भारतीय साधना या यूँ कहे तो साधना जगत में कुछ ऐसे ज्ञान की दृष्टी से आयाम हैं जिन पर एक आदमी तो क्या समाज के उच्च संभ्रांत वर्ग के व्यक्ति भी विस्वास नहीं कर पायेगें /या करते हैं , उसे मन गढ़ंत या कपोल कल्पना ही मानते हैंओर अभी तक आये भी हैं .पर केबल "प्रत्यक्ष किं प्रमाणं " की अबधारणा के आधार पर तो ये अत्यंत गोपनीय उच्च रहस्य केबल इसलिए तो दिखाए जा सकते कि कोई कहता हैं की में नहीं मानता .व्यक्ति को अपनी योग्यता, स्वयं सिद्ध करनी पढ़ती हैं /या पड़ेगी केबल ये कहने मात्र की में नहीं मानता से तो जीवन में कुछ उपलब्ध खास कर इन विषयों का नहीं हो पायेगा .
हमारे साधनात्मक ग्रन्थ ही नहीं अनेको पवित्र किताबो में अनेको लोक लोकांतर ,आयामों कि चर्चा बार बार आई हैं जैसे भुवः लोक, जन लोक , सत्यम लोक . तप लोक ओर इनके साथ अनेक ऐसे लोकों के नाम भिलागातार आते रहे हैं जैसे गन्धर्व लोक , यक्ष लोक , , पित्र लोक देव लोक ओर इन सभी कि इस द्रश्य/अद्रश्य ब्रम्हांड में उपस्थिति हैं ही . मानव त्रि आयामात्मक हैं वही इनमेंसे अनके लोक या उनमें निवासरत व्यक्तित्व द्वि आयामात्मक हैं इस तथ्य का कोई सत्यता या प्रमाण हैं क्या ?सबसे साधरण तह तो हम सोचे कि हमारे पूर्वजो को यह सब लिख कर क्या फायदा होना था , क्या वे हमें दिग्भ्रमित करना चाहते थे( उन्हें इससे क्या लाभ होता ), क्या उन्हें कोई रोयल्टी मिल रही थी कि चलो लिख दो . ऐसा कुछ भी नहीं हैं यह तो महरी सोच ही पंगु हो गयी हैं इस कारण हम हर चीज /तथ्य कि सत्यता का प्रमाण मांगते रहते हैं.महानतम अमर योगी पूज्य महाव्तार बाबाजी जी , परमहंस योगनान्दजी कि विश्व विख्यात कृति में कहते हैं कि "देख कर तो कोई भी मान लेगा , धन्य हैं वह जो बिना देखे मान लेता हैं " यहाँ पर वे अविज्ञानिक होने को नहीं कह रहे हैं , पर एक दम प्रारंभ में तो ऐसा कर ना पड़ेगा ही . हम मेसे से अनेक गणित के प्रश्न हल करते हैं ही उसमे तो पहली लाइन होती हैं कि मानलो ये वस्तु कि कीमत बराबर x हैं तो .... जब कि हम सभी जानते हैं वह वस्तु कि कीमत , बराबर x कभी नहीं होता हैं ,पर अगर ये भी ना मने तो वह प्रश्न हल कैसे हो ..
ये सभी लोक (यक्ष लोक ) भी हमारे बहुत पास हैं यु कहे तो हमारे साथ ही साथ खड़ा हैं बस आयाम अलग हैं दुसरे अन्थो में कहे तो "यथा पिंडे तथा ब्रम्हांड " कि अब धारणा के हिसाब से तो हमारे अन्दर ही हैं . ऐसे अनेको उदहारण यदा कदा पाए गए हैं जब किसी अगोचर प्राणी या व्यक्ति ने अचानक मदद की हैं ,अब इस तथ्य के प्रमाण के बारेमें तो उसी से पूछिए ,हर अंतर्मन की बातों का कोई प्रमाण तो नहीं हैं . वास्तव में यक्ष या यक्षिणी एक शापित देव/देवी हैं जो किसी गलती या अपराध के कारण इस योनी में आ गए हैं ओर जब तक वे एक निश्चित संख्या में मानव लोक के निवास रत व्यक्तियों की मदद /सहायता न कर ले, वे इस से मुक्त नहीं हो सकते हैं .
इन्हें भूत प्रेत पिशाच वर्ग के समकक्ष न माने , ओर वैसे भी भूत प्रेत डरावने नहीं होते हैं इन वर्गों ओर लोकों के बारे में एक तो हमारा चिंतन स्वथ्य नहीं हैं साथ ही साथ हमारा स्वानुभूत ज्ञान भी इस ओर नगण्य हैं , जो भी या जिसे भी हम ज्ञान मानते आये हैं वह रटी रटाई विद्या हैं उसमें हमारा स्वानुभूत ज्ञान कहाँ हैं , तीसरा , जो मन में बाल्यकाल से भय बिठा दिया गया हैं वह भी समय समय पर सामने पर सर उठाता ही रहता हैं .हमारा अपनी ही कल्पना हमें भय कम्पित करती रहती हैं
हम में से अधिकाश ने महान रस विज्ञानी नागार्जुन के बारे में तो सुना ही होगा उन्होंने लगभग १२ वर्ष की कठिन साधना से वट यक्षिणी साधना पुर्णतः से संपन्न की ओर पारद/ रस विज्ञानं के अद्भुत रहस्य प्राप्तकर इतिहास में एक अमर व्यक्तित्व रूप में आज भी अमर हैं .(उनकी साधना पद्धिति अलग थी )
ये यक्ष लोक से सबंधित साधनाए अत्यंत सरल हैं इन्हें कोई भी स्त्री या पुरुष , बालक या बालिका आसानी से संपन्न कर करसकता हैं
यक्ष लोक के निवासी अत्यंत ही मनोहारी होते हैं साथ ही साथ वैभव ओर विलास के प्रति उनकी रूचि अधिक होती हैं , हमेशा उत्सव में लें या उत्सवो जहाँ हो रहे हो वहां उपस्थित रहते हैं इसका साधारणतः अर्थ तो यही हैं की माधुर्यता ओर आनंदता इनके मूल में ही समाहित हैं . पर इनकी वेश भूषा हमसे इतनी अधिक मिलती हैं की इन्हें पहचान पाना बेहद कठिन हैं
यह अद्भुत आश्चर्य जनक तथ्य हैं की हर किताब इनके बारेमें एक भय का निर्माण करती हैं ,हमें इसके बारेमें चेतावनी देती हैं ,इन साधनाओ को न किया जाये , करने पर यह या वह होसकता हैं , ओर उस साधक के साथ तो ऐसा ऐसा हुआ . पर परम पूज्य सदगुरुदेव जी ने सारा अपना भौतिक जीवन इन अनेक दिग्भ्रमित ता उत्पन्न करने वाले तथ्यों के बारे में तथा हमें सत्य तथ्यों से अबगत कराया उन्होंने जिस भी प्रकार की कोई भी साधना या यक्षिणी साधना भी ,कोई भी मंत्र, शिविरों में या पत्रिका में या किताबोंमें दिए हैं वह सभी साधक के लिए बेहद सफलता दायक ओर प्रसन्नता प्रदायक रही हैं , जिन्होंने भी इन साधनों में आगे बढ़कर सफलता पाई हैं वे सभी न केबल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र में भी सफलता की चोटी पर लगातार बढ़ते रहे हैं ही .
.हम दीपावली की रात्रि को कुबेर ( यक्ष और यक्षिणीयों के अधिपति हैं ) का पूजन क्यों करते हैं कारण एक दम साफ हैं की वे देवताओं के प्रमुख खजांची माने गएहैं ओर उनकी साधना उपसना से भौतिक सफलता के नए आयाम जीवन में में खुल जाते हैं , यक्षिणी वर्ग नृत्य कला में भी अपना कौशल रखता हैं ओर वे अपने नृत्य के मध्यम से साधक को प्रसन्नचित्त बनाये रखती हैं साथ ही साथ यदि साधक चाहे तो इनसे ये भारतीय संस्कृति की अद्भुत कला विद्याये सीख भी सकता हैं .एक प्रिय मित्र के रूप में आपके साथ हमेशा रह सकती हैं (आपको द्रश्य रूप में दिखाए देती हैं पर अन्य इसे नहीं देख सकते हैं ) साथ ही साथ हम ये तथ्य जान ले की जो भी मानवोत्तर वर्ग हैं वे एक बार आपके मित्र होने पर ,वे धोखा जैसी मानसिक विकारात्मक चीजे जानते ही नहीं हैं
यक्षिणीयां तंत्र की विशेष विधा की न केबल उच्च कोटि की जानकर बल्कि वे उस बिभाग की अधिस्ठार्थी भी होती हैं यदि साधक चाहे तो इनकी सहायता से उस तंत्र के विभाग में अत्याधिक योग्यता ओर उच्चता पाई जा सकती हैं .ओर यह कोई न माने वाली बात नहीं हैं .ओर क्या क्या लिखा जाये इस वर्ग या लोक के बारे में , आप आगे बढिए तो सही फिर इससे भी अद्भुत रहस्य आपके सम्मुख होंगे केबल इन तथ्यों को पढ़ने से तो कुछ नहीं होगा . ये क्या आपकी आध्यात्मिक जिज्ञासा को ढकने का काम तो नहीकर रहा हैं , बल्कि होने तो ये चाहिए की आपमें आगे बढ़ने ओर सिखाने की प्रबल इच्छा ओर जगा दे.
यह लोक भी हमारे साथ ही उपस्थित हैं पर उसका आयाम अलग हैं साधन के माध्यम से आयाम भेद मिट जाता हैं .हमारी आँखों में यह क्षमता जाती हैं की हम इस लोक या अन्य लोकों भी देख सकते हैं , आप के और हम सभी के ऊपर जब हमारे आध्यात्मिक पिता का वरद हस्त हैं तो इस बारेमें बेसिरपैर के तथ्य पर धयान न दे , आप आगे बढे ओर आपको सफलता प्राप्त होगी ही .
Bharitya sadhana or Indian sadhana world have various such a dimension that not only general common masses but people belongs to higher section of the society cannot believe easily. And pratyash kim pranam on the basis of that one cannot say that higher level of secrets will be relived to him is just because he /she cannot trust. One must has to show his eligibity merely I do not believe will not serve the purpose.
There are various other plane or lok has been mentioned on various places in holy text like swas lok , bhu lok , bhvah lok , jan lok, styam lok , tap lok etc and apart from thses well known plane other lok like gandharav lok, yaksh lok , pitar lok etc also exists in this universe. Man is three dimension living things where these are two dimension one. What is the proof of this doctrine, is the simple why so many incidents mentioned in the holy book just because they wanted to miss lead us, or they were in mind of getting any royalty of that, lacking part is our understanding. Greatest sage immortal yogi Mahavtaar babaji tells in Autobiography that” dekh kar to koi bhi biswas karlega , paranti jo bina dekhe biswas karta hain wah sherthey hain “ means when the miracles shown to us than question of non belive does not arise , but that will be most important who without seeing that believe that”
Thses lok(yaksh lok) are very close to us, infacts there are many incident in that they helped us without coming any visible form. Actually yaksh and yakshini are the cursed Devi devta because of that curse they fall from their original position. And till they help certain number of people their cursed will not get removed. So they can be consider cursed devta.
Do not consider them , as bhoot prêt type of varga, infact bhoot prêt are also not fearful , just they are invisible and we do know very little of them and so many base less things already rooted in our mind that’s why we fear them .our own self imagination creates a fears for us. but there is no need to be that like other varga this yaksha varga present .
Who can forget the great Alchemist sage Nagarjun story according to that he devoted 12 complete year for success in vat yakshini sadhana and through that he was able to got very secrets and hidden things of parad vigyan tantra and still immortal one.
They belong to higher level to us. And yet very close to us that’s why their sadhana prove to more fruitful to us , either boy or girl or man or woman.
They inhabitants’ of yaksha are very beautiful and very much interested to much luxury things. Always found of festivals , means happiness are the core of that. On many festival time they are wondering to earth , they seems as like us so recognizing them is very difficult to common persons.
Its very strange that almost every book or text published warn us about the and create fear like thought about them but sadgurudevji whole life teaches us that there is no need to fear of them, whatever the mantra and sadhana till date provided by them always proved very great and helpful for sadhak/shishy. Those who get successful in that not only they reach a height in spirituality but material world too.
On Deepawali we do poojan of kuber why, the king of yaksha and yakshni reason is simple kuber Is the chief accountant of devta. And through his blessing or material prosperity also increases. This yakshini varga is well versed in dancing too, so if one may have desire than he/she can enjoy the classical dancing and can learn the one of the most important aspect of Indian culture. This means as a true friend she will be with you. This also clearly shows that the uchch varga doesn’t know the cheating things once they became friend.
Yakshini also rules certain sect of tantra , and through the help of them one can get mastery or expertise over that, yes theses can be possible too. And what more can be written here , now move ahead and see yourself how much true the things through own eye , how long just reading this type of stuff , cam shade our real will to be successful in this field.
That yaksh look is also exist side by side of us yes the dimension is different , to see that sadhana is must and not to worry of various rumor spread in this connection, our divine father(Sadgurudev ji )assures us than do we still need support of any other words.
****NPRU****