Monday, August 25, 2014

श्री पारद काली साधना


   
 

      श्री गुरु चरण कमलेभ्यो नमः 

जय सदगुरुदेव,

       स्नेही स्वजन, मै प्रतिदिन दिन आप लोगों के अनेक प्रश्न पढ़ती रहती हूँ, और मेरी बड़ी इच्छा होती है कि, आपके प्रश्नों का समाधान करूँ परन्तु कर नहीं पाती, इसलिए नहीं कि, जानती नहीं हूँ . अपितु इसलिए कि निरंतर मुझ पर आरोप प्रत्यारोप के प्रहार होते रहते है, इसलिए सोचती हूँ कि जाने इसकी क्या प्रतिक्रिया हो रही होगी.... खैर, जहाँ तक मेरा प्रश्न है, तो मुझे ग्रुप में उठ रहे सवालों के जवाब तो देने ही होंगे, क्योंकि मै देख रही हूँ कि जिसको जो समझ में आता है वो ही लिख रहा है मन्त्र भी उलटे सीधे, मुस्लिम मन्त्र में ॐ तो कहीं कुछ जो की सिर्फ नुकसान देह ही होगा..... मन्त्र हमारे अनुभूत होना चाहिए, चाहिए आपने एक मन्त्र ही क्यों न किया हो, जो आपने किया हो. वो नहीं जो सिर्फ आपने सुना है क्योंकि ये साधना है इसमें सुना सुनाया नहीं चलता, वर्ना नुकसान अपना भी और दुसरो का भी हो सकता है.... अतः ध्यान रखें कि जब तक कोई आपका वरिष्ठ गुरु भाई बहन या साधक न बताये आप कोई भी मन्त्र को न करें..... उसका पूरा विधान सावधानी आदि का पूरा ध्यान रखें..... ओके और रही बात सिद्धि की तो वो आपके गुरु और इष्ट पे निर्भर है और आपकी दृढ़ इच्छा शक्ति और श्रद्धा पर निर्भर करता है .

   भाइयो बहनों, बहुत दिनों से आप लोगों की इच्छा पर आज सोमवती अमावस्या पर पारद काली साधना विधान..... आपके लिए-----
वैसे तो भगवती के अनेक मन्त्र हैं एकाक्षरी से लेकर सहस्त्राक्षरी तक.... किन्तु ये विशिष्ट मन्त्र यदि पारद विग्रह के समक्ष किया जाये तो निश्चय ही अनुकूलता प्राप्त होती है और आज तो अमावश्य और वो भी सोमवार को . अर्थात पारद यानि भगवान भोलेनाथ और माँ काली तो ये संयोग तो सोने पे सुहागा हुआ न | 

रात को १० बजे के बाद अपने सामने पाटे पर पीले कपडे पर पारद काली को स्थापित करें पीले वस्त्र और पीला आसन हो उत्तर दिशा हो सिंदूर और अक्षत तथा सरसों के तेल का एक बड़ा दिया लगा दें ताकि वो रात भर अखंड जलता रहे, अब संकल्प लेकर गुरु, गणेश एवं भैरव पूजन करें तथा चार माला गुरु मन्त्र की करें एवं मूल साधना पर ध्यान करें सबसे पहले ऐं (eng) बीज मन्त्र से तीन बार प्राणायाम करें . महाकाली का ध्यान करें.

ध्यान--  
ॐ ध्यायेत्काली महामाया त्रिनेत्रा बहुरुपिणीम |
चतुर्भुजां चलाज्जिव्हाम पुर्नाचान्द्रनिभाननाम,
नीलोत्पल दल प्रख्यां शत्रुसंघ विदारिणीम .
नरमुंडम तथा खंगम कमलं वरदं तथा
विभ्राणां रक्तवसना दंष्ट्रालीं घोर रुपिणीम,
अट्टाटहासनिरताम सर्वदा च दिगम्बराम ||
शवासनस्तिथाम देवी मुंडमालाविभुसिताम .

अब विग्रह को सिंदूर अर्पण करें और इस को शिव और शक्ति के स्वरुप में घर में स्थापित होने की प्रार्थना करें.... तथा अवाहन करें

आगच्छं वर्दे देवी दैत्यदर्पनिषूदनि
पूजां ग्रहाण सुमुखी नमस्ते शंकरप्रिये ||

अब भगवती  काली को बेसन के लड्डू या घर की बने हुए कोई भी मिठाई का भोग अर्पित करें तथा रुद्राक्ष की माला से निम्न मन्त्र २१ माला मन्त्र करें...............

“ऐं नमः क्रीं ऐं नमः सं क्रीं नमः क्रीं कालिकायै स्वाहा”.

Eng namah kreem eng namah sam kreem namah kreem kaalikaayai namah

    अब फिर से एक माला गुरु मन्त्र की करके मन्त्र गुरुदेव को समर्पित करें.........
साधना संपन्न करें और रिजल्ट स्वयम देखें .....

****रजनी निखिल****

****निखिल प्रणाम****
 





Sunday, August 10, 2014

पारद शिवलिंग स्तापन विधि


       




        ॐ प्रथिव्यै सह दिवौ वै: क्रियते परे वा, 
       श्रिये  न:    सह    वर्तेक्या     पुरौ ||

    हे ईश्वर ! यह सारी प्रथ्वी हम सब की है, हम सब ‘वसुदेव कुटुकम्ब’ की भावना से साथ-साथ रहें, एक दुसरे को सहयोग दें, क्रियाशील हों, लक्ष्मियुक्त हों, और पूरी प्रथ्वी को स्वर्ग तुल्य बनाने में सहायक हों .

  जय सदगुरुदेव,

           स्नेही स्वजन, बहुत दिनों से मेरे पास पारद शिवलिंग, और श्रीयंत्र स्थापन विधि को जानने के मैसेज आ रहें हैं, हालांकि अभी कुछ लोगो ने माहौल बिगाड़ा हुआ है, किन्तु ठीक है,  मुझे तो कार्य करना है बस |
जब भी मुझसे किसी को इस तरह की अपेक्षा होगी मै पूरी कोशिश करुँगी कि आप लोगों की अपेक्षा पर खरी उतर सकूँ |

पारद की अपनी विशेषता है जो आप में से अधिकाँश लोग जानते हैं . पारद शिवलिंग संसार का एक अद्वितीय और देवो का मनुष्यों को वरदान स्वरुप है . यूँ तो आजकल लेड से निर्मित शिवलिंग मिलते हैं जिसे पारद समझ लिया जा रहा है. किन्तु ओके . अपनी-अपनी श्रद्धा और अपने विचार. क्योंकि कोई किसी के विचारों को नहीं बदल सकता. अतः हम सिर्फ अपने विचार ही शेयर कर सकते हैं बस .
      स्नेही स्वजन, क्या आप जानते हैं कि---
‘शिव निर्णय रत्नाकर’- के अनुसार मिटटी या पत्थर से करोड़ गुना अधिक फल स्वर्ण निर्मित शिवलिंग के पूजन से और स्वर्ण से करोड़ गुना मणि, मणि से करोड़ गुना अधिक फल बाणलिंग नर्मदेश्वर की पूजन से और नर्मदेश्वर बाणलिंग से करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग के पूजन से प्राप्त होता है | 

   इसमें कोई दो अतिश्योक्ति नहीं कि पारद शिवलिंग आज से नहीं अपितु हजारों-हजारों वर्षों से श्रेष्ठ और वरदायक रहा है और ये हमारा सौभाग्य है कि सदगुरुदेव के माध्यम से हम इस ज्ञान को प्राप्त कर पायें हैं और उसे सुरक्षित रख पा रहें हैं.

  भाइयो बहनों ! इस युग में पारद शिवलिंग एक वरदान ही नहीं अपितु एक चमत्कार ही है, एक साधना हैऔर सफलतादायक उपाय है अर्थ धर्म कम और मोक्ष प्राप्ति का |
कैसे स्थापन करें पारद शिवलिंग----
इसके लिए गंगाजल, चन्दन, कुमकुम, केशर, अबीर- गुलाल, पुष्प, बिल्बपत्र, भस्म, भांग, कच्चा दूध, पंचामृत 
घी का दीपक, कपूर ---

सोमवार या प्रदोष के दिन या पूर्णिमा को जिस दिन भी आप चाहें,प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें, पिला आसन उत्तर दिशा की मुह कर बैठें, अपने सामने एक बाजोट रख उस पर पिला ही वस्त्र बिछाएं, एक पात्र जिसमे आप शिवलिंग का अभिषेक कर सकें.... 

सर्व प्रथम पूर्व की पूजन प्रक्रिया करें अपनी शुद्धि आसन शुद्धि, दिग्बन्धन, प्रथ्वी पूजन, कलश स्थापन पूजन, दीपक पूजन गुरु पूजन, गणेश-गौरी पूजन, भैरव पूजन इत्यादि
“भाइयो बहनों मैंने ब्लॉग पर पूजन विधान दिया हुआ है नए साधको को यदि कोई समस्या हो तो कृपया जरुर पूछ सकते हैं”------ अब आप तैयार हैं, इस दिव्य साधना या पूजन स्थापन के लिए....
ध्यान करें –

अथापरं   सर्वपुराण  गुह्यं   निःशेषपपौघहरम   पवित्रं,

जयप्रदम्सर्वविप्राद्विमोचनं वक्ष्यामि शैवं स्थाप्यं हिताय ते|

अब पारद शिवलिंग को किसी पात्र में स्थापित करें और सर्व प्रथम गंगा जल से स्नान करवाएं, तत्पश्चात उन्हें एक स्वक्छ वस्त्र से पोंछ कर सामने पाटे पर बिछे हुए पीले वस्त्र पर स्थापित करें, संकल्प लें---


ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्ध श्री ब्रह्मण: द्वतीय परार्द्धे श्वेतवराहे कल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टा विन्शतितमें  कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुक क्षेत्रे, अमुक नगरे, अमुक नाम सवंत्सरे, अमुक अयने, अमुक मासे, अमुक पक्षे, अमुक पूण्यतिथौ, अमुक वासरे,  सर्वेषु ग्रहेषु यथायथं राशीस्थानस्थितेषु, अमुक नाम, अमुक गौत्रौत्पन्नोहं पारदेश्वर महादेव्ये देवता प्रत्यिर्थ्ये, यथा ज्ञानं, तथा मिलितोपचारे पूजनम,स्थापनं करिष्ये.

अब एक पात्र में एक बिल्ब पात्र का आसन देकर शिवलिंग स्थापित करें तथा कलश का जल पंचपात्र में लें और दूर्वा से या यदि कौलाचारी हैं तो वे कुषा के जल से शिवलिंग पर जल अर्पित करते हुए निम्न मन्त्र करें  

ह्रदि वक्ष करतल निधाय ॐ ऐं ह्रीं श्रीं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं ळं क्षं सोऽहं हंसः मम प्राणाः इह प्राणाः |
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं ळं क्षं सोऽहं हंसः मम जीव इह जीवः स्तिथ: |
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं ळं सोऽहं हंसः मम सर्वेन्द्रियाणि इह स्तिथानी |
ततः त्रिः प्राणानायम्य, ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री पारदेश्वराय सदाशिवाय नमः |

अब शिवलिंग को अपने बांये हाथ में लेकर दायें हाथ से ढंक लें और---

“ॐ शं शम्भवाय पार्देश्वराय सशक्तिकाय नमः”

मन्त्र का २४  बार उच्चारण करें |
तथा वापिस उसी पात्र में स्थापित करें, और पंचामृत से स्नान करवाएं अब शुद्धोदक स्नान भी करवाते जाये, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उपरोक्त मन्त्र का जप करते रहें.
पंचामृत गंगाजल आदि से अभिषेक के पश्चात् शिवलिंग को पोंछ कर अच्छे से पट्टे पर स्थापित करें और पंचोपचार पूजन करें, तथा कम से कम २१, ५१ या हो सके तो १०८ बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं भंग धतुर्फल और इत्र चढ़ाकर प्रार्थना करें कि हे पारदेश्वर महादेव हमारे घर में स्थापित होकर हमें सुख सौभाग्य प्रदान करें और समस्त पाप ताप का शमन करें---- तथा नैवेद्ध अर्पित करें फिर रुद्राक्ष माला से इसी मन्त्र की १ माला मन्त्र  निम्न मन्त्र का जप करें 

“ॐ नमो भगवते रुद्राय पार्देश्वराय नमः”
“Om namo bhagvate rudray paardeshwaraay namah”

फिर कर्पुर और घी के दीपक से आरती सम्पन्न करें और पुष्पांजली समर्पित कर द्रव्य दक्षिणा देकर अर्ध्य परिक्रमाँ संपन्न करें क्षमा याचना कर पूजन अपने गुरुदेव को समर्पित करें |

इस तरह से स्थापित पारद शिवलिंग का नियमित दर्शन ही अनेक जन्मों के पापों को नष्ट कर जीवन में सुख शांति स्थापित करता है |

स्नेही  भाइयो बहनों इस पूजन को देने का तात्पर्य अपने बिजनस का प्रचार प्रसार बिलकुल नहीं है आप इस विधा से परिचित हों बस यही कामना है अगली पोस्ट में श्री यंत्र स्थापन विधि के साथ मिलते हैं........   :)

****निखिल प्रणाम****

****रजनी निखिल****