Tuesday, May 7, 2013

VALGA GAAYATRI - TRAYI VIDHAAN MANOKAAMNA POORTI HETU




“ PeetambardhraamDeveemPoornchandrnibhaannaam |

VaameJivhaamGadaamChaanyDhaaryanteemBhajaamyham||”

Jai Sadgurudev,
My dear brothers and sisters, giving description about Maa Bagla is impossible. But with the inspiration of Gurudev and for the benefit of you all, it is responsibility of me to provide as much information as I know. Though, it was Kaartikey who for first time asked about this form of Bhagwati to his father Lord Shiva since he wanted to annihilate devils. At that time, by the inspiration of Lord Shiva, Maa Bagla got birth out of Maa Parvati’s body and she not only destroyed all enemies but also become provider of pleasure and salvation….
Still, there are lot of misconceptions among public today that Baglamukhi is goddess of Maaran and Stambhan only. But Sadgurudev eradicated all these misconceptions and established true form of this Mahavidya among sadhaks so that they can get benefits from each and every form of this Mahavidya.
I have successfully completed each and every mantra related to Maa given by Sadgurudev. And I will make them available on blog from time to time for benefit of you all……After all, it is knowledge of Gurudev and all of you have right upon it…
Do you know that Bagla Mantra is completed only when it is samputit with Gayatri Mantra…..

Bagla Gayatri Mantra :


OM HLEEM BRAHMAASTRAAYAI VIDMAHE STAMBHAN BAANAAYAI DHEEMAHI TANNO BAGLA PRACHODAYAAT

Above—mentioned mantra is full of amazing powers. Also, according to rules of Aagam, no Mahavidya can be accomplished without accomplishing its related Savita i.e. Gayatri Mantra. Aim of Gayatri mantra is to control the intensity and ferocity of related Mahavidya. Along with it, it also helps in fulfilling various desires and unveiling secrets.
For example, if “SHREEM” i.e. Lakshmi Beej is samputit with this mantra then there is no doubt in the fact that Bhagwati Baglamukhi will provide immense wealth to sadhak and plays an important role in eradicating his poverty and debt and to make him prosperous.
On any Friday, get up in morning in Brahma Muhurat time. Take bath and wear red/yellow cloth. Sit on red/yellow aasan facing North/East direction…..
Spread yellow cloth on Baajotand establish one Supaari on heap of rice. If you have picture/yantra of Bhagwati Baglamukhi then place it on Baajot and keep supaari in front of it…..Light a ghee lamp in front of it….Do Panchoopchar poojan of yantra/picture with complete dedication and pray to Bhagwati for her blessings to fulfil your desire. All three procedures given below are of 3-3 days. You can use any of them according to your need. All three procedures have been tested and have been beneficial too. If possible, colour the wick (to be used in lamp) with turmeric and use it after drying it up. It is appropriate to use sweet or Halwa of Besan.
Now take a Sankalp that I am doing this process for eradicating all my poverty.

Thereafter, perform poojan of Guru and Ganpati. Chant four rounds of Guru Mantra and seek blessing and permission from Gurudev for doing sadhna.
Below mantra has to be chanted using Haridra Rosary, Yellow Agate rosary or Coral rosary.
Do Dhayan of Bhagwati Bagla
Gambheeram Ch MadonmataamSwarnkaantisamprabhaam |
ChaturbhujaTrinayanaamKamlaasansanstithaam ||
MudurrDakshinePaashamVaameJivhaam Ch Vajrakam |
PeetambardhraamSaamdraDridhpeenpayodhraam ||
PeetbhushanbhushaangiDhritChandraardhshekharaam |
RatnsinhaasanaaseenaamaamTrilokysundreeem ||

 Thereafter, chant 11 rounds of below mantra

Mantra:

SHREEM HLEEM BRAHMAASTRAAYAI VIDMAHE STAMBHAN BAANAAYAI DHEEMAHI TANNO BAGLA PRACHODAYAAT SHREEM

Now, do above-mentioned Dhayan of Maa again with complete concentration…….Chant 1 or 4 rounds of Guru Mantra. In this manner, sadhna is completed.


2)  In the same manner, when we talk about providing stability to knowledge or intellect power or to sharpen our memory power, then whole procedure will be same as above. Only dress/ aasan will be white/yellow. Dhyan and Beej Mantra will change.

Dhyan Mantra:

Om SuvarnasansanstithaamTrinayanamPeetanshukollaasineem
HemaabhaangruchimShashaakmukutaamSachchhampakstragyutaam||
HastaimudrarpaashvajrasrshanaahSamvibhriteemBhusanaiavryaptaangiBaglamukhim- TrijagtaamSamastambhneemChinteyet ||

Now chant 11 rounds of the below mantra

AING HLEEM BRAHMAASTRAAYAI VIDMAHE STAMBHAN BAANAAYAI DHEEMAHI TANNO BAGLA PRACHODAYAAT AING


Do Dhayan and chant 4 rounds of Guru Mantra….


3) There is important role of beauty in life. Definition of beauty is different for both males and females. Very few persons are aware of this fact that Bhagwati Valga provides happiness and pleasure to sadhak. For this purpose, sadhak can do below procedure. Females should take Sankalp for attaining perfect beauty and males should take Sankalp for attaining complete manhood.
Whole procedure will be same as above. Dhyan mantra will be changed as follows
Dhyan Mantra
Om MadhyeSudhaabdhiManimandapratnvedi
SinhaasnoParigtaamParipeetvarnaam |
PeetambraabharanmaalyvibhutaangeemDeveem
NamaamiDhritmudrarvaireejivhaam ||

Now chant 11 rounds of below mantra with complete concentration…


Thereafter, again recite Dhayan Mantra and chant 4 rounds of Guru Mantra in order to complete sadhna.

Brothers and sisters, I have done theses mantras. You all should also do them and take benefits.

Nikhil Pranaam
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"पीताम्बरधरां देवीं पूर्णचंद्रनिभाननाम |
 
वामे जिव्हां गदां चान्य धारयन्तीं भजाम्यहम||”

जय सदगुरुदेव ,
प्रिय स्नेही भाइयो और बहनों माँ बगला के बारे में विवेचन करना असंभव है, किन्तु गुरुदेव की प्रेरणा और आप सब के लाभार्थ जानकारी देना, जो मुझे है मेरा फर्ज है . वैसे भगवती के इस स्वरुप को जानने की जिज्ञासा सर्वप्रथम भगवान कार्तिकेयजी महाराज ने अपने पिता भोले भंडारी से की थी, क्योंकि उन्हें असुर, जो कि अत्यंत मायावी थे, का संहार करना था, तब भगवान भोलेनाथ कि ही प्रेरणा से माँ पार्वती के शरीर से ही बगला का अवतरण हुआ, जो ना केवल समस्त शत्रुओं के संहार का कारण बनी अपितु समस्त भोग मोक्ष को भी देने वाली भी हैं.....
जन सामान्य में आज भी ये भ्रांतियां हैं कि बगलामुखी यानि मारण, स्तम्भन, की ही देवी हैं, किन्तु सदगुरुदेवजी ने इस भ्रान्ति को निर्मूल साबित किया, और साधकों के बीच इस महाविद्या को पूर्ण कलाओं के साथ स्थापित किया. जिससे कि उन्हें इस महाविद्या के प्रत्येक स्वरुप से लाभ प्राप्त हो सके.
मैंने माँ के हर उस मन्त्र को जो सदगुरुदेव ने प्रदान किया पूर्ण सफलता के साथ संपन्न किया है , और आपके लाभार्थ समय-समय पर ब्लॉग के माध्यम से जरुर पहुंचाऊन्गी....
चूँकि ये ज्ञान तो गुरुदेव का है और इस पर सभी का हक है.......
भाइयो बहनों क्या आप जानते हैं कि बगला मन्त्र गायत्री मन्त्र के सम्पुट के पश्चात ही पूर्ण होता है.....
बगला गायत्री मन्त्र :

ॐ ह्लीं ब्रह्मस्त्रायै विदमहे |स्तंभनबाणायै धीमहि | तन्नो बगला प्रचोदयात ||

उपरोक्त मंत्र अपने आप में अद्भुत शक्ति से संपन्न है,और वैसे भी आगमोक्त नियम यही है की बिना समबन्धित सविता अर्थात गायत्री मंत्र के कोई भी महाविद्या सिद्ध नहीं होती है,सम्बंधित महाविद्या की तीव्रता या उग्रता को संयत रखना ही गायत्री मंत्र का लक्ष्य है साथ हि विविध मनोरथ को पूर्ण करना और रहस्यों का भेदन करना भी.
  जैसे हम यदि इस मन्त्र के साथ श्रीं यानि लक्ष्मी बीज को सम्पुट कर दें तो इसमें कोई शक नहीं कि भगवती बगलामुखी साधक को प्रचुर धन संपदा प्रदान करती ही हैं,जन्मजात निर्धनता,ऋण का नाश कर ऐश्वर्य युक्त बनाने में ये अद्भुत भूमिका निभाती है.
     किसी भी शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त मे उठ कर स्नानादी से निवृत्त होकर लाल या पीले ही वस्त्र धारण करें, और लाल या पीले आसन पर उत्तर या पूर्व कि ओर मुख कर बैठ जाएँ ......
सामने बजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर चावलों की एक ढेरी पर एक सुपारी स्थापित करें, जिनके पास
भगवती बगलामुखी का यन्त्र या चित्र हों तो वे उनका स्थापन करें तथा सुपारी उनके सामने स्थापित करें.... सामने घीं का दिया लगावें.... यन्त्र अथवा चित्र का पूर्ण मनोयोग से पंचोपचार पूजन करें और भगवती से अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु आशीर्वाद की प्रार्थना करें. निम्नलिखि तीनो विधान तीन तीन दिनों के हैं,आप अपनी आवशयकता हेतु जिसका चाहें प्रयोग कर सकते हैं,तीनों परखे हुए विधान है और लाभकारी भी.हो सके तो दीपक में लगने वाली बाती पहले से हल्दी से रंजित कर लें और सुखा कर प्रयोग करें,नैवेद्य के रूप में बेसन का हलवा,लड्डू या मिष्ठान लेना उचित है.
अब संकल्प लें कि मै अपनी समस्त दुःख दरिद्रता को समाप्त करने हेतु इस प्रयोग को संपन्न कर रहा हूं /रही हूं .
तत्पश्चात गुरु गणपतिजी का पूजन संपन्न करें एवं गुरु मन्त्र कि चार माला संपन्न अवश्य करें और गुरुदेवजी से अनुमति और आशीर्वाद प्राप्त कर साधना मे संलग्न हों.
निम्न मन्त्र को हरिद्रा माला, पीली हकिक माला या मूंगा माला से करना है .....
भगवती बगला का ध्यान करें:
गंभीरां च मदोन्मत्तां स्वर्णकान्तिसम्प्रभाम
चतुर्भुजां त्रिनयनां कमलासनसंस्तिथाम् ||
मुद्गर दक्षिणे पाशं वामे जिव्हां च वज्रकम |
पीताम्बरधरां सांद्रा द्रढ़पीनपयोधराम् ||
पीतभूषणभुशांगी धृत चंद्रार्धशेखराम |
रत्नसिंहासनासीनाम्बां त्रैलोक्यसुन्दरीम ||
तत्पश्चात निम्न मन्त्र की ११ माला संपन्न करें.
मन्त्र:

श्रीं ह्लीं ब्रह्मस्त्रायै विद्महे | स्तम्भन बाणायै धीमहि |तन्नो बगला प्रचोदयात श्रीं ||
SHREEM HLEEM BRAHMAASTRAAYAI VIDMAHE STAMBHAN BAANAAYAI DHEEMAHI TANNO BAGLA PRACHODAYAAT SHREEM
     उसके बाद एक फिर से माँ उपरोक्त ध्यान पूर्ण एकाग्रता से करें..... तथा फिर गुरु मन्त्र की चार या एक माला जप संपन्न कर साधना पूर्ण करें .

२- इसी प्रकार जब बात विद्या के स्थायित्व या मेधा शक्ति की आती है अथवा स्मरण शक्ति को प्रखर करने की आती है तो सारी विधि उपरोक्त ही रहेगी सिर्फ वस्त्र वा आसन सफ़ेद अथवा पीले होंगे और ध्यान मन्त्र और बीज मन्त्र बदल जायेगा....
ध्यान मन्त्र:

ॐ सुवर्णासनसंस्तिथां त्रिनयनं पीतान्शुकोल्लासिनीम्
हेमाभाँगरूचिं शशांकमुकुटां सच्चम्पकस्त्रग्युताम ||
हस्तैरमुद्गरपाशवज्ररशना: संविभ्रतीं भूषणैर्व्यप्तांगी बग्लामुखिं-त्रिजगतां संसस्तंभनीम चिन्तयेत ||

अब इसके बाद निम्न मन्त्र की ११ माला जप संपन्न करें ----

"ऐं ह्लीं ब्रह्मस्त्रायै विद्महे | स्तम्भन बाणायै धीमहि |तन्नो बगला प्रचोदयात ऐं ||"
AING HLEEM BRAHMAASTRAAYAI VIDMAHE STAMBHAN BAANAAYAI DHEEMAHI TANNO BAGLA PRACHODAYAAT AING

फिर से ध्यान और गुरुमंत्र की चार माला मन्त्र जप कर साधना पूर्ण करें.....

३- जीवन में सौंदर्य का अत्यधिक महत्त्व है और पुरुष के लिए सौंदर्य की अपनी परिभाषा होती है और स्त्री के लिए अपनी.और बहुत कम लोग ये बात जानते हैं की भगवती वल्गा अपने साधक को भोग सम्बन्धी गुण भी प्रदान करती हैं. इस हेतु निम्न प्रयोग संपन्न कर सकते हैं और इसके लिए स्त्री पूर्ण सौंदर्य प्राप्ति हेतु और पुरुष पूर्ण पुरुषत्व की प्राप्ति हेतु संकल्प लें ....
सारी विधि उपरोक्त ही रहेगी,ध्यान ये होगा
ध्यान मन्त्र:
ॐ मध्ये सुधाब्धि मणिमंडपरत्नवेदी
सिंहासनो परिगतां परिपीतवरणां |
पीताम्बराभरणमाल्यविभुतांगीं देवीं
नमामि धृतमुद्गरवैरीजिव्हां ||


अब पूर्ण एकाग्रता से निम्न मन्त्र की ११ माला मन्त्र जप संपन्न करें.....
 
क्लीं ह्लीं ब्रह्मस्त्रायै विद्महे | स्तम्भन बाणायै धीमहि |तन्नो बगला प्रचोदयात क्लीं ||
KLEENG HLEEM BRAHMAASTRAAYAI VIDMAHE STAMBHAN BAANAAYAI DHEEMAHI TANNO BAGLA PRACHODAYAAT KLEENG

 
तत्पश्चात ध्यान मन्त्र का पुनः जप कर गुरु मन्त्र की चार माला जप कर साधना पूर्ण करें.......
भाइयो बहनों मन्त्रों को मैंने भी किया है आप भी करें और लाभ प्राप्त करें....
 
निखिल प्रणाम
 
****रजनी निखिल****
****NPRU****

3 comments:

  1. Jai Gurudev,

    Thank you for giving great Sadhna.

    Q-1. Sadhna Samapti ke baad Supari Puja sthan me rakhni hai ya visarjit karni hai ?

    Q-2. Isi mantra ke antargat koi esi sadhna par bhi kripa karke prakash daliye jisse yadi antrik / baiya shatru group yadi lagataar juthi badnaami kar pareshan kar raha ho aur baat cort-kachahri tak ane vaali hoto uska koi solution mil sake.

    Mene Sahastranvit Deha Tara (Sobhagya Tarini) sadhna jo aapne batayi thi vo ki hai aur gomti chakra mene puja sthan me hi rahne diya hai. Mujhe is sadhna se prompt results mile hai bina kuch mange.

    Your reply for my above 2 questions will be highly appreciated.

    Jai Gurudev

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  2. Jai Gurudev,

    Thank you for giving great Sadhna.

    Q-1. Sadhna Samapti ke baad Supari Puja sthan me rakhni hai ya visarjit karni hai ?

    Q-2. Isi mantra ke antargat koi esi sadhna par bhi kripa karke prakash daliye jisse yadi antrik / baiya shatru group yadi lagataar juthi badnaami kar pareshan kar raha ho aur baat cort-kachahri tak ane vaali hoto uska koi solution mil sake.

    Mene Sahastranvit Deha Tara (Sobhagya Tarini) sadhna jo aapne batayi thi vo ki hai aur gomti chakra mene puja sthan me hi rahne diya hai. Mujhe is sadhna se prompt results mile hai bina kuch mange.

    Your reply for my above 2 questions will be highly appreciated.

    Jai Gurudev

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  3. Hum aapse contact kis prakar kare. Aapka pata de taki sadna ki jankari le aur diksha kis prakar le.

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