किसी भी साधक की साधना का आधार उसके आतंरिक व्यक्तित्व पर होता है. उर्जा को निरंतर रूप से प्राप्त कर के उसका शक्ति स्वरुप मे संचार व् विकास करना ही साधक के लिए एक मुख्य तथ्य है. लेकिन साधना मे नितन्तर गतिशीलता की स्थिति प्राप्त करना साधारण रूप से हर साधक के लिए इतना सहज नहीं होता. इसके मुख्य मे आत्म शक्ति का अभाव है. आत्मा का मुख्य तत्व आत्म है और उसको गतिशीलता देने वाली जो शक्ति है वही आत्म शक्ति है. इस शक्ति के आभाव मे व्यक्ति की आध्यात्मिक तथा भौतिक प्रगति मंद रूप से होती है. चाहे वह किसी भी पक्ष से सबंधित निर्णय लेना हो या किसी भी विचार के योग्य अपनी मानसिकता हो परावर्तित करना हो, इन सब के मूल मे आत्मशक्ति है. आत्मशक्ति परमात्मा से हमें मिलती है उस प्रकार से हम अपने कार्यों को गतिशील रखते है लेकिन कई प्रकार से उसमे ग्रास व् क्षीर्णता आ जाती है अतः हर व्यक्ति के लिए ये महत्वपूर्ण है की वह इस शक्ति का विकास करे. आत्मशक्ति के विकास पर आत्म बोध होने लगता है और व्यक्ति को कई दुर्लभ ज्ञान की प्राप्ति स्वतः ही होने लगती है. व्यक्ति मे साहस व् निर्णय क्षमता का जो आभाव होता है वो भी इस शक्ति मे माध्यम से पूरा जा सकता है.
किसी भी शुभ दिन मे रात्रि के समय १० बजे के बाद साधक अपने सामने पारद गणपति या गणपति का कोई दूसरा विग्रह स्थापित करे और उस पर कुमकुम चढ़ाये और पूजन करे. उसके बाद मूंगा माला से निम्न मंत्र की २१ माला मंत्र जाप करे. इस मंत्र का मन ही मन जाप ना करते हुए उच्चारण पूर्वक जाप होना चाहिए. इसी प्रक्रिया को एक हफ्ते तक करे.
ओम वक्रतुण्डाय ह्रीं
इस प्रयोग मे साधक लाल वस्त्रों का ही प्रयोग करे तथा लाल फूलो को ही अर्पित करे. दिशा उत्तर रहे. ये मंत्र दिखने मे भले ही सामान्य लगे लेकिन अपने आप मे पूर्ण तीव्र तंत्रोक्त मन्त्र है. साधना सम्प्पन होने के बाद साधक विग्रह को पूजा स्थान मे रख दे तथा माला को धारण किये रहे. एक महीने तक उसी माला को धारण किये रहे तथा यथा संभव रोज एक माला जाप करने पर साधक को कई प्रकार से अनुकूलता प्राप्त होती है. एक महीने के बाद माला को किसी मंदिर मे चढा दे.
Base of the any sadhana remains on sadhak’s internal
personality. To receive power in any form continuously and to circulate and
develop the same, is very important for any sadhak. But to maintain the situation where
continuity of the sadhana stays is not easy for every sadhak to do. The basic
reason is lack of the Atm Shakti. The basic element of soul is Aatm tatv and
the power which gives it life is Aatm Shakti. In the partial absence of this
power, progress of spiritual and material world gets break for any person. Rather it is about taking decision related to
any side or to change the mind for accepting any thought, in the base of all
these is Aatm Shakti. We receive Aatm shakti through Parmatma and thus we
maintain flow of our works but with many of the reason it get affected. Thus it
is important for all human being that they should develop this power. With the
gross of Aatm shakti, the ultimate truth starts on getting revealed and person
will start receiving many secret knowledge by its own. The lack of the courage
and decision making in the sadhaka could also be filled with the medium of this
power.
At any auspicious day during night time after
10PM sadhak should establish paarad ganapati or any other Idol of ganapati and
one should offer red vermillion on it followed by poojan. After that with
moonga rosary chant 21 rounds of the following mantra. The mantra chanting
should NOT be in mind the sound of the mantra should be audible. This process
should be repeated for one week
Om Vakrtundaay Hreem
In this prayog, sadhak should use red cloths & aasan only and red flowers should be offered. Direction should be north. This mantra may seem like another simple mantra but this mantra is Tivr tantrokt mantra in itself. After sadhana is completed, shadhak should establish the idol in worship place and rosary should be worn. One month that rosary should be worn and possibly by doing one rosary a day will give many other comforts too. After one month the rosary should be placed at any temple.
****NPRU****
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