पुरुषोत्तम माह के ही दो महत्वपूर्ण प्रयोग
मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है इस पुरुषोत्तम मास का लाभ आप लोग अपनी
ऊर्जा शक्ति को उत्तरोत्तर बढाने में संलग्न होंगे एवं अध्यात्मिक गतिविधियों को
संपन्न कर रहे होंगे | इस नारायण साधना के कुछ अलग-अलग पक्ष भी हैं जिनको उपयोग
आपकी अन्य समस्याओं के निराकरण में सहायक हो सकतें हैं | श्रृष्टि के मूल रचयिता श्री
हरी विष्णु के स्पंदन से ही प्राण मन व इन्द्रियों की उत्पत्ति मानी जाती है एवं
जो स्वयं अनंत है काल स्वरूप हैं सबकुछ उनसे उत्पन्न होकर उन्ही में समाया हुआ है,
वे सब हैं व सब सब उन्ही में व्याप्त है| जहां मनोकामनाएं हैं,सैयम है, पूजा है,
श्रृद्धा है, क्षमा हैं वहीँ भगवान् श्री
हरी का निवास है | श्री हरी की इस साधना के साथ यदि अभय एवं आत्मिक सुख की
प्राप्ति हो तो साधना का सुख अनंत गुना होता है | अतः इस साधना को अवश्य संपन्न
करे |
साधक स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर
पूर्व की ओर मुंह कर अपने पूजा स्थान में बैठे, इस साधना के लिए प्रातः ९ बजे के
पूर्व का समय अत्यंत उचित कहा गया है | सर्व प्रथम अपने गुरु व गणपति का पंचोपचार
पूजन करें | अब साधक दांये हाथ में जल लेकर संकल्प करे, संकल्प में साधक कामना करे
की में इस निश्चित तिथि मास वर्ष के सभी देवि देवताओं का ध्यान कर इस साधना को
करने का संकल्प लेता हूँ, मेरे सभी सहायक हो और मुझे साधना में पूर्ण सफलता
प्राप्त हो | भगवान् विष्णु के नाभि में से कमल पुष्प निकला व उसी से ब्रह्मा की
उत्पत्ति मानी जाती है, अतः इस साधना में कमल बीज का महत्त्व अत्यधिक बढ़ जाता है |
श्री विष्णु बीज मन्त्र-
|| ॐ श्री अनंताय नमः ||
यह बीज मन्त्र अत्यधिक शक्ति युक्त है |
यदि साधक नियमित रूप से इस मन्त्र का जप करे तो निश्चित रूप से सभी सुखों की
प्राप्ति होती है, केवल भौतिक ही नहीं अपितु अध्यात्मिक दृष्टि से भी मानसिक स्तर
अत्यंत उच्च हो जाता है| जो साधक कुण्डलिनी जागरण की दिशा में साधना कर रहे है उन्हें
भी अवश्य ही इस मन्त्र का जप करना चाहिए |
सर्व प्रथम साधक ताम्बे के पात्र में
जल लेकर अपने दाहिने हाथ से जल का छिडकाव अपने शरीर व अपने आसन तथा चारो दिशाओं
में करें, उसके बाद घी का दीपक लगा दे तथा दूसरी ओर अगरबत्ती भी लगा दें |
तत्पश्चात जैसा की ऊपर दिया गया है गुरु व गणपति पूजन संपन्न करें व संकल्प करें
यह पूजन साधक सुखासन अथवा पद्मासन में
बैठ कर संपन्न करे तो अत्यंत श्रेष्ट होगा, सर्प्रथम साधक एक पात्र में १०८ कमल
बीज पहले ही रख ले | प्रत्येक कमल बीज एक बाज मन्त्र का जप करने के पश्चात अपने सर
के ऊपर फेरे, तथा श्री यंत्र के सामने अर्पित कर दें, यह क्रम पूरी एक माला अर्थात
१०८ बार होना चाहिए |
इस पूजन के पश्चात साधक स्फटिक माला से बीज
मन्त्र की उसी स्थान पर बैठे बैठे ग्यारह मालाओं का जप अवश्य करें उसके पश्चात ही
अपना स्थान छोड़े, तत्पश्चात श्री विष्णु आरती अपने पूरे परिवार सहित करें |
विशेष यह है की साधक इस विशेष दिन निराहार रहे, केवल फल अथवा दूध ही ग्रहण
करें |
इच्छित कामना पूर्ती प्रयोग-
यदि साधक इस दिन ऊपर दिए गए पूरे साधना
क्रम को निभाते हुए यदि श्वेत पुष्प में लपेट कर १०८ कमल बीज अर्पित करते हुए
निम्न लिखित बीज मन्त्र का जप करे तो उसके कोई विशिष्ट अपूर्ण इच्छा अवश्य ही
पूर्ण होती है-
|| ॐ क्लीं ऋषिकेशाय नमः ||
इस मन्त्र में क्लीं शब्द का अत्यंत
महत्त्व है, यह क्रम २१ दिन तक संपन्न करना चाहिए |
इस साधना में साधक एक पात्र में कुछ घी
और कुछ काली मिर्च रख लें, तथा “ॐ नारायणाय नमः” मन्त्र की ११ मालाएं जप करने के
पश्चात शुद्ध घी को ग्रहण करे, साधक को वचन सिद्धि, बुद्धि वृद्धि प्राप्त होती
है, इस मन्त्र का जप तो प्रत्येक साधक को जब भी समय मिले अवश्य ही करना चाहिए |
सदगुरुदेव प्रदत्त ये साधना वैसे तो अनंत
चतुर्दशी के मुहूर्त पर की जाती हैं किन्तु अधिक मास के शुभ दिनों में भी इस साधना
को समपन्न करें और सबसे बड़ी बात है कि इन दिनों आप सब नारायण के दिवस की विशेष साधना
में भी लगे हुए अतः फल तो द्वीगुना हो सकता है (यदि कर रहें तो) , शेष नारायण कृपा
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रजनी निखिल
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