Monday, August 22, 2011

Shri Sanyukt Lakshmi Ganesh prayog


धन आज के युग का सबसे बड़ा सत्य बन गया हैं  और क्यों न हो ,  ऋग वेद मेभी कहा गया हैं की सभी गुण  तो केबल मात्र   लक्ष्मी के आधीन रहते  हैं,मतलब  बहुत ही साफ़  हैं  एक  उच्चस्थ ग्रन्थ कार भी कहता  हूँ,मैं भी वही, मेरा ज्ञान भी  बही  ,पर हे लक्ष्मी  केबल  तुम्हारी कृपा न पाने के कारण,आज  मुझे को कोई  नहीं पूछता , कोई सम्मान नहीं देता . यह  तो बात ग्रंथो की हैं पर  दिन प्रति दिन मे  जो हालात  हम सभी के  सामने हैं  उसमे  तो कैसे सामना   किया जाये  यही आ ज की बड़ी समस्या  हैं .
कुछ  तो इसी में परेशान    हैं की लक्ष्मी आये  तो सही ,कैसे करे  दिन प्रति दिनके खर्चे का सामना .
 कुछ  की आवश्यकता  से अधिक   धन उपार्जन  की क्षमता  हैं  पर  वह भी कहते रहते हैं कि  पैसा हाँथ में रुकता  नहीं  हैं .  क्या  यह बात सही हैं??, हाँ कुछ हद  तक  क्योंकि लक्ष्मी  तो चंचला हैं उन्हें कौन रोक सकता हैं .
लक्ष्मी  को माँ माँ कह कर आरती करते रहने  से आपका ज्यादा  नुक्सान हो सकता  हैं  सदगुरुदेव  भगवान् ने कितनी बार इन गोपनीय  बातों  को  अपने लेखो में लिखा हैं की भूल कर भी मैय्या मैय्या कह कर  कभी भी लक्ष्मी उपासना  न करो  क्योंकि  जीवन में एक समय के बाद  माँ    को तो हमेशा देना पड़ता हैं . खैर इस  संबंधमे सदगुरुदेव के लेख आप स्वयं ही पढ़े. तब क्या  करे की  आती हुए लक्ष्मी घर में  ही स्थापित  रहे , और  चलिए स्थापित   तो हो गयी  पर  यदि वह सही ढंग से खर्च न   की जा रही  हो तो भी मुश्किल  क्योंकि  तब तो हम मात्र   चौकीदार जैसे हो गए  न . सदगुरुदेव  कहतेहैं लक्ष्मी पुत्र बनना  ठीक हैं पर लक्ष्मी दास  बनना ठीक नहीं हैं 
 तब इसको खर्च करते समय   बुद्धि का उपयोग करे . यहाँ सद्बुद्धि का उपयोग ज्यादा  उचित रहता.  
तब  भगवान् गणेश का  आगमन होता हैं  जो  विघ्न हर्ता   तो हैं ही , पर विघ्न  कर्ता. भी हैं.
वह अपने वरद हस्त से सब  हमारे अनुकूल कर देते हैं , हम सभी साधक  केबल कहने के लिए   ही गणेश  उपासना   केबल खानापूर्ति  के लिए साधना के पहले  कर लेते हैं . पर हम में से कितने जानते हैं, जब तक मूलाधार चक्र सही न हो  तब तक  जीवन में न तो साधना   में ठीक से बैठना नहीं  आ पायेगा, आसन स्थिर  हो  ही नहीं  हो सकता हैं   न ही काम भावना  पर  नियंत्रण  हो सकता हैं  आज समाज  में  जो भी  काम भावना  की अतिरेकता हो रही हैं वह इसी  चक्र की गडबडी का नतीजा हैं. हमारे  ऋषियों  ने कितने  सोच कर इस चक्र का  नाम दिया हैं मूल + आधार .
 और भगवान् गणेश इसी चक्र  के देवता हैं , इसलिए   इस चक्र  को गणेश चक्र  भी कहा  जाता हैं.वेसे  भी किसी भी काम को शुरू    करने के लिए श्री गणेश करना भी कहा जाता हैं.
 जहाँपर लक्ष्मी के साथ वरदायक भगवान् श्री गणेश का   अंकुश रहे वहां  आप  ही सोच सकते हैं ...शुभता . संपत्ति , श्रेष्ठ ता , बिघ्न  रहित  जीवन .. सब  ही कुछ तो होगा ,  
 पर कैसे  हो यह संभव ..
 हर साधक को  अपने साधना  पूजन में लक्ष्मी  और गणेश को स्थान देना ही चाहिए ही .
मंत्र :
श्रीं ॐ गं 
इसके लिए  विशेष नियम  नहीं हैं पर आप इस मंत्र  की  एक माला  जप  अपनी पूजा  में शामिल  कर ले. तो धीरे धीरे आप स्वयं  इस   मंत्र  का  प्रभाव देख सकते हैं 
आज  के लिए बस इतना ही  
************************************************************************     Money  is becoming the  biggest truth now a days, and why not it to be, Rig-Veda’ says  that  all the qualities lies in  lakshmi,  and one  great writer also said that  now I am the same , my gyan also as it is, but  o  goddess lakshmi  without  your blessing , where am I today ?,  no one respect me , no one want to meet me. but these are the  writings in  books. Every days what we are facing everybody already knew that. How to face   the current  situation is the biggest problem.
  Some are  worried  how  to earn enough/sufficient  so that  our  at least daily minimum needs would  be fulfilled.
On the  other hand  some has  the qualities  to earn more than enough ,they are also complaining  that  they are not able  to save money , Is it true ???  yes on some level , since lakshmi  Is not stationery , she is always moving. who can  stop her?.
Those who are  continuously doing aarti with saying  maiyya maiyya (mother mother ) actually  hurting himself, why?, Sadgurudev ji very clearly mentioned that  we should  not worship goddess lakshmi as a mother since  to mother we have  to always  give after a certain point,, what Sadgurudev more said in this connection , you can read/listen in his divine writings . but is there any way  so that lakshmi can be finally made stationery  in our home. and suppose if goddess  lakshmi  becomes totally stationery  in our home and  if that is  not wise fully used than this also become headache. Than we are just a  guard  and nothing else.
 Sadgurudev  used to say that  its nice  to be son of  lakshmi instead of lakshmi das.
Then how can be wisely used , here I would  like to say through “sadbuddhi”.
 Than Bhagvaan  Ganesh comes  into picture.
Through  his blessing everything’s comes to  positive  for  us, he   is both  obstruction creator and  obstruction  destroyer., most of us just  do the Ganesh sadhana  just   for  formality in the beginning of any sadhana. But  how many of us knows that  until mooladhar chakra Is properly functioning  , till than sitting for any sadhana is  not  properly possible ,(as needed). And our sexual desire also can not be controlled , now a days whatever/everywhere we are watching  is the over excess of  this sexual  unbalance /sensuous  gratification  is the result of  not  properly function of this mooladhar chakra. Think about a minute  how wisely our rishis , gave this chakra a name  mool +aadhar.( foundation of  basic  root ).
 Bhagvaan Ganesh is the lord of this chakra , that’s why this chakra is also  known as Ganesh chakra,, and whenever any  new work starts we say we have to  “shri Ganesh “ of that work .
Where  with lakshmi  Bhagvaan Ganesh  controlled  our  buddhi than  every thing positivity happens  there.
 But how that  can be possible????.
 We should have a place  of Ganesh and lakshmi  poojan in  our daily poojan/sadhana .
 Mantra :
Shreem  om gam .
There is no special  rules have to be follow, only  one round of rosary /one mala is  sufficient and  slowly slowly you can see the result.
 This is enough  for today.
****NPRU****

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