Friday, July 29, 2011

MAHAVIDYA RAHASYAM-MAA MAATANGI RAHASYAM-1


अनेको अज्ञात  रहस्यों को  यह  साधना  जगत  समाये  हुए हैंजितना  जानते  जाये उतनी ही हमें अपनी क्षुद्रता पता चलती हैं कभी राजा भृत हरी  ने  नीति शतकम मेंठीक ही कहा हैं  किजब तक मैं  थोडा सा जानता  था  तब तक मैं सर्वग्य  था  पर अब जब मुझे  सच्चे ज्ञानियोंके संपर्क में आने को मिला  तब में अपनी क्षुद्रता जान  पाया ,जान पाया  की ज्ञान के महासागर में  कुछ भी नहीं जानता .

महाविद्या साधना  के रहस्यों की श्रंखला  में  अब माँ मातंगी का स्थान हैं ,  जो  तथ्य  छिन्नमस्ता , त्रिपुर भैरवी की साधना  में लागु हैं वह  इस महाविद्या  पर भी पूर्णतया  लगती हैं ,की इस साधना  के साधक  भी कम हैं ,पर हमारा दुर्भाग्य  हैंकि इस साधना  के उपयोगिता न समझ कर ,हम पथ्थरों  पर अपना सर मारते  रहते हैं ओर अपने  भाग्य  को कोसते रहते हैं और  निस्तेज ,उमंग हीन जीवन को भार वत सहते रहते हैं .

 ध्यान देने वाली बात हैं की  जब सभी  एक  ही दिव्य  माँ के स्वरूप हैं  तो उनमें अंतर कैसा , पर साथ हिसाथ  वह किस भी एक विशेष तथ्य के कारण ज्यादा  प्रसिद्ध  होजाती हैं आज के इस युग में केबल धन की महत्ता  ओर  शत्रु  इतने बढ़ गए  हैं की किसी  को जीवन के अन्य सुखों  को  उमंगो के प्रति ध्यान ही कहा हैं?, पर उमंग हीन जीवन का कोई अर्थ हैं ,मरे मरे मन से साधना कर के  भी क्या मिल जायेगा , जरा सोचे ..
सदगुरुदेव  भगवान् कहते हैं  मानव जीवन में सबसे पहले भौतिक  आवश्यकताओ  की पूर्ति करनी चाहिये फिर उस ऊपर एक संतुष्ट  आध्यात्मिक   जीवन की आधार शिला  रखी जा सकती हैं , और इस भौतिक जीवन  की एक आवश्यक  आधार शिला  विवाह हैं जहाँ से  हम स्नेह/प्रेम  की नई  परिभाषा समझते हैं , दो अजनबी/परिचित  एक अन्य जीवन की  आधारशिला रखते हैं , पर कितने दिन यह स्थिर  रह पाता हैं जल्द ही यह जीवन  भी उदासीनता का शिकार हो जाता हैं  और समस्त प्रकार के सुख चाहे वह शरीरी  हो या मानसिक हो निस्तेज से होजाते हैं .
 बस यही समय  हैं जब हम माँ के इस दिव्य रूप की महत्ता समझे , माँ मातंगी  तो व्यक्ति के  विवाहिक जीवन में अमृत भरने का कार्य करती हैं जिन्होंने भी इनकी साधना की वह अपने विवाहिक जीवन मै आने वाले परिवर्तन देख कर  खुद  ही कृतग्य ता से भर गए ., जिनका विवाह नहीं  हो पा रहा हैं उनके लिए  सही योग्य साथी का चुनाव  भी , जीवन में उमंग का स्थान  भी  माँअपने दिव्य चरण कमल के आशीर्वाद से भर देती हैं , जब  जीवन  सही अर्थो में सुखमय  हो जाए आनंद मय  होगा ,तब न  भरे पुरे कृतग्य मन से सदगुरुदेव  ओर माँ  के श्री चरणों में समर्पण  आएगा, अभी तो जो बोलते हैं वह कितनी  विषय वासना  के बोझ से दवी  जबान से निकला हैं इसे तोहम सभी जानते हैं , अभी उनके प्रेम /स्नेह में पुरे तरह से भीगे नहीं हैं इसलिए  ह्रदय  के उदगार उतना असर / खास  महत्त्व नहीं  हैं.
साथ हीसाथ जिनभी कन्याओ को मनोबंछित   वर से ही विवाह  करना हो उनके लिए भी अत्यंत लाभदायक  हैंयह साधना  साथ ही  साथ    जब विवाह के लिए इतनी लाभ  दायक हैंतो विवाह  की पूर्णता  का एक आयाम  योग्य  संतान प्राप्ति हैं , वह भी  इस साधना  के माध्यम से आसानी से संभव हैं . इसका साधारण  मतलब  तो यही हैं की गृहस्थ  जीवन की समस्त  समस्याओ का एक राम बाण  उपाय  यह साधना  आपके सामने रखती अब कोई दुर्भाग्य शाली  ही होगा  जो जीवन को आनंद मय बनाने  की इस साधना  कोकरने या  करने के बारे में अब भी सोचेगा . 

माँ मातंगी  की साधना  से व्यक्ति को राज्य सुख मतलब  पूर्ण राज्य से सम्मान  ओर साथ ही साथ  पूर्ण वाहन  सुख भी  प्राप्त होता हैं , तो जिन व्यक्तियों  को इन दोनों की  जीवन में आवश्यकता   हो वह इन साधना के प्रति भी पूर्ण  मनोयोग से करेवेसे  जीवन में इनदोनो तत्वों का भी समावेष  होना ही चाहिए , अन्यथा  गोपनीय   से जीवनका की अर्थ हैं  जिस  जीवन के बारे में लोग या समाज जान  पाए   और वह उपेक्षित सा  मात्र पेट भरने  तक  ही सिमित यदि रह जाये तो इस बहुमूल्य  जीवन की यदि हैं तो  ? क्या अर्थ हैं , और जीवन की बहुमूल्य ता , अमृत ता  समझने के लिए तंत्र के अलवा कोई मार्ग नहीं हैं यह  हमें इस काल में समझना ही होगा . 
 माँ मातंगी तो संगीत  कि आधिस्थार्थी  हैं तो  जो भी गायन  वादन में रूचि रखते हैं  उनके लिए माँ का वरद  हस्त  तोमानो प्रसिद्धि , सुख सम्पदा , और एक उच्च स्तर के कलाकार बनाने की दिशा  में  एक्कदम बढ़ता हैं वह संगीत में निपुण  ही नहीं   होता बल्कि खुद ही संगीत ही  हो जाता हैं,
दतिया में जिस काल  काल  में स्वामी जी महाराज (पीताम्बर पीठाधिश्वर ) थे भारत  ही नहीं विदेशोके कलाकारों  ने उनसे माँ मातंगी   का मन्त्र और दीक्षा  प्राप्त की और संगीत  में उच्चता  प्राप्त  की  इनमें सभी  लोग विभिन्न देश/ जाति /धर्म के थे माँ तो संगीत की परमाचार्य  हैं ,फिर उनका  का वरद  हस्त  हो जिस पर , उसे कोई परास्त  कर  सकता  हैंक्या..?
माँ भगवती  मातंगी  का क्रम  दस महाविद्या  में ८ वे क्रमांक पर हैंतंत्र ग्रथो में इनके  भी दो भेद बताये गए हैं
लघु श्यामा 
सुमुखी 
दोनों स्वरूपों  की व्याख्या तो कौन कर सकता हैं , माँ तो वाक् शक्ति की अधिपति हैं ,फिर गायन वादन में इनका साधक  साधक क्योंना श्रेष्ठ  होगा . माँ की साधना  के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दिन तो मोह रात्रि होतीहैं  वैसे तो आप साधना  किसी भी चार  नवरात्री (दो प्रकट   ओर  दो गुप्त होती ) में  प्रारंभ कर सकते हैं या फिर अन्य जोभी विशिष्ट  साधनात्मक दिवस सामने आये  .माँ के दिव्य स्वरुप के साथ  भगवान् शकर का मातंग  स्वरुप  रहता हैं , भले ही माँ महाविद्या  के अंतर्गत हैं पर इन्हें विद्या ही माना जाता  हैं .
इस कलिकाल  में सभीके मुक्ति ओर श्रेष्ठ  ता के लिए एक ही द्वार  हैं वह हैं  तंत्र. इस मार्ग या साधन पथ  पर पर चलने के लिए कोई भी देशकाल.धर्म जातिके नियमबंधन कारीनहीं   हैं सभी अपनीसुविधा नुसार  इस मार्ग  पर चल सकते हैं . 
माँ मातंगी का एक नाम  उच्छिस्ट चंडालिनी  भी हैं  इसका मतलब तो ये हुआ  की ..... 

क्रमश :
महत्वपूर्ण : प्रिय मित्रों , 
इस ब्लॉग और इपत्रिका में लिखे जाने वाले लेखोंका उदेश्य आपकी केबल प्रशंशा   प्राप्त करना नहीं हैं(इसलिए सभी विषय का प्रस्तुतिकरण सरल से सरल  शब्दोंमें  बिना कोई शब्दोंकी जादूगरी दिखाए  बिना की  जा रही हैंजिससे की विषय किमूल भावना आप सही अर्थो में ग्रहण करसके )

  बल्कि मूल उदेश्य  तो यह हैं की यदि आप  इनको पढ़ कर समझसके  की सदगुरुदेव भगवान्  ने हमसभी के के लिए कितना परिश्रम किया हैं  कितनी साधनात्मक विरासत  लिख कर गए हैं , यदि उनके श्री चरणों के प्रति कुछ ओर स्नेह मय आप होते हैं ,कृतग्य  होने के साथ .साथ ही साधनामय  होते हैं और  एक श्रेष्ठ साधक बन के सामने आते हैं तो ही हमारा यह श्रम सार्थकता  हमें देगा .....  ओर आप साधनामय होंगे ही यही हमारा विश्वास हैं और उन पवित्र श्री चरणों में आप सभीके लिए यही हमारी प्रार्थना  भी हैं ....
**********************************************`
             There are many secrets  lies/hidden in  infinite world of tantra /sadhana  field, as we are  able to know more and more  so we are able to knew/understand   how less we know now   once king bhirthari rightly wrote  in  “Niti shatakam” that till I knew little, I consider my self   all knower , but  with the grace  of some scholars, when I come to contact with real  gyan than   I found my self that I knew nothing ,how much mine ignorance was .
 Now in this series, this is   the time  for ma matangi rahasyam, the fact which  are  very correct about  ma chhinmasta  and tripur bhairvi also applicable fully to this sadhana. Also this mahavidya’s sadhak are very less in number. this is really our  misfortunate  that  we are  not able to understand the  usefulness  of this great mahasadhana and unnecessarily  wondering in  forest in search of happiness and  always and blame our misfortune. And   life become hell  for  us.
This is very important  fact that when all the forms originated with  same divine mother than where is the difference  lies, but in spite of  that one forms  get more publicity /popularity because of that reflects  one special power  of mother. In this era only finance earning  and having too many enemy either from internal world or  from external world are  so increasing in number that our main  concern only lies  in that.
we have really  no time for  considering or taking care for other aspect of  life , and when life become dull and without any  josh/energy what   will you get  doing sadhana in such a mind and heart .. think for a minute..
Sadgurudev Bhagvaan used to say that  in human life  there is need to fulfill  the  wordily need/desire first and after completing  that than the  field  of spiritual  comes into picture, only than  a solid   foundation can be  built  for  a great  sadhana jivan /life. And in this material life/worldly life marriage has a very  special /necessary point which  can not  be  taken  lightly ,where we (two already  known or unknown  person )will have opportunity  to  learn  what is the selfless love and  unconditional  cooperation  means. But how  long this can  continue and very soon all this comes to end and life become without sneh/love  and dull and  this applicable to all the aspect of married life either physical or mental.
 Now this is the time when we have  to  learn/understand/importance  this divine form of mother matangi . Divine mother matangi  fill the amrit  to your married life ,who so ever do this sadhana he totally amazed to see and feel the change induces  in his married life and  very thankful to  mother’s sneh/love, those who are due  to some  reason  not able to get married , for them  divine mother clears  a way to have so  that he/she will have most suited life partner  in his/her life. and josh or enthusiasm and all round happiness, mother provide through  the grace her divine feet. when  life  become  fully contented  in all respect  and such a joy and happiness our heart overflowing with that  then why not we have  fully surrender to Sadgurudev ji and mother  divine feet, only than true  surrender has some meaning. Before that what is spoke/speaking/writing   by us just  a word  somewhere covered with  vishay /vasna and what  more, that why they carried  not  so much weight and effect.
And very important facts that , those girl, who are  still unmarried and want  have marriage with some one special and specific for them ,this sadhana will have highly  effective. when  this sadhana is so much effective in marriage than why not this sadhana be equally effective in  getting able  children  since without them  can marriage be consider fully blissful …so this is the sadhana is for having such a boon or bless in married life. That means all the so called problem in married life,  can be solved by only through this sadhana, and now only misfortunate one will not think to do this  sadhana to have more blissful  and enjoyful and smiling life . what do you think..
 Those one interested to have honor /respect from state (rajya sukh) and  blessing of  having  vehicle , for them this sadhana is  a raambaan, those who want the above mentioned two things they must do this sadhana whole devotion and faith   , truly speaking theses element must have a place in every body life. without them what is  the value of your secretive life about that no body knew  about  you and your achievement, and when your only target/aim  to fulfill basic need only  than  what is  the  value of this human body about whom every great one told us that this is most valuable gift   from god to us. To understand  the value and importance of this human life there is no other ways left for except  tantra. and this must be understand  by all of us in this era very seriously .
Ma matangi is the ruler of  sangeet /music  so those who are in this sangeet  area or want to have some excellence over in this field than for them divine mother blissful  hand will  give  you anything. And he can be   very quickly progressed in the direction  become  a personality in sangeet , and he will not become expert in sangeet  but is a sangeet.
 In datiya ,when swami ji maharaja was physically present ,not only  from india but even  from  foreign artist get his blessing and Diksha and matangi mantra  from him and   in that people belonging to  very section of society  /religion/dhram .divine mother is the pramachary of sangeet and when her blessing falls upon your head  than can any one beat you in that  field not only  in that but every field.
Ma matangi has sixth  number in  ten mahavidya  list. tantra granth stated that she has two  form
1.     Laghu shayama
2.     Sumukhi

Who has power and ability  to define fully  and talk and  about ma , only ma or Sadgurudev can , who is our Bhagvaan shiv. sadgurudev  describe in length in various articles about mother’s  this form.,
ma has also the rulers of  spoken power/vocal power, than  why her  sadhak become  one of  the best in the sangeet world. The most suitable  day of mother this form sadhana is mohratri, in other way you can start   this sadhana from in of the four navratri .or any special sadhana days what ever you may have. 
Bhagvaan Shankar ‘s form associated with  this divine mother form is  matang .mother  is consider  one among ten mahavidya  but  this form has been classified as “vidya “.
 In this kaliyug. For to achieve ultimate libration (if any one has desire to have that atrue yogi and tantra sadhak never )and to achieve  uchchta  in divine life only one way is left for all of us . that is TANTRA . and there is no precondition of like cast/sect/ financial status/region  are needed, everyone is welcome on this path divine.
 Mother matangi has one form known as uchchhist  chandalini , that simple means….
Continuous….
(important :  dear friends ,
the reason of writing each  article /post here in this blog or e mag are not  just  to earn  your  praise that how beautiful article is written  or what words used in that  no no
(you all can thoroughly understand  the basic meaning of  the article easily, thats why each article are written with very easy words ,)
this is not the motto but if on reading this ,you can move a little on the direction of Sadgurudev  ji (have little more sneh/love  for him and understand what he has done for you ,over so many years continuous hard work ) and  try to be  good sadhak and become sadhana may  only than the purpose of our writing is justifiable and our aim Is justified, kindly think on this point too and  you will come up as a true sadhak and true shishy of Sadgurudev ji….and you will come up as per his expectation is our wish for you and from our side  this is prayer for you all in his divine lotus feet.)

****NPRU**** 

No comments:

Post a Comment