत्र -
ह्लीं फूं ह्लीं  
HLEEM PHOOM HLEEM
  जप समाप्ति के पश्चात आप सदगुरुदेव और माँ फेत्कारिणी से पूर्ण सफलता की प्रार्थना कर जप समर्पित कर दें और आसन के नीचे एक आचमनी जल अर्पित कर उठ जाएँ और दुसरे दिन उस मैथुन चक्र को साफ़ पानी से साफ़ कर वहाँ थोड़ी सी गुग्गुल धुप प्रज्वलित कर दें.और सुपारी को किसी निर्जन स्थान पर अर्पित कर दें और किसी कन्या को दक्षिणा और मिष्ठान की भेट दे दें. भविष्य में भी नित्य प्रति के जीवन में ५ मिनट इस मंत्र का जप करना अनुकूलता देता है.
****ROZY MAYANK NIKHIL****
****NPRU****                                           

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