श्री गुरु
चरण कमलेभ्यो नमः
जय
सदगुरुदेव,
स्नेही स्वजन, मै प्रतिदिन दिन आप
लोगों के अनेक प्रश्न पढ़ती रहती हूँ, और मेरी बड़ी इच्छा होती है कि, आपके प्रश्नों
का समाधान करूँ परन्तु कर नहीं पाती, इसलिए नहीं कि, जानती नहीं हूँ . अपितु इसलिए
कि निरंतर मुझ पर आरोप प्रत्यारोप के प्रहार होते रहते है, इसलिए सोचती हूँ कि
जाने इसकी क्या प्रतिक्रिया हो रही होगी.... खैर, जहाँ तक मेरा प्रश्न है, तो मुझे
ग्रुप में उठ रहे सवालों के जवाब तो देने ही होंगे, क्योंकि मै देख रही हूँ कि जिसको
जो समझ में आता है वो ही लिख रहा है मन्त्र भी उलटे सीधे, मुस्लिम मन्त्र में ॐ तो
कहीं कुछ जो की सिर्फ नुकसान देह ही होगा..... मन्त्र हमारे अनुभूत होना चाहिए,
चाहिए आपने एक मन्त्र ही क्यों न किया हो, जो आपने किया हो. वो नहीं जो सिर्फ आपने
सुना है क्योंकि ये साधना है इसमें सुना सुनाया नहीं चलता, वर्ना नुकसान अपना भी
और दुसरो का भी हो सकता है.... अतः ध्यान रखें कि जब तक कोई आपका वरिष्ठ गुरु भाई
बहन या साधक न बताये आप कोई भी मन्त्र को न करें..... उसका पूरा विधान सावधानी आदि
का पूरा ध्यान रखें..... ओके और रही बात सिद्धि की तो वो आपके गुरु और इष्ट पे
निर्भर है और आपकी दृढ़ इच्छा शक्ति और श्रद्धा पर निर्भर करता है .
भाइयो बहनों, बहुत
दिनों से आप लोगों की इच्छा पर आज सोमवती अमावस्या पर पारद काली साधना विधान.....
आपके लिए-----
वैसे तो भगवती के अनेक मन्त्र हैं एकाक्षरी से लेकर सहस्त्राक्षरी
तक.... किन्तु ये विशिष्ट मन्त्र यदि पारद विग्रह के समक्ष किया जाये तो निश्चय ही
अनुकूलता प्राप्त होती है और आज तो अमावश्य और वो भी सोमवार को . अर्थात पारद यानि
भगवान भोलेनाथ और माँ काली तो ये संयोग तो सोने पे सुहागा हुआ न |
रात को १० बजे के बाद अपने सामने पाटे पर पीले कपडे पर पारद
काली को स्थापित करें पीले वस्त्र और पीला आसन हो उत्तर दिशा हो सिंदूर और अक्षत
तथा सरसों के तेल का एक बड़ा दिया लगा दें ताकि वो रात भर अखंड जलता रहे, अब संकल्प
लेकर गुरु, गणेश एवं भैरव पूजन करें तथा चार माला गुरु मन्त्र की करें एवं मूल
साधना पर ध्यान करें सबसे पहले ऐं (eng) बीज मन्त्र
से तीन बार प्राणायाम करें . महाकाली का ध्यान करें.
ध्यान--
ॐ
ध्यायेत्काली महामाया त्रिनेत्रा बहुरुपिणीम |
चतुर्भुजां
चलाज्जिव्हाम पुर्नाचान्द्रनिभाननाम,
नीलोत्पल
दल प्रख्यां शत्रुसंघ विदारिणीम .
नरमुंडम
तथा खंगम कमलं वरदं तथा
विभ्राणां
रक्तवसना दंष्ट्रालीं घोर रुपिणीम,
अट्टाटहासनिरताम
सर्वदा च दिगम्बराम ||
शवासनस्तिथाम
देवी मुंडमालाविभुसिताम .
अब विग्रह को सिंदूर अर्पण करें और इस को शिव और शक्ति के
स्वरुप में घर में स्थापित होने की प्रार्थना करें.... तथा अवाहन करें
आगच्छं
वर्दे देवी दैत्यदर्पनिषूदनि
पूजां
ग्रहाण सुमुखी नमस्ते शंकरप्रिये ||
अब भगवती काली को
बेसन के लड्डू या घर की बने हुए कोई भी मिठाई का भोग अर्पित करें तथा रुद्राक्ष की
माला से निम्न मन्त्र २१ माला मन्त्र करें...............
“ऐं नमः क्रीं
ऐं नमः सं क्रीं नमः क्रीं कालिकायै स्वाहा”.
Eng
namah kreem eng namah sam kreem namah kreem kaalikaayai namah
अब फिर से एक माला गुरु मन्त्र की करके
मन्त्र गुरुदेव को समर्पित करें.........
साधना संपन्न करें और रिजल्ट स्वयम देखें .....
****रजनी
निखिल****
****निखिल
प्रणाम****