अनेको अज्ञात रहस्यों को यह साधना जगत समाये हुए हैं, जितना जानते जाये उतनी ही हमें अपनी क्षुद्रता पता चलती हैं , कभी राजा भृत हरी ने नीति शतकम मेंठीक ही कहा हैं किजब तक मैं थोडा सा जानता था तब तक मैं सर्वग्य था पर अब जब मुझे सच्चे ज्ञानियोंके संपर्क में आने को मिला तब में अपनी क्षुद्रता जान पाया ,जान पाया की ज्ञान के महासागर में कुछ भी नहीं जानता .
महाविद्या साधना के रहस्यों की श्रंखला में अब माँ मातंगी का स्थान हैं , जो तथ्य छिन्नमस्ता , त्रिपुर भैरवी की साधना में लागु हैं वह इस महाविद्या पर भी पूर्णतया लगती हैं ,की इस साधना के साधक भी कम हैं ,पर हमारा दुर्भाग्य हैंकि इस साधना के उपयोगिता न समझ कर ,हम पथ्थरों पर अपना सर मारते रहते हैं ओर अपने भाग्य को कोसते रहते हैं और निस्तेज ,उमंग हीन जीवन को भार वत सहते रहते हैं .
ध्यान देने वाली बात हैं की जब सभी एक ही दिव्य माँ के स्वरूप हैं तो उनमें अंतर कैसा , पर साथ हिसाथ वह किस भी एक विशेष तथ्य के कारण ज्यादा प्रसिद्ध होजाती हैं , आज के इस युग में केबल धन की महत्ता ओर शत्रु इतने बढ़ गए हैं की किसी को जीवन के अन्य सुखों को उमंगो के प्रति ध्यान ही कहा हैं?, पर उमंग हीन जीवन का कोई अर्थ हैं ,मरे मरे मन से साधना कर के भी क्या मिल जायेगा , जरा सोचे ..
सदगुरुदेव भगवान् कहते हैं मानव जीवन में सबसे पहले भौतिक आवश्यकताओ की पूर्ति करनी चाहिये फिर उस ऊपर एक संतुष्ट आध्यात्मिक जीवन की आधार शिला रखी जा सकती हैं , और इस भौतिक जीवन की एक आवश्यक आधार शिला विवाह हैं जहाँ से हम स्नेह/प्रेम की नई परिभाषा समझते हैं , दो अजनबी/परिचित एक अन्य जीवन की आधारशिला रखते हैं , पर कितने दिन यह स्थिर रह पाता हैं जल्द ही यह जीवन भी उदासीनता का शिकार हो जाता हैं और समस्त प्रकार के सुख चाहे वह शरीरी हो या मानसिक हो निस्तेज से होजाते हैं .
बस यही समय हैं जब हम माँ के इस दिव्य रूप की महत्ता समझे , माँ मातंगी तो व्यक्ति के विवाहिक जीवन में अमृत भरने का कार्य करती हैं जिन्होंने भी इनकी साधना की वह अपने विवाहिक जीवन मै आने वाले परिवर्तन देख कर खुद ही कृतग्य ता से भर गए ., जिनका विवाह नहीं हो पा रहा हैं उनके लिए सही योग्य साथी का चुनाव भी , जीवन में उमंग का स्थान भी माँअपने दिव्य चरण कमल के आशीर्वाद से भर देती हैं , जब जीवन सही अर्थो में सुखमय हो जाए आनंद मय होगा ,तब न भरे पुरे कृतग्य मन से सदगुरुदेव ओर माँ के श्री चरणों में समर्पण आएगा, अभी तो जो बोलते हैं वह कितनी विषय वासना के बोझ से दवी जबान से निकला हैं इसे तोहम सभी जानते हैं , अभी उनके प्रेम /स्नेह में पुरे तरह से भीगे नहीं हैं इसलिए ह्रदय के उदगार उतना असर / खास महत्त्व नहीं हैं.
साथ हीसाथ जिनभी कन्याओ को मनोबंछित वर से ही विवाह करना हो उनके लिए भी अत्यंत लाभदायक हैंयह साधना साथ ही साथ जब विवाह के लिए इतनी लाभ दायक हैंतो विवाह की पूर्णता का एक आयाम योग्य संतान प्राप्ति हैं , वह भी इस साधना के माध्यम से आसानी से संभव हैं . इसका साधारण मतलब तो यही हैं की गृहस्थ जीवन की समस्त समस्याओ का एक राम बाण उपाय यह साधना आपके सामने रखती अब कोई दुर्भाग्य शाली ही होगा जो जीवन को आनंद मय बनाने की इस साधना कोकरने या न करने के बारे में अब भी सोचेगा .
माँ मातंगी की साधना से व्यक्ति को राज्य सुख मतलब पूर्ण राज्य से सम्मान ओर साथ ही साथ पूर्ण वाहन सुख भी प्राप्त होता हैं , तो जिन व्यक्तियों को इन दोनों की जीवन में आवश्यकता हो वह इन साधना के प्रति भी पूर्ण मनोयोग से करे, वेसे जीवन में इनदोनो तत्वों का भी समावेष होना ही चाहिए , अन्यथा गोपनीय से जीवनका की अर्थ हैं जिस जीवन के बारे में लोग या समाज जान पाए न और वह उपेक्षित सा मात्र पेट भरने तक ही सिमित यदि रह जाये तो इस बहुमूल्य जीवन की यदि हैं तो ? क्या अर्थ हैं , और जीवन की बहुमूल्य ता , अमृत ता समझने के लिए तंत्र के अलवा कोई मार्ग नहीं हैं , यह हमें इस काल में समझना ही होगा .
माँ मातंगी , तो संगीत कि आधिस्थार्थी हैं तो जो भी गायन वादन में रूचि रखते हैं उनके लिए माँ का वरद हस्त तोमानो प्रसिद्धि , सुख सम्पदा , और एक उच्च स्तर के कलाकार बनाने की दिशा में एक्कदम बढ़ता हैं वह संगीत में निपुण ही नहीं होता बल्कि खुद ही संगीत ही हो जाता हैं,
दतिया में जिस काल काल में स्वामी जी महाराज (पीताम्बर पीठाधिश्वर ) थे भारत ही नहीं विदेशोके कलाकारों ने उनसे माँ मातंगी का मन्त्र और दीक्षा प्राप्त की और संगीत में उच्चता प्राप्त की इनमें सभी लोग विभिन्न देश/ जाति /धर्म के थे , माँ तो संगीत की परमाचार्य हैं ,फिर उनका का वरद हस्त हो जिस पर , उसे कोई परास्त कर सकता हैंक्या..?
माँ भगवती मातंगी का क्रम दस महाविद्या में ८ वे क्रमांक पर हैं, तंत्र ग्रथो में इनके भी दो भेद बताये गए हैं
१, लघु श्यामा
२, सुमुखी
दोनों स्वरूपों की व्याख्या तो कौन कर सकता हैं , माँ तो वाक् शक्ति की अधिपति हैं ,फिर गायन वादन में इनका साधक साधक क्योंना श्रेष्ठ होगा . माँ की साधना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दिन तो मोह रात्रि होतीहैं वैसे तो आप साधना किसी भी चार नवरात्री (दो प्रकट ओर दो गुप्त होती ) में प्रारंभ कर सकते हैं या फिर अन्य जोभी विशिष्ट साधनात्मक दिवस सामने आये .माँ के दिव्य स्वरुप के साथ भगवान् शकर का मातंग स्वरुप रहता हैं , भले ही माँ महाविद्या के अंतर्गत हैं पर इन्हें विद्या ही माना जाता हैं .
इस कलिकाल में सभीके मुक्ति ओर श्रेष्ठ ता के लिए एक ही द्वार हैं वह हैं तंत्र. इस मार्ग या साधन पथ पर पर चलने के लिए कोई भी देशकाल.धर्म जातिके नियमबंधन कारीनहीं हैं सभी अपनीसुविधा नुसार इस मार्ग पर चल सकते हैं .
माँ मातंगी का एक नाम उच्छिस्ट चंडालिनी भी हैं इसका मतलब तो ये हुआ की .....
क्रमश :
महत्वपूर्ण : प्रिय मित्रों ,
इस ब्लॉग और इपत्रिका में लिखे जाने वाले लेखोंका उदेश्य आपकी केबल प्रशंशा प्राप्त करना नहीं हैं(इसलिए सभी विषय का प्रस्तुतिकरण सरल से सरल शब्दोंमें बिना कोई शब्दोंकी जादूगरी दिखाए बिना की जा रही हैंजिससे की विषय किमूल भावना आप सही अर्थो में ग्रहण करसके )
बल्कि मूल उदेश्य तो यह हैं की यदि आप इनको पढ़ कर समझसके की सदगुरुदेव भगवान् ने हमसभी के के लिए कितना परिश्रम किया हैं कितनी साधनात्मक विरासत लिख कर गए हैं , यदि उनके श्री चरणों के प्रति कुछ ओर स्नेह मय आप होते हैं ,कृतग्य होने के साथ .साथ ही साधनामय होते हैं और एक श्रेष्ठ साधक बन के सामने आते हैं तो ही हमारा यह श्रम सार्थकता हमें देगा ..... ओर आप साधनामय होंगे ही यही हमारा विश्वास हैं और उन पवित्र श्री चरणों में आप सभीके लिए यही हमारी प्रार्थना भी हैं ....
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There are many secrets lies/hidden in infinite world of tantra /sadhana field, as we are able to know more and more so we are able to knew/understand how less we know now . once king bhirthari rightly wrote in “Niti shatakam” that till I knew little, I consider my self all knower , but with the grace of some scholars, when I come to contact with real gyan than I found my self that I knew nothing ,how much mine ignorance was .
Now in this series, this is the time for ma matangi rahasyam, the fact which are very correct about ma chhinmasta and tripur bhairvi also applicable fully to this sadhana. Also this mahavidya’s sadhak are very less in number. this is really our misfortunate that we are not able to understand the usefulness of this great mahasadhana and unnecessarily wondering in forest in search of happiness and always and blame our misfortune. And life become hell for us.
This is very important fact that when all the forms originated with same divine mother than where is the difference lies, but in spite of that one forms get more publicity /popularity because of that reflects one special power of mother. In this era only finance earning and having too many enemy either from internal world or from external world are so increasing in number that our main concern only lies in that.
we have really no time for considering or taking care for other aspect of life , and when life become dull and without any josh/energy what will you get doing sadhana in such a mind and heart .. think for a minute..
Sadgurudev Bhagvaan used to say that in human life there is need to fulfill the wordily need/desire first and after completing that than the field of spiritual comes into picture, only than a solid foundation can be built for a great sadhana jivan /life. And in this material life/worldly life marriage has a very special /necessary point which can not be taken lightly ,where we (two already known or unknown person )will have opportunity to learn what is the selfless love and unconditional cooperation means. But how long this can continue and very soon all this comes to end and life become without sneh/love and dull and this applicable to all the aspect of married life either physical or mental.
Now this is the time when we have to learn/understand/importance this divine form of mother matangi . Divine mother matangi fill the amrit to your married life ,who so ever do this sadhana he totally amazed to see and feel the change induces in his married life and very thankful to mother’s sneh/love, those who are due to some reason not able to get married , for them divine mother clears a way to have so that he/she will have most suited life partner in his/her life. and josh or enthusiasm and all round happiness, mother provide through the grace her divine feet. when life become fully contented in all respect and such a joy and happiness our heart overflowing with that then why not we have fully surrender to Sadgurudev ji and mother divine feet, only than true surrender has some meaning. Before that what is spoke/speaking/writing by us just a word somewhere covered with vishay /vasna and what more, that why they carried not so much weight and effect.
And very important facts that , those girl, who are still unmarried and want have marriage with some one special and specific for them ,this sadhana will have highly effective. when this sadhana is so much effective in marriage than why not this sadhana be equally effective in getting able children since without them can marriage be consider fully blissful …so this is the sadhana is for having such a boon or bless in married life. That means all the so called problem in married life, can be solved by only through this sadhana, and now only misfortunate one will not think to do this sadhana to have more blissful and enjoyful and smiling life . what do you think..
Those one interested to have honor /respect from state (rajya sukh) and blessing of having vehicle , for them this sadhana is a raambaan, those who want the above mentioned two things they must do this sadhana whole devotion and faith , truly speaking theses element must have a place in every body life. without them what is the value of your secretive life about that no body knew about you and your achievement, and when your only target/aim to fulfill basic need only than what is the value of this human body about whom every great one told us that this is most valuable gift from god to us. To understand the value and importance of this human life there is no other ways left for except tantra. and this must be understand by all of us in this era very seriously .
Ma matangi is the ruler of sangeet /music so those who are in this sangeet area or want to have some excellence over in this field than for them divine mother blissful hand will give you anything. And he can be very quickly progressed in the direction become a personality in sangeet , and he will not become expert in sangeet but is a sangeet.
In datiya ,when swami ji maharaja was physically present ,not only from india but even from foreign artist get his blessing and Diksha and matangi mantra from him and in that people belonging to very section of society /religion/dhram .divine mother is the pramachary of sangeet and when her blessing falls upon your head than can any one beat you in that field not only in that but every field.
Ma matangi has sixth number in ten mahavidya list. tantra granth stated that she has two form
1. Laghu shayama
2. Sumukhi
Who has power and ability to define fully and talk and about ma , only ma or Sadgurudev can , who is our Bhagvaan shiv. sadgurudev describe in length in various articles about mother’s this form.,
ma has also the rulers of spoken power/vocal power, than why her sadhak become one of the best in the sangeet world. The most suitable day of mother this form sadhana is mohratri, in other way you can start this sadhana from in of the four navratri .or any special sadhana days what ever you may have.
Bhagvaan Shankar ‘s form associated with this divine mother form is matang .mother is consider one among ten mahavidya but this form has been classified as “vidya “.
In this kaliyug. For to achieve ultimate libration (if any one has desire to have that atrue yogi and tantra sadhak never )and to achieve uchchta in divine life only one way is left for all of us . that is TANTRA . and there is no precondition of like cast/sect/ financial status/region are needed, everyone is welcome on this path divine.
Mother matangi has one form known as uchchhist chandalini , that simple means….
Continuous….
(important : dear friends ,
the reason of writing each article /post here in this blog or e mag are not just to earn your praise that how beautiful article is written or what words used in that no no
(you all can thoroughly understand the basic meaning of the article easily, thats why each article are written with very easy words ,)
this is not the motto but if on reading this ,you can move a little on the direction of Sadgurudev ji (have little more sneh/love for him and understand what he has done for you ,over so many years continuous hard work ) and try to be good sadhak and become sadhana may only than the purpose of our writing is justifiable and our aim Is justified, kindly think on this point too and you will come up as a true sadhak and true shishy of Sadgurudev ji….and you will come up as per his expectation is our wish for you and from our side this is prayer for you all in his divine lotus feet.)
****NPRU****
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