सामान्य मानव जीवन अपेक्षाओं और मनोरथों के दो पहियों पर टिका हुआ है,जिनकी पूर्ती होने से सुख और पूर्ती न होने से दुःख का अनुभव होता है ,और हम अपने जीवन को उन्नति की और अग्रसर होने के लिए भाग्य का मुँह ताकते बैठते हैं की कब वो हमारा सहयोग करे और हम जीवन में उन्नति के शिखर को छू सके . पर क्या सच में भाग्य सदैव हमारा सहयोग करता है.... नहीं ऐसा हमेशा तो नहीं होता,क्या तब हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना उचित है ? वास्तविकता ये है की भाग्य कर्म का अनुगामी है और जिसे कर्म करना आता है भाग्य सदैव उसके पीछे पीछे दौड़ता है , बहुधा जीवन की विपन्नता और गरीबी को हम रोते हैं,विविध प्रयोग भी करते हैं ,परन्तु हमें लाभ नहीं होता है,तब अक्सर हम क्रिया को दूषण देने का कार्य करने लगते हैं जबकि हम ये बात भूल जाते हैं की प्रारब्ध,संचित और क्रियमाण कर्मों का मल जब तक हमारे सौभाग्य के ऊपर अपना आवरण डाले रहेगा तब तक हम चाहे लाख प्रयत्न क्यूँ न करें,हमारे द्वारा किये गए प्रयासों से हमारा भाग्य कदापि नहीं जागेगा.
जब बात हम करते हैं की कर्म का अनुगामी भाग्य होता है तो इसका अर्थ शारीरिक परिश्रम तो होता ही है परन्तु उसके साथ साधनात्मक कर्म भी अनिवार्य होता है,और जब ये दोनों कर्म सकारात्मक दिशा में होते हैं तो,विपन्नता का नाश होकर,उन्नति,वर्चश्व,ऐश्वर्य,सौ
भाग्य और सम्मान की प्राप्ति होती ही है.
हम विपन्नता की अवस्था में हम आकस्मिक धन प्राप्ति के वृहद अनुष्ठान को संपन्न करते हैं ,पर क्या ये सही क्रम है ? नहीं ना,क्यूंकि दुर्भाग्र निवारण,दरिद्रता नाश और तत्पश्चात श्री आमंत्रण क्रम करना उचित होता है,तदुपरांत लक्ष्मी का श्री के रूप में आपके जीवन में आगमन होता है और उसके बाद जब हम लक्ष्मी कीलन या स्थिरीकरण की क्रिया करते हैं तो लक्ष्मी जन्म जन्मान्तरों के लिए हमारे कुल में स्थायी रूप से निवास करती हैं. स्मरण रखने योग्य तथ्य ये है की वृहद अनुष्ठान कभी भी आपको शीग्र लाभ नहीं दे सकते हैं क्योंकि उन्हें सिद्ध करने के लिए जो एकाग्रता,चित्त की सध्नाव्धि में इष्ट के साथ होने तारतम्यता का आभाव होना स्वाभाविक होता है और दीर्घ अनुष्ठान प्रारंभिक स्तर पर चित्त को उद्विग्न भी कर देते हैं अतः गृहस्थों को या जिन्हें शीघ्र लाभ चाहिए होता है उन्हें बीजात्मक साधनाओं को सम्पादित करना चाहिए.सदगुरुदेव के आशीर्वाद से ये अतिशीघ्र लाभ भी देते हैं और सिद्ध भी जल्दी हो जाते हैं तथा “यथा बीजम तथा अंकुरम्” की उक्ति को चरितार्थता भी तभी प्राप्त होती है जब आपका बीज पुष्ट हो तभी तो उसका आधार प्राप्त कर साधना आपके समस्त मल का नाश कर आपको आपका अभीष्ट प्रदान करती है.
याद रखिये प्रत्येक बीज के चैतान्यीकरण और जागरण की प्रथक प्रथक क्रिया होती है जो आपके उद्देश्य को दिशा देती है ,जैसे “क्लीं” बीज का यदि वशीकरण साधना के लिए प्रयोग करना हो तो उसे जाग्रत करने और स्वप्राण घर्षित करने की क्रिया भिन्न होगी उस क्रिया से जो की संहार के लिए प्रयुक्त की गयी हो.
यहाँ पर हम बात आर्थिक उन्नति की कर रहे हैं ,तो जब जॉब में या व्यवसाय में अथवा सामान्य जीवन में आप पैसों के लिए मोहताज हो गए हो तो किसी भी अन्य लक्ष्मी प्राप्ति प्रयोग को करते समय यदि “ह्रीं” बीज का सायुज्यीकरण कर दिया जाये तो वह प्रक्रिया निसंदेह अपना तीव्र प्रभाव प्रदान करती है ,और यदि मात्र इसी बीज का प्रयोग किया जाये तब भी आर्थिक बाधाओं का नाश तो करती ही है साथ ही साथ नौकरी या व्यवसाय पर छाये हानि के बादलों को भी पूरी तरह समाप्त कर देती है ,प्रयोग बड़ा या छोटा होने से प्रभाव की प्राप्ति नहीं होती है अपितु उसकी पद्धति कितनी विश्वसनीय है और उसका आधार क्या है ये ज्यादा महत्वपूर्ण है ,याद रखिये “ह्रीं’ महाकाली,महासरस्वती और महालक्ष्मी तीनों का ही बीज है अर्थात त्रिगुण शक्तियों से परिपूर्ण है अर्थात ,शक्ति,वेग और तीव्रता का संयुक्त रूप,अतः इसका कैसे सयुज्यीकरण किया जायेगा ये ज्यादा महत्वपूर्ण तथ्य होता है किसी भी क्रिया के पूर्ण होने के लिए.
हम बात आर्थिक लाभ या सम्मान या नौकरी या व्यवसाय के स्थायिव की कर रहे है तब इसका प्रयोग कैसे किया जाए मात्र उससे अवगत करना ही मेरा उद्देश्य है –
किसी भी रात्रि को विशुद्ध शहद १०० ग्राम लेकर एक कांच के पात्र में रख ले और उस पात्र को सदगुरुदेव,गणपति और हाथों से स्वर्ण बरसाती पद्म लक्ष्मी के सामने स्थापित कर दे,घृत दीपक प्रज्वलित करे और गुलाब धुप और गुलाब पुष्प से पूजन करे ,साफ़ वस्त्र व आसन हो रात्री या संध्या का समय हो, सफ़ेद कागज या ज्यादा उचित है की भोजपत्र पर अष्टगंध के द्वारा अनार की कलम से “ह्रीं” लिखे और अपना पूर्ण नाम लिख कर फिर से “ह्रीं” लिख दे,ये बहुत ही छोटे कागज या पत्र पर लिखना है.इसके बाद उसी स्थान पर बैठे बैठे बीज मंत्र की ३ माला हकीक या मूंगे माला से करे ,और उसके बाद उस पत्र की गोली बनाकर उस शहद में डुबो दे ,ये क्रम मात्र ३ दिन करना है अर्थात आपको नित्य बीजंकन कर के उसके सामने पूजन तथा जप करना है और मधु में डुबो देना है.इसके साथ आप अन्य प्रयोग भी कर सकते हैं या यदि अन्य लक्ष्मी प्रयोग न कर रहे हो तो इस बीज की माला संख्या ७ कर दीजिए और दिन की अवधि ५ कर दीजियेगा,अंतिम दिवस जप के दुसरे दिन उस पात्र में से सभी गोलियों को निकाल कर किसी बहते साफ़ जल में प्रवाहित कर दे और शहद का आप स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए नित्य सेवन भी कर सकते हैं या वशीकरण साधना में भी प्रयोग कर सकते हैं,सेवन करने के लिए एक इलायची को नित्य उसमे भिगोकर खाना चाहिए. ये सदगुरुदेव की असीम अनुकम्पा है की हमारे मध्य इतने सरल परन्तु अचूक प्रयोग प्राप्य है,आप स्वयं ही इसे कर के प्रभाव देख सकते हैं.
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Common human’s life is just based on two type of wheels named expectations and destinations and no doubt fulfillment of these expectations give us happiness and leads our life towards development…..so let me know my dear is it all right for us to look at sky in the form of our destiny so that there will be someone who can hear us and fulfill our motives…..and is it destiny which always support us….no it never happens always….so is it fine to sit back in such dreadful situations…….again a big NO. The fact is that “necessity is the mother of invention” so it is clear that who will work hard definitely will be honored of destiny. Mostly we cry over poverty and illness and to remove such pitfalls we do number of experiments but again all in vain and this causes depression in our life.
When we talk about that it is our needs which causes miracles but one thing which should kept in mind is that when we talk about hard work it’s not always about physical beside this sadhnatmak hardship is must and when both of these powers works for you then definitely emptiness of life removes and development, luxury, destiny and magnificence blessed you.
During hardship times we do our best to change time’s cycle from misfortune to fortune and to get this done we take the shelter of Anushthans but do we ever try to know whether these anushthans and all that going on right direction or not? Because to get all this perfectly done we need to follow a systematical order as firstly one should get rid of his misfortune, secondly make sure your poverty has been destroyed than finally you can welcome Goddess Laxmi in the form of Shri in your home so that she should stay there permanently to give you and your family a luxuries life for- ever and forever. Another important fact is that to carry on big anushthan at grand scale is not always prove beneficial as to carry out them one should be more conscious and stable in his thoughts and action whereas on the other hand long anushthan makes us bored quite bitter but true so for a domestic person its always good to get power and blessings from Beejaatmak sadhnaas as they get easily sidh and fruitful as well and according to “यथा बीजम तथा अंकुरम्” if you sow pure seed than its quite sure you are going to have a fruitful tree similarly when we talk about sadhnaa its result depends on our concentration in the form of seed.
One should always keep in his mind that in order to enlighten each and every month, needs to follow different procedure as in order to sidh “KLEEM” beej for Vashikaran purpose is followed by totally differ process in which this mantra is get sidh for Sanhaar proyog.
Here we are talking about financial growth so if one faces financial crisis so what should he prefers to do…..with any type of Laxmi proyog he should lit the spark the “HREEM” beej with it as by doing so work will work at super speed…..about this beej mantra another important thing is that if someone uses this mantra alone then to all the financial obstacles ultimately get removes as the results of the proyog don’t affected by the fact that at what scale you are carrying out them. Instead of this the important thing is that how strong your consciousness is and faithfully you are carrying out them. Always remember that “HREEM” beej collectively symbolizes Maha Kaali, Maha Saraswati and Maha Laxmi in short this beej represents Shakti (power), Veag (density) and Teevrta (velocity) and the procedures based on the fact that how you get it enlighten.
As we are talking about financial betterment or permanence in job so its my duty to let you know its procedure-
At any night take 100grams pure honey in clear glass utensil (kaanch ka paatr) and place that paatr in front of Sadgurudev, Lord Ganpati and Goddess Laxmi, lit ghee lamp and offer rose (gulab) incense and rose flowers as well, your clothes and aasan should neat and clean and time can be evening or night as well. Then if possible write “HREEM” with ashtgandha on bhojpatra with the pencil of pomegranate stem (anaar ki kalam) if not bhojpatra you can use white paper for it then after Hreem write your name then again after your name write Hreem. Remember you have to use very short paper for this. After that do 3 rosary of beej mantra with the rosary of Black Hkeek aur Moonga. After finishing it roll that paper in round shape and dip it in that honey….follow this process for continuous 3 days means daily you need to write beej mantra then your name then again mantra on paper and after pooja dip that paper in honey….you can do any other proyog along with this related to Laxmi and if you are not doing so than increase the number of rosaries from 3 to 7 and days from 3 to 5. Day after the final jaap day take out all the papers from honey gat them dump under the flowing clean water and as the matter of honey you can use it to strengthen your memory as well as it can be used for Vashikaran sadhna. If you want to eat or drink that honey then don’t forget to dip a cardamom (ilaichi) in it every day. It is just because of the blessings of our revered Sadgurudev that we have such a small, easy but meaningful proyog to get comforts in our life.
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Bhai,
ReplyDeletePlease ye batain ki agar behta pani na mile to kya samudra main visarjit kar sakte hain