नमो शांत
रूपं ब्रह्म रूद्र महेशं |
निखिल रूप नित्यं
शिवोऽहं शिवोऽहं ||
हे स्वामी
निखिलेश्वरानंदजी महाराज ! हे गुरुवर !! आप शांत स्वरुप हैं, ब्रहम, विष्णु और
रूद्र के स्वरुप और साक्षात् चिंतन हैं,
आप का मोहक रूप नित्य मेरे ह्रदय में बसा रहे, मै आपको पूर्णतः शिव निखिल स्वरुप
ही देखा करूँ और मानती रहूँ |
भाइयो बहनों,
प्रत्येक
शिष्य के ह्रदय में यही भाव आ जाये ऐंसी ही प्रार्थना के साथ अगली पोस्ट आप सब के
लिए------
स्नेही स्वजनों ! अभी कुछ दिनों पूर्व हमने स्वर्णाकर्षण
भैरव यंत्र और गुटिका के बारे में एक पोस्ट दी थी और उसी के प्रतिउत्तर में मुझे
कई सारे मैसेज आये कि हमें इससे सम्बंधित प्रयोग भी दिए जाएँ, और आज मैंने मन बना
ही लिया कि मुझे इससे सम्बंधित प्रयोग देना ही है जिससे की आप सब लाभ उठा सकें, हालाँकि------
मै जानती हूँ कि लोग कम ही है जो साधना या प्रयोग करना चाहते हैं, लेकिन जो चाहते
हैं कम से कम उन्हें तो ये प्रयोग मिलना ही चाहिए न .....
भाइयो बहनों क्या आप जानते हैं की इन आठ दस वर्षों में
ब्लॉग पर सैंकड़ों प्रयोग आये सैंकड़ों साधनाएं दी जा चुकी हैं, किन्तु उन्हें ही आज
तक लोग नहीं कर पाए हाँ उसके आगे की चाह जरुर रखते हैं, सिर्फ कलेक्सन हेतु---- सॉरी,
किन्तु यही सच है..... कोई बात नहीं हमें तो बस अब आगे ही बढ़ना है जिनको वाकई इन
साधना और प्रयोग की आवश्यकता है उन्हें तो मिलना ही चाहिए .... तो स्वर्णाकर्षण
यंत्र और भैरव गुटिका से सम्बंधित तीन महत्वपूर्ण प्रयोग, वैसे तो इस पर अनेक
प्रयोग गुरुवर ने समय-समय पर दिए हैं किन्तु
ये तीन अति आवश्यक और समयानुकूल और परिस्तिथि के अनुकूल हैं.... ये प्रयोग जो एक
तरफ लक्ष्मी प्राप्ति के साधन हैं, तो दूसरी तरफ तंत्र बाधा निवारण में सहायक हैं,
तथा एक और गृहस्थ जीवन में सुख शांति लाने समर्थ हैं तो दूसरी और स्वास्थ्य लाभ के
लिए भी अति महत्वपूर्ण..... अतः इन साधनाओं को एक बार जरुर आजमायें ---
वैसे
इन्हें प्रयोग करने के लिए विशेस तिथि है वैशाख माह की एकादशी, किन्तु समय और
परिस्तिथि के अनुसार इन प्रयोगों को किसी भी माह की एकादशी, या तंत्र बाधा हेतु
अमावश्या और कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सम्पन्न कर सकते हैं |
इस प्रयोग को संपन्न करने के लिए साधक पीली धोती पहनकर,
उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएँ | सामने लाल वस्त्र बिछाकर उस पर आठ चावलों
की ढेरी बनायें, और उनके सामने एक बड़ी चावल की ढेरी बनायें और उस पर यंत्र का
स्थापन करें तथा उस यंत्र पर ही उस गुटिका को भी स्थापिय कर दें, अब उन आठ चावल की
ढेरी पर आठ कमल बीज स्थापित करें, भाइयो बहनों कमल बीज मार्केट में पूजा की दुकान
पर बड़ी आसानी से प्राप्त हो जाता है----
अतः परेशांन होकर शांत भाव से सारी सामग्री एकत्रित कर लें
तब साधना में बैठे, और शांत भाव से एकाग्रचित्त होकर लगभग दो घंटे निम्न मन्त्र का
जप संपन्न करें, इसमें माला या गिनती का बंधन बिलकुल नहीं है अतः दो घंटे में
जितना भी जाये.....
मन्त्र—
“ॐ ह्रीं धनधान्याधिपतये स्वर्णाकर्षण कुबेराय सम्रद्धिं
देहि-दापय स्वाहा” |
“Om hreem dhandhaanyadhipataye swarnakarshan kuberay samraddhim dehi dapay swaha” |
मन्त्र जप से पूर्व
हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि अमुक व्यापार या कार्य के लिए पूर्ण सफलता के लिए
ये प्रयोग सम्पन्न कर रहा हूँ या रही हूँ....... ये एक ही दिन का प्रयोग हैऔर जप
के बाद उस सारी सामग्री को उसी कपडे में बाँध कर किसी कोने में या लॉकर में रख दें
ऐसा करने पर मनोवांछित प्राप्त होता ही है....
२- तंत्र बाधा निवारण हेतु ---
साधक सफ़ेद वस्त्र पहनकर सफ़ेद आसन पर बैठ जाएँ सामने पट्टे
पर सफ़ेद वस्त्र बिछा दें तथा एक मिटटी का हांड़ी या छोटा कुल्हड़ लें और उसमें भैरव
गुटिका रखकर उसे लगभग सौ ग्राम पीली सरसों या इसके आभाव में काली मिर्च लेकर
गुटिका को ढँक दें और इस हांड़ी को अपने सामने जमीन पर रख दें तथा सामने उस सफ़ेद
वस्त्र पर स्वर्णाकर्शंभैरव यंत्र स्थापित कर उस पर सिंदूर, (जो कि बजरंगबली को
चढाते हैं) लगा दें तथा संकल्प लेकर निम्न मन्त्र का जप दो घंटे तक ही करें तथा जप
के बाद उस हांड़ी को गुटिका के साथ ही घर से कहीं दूर जमीन में दबा दें--------
चूँकि ये तंत्र बाधा के लिए है अतः इसे घर से दूर ही दबाना
है—
मन्त्र-
मन्त्र-
“ॐ क्लीं क्रीं हुं मम इच्छित कार्य सिद्धि करि-करि हुं क्रीं क्लीं फट्” |
“Om kleem kreem hum mam ikshit kary siddhi
kari-kari hum kreem kleem fatta” |
३- स्वस्थ्य लाभ हेतु---
इस प्रयोग में यंत्र और गुटिका के साथ काली हकिक माला की भी
आवश्यकता होती है यदि काली हक़ीक न मिल सके तो रुद्राक्ष की भी ले सकते हैं सामने
लाल वस्त्र बिछाकर कर यंत्र का स्थापन करें यंत्र का पूजन सिंदूर और अक्षत से करें
तथा संकल्प लेकर एक ताम्बे के पात्र में गुटिका को यंत्र के सामने ही स्थापित करे इसमें
सीधे यानि दायें हाथ से माला करते हुए उलटे हाथ से गुटिका पर जल चढाते हुए दो घंटे
तक मन्त्र करना है----- फिर उस जल को रोगी को पिला दें, औए उस पर छिड़क भी
दें.......
मन्त्र—
“ॐ यं स्वर्णाकर्षण गुटिकायै मम कार्य
सिद्धि करि-करि हुं फट्” |
“Om yam swarnakarshan gutikayai mam kary siddhi
kari-kari hum fatta” |
भाइयो बहनों, एक महत्वपूर्ण बात ये कि इन तीनो प्रयोग
में यंत्र तो एक होगा किन्तु गुटिका
अलग-अलग ही प्रयोग होंगी.
चूँकि मेरे तो अनुभूत हैं ही आप भी आजमाइए-----
जय
सदगुरुदेव
रजनी
निखिल
****NPRU****
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