Thursday, August 18, 2011

Some important discussion with our guru brother and sister :


प्रिय मित्रों ,
विगत  कुछ दिनों  से  चल रहे  विवादों के सम्बन्ध  में काफी कुछ  लिखा  जा  चूका हैं , मैं यहाँ आचार्य  चाणक्य  की  उक्ति  रखना  चाहूँगा  की "अत्यधिक विनम्र , और सरल होना  उचित नहीं  हैंक्योंकि , सीधे खड़े  वृक्ष   ही  सबसे पहले काटे जाते हैं"
  तो इस बात को ध्यान में रखते हुए , कुछ बाते में आप सभी के सामने रख  हम रख रहे हैं ,जिससे की अनावश्यक विवाद  कुछ तो कम हो .
  विगत  दिनों जिस तरह से आप सभी  की  प्रतिक्रिया आई  .वह , हम अपने लिए मान कर खुश नहीं हो रहे हैंऔर वह  हमारे लिए थी भी नहीं बल्कि   जो भी सदगुरुदेव के ज्ञान को शिष्यवत  रखेगा ,और  सदगुरुदेव  के ज्ञान  को सामनेलगातार  लाने  के पक्ष मेही थी,इसलिए हमारे अपने  प्राणाधार सदगुरुदेव के ज्ञान  के लिए  तो आपकी  प्रतिक्रिया आना  स्वाभाविक और जरुरी भी थी,
बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह हैं की सदगुरुदेव भगवान को हर बात में बीच में लाना  बिलकुल  भी  उचित नहीं हैं , वे परम पुरुष  हैं  कम सेकम  हम  उनकी गरिमा  का  तो ख्याल रखे , हर कोई  लिख रहा हैं  या बातों  का  मंतव्य  ऐसा दिख रहा हैं केबल वही सदगुरुदेव का सच्चा शिष्य हैं  और  उसे ही सदगुरुदेव से आज्ञा , प्रेरणा , सूक्षम  निर्देस प्राप्त  हुए हैं ,या वह ही केबल उन्हें समझ पाया हैं  अब इन बातों को क्या  कहा जाये
दोनों पक्ष  एक  ही बात कह कर आपस में  ही  विवाद करते जा रहे हैं अपना  पक्ष सही साबित करने के लिए ,हर कोई सदगुरुदेव  जी की ही दुहाई दे रहा हैं ,उन्हें क्यों हर बार  हम बीच मेंले आते हैं   क्या सद्गुरुदेव भगवान को इस स्तर पा  लाना जरुरी हैं हम सभी के लिए ? , कोई भी बात हो, कोई भी कमेन्ट  करना हो ,करके  सीधे यह लिख कर बात समाप्त की मेरे सदगुरुदेव सब जानते हैं , उन्हें सब पता हैं. कितना  उचित है     
क्या हम जानते हैं उच्च कोटि के सन्यासी  शिष्य तो सदगुरुदेव का नाम तक केबल अपनी साधना  काल को छोड़ कर  अन्य समय लेने मेभी काँप जाते हैं , कहते हैं उन परम पावन सदगुरुदेव  जिनका जीवन हिमालय से भी पवित्र हैं हम पाप असत्यता  में लिपटे  अपने जीभ से कैसे ले, यहाँ तक उच्चस्थ सन्यासी   इसी भावना के साथ  सदगुरुदेव भगवान् के श्री चरणों को दूर से लेट कर  साष्टांग प्रणाम करते हैं .की हम अपने अपवित्र  शरीर से उन  परम  दिव्यतम   का स्पर्श  भी  उनसे हम कैसे  करे, सोचिये हम सभी क्या  कररहे हैं  


हमने जिस दिन ब्लॉग पर  लिखना   प्रारंभ किया था, उस दिन भी  यह भली भांति जानते  थे की यह सब  होगा  ही ,  तो हर परिणाम  को पहले से  ही सोच लिया था   जो कुछ भी अच्छा   होगा .लिखा जायेगा ,प्रसंशा  होगी वह  उनके ज्ञान की हैं कभी भी  किसी भी हाल में हमारी नहीं होगी  , पर जो गलती होगी वह केबल और केबल हमारी हैं , उसके परिणाम हम ही सहन करेंगे , उसके लिए कभी भी न तो सदगुरुदेव भगवान का नाम लिया हैं न लेंगे .
 अभी सब  विवाद शांत नहीं  हुआ हैं , लोग  इंतज़ार में बैठे हैं की कब उन्हें मौका मिले  फिर से कीचड़ उच्छालू  कार्य  क्रम  चालू किया जाये , हमें कुछ गुरु भाई बहिन ने सूचित किया हैं की अब इस बात की तैयारी हो रही हैं की  हमने सिर्फ एक ही गुरुदेव  से सम्बंधित विडियो का ही  क्यों जारी किया ,  हम लोगोंका  पूर्वाग्रह हैंकिन्ही एक के प्रति , तो मित्रो अब क्या कहे इस मानसिकता को ,
 ( हमने  तो तीनो गुरुदेव के प्रति अपने पूरे पारद संस्कार  सिखने   वाले ग्रुप  के साथ उन्हें भी एक  एक पारद   शिवलिंग भेट करने का निश्चय किया था , एक शिवलिंग  निर्माण  भी हुआ  उसकी फोटो  आप काफी समय से फसबूक पर देख सकते हैं, पर इन विवादों और कतिपय महानुभावोंके कारण ,एक ऐसा वातावरण का निर्माण स्वतः ही  हो गया .अब वह भेट दे पाना भी संभव नहीं रहा)  

 तो हमने  अब से कुछ परिवर्तन किये  हैं  आने वाले  " तंत्र कौमुदी"   के अंक में  general rules  section  में,  हम केबल  सदगुरुदेव भगवान् का भी नाम देंगे , प्रिय मित्रों, अब "गुरु त्रिमुती " जैसे मानो अमृतांशु  भाई जैसे लोगोंकी बपौती  होगये हैं , हमलोगों के इस शब्दप्रयोग करने  पर इन सभी  गुट बाजी करने वालों  को  तकलीफ  होतीहैं अतः  बेहद ही विवशता में  आज से हम यह शब्द उपयोग करना ही बंद कर रहे हैं, आप मेसे जिनको भी हमारे  तीनो गुरुदेव मेसे जिनके पास जाना हो ,जिनसे भी साधना सामग्री लेना हो , आप स्वयं ज्ञानवान हैं सदगुरुदेव भगवान् ने किन्हें  सक्षम  गुरु  बनाया हैं आप सभी से कुछ  छुपा नहीं हैं , आप सभी सदगुरुदेव  द्वारा किन्हें गुरुपद पर सर्वसमर्थ बना कर आसीन किया  हैं  आप सभी भली भांति जानते  हैं ही , पर हम नहीं  चाहते ही हमारे  इन विवादों में तीनो पूज्य  गुरुदेव का नाम भी आये ,आखिर ये मुर्खता कबतक  हम करेंगे , कुछ तो गुरुपद की गरिमा का ख्याल हम सभी  शिष्य करें. 
आपको जो भी गुरु  हो  या जिन भी गुरु से सम्पर्कित  हैं या जिस भी  गुरु के पास  जाना हो , या जिससे भी आपने दीक्षा ली हो या लेने का मानस बना रहे हो जो आपकी दृष्टी में , आपके लिए योग्य, सम्मानित ,श्रेष्ठ , सिद्ध हैं,साधक  हैं,सदगुरुदेव भगवान् से सम्पर्कित  हो   आप जाये , आपका स्वागत हैं ,हमारी शुभ कामनाये आपके साथ  हैं इसी तरह से साधना सामग्री के लिए  भी आपकी कहाँ पर श्रद्धा ,भक्ति ,विस्वास , ह्रदय बोलता हो की यहाँ से प्राप्त  करना चाहिए , वहां पर  से प्राप्त करे ओर साधना  करे ,
  पर इस दीक्षा  और साधना सामग्री के लिए (केवल पारद विग्रह  को छोड़कर )हमसे किसी भी हाल , किसी भी परिस्थिति  में  इन  बातोंके लिए संपर्क न करे  
 यह इसलिए भी जरुरी हैं , की सदगुरुदेव भगवान के साक्षात्  जब वह हमारे बीच थे , तब उनके निर्देश  पर  एक गुरु भाई  जो "आनंदा नन्द" नाम के थे (वे अभी भी अमेरिका में हैं )उन्होंने विडियो cd  के माध्यम से अमेरिका  में कई हज़ार लगों को दीक्षा प्रदान करवाई  दी थी , मंत्र तंत्र यंत्र विज्ञानं  पत्रिका में उस समय उनका पूरा  फोटो  प्रकाशित हुआ हैं वेसे  उन्हें  आप  जब सदगुरुदेव नेपाल शिविर में गए थे  उस समय  की विडियो cd में सदगुरुदेव  क  सामने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए देख सकतेहैं ., तो क्या उन्हें हम गलत कहे ,कम से कम हमारी योग्यता  नहीं हैं .
आप  हो सोचे ? तो हम  यह नहीं जानते  सदगुरुदेव  भगवान ने व्यक्तिगत रूप से किस किस से  क्या कहा था? , कौन सही हैं   ? कौन गलत? ,कौन उनके शब्दों को अपने लिए इस्तेमाल कर रहा हैं ?कौन नहीं ? हमारा इन सभी  विवादों  से कोई लेना देना नहीं हैं  , अब  सही गलत का  निर्णय ..वह आपके स्व  विवेक पर  ही छोड़ देते  हैं ,आखिर आप भी सदगुरुदेव भगवान् के आत्मंश  हैं 

हमारा  तो सिर्फ एक मात्र ध्यान और उदेश्य बस अपने गुरु भाइयों के मध्य सदगुरुदेव  भगवान् के ज्ञान  विज्ञानं  और उनके संबंधित बाते केबल और केबल मात्र  गुरु भाई (बड़े या छोटे  जो भी आप मान सके)   बातेआदान प्रदान करना  हैं और हम सभी और साधना मय हो सके , बस और कुछनही कोई भी अपने आप को प्रतिस्थापित  करने  की  कोई भी कोशिश  नहिहैन, आखिर  जोभी  ज्ञान सदगुरुदेव  रूपी अनंत सागर  से कुछ बूँद  रूप में हमें मिला हैं वह उन श्री चरणों की कृपासे  वह ज्ञान  केबल मात्र हमारा   ही कैसे हो सकता हैं . उस पर हम अपनी सील कैसे  लगाने की हिम्मत कर सकते हैं . 
 सदगुरुदेव भगवान् की दिव्य लीला वह ही जाने  कमसेकम हम अल्प  बुद्धि जितना  थोडा सा उन्हें समझ पाए हैं उसके अनुसार  चल रहे हैं , तो  जो भी अच्छा   या  बुरा  होगा  हम स्वीकार करेंगे  ही   आप हमारे  पिछले कुछ महीने से लेख देखें  हम केबल  और केबल  सदगुरुदेव भगवान् की ही बातअपने लेख  और साधना  से सम्बंधित  बातोंमे  कर रहे हैं , क्योंकि हमें  अंदेशा  पूरा था  की   हम पर व्यक्ति विशेष  के  प्रति   पूर्वाग्रह  का आरोप लगा कर विवाद शुरू किये  जाने की तैयारी  चल रही हैं ,औरयह  बात इसलिए लिखना  पड़ रही हैं  

जब अपने ही प्रिय गुरु भाई /बहिन  अपने हि सद्गुरुदेव के ज्ञान को ,कतिपय व्यक्तियों  द्वारा पीछे से  उकसाए जाने पर अचानक सभी ग्रुप में एक साथ  विरोध में लिखने लगे  तो हमारा सोच   में पड़ जाना स्वाभाविक हैं .
पर  हम ऐसे नहीं होना चाहेंगे की विनम्रता  की आड़ में हम सब सहन करते जाये,.ऊपर आचर्य चाणक्य का कथन मननीय हैं .और ये कतिपय विरोध करने वाले  कुछ  देख भी चुके हैं .
 पर  अब  "न दैन्यं ,न पलायनम " अर्थात  न तो दीनता और  न  ही पलायनं  की बात  होगी . परिस्थति अनुसार और काला नुसार साथ ही साथ मर्यादा और संभ्यता  की सीमा नुसार जो भी उचित  होगा  वैसा  ही होगा ,,
आप सभी  के स्नेह  के प्रति ह्रदय से आभार हैं 
जय गुरुदेव  
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Dear friends,
 there are so much already  written regarding  controversy raised  from last so many days . here I would like to  mention  a statement  of Achary Chanaky “ one should not be too honest and  polite , since straight  tree are cut first “
 So keeping mind that  here some of the  points , so that some controversy  may  be removed,
1, last week so many positive  reaction comes  from all of your side, we are not taking that  was/are just for us ,  but that was for supporting  for any one  who has courage to discuss Sadgurudev jis divine gyan  in front of others and mainly and only for sadgurudevji’s  knowledge . for our beloved sadgurudevji’s knowledge  this  will be very natural and essential step.
2.very important  things is that ,  this  should not be happened at any cost again  that  Sadgurudev name should not be bring  in midst  of such any controversy thingsamong us , he the param  purush, at least we are his disciples, should  keep this in mind, every body is writing  or  it seems  like that , only he is true shsishy of Sadgurudev, and only he is having direct agya/direction/inspiration from sadgurudev ji, and only he can fully understand him. and  responding as he like . now what should be say on these things .
Every side just mentioning  his name  to  his favor or  proof that  he is right ,every body mentioning his holy name for  such a cause that , think just a minute ,is it right to  bring his  name  in  this way?. Any one want to comment , so after his/her comment, write that only  “mine Sadgurudev knew all,” and “he knows everything about me””I am right” and leave  it . How justified  things is this?.
 Do we know that how  does the very advanced sanyasi shishy behaves?, expect the sadhana  time ,they never take Sadgurudev name, since they all very clearly know that Sadgurudev is holier than himalay than so how they can speak his name with this impure  tong /body. And also  when they offer sanstaang pranaam  to him that too  from  a distance , they all are having  this feeling in their heart , he is the holiest how we can touch  his such a divine body with our this body full of many sins and weakness. but what we are doing?, think about a minit.
When we start  writing in blog that day we are very clear  that this will happen one day, we already anticipate the things  that ,whatever  good writing  and gyan and knowledge  that  come through our writing comes in front of you all  and  for that whatever positive responses we will receive /get actually that  all belongs to him only. And whatever mistake / negativity  comes  that will be belongs  for us, and we will face consequences, for that .we never take anytime Sadgurudev Bhagvaan name in protection of our mistakes , neither in the past  nor in future.
 Still all controversy has not  stopped , people are waiting for , any time again  they raise  the controversy,, here we have been informed that  this has been preparation why we have just released one Gurudev related video, we are taking side of  only one Gurudev, dear friends now what can be said about this mentality.
(we already, made a plan that those who are with us in parad workshop will gift  parad shivling  to each Gurudev as a sign of  our gratitude towards  him , next shivling has also  been prepared , you can see  its  photograph on the facebook, but  theses controversy and continuous propaganda/false image painted of us  by theses  so called   our own guru bhai /bahin  that  creates such a  atmosphere against us so offering that is now  not possible  for us.)
 Keeping in mind all theses developments, we have changed some rules in our TANTRAKAUMUDI e mag’s general rules section that, now we will  only give Sadgurudev  Bhagvaan name in that,  dear friends , now it seems  that “guru Trimurti” name is just  the personal things  for guru brother like amratanshu bhai,  using this word creates  so much pain in this type of gurubhai/sister who are just  indulge  in  gutbaji, so very sadly  we are writing here  that onwards we are not going to use this “guru  Trimurti” words in our any article /post etc., and we do not want ever  to  take Poojya gurudev names  in any controversy arise between  us, at least we are shishy and we must understand the respect of our  three Gurudev ,and  you all are quite aware of the facts that to whom Sadgurudev Bhagvaan  give the power and authority   for diskha and other things , and you can contact any of our three Gurudev ji,   so you can visit/take Diksha/guidance  where ever you like ,after all you are also Sadgurudev aatamansh, and able to decide yourself through your intelligence . you are welcome there, our best blessing  with you. And like that  sadhana related  instrument like rosary /yantra also you can purchase from anyplace where your  heart .devotion. trust and faith calls, purchse from there and do the sadhana,
the  sadhana material (apart from parad related material /vigrah) please do not  contact us ant any condition  or cost. We are not in any such business.
 This  is  necessary  to write here, when Sadgurudev Bhagvaan  in physical form with us at that time one  guru brother  from America his sadgurudev  given name is “anandanand” on sadgurudev instruction  through “sadgurudev video cd “  give Diksha  to thousands there, his name  and photo graph was published in mantra  tantra yantra vigyan  mag. You can see him in a video cd when Sadgurudev  visited Nepal shivir he was addressing  the gurubhai telling his  story and his gratitude towards Sadgurudev blessing.,, s o may we can say he was wrong>,, this is not  our business,
Think about a minute ,we know not to whom  Sadgurudev  give which instruction?, and what   type of advices and agya  in person ?, who is wrong and who is right? , who is using his word his cause? ,and who is not? Who is working   on the path as  he want and who not ? We have  no connection in this type of controversy, and now whatever  is  right or wrong is totally depends upon your intelligence and rest on your  gyan, after all you are also part of Sadgurudev ‘s soul.
 Our only aim to discuss and exchange of thought and gyan between our own  guru brother and sister  as a  capacity of only guru brother (teat us like elder or junior as you like), and  if this helps you our aim  is fulfilling.  We  have no planning to established  our self. What ever we have got is a just a smell drop of oceanic gan of Sadgurudev, how can we have courage to say that that is only ours? and   put a seal of our name on that.
Only Sadgurudev knows his divine lila, we just small children with limited knowledge  moving on the path, now  whatever good or bad happened to us  we will  accept. Kindly  just check  our posting from last so many month, we are  only mentioning  Sadgurudev name . we have got some wind that we will be blamed  for taking side of any Gurudev, this has been preparing by some guru brother /sister, and  all theses things writing here only, since our own guru brother and sister  on  tips and encouragement from some few person suddenly at a time writing against us, so all theses   event  , needed us to think.
 How long because of  politeness we are going  to patiently bearing all this, now they also seen  them self.
But  now “na dainyam na  palayanam” means   no helpless ness  and  no quitting will be done. Whatever will  be the circumstance  and  time calls  within our own limitation and norms , we will move and act.
So much  thankful  for all  the support you given

****NPRU****

1 comment:

  1. “ one should not be too honest and polite , since straight tree are cut first “

    nicely said brother. at least the first tree they cut will useful to the mankind as paper.

    anyway my self believe what NPRU team doing here is marvelous. I check this blog daily minimum 3 - 4 times. I learn a lot about Sadgurudev. Learn how to dissolve my EGO and desire. Please continue your good work as I believe in Sadgurudev.

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