ॐ
प्रथिव्यै सह दिवौ वै: क्रियते परे वा,
श्रिये न:
सह वर्तेक्या पुरौ
||
हे ईश्वर ! यह
सारी प्रथ्वी हम सब की है, हम सब ‘वसुदेव कुटुकम्ब’ की भावना से साथ-साथ रहें, एक
दुसरे को सहयोग दें, क्रियाशील हों, लक्ष्मियुक्त हों, और पूरी प्रथ्वी को स्वर्ग
तुल्य बनाने में सहायक हों .
जय सदगुरुदेव,
स्नेही
स्वजन, बहुत दिनों से मेरे पास पारद शिवलिंग, और श्रीयंत्र स्थापन विधि को जानने
के मैसेज आ रहें हैं, हालांकि अभी कुछ लोगो ने माहौल बिगाड़ा हुआ है, किन्तु ठीक
है, मुझे तो कार्य करना है बस |
जब भी मुझसे किसी को इस तरह की अपेक्षा होगी मै पूरी कोशिश
करुँगी कि आप लोगों की अपेक्षा पर खरी उतर सकूँ |
पारद की अपनी विशेषता है जो आप में से अधिकाँश लोग जानते
हैं . पारद शिवलिंग संसार का एक अद्वितीय और देवो का मनुष्यों को वरदान स्वरुप है
. यूँ तो आजकल लेड से निर्मित शिवलिंग मिलते हैं जिसे पारद समझ लिया जा रहा है.
किन्तु ओके . अपनी-अपनी श्रद्धा और अपने विचार. क्योंकि कोई किसी के विचारों को
नहीं बदल सकता. अतः हम सिर्फ अपने विचार ही शेयर कर सकते हैं बस .
स्नेही स्वजन,
क्या आप जानते हैं कि---
‘शिव
निर्णय रत्नाकर’- के अनुसार मिटटी या पत्थर से करोड़ गुना अधिक फल स्वर्ण निर्मित
शिवलिंग के पूजन से और स्वर्ण से करोड़ गुना मणि, मणि से करोड़ गुना अधिक फल बाणलिंग
नर्मदेश्वर की पूजन से और नर्मदेश्वर बाणलिंग से करोड़ गुना फल पारद शिवलिंग के पूजन से
प्राप्त होता है |
इसमें कोई दो
अतिश्योक्ति नहीं कि पारद शिवलिंग आज से नहीं अपितु हजारों-हजारों वर्षों से
श्रेष्ठ और वरदायक रहा है और ये हमारा सौभाग्य है कि सदगुरुदेव के माध्यम से हम इस
ज्ञान को प्राप्त कर पायें हैं और उसे सुरक्षित रख पा रहें हैं.
भाइयो बहनों ! इस
युग में पारद शिवलिंग एक वरदान ही नहीं अपितु एक चमत्कार ही है, एक साधना हैऔर
सफलतादायक उपाय है अर्थ धर्म कम और मोक्ष प्राप्ति का |
कैसे स्थापन करें पारद शिवलिंग----
इसके लिए गंगाजल, चन्दन, कुमकुम, केशर, अबीर- गुलाल, पुष्प,
बिल्बपत्र, भस्म, भांग, कच्चा दूध, पंचामृत
घी का दीपक, कपूर ---
सोमवार या प्रदोष के दिन या पूर्णिमा को जिस दिन भी आप
चाहें,प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें,
पिला आसन उत्तर दिशा की मुह कर बैठें, अपने सामने एक बाजोट रख उस पर पिला ही
वस्त्र बिछाएं, एक पात्र जिसमे आप शिवलिंग का अभिषेक कर सकें....
सर्व प्रथम पूर्व की पूजन प्रक्रिया करें अपनी शुद्धि आसन
शुद्धि, दिग्बन्धन, प्रथ्वी पूजन, कलश स्थापन पूजन, दीपक पूजन गुरु पूजन, गणेश-गौरी
पूजन, भैरव पूजन इत्यादि
“भाइयो बहनों मैंने ब्लॉग पर पूजन विधान दिया हुआ है नए
साधको को यदि कोई समस्या हो तो कृपया जरुर पूछ सकते हैं”------ अब आप तैयार हैं,
इस दिव्य साधना या पूजन स्थापन के लिए....
ध्यान करें –
अथापरं सर्वपुराण गुह्यं निःशेषपपौघहरम पवित्रं,
जयप्रदम्सर्वविप्राद्विमोचनं वक्ष्यामि शैवं स्थाप्यं हिताय
ते|
अब पारद शिवलिंग को किसी पात्र में स्थापित करें और सर्व
प्रथम गंगा जल से स्नान करवाएं, तत्पश्चात उन्हें एक स्वक्छ वस्त्र से पोंछ कर
सामने पाटे पर बिछे हुए पीले वस्त्र पर स्थापित करें, संकल्प लें---
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य
विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्ध श्री ब्रह्मण: द्वतीय परार्द्धे श्वेतवराहे
कल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टा विन्शतितमें
कलियुगे कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुक क्षेत्रे, अमुक नगरे, अमुक
नाम सवंत्सरे, अमुक अयने, अमुक मासे, अमुक पक्षे, अमुक पूण्यतिथौ, अमुक
वासरे, सर्वेषु ग्रहेषु यथायथं
राशीस्थानस्थितेषु, अमुक नाम, अमुक गौत्रौत्पन्नोहं पारदेश्वर महादेव्ये देवता
प्रत्यिर्थ्ये, यथा ज्ञानं, तथा मिलितोपचारे पूजनम,स्थापनं करिष्ये.
अब एक पात्र में एक बिल्ब पात्र का आसन देकर शिवलिंग
स्थापित करें तथा कलश का जल पंचपात्र में लें और दूर्वा से या यदि कौलाचारी हैं तो
वे कुषा के जल से शिवलिंग पर जल अर्पित करते हुए निम्न मन्त्र करें
ह्रदि
वक्ष करतल निधाय ॐ ऐं ह्रीं श्रीं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं ळं क्षं
सोऽहं हंसः मम प्राणाः इह प्राणाः |
ॐ ऐं
ह्रीं श्रीं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं ळं क्षं सोऽहं हंसः मम जीव इह
जीवः स्तिथ: |
ॐ ऐं
ह्रीं श्रीं आं ह्रीं क्रों यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं ळं सोऽहं हंसः मम
सर्वेन्द्रियाणि इह स्तिथानी |
ततः त्रिः
प्राणानायम्य, ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री पारदेश्वराय सदाशिवाय नमः |
अब शिवलिंग
को अपने बांये हाथ में लेकर दायें हाथ से ढंक लें और---
“ॐ शं शम्भवाय पार्देश्वराय सशक्तिकाय
नमः”
मन्त्र का २४ बार उच्चारण करें |
तथा वापिस
उसी पात्र में स्थापित करें, और पंचामृत से स्नान करवाएं अब शुद्धोदक स्नान भी
करवाते जाये, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उपरोक्त मन्त्र का जप करते रहें.
पंचामृत
गंगाजल आदि से अभिषेक के पश्चात् शिवलिंग को पोंछ कर अच्छे से पट्टे पर स्थापित
करें और पंचोपचार पूजन करें, तथा कम से कम २१, ५१ या हो सके तो १०८ बेलपत्र अवश्य
चढ़ाएं भंग धतुर्फल और इत्र चढ़ाकर प्रार्थना करें कि हे पारदेश्वर महादेव हमारे घर
में स्थापित होकर हमें सुख सौभाग्य प्रदान करें और समस्त पाप ताप का शमन करें----
तथा नैवेद्ध अर्पित करें फिर रुद्राक्ष माला से इसी मन्त्र की १ माला मन्त्र निम्न मन्त्र का जप करें
“ॐ नमो भगवते रुद्राय पार्देश्वराय नमः”
“Om namo bhagvate rudray paardeshwaraay namah”
फिर कर्पुर
और घी के दीपक से आरती सम्पन्न करें और पुष्पांजली समर्पित कर द्रव्य दक्षिणा देकर
अर्ध्य परिक्रमाँ संपन्न करें क्षमा याचना कर पूजन अपने गुरुदेव को समर्पित करें |
इस तरह से
स्थापित पारद शिवलिंग का नियमित दर्शन ही अनेक जन्मों के पापों को नष्ट कर जीवन
में सुख शांति स्थापित करता है |
स्नेही भाइयो बहनों इस पूजन को देने का तात्पर्य अपने
बिजनस का प्रचार प्रसार बिलकुल नहीं है आप इस विधा से परिचित हों बस यही कामना है अगली
पोस्ट में श्री यंत्र स्थापन विधि के साथ मिलते हैं........ :)
****निखिल प्रणाम****
****रजनी निखिल****
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