सम्मोहन का नाम आता ही ,निश्चय ही उस मथुरा व्रन्दावन के श्री कृष्ण गोपाल की छबि अपने मन में आ ही जाती हैं जिसने अपनी मधुर मुस्कान से सारा संसार को सम्मोहित कर दिया , जिनकी बांसुरी की मधुर धुन से तो जीवित ही नहीं बल्कि चल अचल सभी बल्कि पेड़ और पत्थर भी और समय भी स्तंभित हो कर रुक जाते थे , वही १६ कला धारी भगवान् श्री कृष्ण की आत्मा , हमारे मध्य ६४ कलाओं से युक्त हो कर परम पूज्य सदगुरुदेव भगवान् के रूप में उपस्थित रहे हैं ओर हैं भी , कौंन होगा जो सदगुरुदेव की एक मुस्कान पर न्योछावर न हो जाये .
इस पवित्र दिन पर यदि सम्मोहन की बात न की जाये तो उचित नहीं हैं आज का दिन अपने आपमें सम्मोहन भरने का हैं, अपने कार्य क्षेत्र में , सभी को अनुकूल बनाना , परिवार में सदभाव का निर्माण करना , पति पत्नी के मध्य पुनः स्नेह्मयता की स्थपाना करना ही इसका उदेश्य रहा हैं, ध्यान रहे यहाँ करना लिखा हैं करवाना नहीं लिखा हैं ,
जो कार्य बल पूर्वक कराया जाये तबउसमे स्नेह मयता कहाँ हैं ,
जो स्वतः से उभरी अंतर भावनाओ के कारण हम अपने प्रिय के लिए स्वयं करने को उत्सुक हो वह हैं सम्मोहन ,
यह प्रयोग आपके रूप रंग में तो परिवर्तन नहीं कर पायेगा , पर यह तो अंतर कीमिया का प्रयोग हैं साधना हैं जो कुछ समय में आप स्वयं ही अनुभव करने लगेगे, जो काम बोल कर कार्य जाये वह नहीं बल्कि आपकी उपस्थति से सभी प्रसन्नता से स्वयं ही करने को आगे आये, आपकी उपस्थति उनके मनमे ख़ुशी दे यह हैं वह प्रयोग.
यह प्रयोग दो दिनका हैं, सभी पूजन नियमानुसार करने के बाद , भगवान् श्री कृष्ण का पूजन करे , अपने सामने सुपारी रख कर , घी का दीपक प्रज्वल्लित करे . नैवेद्यके रूप में आप सफेद रंग के लड्डू अर्पित करे . फिर एक बार पंचोपचार पूजन करे ., इन दो दिन में रोज़ ११ माला मंत्र जप करना हैं , इस मंत्र जप के दौरान आपकी दिशा पूर्व होगी , आप स्वेत रंग के वस्त्र और स्वेत आसन का ही प्रयोग करे , जप माला या तो स्फटिक की हो या हकीक की या दोनों नहीं हो तो अपने हांथो की अंगुलीसे भी गिन सकते हैं पर कम से कम १ १/२ घंटे जप करना हैं (९० मिनिट ).
मंत्र : ॐ क्लीं क्लीं क्रीं क्रीं हुं हुं फट्
यदि इस मंत्र जप के दौरान आप अपान मुद्रा का प्रदर्शन दुसरे हाथ से लगतार करते रहे तो अद्भुत ही परिणाम प्राप्त होंगे,
क्या हैंवह अद्भुत ता ,????
वह यह की आपके मन के अन्तर ता के विकार भी मंत्र जप केप्रभाव से समाप्त हो जायेगे ,जब मन भी निर्मल हो जायेगा तब ,निर्मल मन में ही तो सदगुरुदेव आ पाएंगे .
आप ही सोचे इतना घृणा ,अनेको विकार अपने मन में , विचारों की गंदगी मन में भर कर , जय गुरुदेव बोल दिया ओर ,क्या आप सदगुरुदेव को अपने ह्रदय में आकर रहने को कह सकतेहैं , इन्ही सब बातों को सदगुरुदेव ने ,रक्त कण कण स्थापन साधना में तो समझाया हैं, पहले मन/ह्रदय की अपनी सफाई तो करे फिर हमसभी के कहने के पहले ही हमारे प्राणाधार हमारे मन में होने ,वोह तो कब से कहते हैं कि वोह आने तो तैयार हैं पर हम ही अपने ह्रदय के द्वार बंद करके , गंदगी को साफ किये बिना उन्हें बुलाते रहते हैं , सदगुरुदेव भगवान् के ज्ञान स्वरुप इन प्रयोग को अपान मुद्रा के साथ करके देखें, फिर आप हिकहेंगे
लाली मेरे लाल की गीत देखूं तित लाल ,
लाली देखन मैं गयी , मैं भी हो गयी लाल ..
आज के लिए बस इतना ही .
********************************************************************** Whenever sammohan word comes then it s quite natural the image of Bhagvaan shri krishn comes in our heart , when he played his flute than everyone /everything hypnotized due to its divine music ,not only movable things but immovable things also , and even time, devta , rishi , mahayogi too. The soul of 16 kala yukt Bhagvaan shri Krishna again appeared between us as 64 kala yukt our beloved Sadgurudev Bhagvaan .who will not offer his/her whole life for just seeing a simple smile of our beloved Sadgurudev Bhagvaan .
Now on this holiest day if ,we will not discuss about sammohan it would not be fine. This day is for inducing sammohan in our inner heart and soul. in our workplace ,every body will give us cooperation ,in family this creates very cordial atmosphere, in between husband /wife ,this induces new life of happiness . This is the main objective of this sadhana, remember this will not going to happen through force but automatically with sneh/love.
When no force only feeling of our heart forces us to do the work , that is the effect of sammohan.
This sadhana would not change your outer appearance but this is the inner alchemy sadhana. Within small time you will/can see its effects around you. Even your presence forces others inwardly to do the work as you desire, everybody feel happy in your presence , this is the effect of this prayog,
This sadhana is of two days , follow all the general rules , do the poojan of Bhagvaan shri krishan, place supari infront of you , light up the ghee filled earthen lamp/Deepak. And offer white colored laddu. again do the panchopchar poojan . Daily 11 round of rosary/mala jap is necessary. , direction will be east, and wear white color clothes and white color aasan, for jap either you can use sphatik mala or hakeek mala or when both are not available then count through you fingers, but at least 90 minutes mantra jap is necessary.
Mantra : OM KLEEM KLEEM KREEM KREEM HUM HUM PHAT
While doing the mantra jap if you continuously show the “apaan mudra” through other hand ,you can see the miraculous result ,
what is that miracle???,
Through this apaan mudra and mantra jap our inner heart get purified, and when our heart purify only than sadgurudev Bhagvaan can come. When all type of negativity, bad thought are there(in our heart) than how we can think that just saying” jai gurudev “ and Sadgurudev will be in our heart, Sadgurudev clearly mentioned about this problem in “rakt Kan kan sthapan sadhana “details,
When our heart purify than within a fraction of a second he will be in our heart. he is always ready, its us, who closes the doors of our heart and not ready to clean our heart, ,and still ask him to come.
Do this prayog with apaan mudra you can see the result yourself.
And you can say .
“ Lali mere lal ki , jit dekhun tit lal,
Lali dekhan me gayi, me bhi ho gayi lal”.
Very roughly meaning is that wherever I see, find the radiance of my beloved, when I go to see that I also become one with that.
This is enough for today .
****npru****
Hello npru team, bas ye bata dijiye ki jo bhi saral aur saumya sadhnayein post mein di gayi hain kya usme mala pan pratisshthit hogi ki nahi?
ReplyDeleteyadi hogi to use khud kaise karein??
pls bhai ji jara jaldi reply kariyega.....
Apka Rahul..
Prir rahul bhai ,
ReplyDeletemala to hamesha praanpratisthit hi lena chahiye , aap tantra kaumudi ke pahle ke ank denkhe ya blog ke , thoda sa check kar le , usme mala ko praan pratisthit karne ki vidhi di hain kaya, agar nahi di hain to mujhe suchit kare main jald hi aapko blog par me saral prayog se avgat kar doonga.
smile
Anu
Kya isko kisi bhi din kar sakte hani
ReplyDeleteAnu bhaiyya tantra kaumudi ke pichle issues me yantra ko pran pratishtha karne ki vidhi di gayi hai par mala ko pran pratishtha karne ki nahi...
ReplyDeleteIsliye aapse nivedan hai ki mal ko energised karne ki saral vidhi jarur batayein..
jai gurudev
Sadhanyavad Apka rahul..
Hi Anu bhaiyya
ReplyDeletePlz mala ko pran pratishtit karne ki saral vidhi hum sabhi ke liye publish karo na. Maine bhi bhaut dhoondha par muje iski vidhi nahi mili.
Thanks
Hi Anuji
ReplyDeleteI have a question for this sadhana, earlier you have mentioned that 11 round rosary needed and later written at least 90 minutes. Please clarify.
thanks.
I have one more question.
how to energize black horse-shoe?.
Kale ghode ki nal ko kaise pran-pratishthit kiya jaye?