Thursday, March 31, 2011

NAVRATRI -SADHNA,PRAYOG



  नवरात्रि पर्व अपने आप में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण पर्व हे. शक्ति साधनाओ के लिए नवरात्रि अत्यंत ही उपयुक्त समय होता हे. कई महत्वपूर्ण साधनाए इस समय में करी जाती है और देवी शक्ति इस समय में अत्यंत चैतन्य होने से साधनाओ में सफलता प्राप्ति सहज ही संभव होती हे. माँ पराम्बा के कई रूप इस ब्रम्हांड को गतिशील बनाये रखते हे और नवरात्रि उनका प्रिय समय होता है यूँ नवरात्री के ९ दिन में शक्ति सबंधित साधनाए करना सौभाग्य ही कहा जा सकता हे. महाविद्याओ की साधना के लिए भी यह समय श्रेष्ठ होता हे. यु इस समय में देवी साधनाओ के कुछ विशेष प्रयोग भी हे जिन्हें अगर किया जाए तो सफलता की संभावना अत्यंत ही बढ़ जाती हे.

श्री प्राप्ति भुवनेश्वरी प्रयोग:

अपने सामने श्री भुवनेश्वरी की तस्वीर रखे और सामान्य पूजन करे. श्री माँ को श्रद्धा से वंदन कर के निम्न मंत्र का जाप ५१ माला करे और संभव हो तो जाप समाप्ति के बाद १०१ आहुतियाँ शुद्ध घी से प्रदान करे. इसमे स्फटिक माला का ही उपयोग करे.

मंत्र : श्रीं ह्रीं श्रीं

यह प्रयोग एक दिन का ही हे लेकिन अगर साधक साधक इसे पुरे ९ दिन तक करले तो सभी दिशाओ से पूर्ण सफलता प्राप्त होती हे. यह प्रयोग रातको १० बजे के बाद करे. जिसमे वस्त्र और आसान श्वेत हो, उतर या पूर्व दिशा और मुख हो. इस साधना को सम्प्पन करते ही साधक के सामने आय के नए स्त्रोत खुलने लगते हे, रुके हुए काम शुरू हो जाते हे और श्री माँ की कृपा द्रष्टि से वह भौतिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर सफलता प्राप्त करता रहता हे.
  
बाधा निवारक चंडिका प्रयोग:

यह प्रयोग रात्रि में १२ बजे के बाद शुरू करे. इसमे आसान और वस्त्र लाल रहे. चंडिका देवी की तस्वीर के सामने सरसों के तेल का दीपक लगाये और पूजन करे, पूजन में कुंकुम का उपयोग होना ही चाहिए. इसके बाद काली हकीक माला से निम्न मंत्र की ३१ माला मंत्र जाप करे. इसमे दक्षिण की तरफ मुख करके बैठना चाहिए.

मंत्र : ओम चंडिके फूं

जाप समाप्ति पर सरसों से १०१ आहुतिया सरसों से ही दे. इसे कम से कम ३ रात्रि करना हे.
यह प्रयोग अत्यंत ही महत्वपूर्ण हे इससे घरमे रुकी हुयी बाधाओ का नाश होता हे, चाहे वह शत्रु बाधा हो, तंत्र प्रयोग बाधा हो, या घर में प्रेत बाधा हो या कोई अन्य ही, सभी प्रकार से यह प्रयोग आपकी रक्षा करेगा और व हमेशा ही विजय की प्राप्ति करता रहेगा.
  
देवी कृपा प्राप्ति हेतु चामुंडा प्रयोग

इस साधना को रात्रि में १० बजे के बाद शुरू करे, इसमे २ सुपारी को ले एक को काजल से पूत दे और दूसरी को सिन्दूर से. दोनों को इस तरह स्थापित करना हे की वह एक दूसरे से स्पर्श करती रहे और जुडी रहे. यह देवी चामुंडा के दोनों रूपों का प्रतिक हे. इन का पूजन करे और इसके बाद चामुंडा मूल मंत्र का ५१ माला जाप करे. इसे स्फटिक माला या किसी भी माला से जाप किया जा सकता हे. इसमे वस्त्र और आसान लाल रहे. दिशा पूर्व रहे.

मंत्र: ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे

यह प्रयोग कमसे कम ५ दिन तक करते रहना चाहिए और किसी भी स्थिति में डरना नहीं चाहिए, यूँ इस साधना को साहसिक व्यक्ति ही सम्प्पन करे तो ज्यादा उपयुक्त हे.
अगर योग्य रूप से इस साधना को किया जाये तो देवी ५ दिन में बिम्बात्मक रूप में दर्शन देती ही हे और देविक की कृपा बनी रहती हे.


सभी प्रयोगों में एक समय हल्का भोजन, भूमि शयन, ब्रम्हचर्यव्रत का पालन, यथा संभव कम वार्ता लाप का पालन करे. घर में चप्पल न पहने और चमड़े का स्पर्श न करे. देवी को नित्य ताजे फल का भोग लगाये.
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The navratri time is one if the very important face of time. The time period of navaratri is very suitable for sadhanas of Shakti. So many important sadhanas are done at this time and the power of Shakti remains awaken in this time so the surety to gain success increases more for sadhana in this time. So many forms of Mother Paramba incorporates to run this universe and navratri is most favorite time of her thus to do sadhanas in 9 days of navaratri is fortune only. This is even suitable time for mahavidhya sadhanas. This way, there are some sadhanas of Devi, if done in this time period; the percentage to have success is more.

Bhuvaneshwari Prayog to attend wealth:

Place picture of Shri Bhuvaneshwari infront of you and do poojan. Then with devotion bow down to her and chant the rosaries of following mantra. If possible give 101 aahutis of pure ghee with the same mantra. Sfatik rosary should be used for mantra chanting.

Mantra : Sreem Hreem Shreem

This is one day prayog but if sadhak continues it for nine days then the total success could be gain from all the directions. The ritual should be done after 10 pm in night. The cloth and aasan should be white; the direction should be north or east. After completion of this sadhana, new ways for wealth generation start being open, the pending works get done and with the blessing of the mother he get success in material as well as in spiritual field.

Barrier preventing Chandika Prayog:
  
This ritual should be start after 12am in night. The cloths and aasan should be red. In front of devi chandika’s picture light a lamp of mustard oil and doo poojan. The use of  Kumkum is must in poojan.  After that with black hakeek rosary chant 31 rounds of following mantra. One should sit facing South direction.

Mantra : aum Chandike Foom

After the mantra chanting give 101 aahutis with mustards. The process should continue till 3 nights.
This is one of the very important prayog which prevent from barriers what ever it may be enemies, tantra prayog, or any phantom problem or whatever else, this sadhana saves you from all danger and always let you win in every such situations.

For the divine grace of Devi, Chamunda Prayog

The sadhana should be start after 10pm, take 2 betel nuts. Apply soot on one and on apply vermillion on other. Place those in such a way that they stay touching each other side by side and stay connected. This is form of devi chamunda’s 2 forms. Do poojan and after that chant 51 rosaries of following mantra with sfatik rosary. The cloth and aasan should be red and the direction should be east.

Mantra: aeim hreem kleem chamundayai vichche

The prayog should be done for atleast 5 nights and one should not fear in any situation during sadhana. This way, if the sadhana is done in right manner, in 5 days devi will give sight in form and for the rest of life the blessings of devi remains on the sadhak.

In all these prayogs, one time light food, sleeping down on the ground, Bramachary, and less speaking should be followed. Do not wear footwear in house and do not touch any thing made of leather.
  
(वसंत नवरात्रि दिनांक ४ अप्रैल से शुरू हो रही हे)
(Vasant navaratri is starting from 4th of the April.)

****NPRU****

Tuesday, March 29, 2011

Swapn Evam Agyat Bhay nashak Hanuman Prayog



         If someone is getting a scary nightmares, bad dreams, if some unknown fear is rising in the mind, or if there is anyshort of dipression, there is very usefull process which can vanish all these effects.

Before sleeping, chant the following mantra on bad only, either sitting on bad or lying. Could be done facing any direction. There is no dresscode or No rosery is needed. Do chant following mantra 108 times. You can do fingure counting.

Before and after doing mantra do meditate lord hanumaan and pray in mind.

Mantra:


anjanigarbhshambhutay kapindrosarvottam
ram priy namastubhyam
hanumant raksh raksh sarvadaa


अँजनिगर्भशँभुताय कपिन्द्रोसर्वोतम
रामप्रियनमस्तुभ्यँ हनुमँत रक्ष रक्ष सर्वदा


by doing it 1 day only, the results could be gain. but if one wishes, process could be continue for as long days as they will
.


****NPRU****

Wednesday, March 16, 2011

Sadhana main safalta - unconditionbal completre surrender ship




समर्पण  शब्द  जितना आसान  हैं उतना ही कठिन भावार्थ अपने आप में लिया हुआ शब्द हैं  यूं कहूँ की  सारा  आध्यात्म  इस शब्द  की डोर पकड़कर खड़ा हुआ हैं .  हम कहते हैं सदगुरुदेव  भगवान आपको जीवन समर्पित  हैं अब  आपकी आज्ञा सर्वोपरि  ,पर अगले ही क्षण हम खड़े होकर....  , क्या सोचते हैं क्या बोलतेहैं ...
   तन , मन धन सब आपको समर्पण , आपका ही  हैं सदगुरुदेव  पर पर  जिन्होंने भी इस शब्द को समझा , उसकी गहराई  को आत्मसात किया  वे तो   उनके ही हो गए , पर जो वहां बैठ कर भी अपनी दुकान चलने का प्रयास करते रहे , व्यक्तिगत हानि लाभ देखते रहे आज भी  अपने उन क्षणों को याद करते पछताते होंगे , कि हम पहचान नहीं पाए या  अभी भी व्यतिगत  अहंकार कम  नहीं हुआ हैं .
 ये तो बहुतही विचारणीय तथ्य  हैं, की लोग तो पास रह कर भी न जान पाए ओर कही दूर दराज का व्यक्ति   उन्हें अपने ह्रदय में स्थापित  कर गया , मानलो उसने सदगुरुदेव का एक अंश का अंशांश  ही सही उतरा ,  पर  उनका  क्या अंशश भी हमारे लिए अनन्त गुना  नहीं होगा  . 
 शास्त्रों में  स्पष्ट  हैं की  बिना प्रतिदान /गुरुदाक्षिना के  ठोस उप्लबधियाँ  लगभग  असंभव  ही हैं . आज के समय में किसके पास  समय हैं की वह जा कर गुरुसेवा कर सके , ओर वैसे  भी,  न कभी सदगुरुदेव जी को न ही गुरु त्रिमूर्ति  को इस प्रकार  की दिखावटी  गुरु भक्ति चाहिए , पर मुह से गुरुदेव  गुरुदेव कहना आसान   हैं , पर भला उनसे कुछ छुप सकता हैं ,
 जो भी छल कपट आप करोगे वही तो हज़ार गुना होकर आपके पास वापिस आएगा ,क्योंकि वास्तव मैं आपने यही तो दिया हैं उन्हें , गुरु तो केबल आपके प्रेम /स्नेह  के लिए बैठे हैं , हाँ आपके अन्दर का विष  आपको  बिना बताये  पीते जाते हैं ..
 एक शिष्य तो जीवन पर्यंत शिष्य ही रहता हैं , वह तो अपने सदगुरुदेव को केबल ओर  केबल चकोर की भांति देखता रहता हैं , वही उसका सब कुछ होते हैं पिता भी, माता भी , दोस्त भी ,सभी  कुछ .
 हम सभी कुछ पल के लिए देखें की सच  में  उनसे स्नेह का की परिणाम निकलता हैं क्या हज़ार गुना हम ओर स्नेहित ना होगे ,. हम एक कदम उनके ओर चलेंगे  , सदगुरुदेव हज़ार कदम हमारी ओर चलेंगे , कभी सच  में एक पल के लिए भी व्यावसायिक बुद्धि को हटा के देखे.  वे हर समय केबल ओर केबल  हमारा स्नेह चाहते हैं .. ..चाहते हैं की हम उस गरिमा को समझे की हम किनके शिष्य हैं, की हमारी भावभूमि कैसी होना चाहिए , कैसा हो हमारा  व्यक्तिव ओर आचरण, ओर जब ऐसा होगा तो स्वयं ही  सद   गुरुदेव हमारे ह्राद्यासन  में बैठे मुस्कुरा रहे होंगे ,
 ध्यान रहे सदगुरुदेव  भगवान् के निखिल स्वरुप को  किसी भी काम या  कार्य के लिए किसी भी शिष्य की कोई जरुरत नहीं हैं, उनके पलको के इशारे मात्र से सब हो जायेगा  , हम सभी सामर्थ्यवान  नहीं ,सक्षम  शिष्य  बने ,एक बार उनसे कहें की भगवान  जो था जो हैं वह आप तो जानते ही हैं, पर अब कम से कम  से कम तो मुझे   निर्देशित करे हमे सच्चा समर्पण दे  , ओर वे क्यों न आपकी पुकार पर वे भागे  आयेंगे ,
 वैसे उन्हें आना भी क्या हैं वे तो पल पल से हमारे  ह्रदय मैं ही हैं , बस हमने उन्हें ...... .... हम एक बार यदि  पुकार  सके ........
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 complete surrender  without any pre condition . or unconditional is very simple  word seems to us, but it contails almost all the branches of spirituality .we used to say that sadgurudev this whole life is yours , and whatever your wish, is a instriction to us.. but after getting diksha  what we are doing.... have we ever thought what we are trying to say  and what we do..
 mind ,soul and body this is all offered at sadgurudev divine lotus feet but those lucky one who understand the term become complete and be one with sadgurudev ji, those one, who are building their own ego and doiing to fulfill  thir own agenda that  still be very sorry to see that what they did. or still not recognise than .. its ok.
 this is very important fact that the person who was in sadgurudev  sevices not able to regnise but a person coming from far land , able to regnise him in sec , able  to have sadgurudev in his heart and suppose he is only  able to have millionth part of  the sadgurudev blessing  but that will not be million times of his desire/expectation .what you thinkthe holy books are unnanimously agreed on a point that without giving the dikshina / offering  , fruitful  result is almost impossible., who has the time in modern  era to do guru seva , it s not necessary that each time seva means physical work only. neither sadgurudev nor gurudev trimurti has ever needed  this type of ego filled sewa / our so called gurusewa.,
 wharever  cheating,stealing disobeyance  you do with your guru , that will itself return to you  thousand times  greater, since this is ,the your offering to his divine lotus feet to your own selfish way.sadgurudev is here just for your love , and its very true that  your so called poison he continously  drink why , is because he is our sadgurudev  not only shiv /shankar but he more than that.
 just for some moment , go for what is reat love to our sadgurudev , and you yourself see the result,  you can be not beneficial thousand times more love in return.. if we move simgle step towards him, he will move thousand steps towards us. in true sense ,ever  see him , just set aside our so called professional  wisdom, what he want  from us. , actually nothing,  he need to find , only our  unconditional love is needed from our side.  he wants to understand  the glory and respect of , whom we have taken diksha and became a shishy, wants  what should be our bhav bhumi (mantal attitude )  , what should be our day to days  of behaving  that show that we are his true representives  not just as a  follower. and when this happens we find that sadgurudev  ji is already seated and smiling  in our heart. 
 this must be always remember that  sadgurudev ji never ever needed any of his shishy help  towards fulfilling his dream, whatever not aleardy achieved  to him, within a sec even just moving to his eye brow ,everything automatically  happened., we donot want to be a shishy of having something but became a true aatamansh of him.one can say to him , that oh my lord its not mine lets yourwish  should be done .whatever things we have ,i offer to you, our weakness,inability, sin ,cheating nothing is hidden from youreyes , but still i am yours your own child  . guide me direct me, give us the true complete surrender ship without any pre condition , and why not sadgurudev listen to you.
 is this makes sense that he need to come to us , no no .. he is already in our heart/soul /chitt  in prana only we have to realise that...... and call him once with full.....
****ANURAG SINGH****

Monday, March 14, 2011

e mag released march issue relesed





प्रिय मित्रो , 
लीजिये प्रतीक्षा की घडी समाप्त हुए , तंत्र कौमुदी का Third issue लेकर हम आपके सामने आ गए हैं और हमने आपको भेजना प्रारंभ करदिया हैं , अब हमारी प्रतीक्षा की घडी प्रारंभ हुई की आपको कैसा लगा येमहाविशेषांक ? क्या हमारा श्रम सार्थक हुआ ?,
 हम सभी पूरी कोशिश कर रहे हैं की आपके पास जल्द ही ये तंत्र कौमुदी का Third   issue पहुँच जाये ,कुछ तकनीकी कारणों से यदि आपके पास आज  रात्रि तक ये प्राप्त न हो पाए तो मुझे मेल से सूचित करे . nikhilalchemy2@yahoo.com 



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Dear Friends , 
now your wait is over Tantra Kaumudi third issue Mar 2011 is released, and our wait for response regarding this issue , is started . how do you like this issue ? is our hard work make this e mag. Up to your expectation ? 
We all are here doing our best so that this issue reach on time(today itself) to you but due to some technical difficulty if this nor reach you till the evening time of tomorrow means 14.2.2011 than do send me mail on this e mail id…nikhilalchemy2@yahoo.com 

Smile

****ANURAG SINGH****

Saturday, March 12, 2011

Tantra Vijay : Sampurna Grah Sukh Shanti prapti Ganpati Prayog




शास्त्रों  में  जीवन  का पहला सुख  निरोगी  काया  दूसरा सुख घरमें हो माया  तीसरी  हो घर में सुलक्षणा नारी बताया गया हैं .ये तो जीवन के आधार  हैं , अब यहाँ कोई ये प्रश्न  भी रख सकता हैं की सुलक्ष्ण  पुरुष   भी   क्यों न हो ,यह तो सच  ही  बात हैं की हम अपनी अपेक्षा अपने साथी में सारे  गुण देखना  चाहते हैं ही . एक ऐसा जीवन  जिसमें यदि ये तीनो  सुख किसी को मिले  तो उस गृह  के सामने  इन्द्र  के राज भवन   भी  तुक्छ  हैं.
 पर आज के जीवन की तेज भाग दौड़ में  किसके पास समय हैं  की वह किसी दुसरे को समझे ,सभी तो यही राग  गा रहे हैं की कोई तो हमें समझे प्रेम /स्नेह की  मूल भुत  आधार को हम भूल गए हैं की   जब कोई  हमारा नहीं हो पा रहा हैं तो हम ही उसके हो जाये , पर  साधारण  बाते  ही   बहुत  ही असाधारण होती हैं.
    घरमें  माता पिता दादा दादी  के साथ  जब नाती पोते भी हो  और आपके जीवन साथी के साथ  आपके ह्रदय से,मन से सीधे  सम्बन्ध हो तो मानो आप ने इन्द्र पूरी  को ही इस धरती पर  साक्षात् कर लिया  हैं .पर हम जान कर भी कभी कभी  अपना पक्ष नहीं  रख  पाते  हैं. ओर घर में  उतना स्नेहयुक्त  वातावरण नहीं बना पाते  जितना हम चाहते , कभी तो हम अपने को  तो कभी अपने जीवन साथी को दोष देते हैं . यह माना की  दो व्यक्ति  एक जैसे नहीं हो सकते हैं विचारों में  एक रूपता  नहीं होना एक साधारण बात हैं . पर स्नेह  /प्रेम /शांति के लिए  जो बाते ,सब में उभयनिष्ट  हो उनकी बाते करे, ना कि व्यक्ति विशेष के अव गुणों को आधार बनाया  जाये. 
 पर किसी किस को आप समझाए ,घरमें दस व्यक्ति हैं तो सभी अलग अलग अलग दस दिशाओं में  जा रहे हैं ,  तो क्या साधना कोई ऐसा भी रास्ता सामने रखती हैं जहाँ पर  येभी संभव   हो जाये,????
 क्यों नहीं ,
 साधना क्षेत्र के महारथी, महा पांडित्य  युक्त व्यक्तिवों  से यह छुपा नहीं  हैं, ओर उन्होंने इस बात को न केबल समझा बल्कि समझाया  की आपसी स्नेह .प्रेम के लिए तो आधार तो  साधना ही बनेगी , ओर जब बात  स्नेहाधर  की हो तो  समस्त विघ्नों  के हर्ता भगवान् गणेश के सम्पूर्ण वरदायक स्वरुप को कैसे  भूल  सकते हैं . उनके वरद हस्त  में ही वह क्षमता हैं की  साधक  हर दृष्टी से परिपूर्ण हो सके.
 इस साधना को घर का कोई भी व्यक्ति या  सभी कर सकता हैं. इस प्रयोग को किसी भी महीने की शुक्लपक्ष के रविवार को किया जाता हैं साधक के लिए उत्तम रहता हैं की वह मंत्र सिद्ध प्राणप्रतिष्ठित श्वेतार्क गणपति को प्राप्त करले. अगर श्वेतार्क गणपति उपलब्ध न हो सके तो किसी भी प्रकार की गणपति प्रतिमा को इस प्रयोग में स्थान दिया जा सकता हैं.
 साधना के दिन सुबह ही गणपति की प्रतिमा को पूजा स्थान में स्थापित करे उसके दोनों तरफ एक एक सुपारी रखदे, ये रिद्धि एवं सिद्धि का  प्रतीक हैं. गणपति एवं रिद्धि सिद्धि का पूजन करे और प्रतिमा को सिन्दूर चढ़ाये. इसके बाद लड्डू का भोग लगाये. स्नान के बाद श्वेत वस्त्र धारण करे. फिर निम्न मंत्र की २१ माला मन्त्र जाप हो, मंत्र जप के लिए किसी भी माला का उपयोग किया जा सकता हैं, स्फटिक माला उत्तम रहती हैं.

  महागणपति सुख सौभाग्यं वृद्धिम मनोकुलम देहि देहि नमः

मंत्र जप के बाद भगवान गणपति से प्रार्थना करे और सभी सदस्यों को प्रसाद का वितरण करे. यह प्रयोग अगले रविवार तक करे. इस साधना में ध्यान रखने योग्य तथ्य यह हैं की साधना के दरम्यान अज्ञात आशंकाओ को दूर रखे और मन में शुद्ध भाव बनाये रखे, यही चिंतन बना रहे की भगवान गणपति की कृपा से परिस्थितिया अनुकूल हो कर सुख एवं सौभाग्य की वृद्धि हो रही हैं, इस भावभूमि पर भगवान गणपति विशेष प्रसन्न  होते हैं.
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In  the holy books this is clearly  mentioned that  there are some basic  such /happiness that one should have in this world in order to consider  happy like  first one is having healthy body secondly   having enough finance thirdly  have  wife having all the good quality. But some one also  can raise ,raise question that why not well all good quality holder husband. Its true that we all expect without  understanding the limit except all the good quality  from our partner he or she as the case may be. In a life if some one get  all the three mentioned happiness/such than his  house is much more valuable than compare to heaven king indra home.

 In today’s life is so fast , no one has time to  understand others ,everyone is raising question that he/she will understand him/her first , what is basic thing in any sneh/love relation is that if we are not able to    get other than why not be  of other .common things are very uncommon.
When in any home  grand father grand mother and along with that grand children are also there  and if you have  very close relation through  the heart to your life partner than  it is like that heaven comes on the earth.

Sometimes even on knowing  this facts we are not successful to have such a lovable  environment in our home than either we blame  ourself or balme  our life partner., yes it is acceptable thing/facts  is that no  two person in this world will be alike, and same is applicable on their mental  attitude , what we can  do is to get some common point and start work to create such a material heaven all round us as much as possible.

But how many people  in your home are ready to listen ,even on listing you that  they really going to change their life. Who knows??

 so it is sadhana also can provide remedy on this problem

Why not.

 The great scholars of tantra field  not unaware of this fact  they teach  and thought the lesion on this  that sadhana will provide the basic foundation on this. And when we want o create  the internal mutual sneh/love in among all the family member than who other than Bhagvaan Ganesh can be rescue to us, his ever blessing everyone is sought. His blessing can fulfill all the wish of his sadhak and sadhak can have completeness in all round.

Every one  can do this prayog means anyone among the member of the family can do this prayog. This prayog can be started on Sunday of bright light period of moon(shukla paksh) it would be much better if sadhak can have swetark ganapati. And that too have  mantra siddha  with prana pratishthit. If this type of Ganesh is not available than without any doubt take any Ganesh chitra (photograph) or statute(murti)  of him. 

 On the day of the sadhana installed/sthapit   Ganesh statue in your home and place one, one betel nut both side of statue  theses represent riddhi and siddhi .than have a poojan of three statue , offer sindur to Ganesh ji. Offer laddhu as a naivaidya . have bath and after that wear white dhoti. Do chant 21 round of rosary  with any mala you have. Sphtik mala is the best.

Om mahaganpati sukh soubhagyam vriddhim manokulam dehi dehi namah.

After completing the mantra jap  do the prayer to Bhagvaan Ganesh and distribute the Prasad offer to him amongst the family member . do continue this prayog till the next Sunday continuously. Not to have worry during  the sadhana kaal of any unforeseen bad  event , and  get be pure in this period. Have a faith that Bhagvaan Ganesh blessing creating suitable atmosphere in your home and this attitude  is very likable to bhagvaan Ganesh

****RAGHUNATH NIKHIL****