इल इल चिली चिली फिल फिल |
दी, इलाई बिलीन बिलाकी ||
हे प्रभु ! हम जीवन में साधनाओं के माध्यम
से सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर लें और जीवन को पूर्ण सुखी सफल और संपन्न
बनाने मे सफल हों |
जय सदगुरुदेव ,
भाइयो बहनों जीवन का सौभाग्य
होता है महाविद्या साधना . क्या आप जानते हैं सदगुरुदेव ने तो हमेशा से महाविद्या
साधना पर ही जोर दिया है क्योंकि,
महाविद्या साधना का अर्थ ही है
संसार किसर्वोच्च शक्ति, महाविद्या यानि साधक के जीवन से समस्याओं का दूर हों जाना
. इन साधनाओं मे से कोई एक भी साधना पूर्णता के साथ हुई नहीं कि जीवन पूर्ण
निष्कंटक और सुरक्षित होने के साथ ही आर्थिक भौतिक और अद्ध्यात्मिक उन्नति की ओर
अग्रसर हों जाता है .
भाइयों बहनों वर्तमान समय
बड़ी भाग दौड और आपाधापी वाला है . इसके साथ ही एक होड सी लगी आगे बढ़ने की, और इस
होड में लोग सब कुछ भूल भी जाते हैं , रिश्ते नाते, दोस्ती भाईचारा सब कुछ . और इस
होड़ में ही कुछ लोग अपना विवेक खो देते हैं और दुसरे का नुक्सान भी करने से नहीं
चूकते . कभी व्यापर बंधन, कभी तंत्र प्रयोग, कभी और सुना कि काला जादू जैसे प्रयोग
भी कर देते हैं फलस्वरूप इनसे पीड़ित व्यक्ति की स्तिथी बद से बदतर होते चले जाते
हैं और जैसा मैंने अभी आपको तंत्र बाधा प्रयोग देते समय बताया था कि जीवन नारकीय
होता चला जाता है .........
प्रत्येक महाविद्या अपने आपमें पूर्ण होती
हैं ये आप सबको पहले भी बता चुकी हूं .......
मेरी अति प्रिय माँ आदि शक्ति का
सबसे अधिक सम्मोहक, तीव्र शत्रु हंता और समस्त मनोकामनाओं को शीघ्रअति शीघ्र पूर्ण
करने में सक्षम है....... वो हैं .........
माँ बगलामुखी.....
जीवन की समस्त समस्याओं, बाधाओं को दूर कर पूर्ण सुख शांति और निर्द्वंद,
निर्भय, और पूर्ण सम्पन्नता के साथ जीना सिखाती माँ बगला........
माँ बगलामुखी के बारे में कई
भ्रांतियां ...........
जैसे----- इनके प्रयोग मारण के लिए किया जाता . इन्हें स्तम्भन के लिए
साधा जाता है, इनका प्रयोग शत्रु को
परेशान करने के लिए किया जाता है आदि आदि .....
अभी तक कुछ प्रयोग ऐसे दिए गए हैं जिससे
ये तो साबित हों गया कि माँ के अनेक हैं जैसे --- अत्यंत तीव्र शत्रु हंता है तो
तीव्र दारिद्रयहंता भी यदि स्तम्भनकारी हैं तो पूर्ण रक्षक भी . और साथ ही
सम्रद्धिप्रदाता एवं साधको के लिए स्वयं मातृ स्वरूपा भी हैं .....
भाइयों बहनों ! आपमें से अनेकों के प्रश्न मेरे पास हैं औए उन सब समस्याओं का
निदान तो करना ही हैं . मेरे मन में अचानक ये ख्याल आया कि सामने ही बगला मुखी
जयंती है और आप सबको इस शुभ अवसर का लाभ तो उठाना ही चाहिए . हैं ना J तो ..........
मैने
जो स्वयं अनुभूत किया, जिसका परिक्षण
अनेकों बार सफलता पूर्वक किया, और जिसने मुझे अनेक कलाओं में पारंगत किया,
माँ आज भी निरन्तर मेरा मार्ग दर्शन करती है ...
तो आइये इस बगला जयंती पर समस्त कामनाओं को,
सभी कष्टों को चाहे वो रोग हों, दरिद्रता हों भय हों, असफलता हों, रुकावटें हों, बाधाएं हों कुछ भी हों....
एक प्रयोग एक साधना किन्तु संकल्प
भिन्न, और रही बात पूर्ण सफलता की तो स्वयं करिये और देखिये ....
क्योंकि जब तक कोई चीज अनुभूत
ना किया जाये तब तक उसके गुणों का अंदाजा नहीं होता.... अतः तैयार हों जाइये बगला
जयंती को सेलिब्रेट करने हेतु..... हैं ना
प्रयोग विधि -
पीले वस्त्र, पीला आसन, पीले
फूल और हल्दी में रंगे पीले ही चावल.....
उत्तर या पूर्व दिशा बगला यंत्र
या बगला चित्र या विग्रह या इन सबके अभाव में माँ दुर्गा का चित्र भी ले सकते हैं
.
पीली हकीक माला या हरिद्रा माला या रुद्राक्ष
माला .
समय प्रातःकाल या ब्रह्म मुहूर्त से लेकर
मध्यान्ह के पूर्व.
प्रातः स्नान आदि से निवृत्त
होकर आसन ग्रहण करें एवं पूर्ण भक्ति भाव से गुरु, गणेश एवं स्वर्णाकर्षण भैरव की
पूजा संपन्न कर गुरु मन्त्र की चार माला
संपन्न करें और प्रार्थना करें और गुरुदेव से आशीर्वाद और अनुमति
ध्यान-
सुवर्णासन्-संस्थितां
त्रिनयनां पीतान्शुकोल्लासिनिं,
हैमाभाँगरुचिं शशांक-मुकुटां सच्चाम्कपक़-स्त्रग्युतां |
हस्तैर्मुद्गर
पाशबद्ध-रसनां संविभ्रतीं भूषणे,
र्व्याप्तांगी बगलामुखीं त्रिजगतां
संस्ताम्भनीं चिन्तयेत||
विनियोग-
ॐ अस्य श्री बगलामुखी ब्रह्मास्त्र मंत्रस्य भैरव ऋषिर्विराट् छंद:, श्री बगलामुखी देवता, कलीं बीजम् , ऐं
शक्ति:, श्रीं कीलकं, मम परस्य मनोभिलाषित-कार्यसिध्यर्थे विनियोग: |
ऋष्यादिन्यास:---
शिरसि भैरवऋषये नमः | मुखे विराटछंदसे
नमः | ह्रदि बगलामुखी देवताये नमः | गुह्ये कलीं बीजाय नमः | पादयो: ऐं
शक्तये नमः | सर्वांगे श्रीं कीलकाय नमः |
करन्यास;
ॐ ह्रां अंगुष्ठाभ्यां नमः | ॐ ह्रीं तर्जनीभ्यामं नमः | ॐ ह्रूं
मध्यम्याभ्यामं नमः | ॐ ह्रैं अनामिकाभ्यां नमः | ॐ ह्रौं कनिष्ठ्काभ्याँ नमः | ॐ ह्र: करतलकर प्रष्ठाभ्यां नमः|
हृदयादिन्यास;----
ॐ ह्रां हृदयाय नमः | ॐ ह्रीं शिरसे
स्वाहा | ॐ ह्रूं शिखायै वषट् | ॐ ह्रैं कवचाय हूं | ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट् |
ॐ ह्रः अस्त्राय फट् |
मन्त्र:----
ॐ
ह्रीं ऐं श्रीं क्लीं श्री बगलानने ! मम रिपून् नाशय-नाशय ममेश्वर्याणि देहि-देहि शीघ्रं
मनोवांछित्कार्यं साधय-साधय ह्रीं स्वाहा |
OM HREEM AING SHREEM KLEEM SHREEM BAGLAANANE MAM RIPUN NAASHAY
NAASHAY MAMESHWARYAANI DEHI DEHI SHEEGHRAM MANOVAANCHHIT KARYAM SAADHAY
SAADHAY HREEM SWAHA
उपरोक्त मन्त्र की ११ माला
मन्त्रजप स्थिर और एकाग्र होकर जपें . तत्पश्चात दुबारा माँ का ध्यान कर जप समर्पण
करें फिर गुरु मन्त्र की चार माला मन्त्र
जप कर जप समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करें .....
इस प्रयोग
में आप अपनी समस्या से सम्बंधित संकल्प लें . और पूर्ण श्रद्धा भाव से
साधना संपन्न करें..... और रही बात रिजल्ट की तो साधना करिये और स्वयं अनुभव करें
......
निखिल प्रणाम
****रजनी निखिल****
****NPRU****
when is the baglamukhi jayanti
ReplyDeletewhen is baglamukhi jayanti
ReplyDeleteME kis prakar contect karu
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