हम
सभी के जीवन में उन्नति का केबल यही मतलब नहीं होता हैं की
केबल हम और और ज्यादा धन कमाते जाये और अपने परिवार को धन धान्य से भर दे बल्कि हमारी इस परिभाषा में हमारा
जीवन साथी भी तो आता हैं उसकी प्रसन्नता भी तो ही
हमारी ही उन्नति का एक आयाम हैं.. और
क्यों न हो क्योंकि वह भी भी तो अब हमारे
जीवन का एक भाग हैं , तो उसके उन्नति भी जरुरी हैं,
पर क्या यहाँ पर उन्नति की परिभाषा समाप्त
हो जाती है नही नहीं ,बल्कि परिवार में तो माता पिता और
भी तो एक आवश्यक अंग हैं , फिर उनके भी स्वास्थ्य और
प्रसन्नता भी एक ओर अनिवार्य
या अंग हैं वह इसलिए की उन्होंने
हमारी परवरिश की हमें इस योग्य बनाया की हम अच्छे
बुरे का निर्णय ले सके , हाँ आप यह तो हमेशा नहीं मान सकते ही या सोचसकते हैं
की हर चीज उन्होंने ही
सिखाई ही होगी पर उन्होंने आपको इतना योग्य तो बना
ही दिया हैं जिससे की आप आगे के निर्णय ले सके .
पर
यहाँ पर भी क्या हमारी उन्नति कि परिभाषा
समाप्त हो गई ,,नहीं
नहीं..क्योंकि, पूरे परिवार कि खुशियों का आधार उस
परिवार के बच्चे ही होते हैं और
उनके जीवन से कितनी न आशाये माता पिता दोनो ने लगा
रही होती हैं और उन की कितनी ही अधूरी ही इच्छा
के तो बच्चे ही केंद्र होते
हैं, यहाँ पर
कोई मैं उम्रगत बात नही कर रहां हूँ बल्कि आप किसी भी उम्र
में हो अपने माता पिता के लिए आप हमेशा से व् ही ही होंगे .
पर
जैसा की पुराणिक युग से आजतक होता आया
हैं की सभी चाहते हैं की उनके बच्चे बहुत
ही कुशाग्र हो पर अनेक
ज्ञात और अज्ञात कारण से यह संभव नहीं हो पाता
हैं तब सभी सुविधा के होते हुए भी जीवन
में वह रस नहीं आता बच्चे मेहनत तो करते हैं पर वह परिणाम नहीं आ
पाता जो हम चाहते हैं,
तो
क्या कोई ऐसा प्रयोग हो सकता हैं जी इस कमियों
न केबल दूर कर दे बल्कि हमारे बच्चो को
अत्यंत तीव्र बुद्धि युक्त
बन सकने में कामयाब कर दे,
क्यों नही साधना क्षेत्र में
जीवन की कौन से ऐसे अवस्था नहीं
होगी जिनके बारे मे हमारे मनीषियों ने उसे स्पर्श पूर्णता के
साथ नहीं किया हो,,
और
चूँकि दीपावली आने को हैं तो क्यों नही एक ऐसा
प्रयोग जिसके माध्यम से हमारे बच्चे और भी
ज्ञानवान बनकर आगे बढ़ सके
और अपना जीवन को एक श्रेष्ठ आयाम दे सके साथ साथ आप भी एक
पूर्ण अर्थो में उन्नति आपको मिल रही हैं आप कह सके ..
मंत्र ;
ॐ नमः भगवती सरस्वती परमेश्वरी वाग
वादिनी |
मम विद्या देहि , भगवती
हंस वाहिनी समारूढा |
बुद्धिं
देहि देहि ,प्रज्ञा देहि देहि , विद्यां देहि देहि |
परमेश्वरी सरस्वती स्वाहा ||
इस
प्रयोग को रवि वार सुबह से
कर सकते हैं , अब प्रश्न यह हैं
की की छोटे बच्चे कैसे करेंगे तो माता
पिता उनके लिए संकल्प ले कर भी कर सकते हैं यह प्रावधान तो
अनेक साधनाओ में हैं ही और जो
बच्चे इसको याद कर सके तो अति उत्तम होगा ,
हर दिन मात्र एक माला कम से कम २१ दिन तक
और आगे भी किया जा सकता हैं , और सामने
सरस्वती देवी का चित्र हो उनको पीले
रंग के वस्त्र के ऊपर ही आसीन करे, सामान्य साधनात्मक नियमो का पालन करे
हाँ यह जरुर हैं कि इस साधना को करते समय
ब्रम्हचर्य का पालन तो जरुरी ही
होगा. ..
और
जो बच्चे बहुत छोटे हो उन्हें आप सरस्वती बीज मंत्र
का जप सिखा सकते हैं सामने सदगुरुदेव का चित्र रख ले और
पूर्ण पूजन और गुरु मन्त्र की
4/16माला तो करे ही फिर मन ही मन सदगुरुदेव से प्रार्थना करके
अपने बच्चे को सरस्वती बीज मंत्र
सिखा दे,
और
यदि इसमें भी कुछ समस्या
मिलती हैं या लगती हैं तो सदगुरुदेव प्रणित
ऐं बीज साधना के कैसेट्स को सुनकर या
बच्चे को सदगुरुदेव द्वारा उच्चरित मंत्र
याद करा सकते हैं,
******************************************************************************* When
we are saying that we are progressing that does not only means that
we are earning more and more
and fill our house with every type of
comforts. But this definition also
include our life partner since
he/she is also a part of our
life and his/her well being is also
equally important , is this point the
definition stop … no no still go
ahead our mother and father are also included in this
definition, their health condition and happiness also
a major important point for all
of us, since not only they give
birth to us but also take care of us and made
us in such away that we able to
take decision. we
cannot always expect that they taught us everything ,
but gave us enough intelligence so that what
is right or wrong we can wisely
decide and we can move according to our
wisdom.
But
here again do we need to think that the definition
stop no no, one of the major blessing
of life is our children , and they
are the real fountains of joy
in our family, but what we do if
they are not come up to our
expectation, regarding study, what we all want to have our child a
genius, but due to many known and unknown reason this
is sometimes not possible. So this is
the very painful condition in front
of parents, since are the rays of
hope for parents and if this
rays are loosing its shining
than its not welcome.
Is
there any sadhana that can
help to our children ??why not.. our ancient rishishs
and tantrgy touched all the aspect of life ,
how they can forget such n
important aspect of life.
Here
is the prayog
Mantra
:
Om
namah Bhagvati saraswati parmeshwari vaag vadini |
mam vidya dehi , bhagvati hans vaahini samaarudha buddhim
dehi dehi ,pragya dehi dehi ,vidyam dehi dehi | parmeshwari
saraswati swaha ||
One must
have to chant 1 round of rosary every day at least
for 21 days and the photo graph
of goddess saraswati should be placed on a yellow color cloth
in front of us, and follow all the general sadhantmak rules . and
this prayog has to be started on Sunday morning.
but
one question still unanswered that how this can
be done by small
children, for that either you take
a sankalp from their side and do the jap
or after Sadgurudev purn poojan and 4/16 round
of rosary of guru mantra , mentally ask
permission to sadgurudev for giving “sarswati beej
mantra” for your child and than ask your
child to memorise.
If
still you want /face some hesitation than have
the ayem beej mantra sadhana cd and in that
Sadgurudev voice the mantra is
there, so ask your children to learn/memorize that
, but one who is doing this sadhana he has to fallow the
bramhchary in that period.
****NPRU****
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