Sunday, June 12, 2011

SABAR TANTRA MAHAVISHANK-NATH JAGAT KI ADBHUT MUDRAAYEN



मुद्रा विज्ञानं के अंतर्गत कई एसी मुद्राओ का अभ्यास होता हे जिससे साधक साधनाओ की उत्च्च्तम स्थिति को प्राप्त कर लेता हे. तंत्र में मुद्रा को एक अत्यधिक आवश्यक अंग माना गया हे, और मुद्राओ का अभ्यास करने वाला साधक तंत्र में तीव्र गति से सफलता प्राप्त कर सकता है. सभी प्रकार की साधनाओ में मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्थान हे और इसी के अंतर्गत मुद्राओ के कई प्रकार हे. शक्तिओ को आकर्षित कर के केन्द्रीभूत करना मुद्राओ मुख्य कार्य है तथा मुद्राओ का आधार पंचतत्वों का नियमन हे. उंगलियां पंचतत्वो की प्रतिनिधि हे व् इनको निर्देशित दिशा में गतिविध करने पर शारीरिक तत्वों में परिवर्तन होने लगता हे जिसका सीधा सम्बन्ध परा जगत से होता है.

मुद्राओ का महत्व सिर्फ मात्र एक तथ्य पर भी जाना जा सकता हे की इन्हें वामाचार के मुख्य पंचमकार में भी यह एक अंग है. यु मुद्राए न सिर्फ आध्यात्मिक वरन भौतिक सफलताओ के लिए भी बराबर महत्व पूर्ण है. नाथ योगियो के मध्य गुप्त रूप से ही सही लेकिन कुछ एसी महत्वपूर्ण मुद्राओ का अभ्यास गुरु मुखी परंपरा से कराया जाता हे की साधक अत्यंत ही सहज प्रयास में वह सब कुछ हासिल कर लेता हे जो उसका अभीष्ट होता है, एसी मुद्राओ का उलेख्ख किसी ग्रन्थ में नहीं किया गया था ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके और योग्यता वां व्यक्तियो को ही मात्र इसका ज्ञान हो सके. नाथ तंत्र दीक्षा के बाद इस प्रकार की मुद्राओ का अभ्यास अत्यंत गुप्त रूप से चुने हुए शिष्यों को कराया जाता है. कई नाथ संप्रदाय के महायोगी सिर्फ मुद्राओ के माध्यम से ही अष्टसिद्धियो को प्राप्त कर चुके हे. पूज्य श्री निखिलेश्वरानंद जी ने अत्यधिक कृपा कर के मुझे कई एसी दुर्लभ मुद्राओ का ज्ञान दिया था. उन मुद्राओ का प्रभाव देख कर चमत्कृत व् दंग रह गया था में. आज उन्ही मुद्राओ में से कुछ मुद्राओ का उल्लेख में आगे कर रहा हू.

दिव्यात्मा आकर्षण मुद्रा:

अंगुष्ठ को मध्यमा अंगुली के निचे स्थापित करे. फिर मध्यम को अंगुष्ठ के ऊपर हथेली तक मोड दे. बाकि तीनों अंगुलिया सीधी रहे. दोनों हाथो में यही क्रिया हो, उसके बाद परस्पर दोनों हाथो को जोड़ दे. यह दिव्यात्मा आकर्षण मुद्रा बनती हे जिससे सिद्ध जगत की दिव्यात्माओ का आकर्षण होता हे. इस मुद्रा को यथा संभव ३० मिनिट तक ब्रम्ह मुहूर्त में और ३० मिनिट सोने से पहले अभ्यास करना चाहिए. इस मुद्रा के अभ्यास से साधक को दिव्यात्मा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप में सहायता प्रदान करती है और साधना का मार्ग प्रसस्त करती है, अगर नियमित रूप से साधनात्मक नियमों के साथ इस मुद्राका साधक ११ दिन तक अभ्यास कर लेता हे तो उसे स्वप्न में दिव्यात्मा का दर्शन सुलभ होता है और साधक उनसे स्वप्नावस्था में साधना सबंधी प्रश्न पूछ सकता हे एवं उनका मार्गदर्शन ले सकता हे.

सिद्धनाथ दंड मुद्रा:

बाये हाथ की सभी अंगुलियों को मोड के हथेली तक लाया जाए. अंगुष्ठ सीधा तना हुआ रहे. अब दायें हाथ की अंगुलिओ से बाये हाथ के अंगुष्ठ को ऊपर से पकड़ा जाए, तथा दाये हाथ का अंगुष्ठ सीधा रहे. इस मुद्रा में दायाँ हाथ ऊपर और बाया हाथ निचे रहेगा. इसे सिद्धनाथ दंड मुद्रा कहते हे. इसका अभ्यास करते वक्त आंखे बांध रहे व् ध्यान नाभि पर रहे. इस मुद्रा का अभ्यास करने वाले साधक की ज्ञानशक्ति अत्यधिक बढ़ जाती हे और उसे सृष्टि के कई गोपनीय रहस्य अपने आप ही समज आने लगते हे, ज्ञान शक्ति बढ़ जाने पर उसे कई विविध प्रकार के चमत्कारिक अनुभव स्वयं ही होने लगते हे और साधना के गोपनीय रहश्य उसके सामने थिरकने लगते हे. स्थायी रूप से इस मुद्रा का अभ्यास करने पर कई सिद्धिया साधक को स्वतः ही प्राप्त हो जाती हे.



मंजरी मुद्रा:

दोनों हाथो तर्जनी अनामिका व् मध्यमा अंगुलीओको हथेली की तरफ मोड दे व् प्रथम अंगुली को एक दम सीधा रखे अंगुष्ठ को सीधा कर दे. अब दोनों हाथो के अंगुष्ठ को एक दूसरे से स्पर्श करने पर मंजरी मुद्रा बनती हे.


इस मुद्रा की जीतनी प्रशंशा की जाए कम है, इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से व्यक्ति का मोह कम हो जाता है, उसमे साधना के प्रति एक आदर भाव उत्प्पन होता हे, साधना के लिए अनुकूल स्थिति उसे प्राप्त होती रहती है, यह मुद्रा आनंद कोष को जागृत करती हे फल स्वरुप साधक चाहे संसार के बाहरी क्रियाकलापों में हो या किसी भी कार्य में हो, अंदर से वो हर पल एक आनंद में डूबा रहता हे और अपने आप में ही खोया हुआ वह प्रकृति से एक कार हो जाता हे. वास्तव में यह मुद्रा अत्यधिक गुप्त हे क्यूंकि योगतंत्र की उच्चतम साधनाओ के लिए जिस प्रकार की भावभूमि साधक में होनी चाहिए यह मुद्रा उसी का ही स्थापन करती है.

There are special practices applied under Mudra science, which lead sadhak to achieve highest levels in Sadhanas. In the tantra, Mudra is believed as one of the very important part, and Sadhaka practicing Mudra can achieve success in tantra with rapid speed. In every kind of sadhana, mudra owns its important place and thus leads various types of the same. To attract powers and centralize them is main work of the Mudra and the base of the Mudra is to control 5 elements. Fingers are representation of 5 elements and to active those in proper direction can lead change in body elements which is directly connected with Trans world.

The importance of Mudra can even be understood with a single fact that it is also part of Panchamakara of Vaam marg. This way, mudras are useful for not only spiritual attainment but for material success even. Though secretly but in nath cult there are few important mudras which are applied for the sadhak to practice with Guru Disciple tradition only leading sadhak achieve his desires in very less efforts. Such mudras are not described in any scriptures so no one can misuse it and only appropriates may only get the knowledge of these mudras. After Nath tantra Diksha only selected disciples receive this knowledge secretly. There are Many Nathyogis who succeeded to receive AshtSiddhi through Mudras only. With extreme please of pujy Nikhileshwaranandji he blessed me with such rare knowledge of Mudras. After watching effect of these Mudras, I was amazed. Today, I am sharing few of them with you, below.

Divyatma Aakarshan Mudra:

Place your thumb under Madhyama finger.  Then the thumb should be folded by Madhyamafinger touching the palm. The rest three fingers should be straight. Same goes for other hand, and then both hands should be joined together. This is Divyatma aakarshan mudra which leads an attraction of Divyatmas. This mudra should be applied to practice for 30 minutes in Bramh Muhurt and 30 minutes before sleeping. Practicing this mudra results into help from Divyatma in Direct/indirect way to sadhak and clears the way of sadhana. If sadhak practices this mudra for 11 days with all the regulations of sadhana that way he receives the blessing of Divyatma in dream and in that condition of dream sadhak may ask question in regard of sadhana and can seek their guidance.

Sidhhnath dand Mudra:

All Fingers of the Left hand should be folded to palm. Thumb should be straight. Now with the fingers of the right hand the thumb of the left hand should be hold and the thumb of the right hand should be straight and up. In this mudra right hand will be on upper side and left hand will be below the right hand. This is called as siddhnath dand Mudra. While practicing this mudra, eyes should remain close and concentration should be on navel. The practitioner of this mudra will get increment in knowledge power, and he becomes capable to understands many secret of this world by himself,  with increasing knowledge power, he witness many mysterious experiences and many secrets of sadhana gets revealed in front of him. If this mudra is permanently placed in practice, it generates self to have so many siddhis.

Manjari Mudra:

The tarjani, anamika and madhyama fingers should be folded in both hands. The first finger should be straight and thumb should even be straight in its own direction. Now both the thumb should be applied for touch. This becomes Manjari Mudra. The words for appreciation are less for this mudra, with practice of this mudra, it lessens the enchantment of person, and the respect toward sadhana starts to flow. Sadhaka starts receiving favorable conditions for sadhana, this mudra activates Anand Kosha thus if sadhak is in whatever material work or task, even though from the inside he will have a joy and being lost within he becomes part of the divine nature. In fact this Mudra is very secret because the platform requires for sadhak to perform high level of yog tantra sadhana, this Mudra prepares the same attributes in sadhak.

****NPRU**** 

2 comments:

  1. Jai Gurudev, bhaiyya apne jo mudra ke baare mein likha hai i cant say what type of happiness i have experienced to know such type of mudras but if video is available to show the mudra i think that will represent the more clearity abt that.

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  2. bhaiya......agr mudra ki pics v ho to bht hi acha hoga smjne me mudra ko

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