सबसे सरल अर्थ तो न्यास का यही हैं की वह प्रक्रिया जिसके माध्यम से सम्बंधित देवी /देवता साधक के शरीर में ही समाहित हो कर उसे सफलता प्रदान करें क्योंकि मित्रता तो सामान स्तर के व्यक्तियों में ही संभव हैं फिर यह देवी /देवता का हमारे शरीर में आवाहन हमें सफलता की दिशा में एक और कदम बढाता हैं . . अधिकांश साधनाओ में यह अंग ओर कर न्यास की सरल प्रक्रिया एक आवश्यक भाग होता हैं . और इस से भी समझना आवश्यक हैं की इसे कैसे सही तरीके से किया जाये . इन के करने के कई तरीके संभव ही सकते हैं पर मैंने एक उच्चस्तरीय साधक को जिस तरह से करते देखा हैं वह आपके सामने हैं जिससे हमारे गुरु भाई / बहिन सभी लाभान्वित हो सके ..
( हम सभी NPRU में , इस बात को अछ्छी तरह से समझ रहे हैं की अनेको बार केबल शब्द ही किसी भी विषय को समझा सकने में सफल नहीं होते . हम जल्द ही प्रयास रत हैं की छोटी छोटी विडियो फिल्म बना कर हम अपनी वेब साईट पर अपलोड कर सके जिससे की इन विषयों को सभी गुरु भाई बहिन देख कर भी अछ्छी तरह से ह्रदय न्गम कर सके किस तरह से इन प्रक्रिया को किया जाना चाहिए .हमारे द्वारा किया गया यह छोटा सा श्रम धीरे धीरे अपनी जगह बनाता जा रहा हैं , आप सभी को इस हेतु ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी ओर न केबल इस विषय से सम्बंधित बल्कि दिव्य जड़ी बूटी उनके बारे में बिस्तार से आवश्यक तथ्य,उपयोगिता , कैसे पहचान की जाये .पारद विज्ञानं के विभिन्न संस्कार से सम्बंधित प्रायोगिक तथ्य , ऐसी अनेको साधनात्मक जगहोंके दृश्य चित्र भी जो आज भी साधको के मध्य अपरिचित हैं , इनके बारे में इनके महत्व के विषय में भी चित्र या फिल्म आपके सामने होगी . हमसभी इस हेतु भी कार्यरत हैं )
अंग न्यास:
अंग न्यास के विषय में सदगुरुदेव जी कहते हैं ... सीधे हाँ के अंगूठे ओर अनामिका अंगुली को आपस में जोड़ ले ओर सम्बंधित मंत्र का उच्चारण करते जाये , शरीर के जिन भागों का नाम लिया जा रहा हैं उन्हें स्पर्श करते हुए यह भावना रखे की वे भाग अधिक शक्तिशाली ओर पवित्र होते जा रहे हैं .
उदहारण
- ॐ ह्रदयाय नमः ----- बतलाई गयी उन्ही दो अंगुली से अपने ह्रदय स्थल को स्पर्श करे
- परम तत्वाय शिरसे स्वाहा ----- अपने सिर को
- नाराणाय शिखाये फट ---- अपनी शिखा को (जोकि सिर के उपरी पिछले भाग में स्थित होती हैं .)
- गुरुभ्यो कवचाय हम --- अपने बाहोंको
- नमः नेत्र त्रयाय वौषट-----अपने आँखों को
- ॐ अस्त्राय फट --- तीनबार ताली बजाये
( यह पर आपके सामने कुछ ओर तथ्य रखना चाहूँगा , हम तीन बार ताली बजाते क्यों है? , हम हमेशा से बहुत सारे क्षुद्र देवी देवता से घिरे रहते हैं .और जो हमेशा से हमारे द्वारा किये जाने वाले मंत्र जप को हमसे छीनते जाते हैं , तो तीन बार सीधे हाँथ की हथेली को सिर के चारो ओर चक्कर लगाये / सिर के चारो तरफ वृत्ताकार में घुमाये , इसे पहले यह देख ले की किस नासिका द्वारा हमारा स्वर चल रहा हैं , यदि सीधे हाँथ की और वाला स्वर चल रहा हैं तब ताली बजाते समय उलटे हाँथ को नीचे रख कर सीधे हाँथ से ताली बजाये . ओर यदि नासिका स्वर उलटे हाथ की और/ लेफ्ट साइड का चल रहा हैं तो सीधे हाँथ की हथेली को नीचे रख कर उलटे/लेफ्ट हाँथ से ताली उस पर बजाये .) इस तरीके से करने पर हमारा मन्त्र जप सुरक्षित रहा हैं ,सभी साधको को इस तथ्य ओर चौर्य न्यास पर तो ध्यान देना ही चाहिए ही
कर न्यास :
इस कर न्यास की प्रक्रिया को समझने से पहले हमें यह समझना हो गा की हम भारतीय किस तरीके से नमस्कार करते हैं इसमें हमारे दोनों हाँथ की हथेली आपस में जुडी रहती हैं साथ हि साथ दोनों हांथो की हर अंगुली ,ठीक अपने कमांक की दुसरे हाँथ अंगुली से जुडी होतीहैं
ठीक इसी तरह से यह न्यास की प्रक्रिया भी....
यहाँ पर हमें जो प्रकिर्या करना हैं वह कम से धीरे धीरे एक पूर्ण नमस्कार तक जाना हैं . मेरा तात्पर्य ये हैं की जव् आप पहली लाइन के मन्त्र का उच्चारण करेंगे तब केबल दोनों हांथो के अंगूठे को आपस में जोड़ देंगे , जब तर्जनीभ्याम वाली लाइन का उच्चारण हो गा तब दोनों हांथी की तर्जनी अंगुली को आपस में जोड़ ले (यहाँ पर ध्यान रखे की अभी भी दोनों अंगूठे के अंतिम सिरे आपस में जुड़े ही रहेंगे , इसके बाद मध्यमाभ्यम वाली लाइन के दौरान हम दोनों हांथो की मध्यमा अंगुली को जोड़ दे, पर यहा भी पहले जुडी हुए अंगुली अभी भी जुडी ही रहेंगी. .. इसी तरह से आगे की लाइन के बारे में क्रमशः करते जाये , ओर अंत में करतल कर वाली लाइन के समय एक हाँथ की हथेली की पृष्ठ भाग को दुसरे हाँथ से स्पर्श करे ओर फिर दूसरी हाँथ के लिए भी यही प्रकिर्या करे .
- ॐ अंगुष्ठ भ्याम नमः ---- दोनों अंगूठो के अंतिम सिरे को आपस में स्पर्श कराये .
- परम तत्वाय तर्जनी भ्याम नमः ---- दोनों तर्जनी अंगुली के अंतिम सिरे को आपस में मिलाये (यहाँ पर अंगूठे मिले ही रहेंगे ),
- नारायणाय मध्यमाभ्याम नमः --- दोनों मध्यमा अंगुली के अंतिम सिरे को आपस में मिलाये (यहाँ पर अंगूठे, तर्जनी मिले ही रहेंगे ),
- गुरुभ्यो अनामिकाभ्याम नमः ----दोनों अनामिका अंगुली के अंतिम सिरे को आपस में मिलाये (यहाँ पर अंगूठे, तर्जनी, मध्यमा मिले हीरहेंगे ),
- नमः कनिष्ठिकाभ्याम नमः ---दोनों कनिष्ठिका अंगुली के अंतिम सिरे को आपस में मिलाये (यहाँ पर अंगूठे, तर्जनी, मध्यमा, अनामिकामिले ही रहेंगे ),
- ॐ करतल कर प्रष्टाभ्याम नमः --- दोनों हांथो की हथेली के पिछले भाग को दूसरी हथेली से स्पर्श करे.
अब आप समझ गए होंगे की सही तरीका इन दोनों न्यास को करने का क्या तरीका हैं . (हम यह जानते हैं आप मेंसे अधिकांस इन दोनों न्यास करने की प्रक्रिया से अवगत होंगे हो , फिर भी नए गुरु भाइयों / बहिनों को दृष्टी गत रखते हुए यह पोस्ट हैं...)हम सभी उस रस्ते पर आगे वाढते जाये जिस पथ पर सदगुरु का आशीर्वाद सदैव हैं ओर अतिम परिणिति उनके दिव्य श्री चरण कमल हैं
आज के लिए बस इतना ही
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The very easy meaning of Nyas , is a process by which the concerned devi / devta be appear in sadhak body so that not only sadhak effort but the concerned devi/devta blessing be available to him so that success can be achieved easily and pre requisite that friend ship between equal is possible can start /takes place . in many of the sadhana this simple procedure is a essential apart , and one must also know how to do that correctly , here there are many ways to do that , but I personally seen a higher level sadhak performing that so for all our guru brother /sister the benefitted here is the process.
( we here in NPRU understand the feeling that many times words alone are not sufficient to understand the subject , so very soon slowly and slowly we are going to add various small video clipping so that not only through word but you can see yourself that how it should have to be done, And our guru brother /sister benefitted by that . our a little hard work are gaining the ground between our friends and like minded well wishers.. You all not have to much wait for this , not only this but various herbs, details , parad vigyan Sanskar details and various secret place that are still hidden from the eyes of a general sadhak will also be part .)
For ang nyas Sadgurudev says that ..
Thumb and anamika figure ( ring finger ) join together of right hand and chant the following mantra , indicating various part of body touch them and have feeling that they are getting stronger and become holier.
Like
· om hrdya namah ------ touch with those two finger to heart
· Param tatvay shirse swaha ---- to head
· Naranay shikhaayai phat --- touch the sikha (means place where pandit used to have long hear top beck portion of head)
· Gurubhyo kavachay hum----- touch the arms
· Namah netra trayay voshat --- touch the eyes
· Om astray phat ----- clap three times your palm.
( here a little bit more detail is needed , why we do that since various kshudra / lesser deity are always present around us and they continuously steal the mantra jap from us , so move your right hand palm three times in around your head, means circle the head and check that wich of the nostril side is running if your breath coming from right side than use the right hand for clapping and left hand is a base for that clapping ( tali ). And if left side breath is going on than use left hand for clapping and right hand for that base.) this must process so that all your mantra jap power lies in you only.)
Kar nyas :
What is the process of kar nyas , now you have to understand first , how we do the namskar (in Indian way), both palm are touching side by side and each figure to the same finger of other hand .
yes the same way
here we have to do but one by one to arrive the full namskar position . here I am means.. while you are saying /chanting first line than touch both hand thumb to each other. When about tarjanishyam means in this position thumb already in touching position but first finger of one hand also join to other hand first hand . than madhyamabhyam means middle finger , now thumb and first finger already joining condition now you have to join both hand middle finger s, I think you understand how to do the repeat the process for rest of the finger. In the last you have to touch one hand palm back with other hand palm .
· om angushthabhyam namah ------ touch both thumb end point with each other
· Param tatvay tarjanibhyam namah---- In addition to above now both first finger’s end point with each other
· Naraynay madhambhyam namah --- In addition to above now both middle finger’s end point with each other
· Gurubhyo anamika bhyam namah----- In addition to above now both ring finger’s end with each other
· Namah kanishthikabhyam --- ----- In addition to above now both little finger’s end point with each other
· Om kartalkar prashthabhyam namah ----- now touch back of each palm with other palm
Now you know what is the ang nyas and kar nyas. And you all are marching with us in the direction of success and divine holy feet of Sadgurudev ji,, may Sadgurudev bless us all to always be on right path .
That’s enough for today…
****NPRU****
Jai Gurudev ,
ReplyDeleteeak request hai blog ya Tantra Kaumudi me jo sadhana ke mantra diya jate hai agar un mantro ka audio file upload kar de to bahut hi aacha ho jisse ham log mantro ka sahi uccharan ka sake .
Regards
Bishwajit
very very special. lazawaab.......
ReplyDeleteSir angnyas karte samay mera dono nasika se swar chal raha tha to astraya phat karte samay taali kaise bajaun? Please reply.traya phat karte samay taali kaise bajaun? Please reply.
ReplyDeletedear rishiraaj ji,
ReplyDeleteswar vigyan ke anusar , jab dono nasika se swar chal raha ho wah samay sadhan ya pooja ke liye hot ahain , jis samay yah isthiti aaye jab aap nyas kar rahe to aap kisi bhi haanth se tali baja sakte hain, raha swal tali kaise bajaye, to post dekhen main ,jis trapf ka swar na chal raha ho wah haanth niche rahega, taha swar chal rahe ki side wala hanth se is niche wale haanth ki hatheli par prahar halke se karna hain .
Smile
Anu
ye sidhe hath aur ulta haath kya hai?
ReplyDeleteI mean which one is right hand(dahina) and which one is left hand (baen hath)?
manjeet bhai , sidha hath matlab right hand and baayan matlab left hand .
ReplyDeletedear bhai om shanti ji, aap blog par hi search kar le kyonki kai baar ham yah de chuke hain kikaise yah e mag download ki ja sakati hain ya meri request hain ki aap facebook nikhil-alchemy group join kar le whan par kahin jyada asani se yah aap ki quesry solve ho jayengi .
harshal bhai, yah shamshan ka prayog hain to wahi par hoga , aur nikhil kavach to sarv shrethh hain . rakshatmak vidhan ke liye ..
smile
Anu