तंत्र मार्ग के मुख्य
षटकर्मो के अंतर्गत मोहन का स्थान अपने आप मे विशेष है. जहा वशीकरण से व्यक्ति के
मानस का सञ्चालन अपने हाथ मे लिया जा सकता है वहीँ मोहन के माध्यम से उसके अंतर्मन
को अपने अनुकूल बनाया जा सकता है जो की इन दोनों के बिच का मुख्य भेद है. मोहन
क्रम व्यक्ति विशेष के अंतर्मन को कोई भी दी गई प्रक्रिया या परिस्थिति को अपने मन
से ही स्वीकार करने के लिए गति देता है. जैसे की एक व्यक्ति का वशीकरण किया जाए तब
उसके अंतर्मन की चेतना को आज्ञा देने पर वह कार्य करेगा जिसमे उसे स्वबोध ही नहीं
होगा. लेकिन मोहन मे साध्य का मन अपने आप ही साधक के प्रति अनुकूलता प्रदान करने
के लिए बाध्य हो जाता है. सभी कर्मो की अपनी अपनी महत्ता है और सभी ही श्रेष्ठ है.
चक्कू और केंची का काम काटना ही होता है लेकिन दोनों का उपयोग अलग अलग जगहों पर
किया जाता है. मूल रूप से ये आधार रहता है परिस्थितिया पर.
आज के इस युग मे मोहन
क्रम की क्या महत्ता है ये हर कोई जनता ही है. व्यव्साह, कार्यक्षेत्र, या फिर घर
गृहस्थी की बात हो. अनुकूलता के लिए तंत्र का सहारा लेना कोई गलत बात नहीं है अगर
व्यक्ति का उद्देश्य गलत ना हो तो. व्यापारी या ग्राहकों को अनुकूल बनाकर व्यवसाय
का विकास करना या अपने कार्य क्षेत्र मे अपने सहकार्यकारो पर प्रभावी बनाना या फिर
अपने घर परिवार के व्यक्तियो को अपने अनुकूल बनाने के लिए भी इन प्रयोगों की आज हर
कदम पर आवश्यकता पड़ती है.
शाबर मंत्रो मे षट्कर्म
से सबंधित करोडो विधान है जो की सहज भी है और अत्यधिक प्रभावकारी भी. इन मंत्रो की
सिद्धि मे भी कई प्रकार के माध्यमो की ज़रूरत होती है. जैसे की सुपारी, इलाइची,
मिठाई, इत्र इत्यादि. इन पदार्थो को सिद्ध कर इनके कई प्रकार से उपयोग करने के
विधान है. मोहन से सबंधित कई प्रक्रियाओ मे विभिन्न पदार्थो के माध्यम से अनुकूलता
प्राप्त हो ऐसे कई विधान प्राप्य है. महत्वपूर्ण विधानों मे से एक ऐसा ही गुप्त
विधान की प्रक्रिया इस प्रकार है.
साधक को इस प्रयोग के
लिए तिल का तेल चाहिए. साधक अपने सामने अपनी इच्छा के प्रमाण से तेल रख सकता है. तेल
कांच की बोतल मे रहे और जब तक मंत्र जाप हो उसका ढक्कन खुला रखे. उस तेल के सामने
शनिवार की रात्रि मे निम्न मंत्र की सफ़ेद हकीक माला से ५१ माला सम्प्पन कर ले. यही
प्रक्रिया अगले शनिवार को भी करे. इस प्रकार ३ शनिवार यह प्रक्रिया करे. साधक
इसमें कोई भी वस्त्र पहेन सकता है. दिशा दक्षिण. साधना काल मे धुप जलते रहना
चाहिए.
तेल तेल महा तेल देखू
तेरा खेल मोहय मोहय साधय साधय आण गुरु की.
३ शनिवार के मंत्र जाप
के बाद इस तेल को संभाल कर रख दे. जब भी प्रयोग करना हो तब सिद्ध किए हुए तेल से
दीपक जलाये और ११ माला निम्न मंत्र की जाप करे, मंत्र जाप के वक्त तेल का दीपक
जलते रहना चाहिए.
तेल तेल महा तेल देखू तेरा खेल (अमुक) को मोहय मोहय साधय साधय आण गुरु
की.
मंत्र मे अमुक की जगह
साध्य व्यक्ति का नाम ले जिसे मोहित करना हो. साध्य व्यक्ति का शीघ्र ही मोहन होता
है. मंत्र जाप के लिए वही माला उपयोग मे लाए जो की ३ शनिवार तक उपयोग की गई थि.
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In tantra field ‘Mohan’ has its own
important place among six basic rituals. Where though vashikarana, the control
of one’s mind could be taken to the hand; with the help of mohan one can
positively divert mental status of the individual which is the basic difference
among these two. Mohan process gives way for the acceptance of particular
process or circumstances in the positive way by their own mind for the
particular person. Like when vashikaran is done on particular person, at that
time he is ordered to accomplish the given task in his inner consciousness but
he would not realize it. But in mohan, person is bounded mentally to repond
positively by its own toward the sadhak. Every ritual task has its own
importance and all are great in its own. Knife and seasor both does work of cutting
but both are used at different places. Basically it depends on the situations.
In today’s world, everyone is aware
about the importance of the mohan. Business, workplace or it is about the house
holdings. To take help from tantra for favorable conditions is never wrong if
the motto of that task is not wrong. To increase business by making businessman
and customers in favor or to establish a personality with colleagues at
workplace or to make house people favorable at every step such prayoga is
needed.
In shabar mantra there are crores
of rituals related to shat karma which are easy in nature and very effective
too. To accomplish such mantra, many
types of mediums require. Like betel nuts, cardamom, sweets, perfumes etc. By accomplishing such materials with the help of them there
are several rituals to make conditions favorable. Like such important process
one of the secret processes is as follow.
Sadhak needs oil of sesame for this
prayog. Sadhak can take oil in desired quantity according to will. Oil should
be kept in glass bottle and till the time mantra chanting is done, the head of
the bottle should be open. One should chant 51 rounds of the following mantra
on Saturday night with white hakeek rosary in front of that oil. The same
process should be done on next Saturday. Total 3 Saturday the process should be
repeated. Sadhak can wear any cloth for this. Direction should be south. Dhoop should be kept on going till the time
of mantra chanting.
Tel tel mahaa tel dekhoo tera khel mohay
mohay saadhay saadhay aan guru ki.
(तेल तेल महा तेल देखू तेरा खेल मोहय मोहय साधय साधय आण गुरु की)
(तेल तेल महा तेल देखू तेरा खेल मोहय मोहय साधय साधय आण गुरु की)
After mantra chantings of 3
Saturday sadhak should keep that oil with care. Whenever one need to do prayog,
one should light the lamp with that oil and 11 rosary of the following mantra
should be done ; meanwhile the mantra chantings the lamp should kept on
burning.
Tel tel mahaa tel dekhoo tera khel
(amuk) ko mohay mohay saadhay saadhay aan guru ki
(तेल तेल महा तेल देखू तेरा खेल (अमुक) को मोहय मोहय साधय साधय आण गुरु की.)
In mantra chant the particular
desired person’s name on which Mohan is supposed to be done. The desired one
will get favorable in certain. For mantra chanting one should bring into use
the same rosary which is previously used on 3 Saturdays.
****NPRU****
kya main is mantra mein hakik mala ki jagah rudraksh ki mala use kar sakti hoon.
ReplyDeleteThanks