Sunday, February 19, 2012

अमोघ शिव गोरख प्रयोग (AMOGH SHIV GORAKH PRAYOG)


भगवान शिव का वर्णन करना भी क्या संभव है. एक तरफ वह भोलेपन की सर्व उच्चावस्था मे रह कर भोलेनाथ के रूप मे पूजित है वही दूसरी और महाकाल के रूम मे साक्षात प्रलय रुपी भी. निर्लिप्त स्मशानवासी हो कर भी वह देवताओं मे उच्च है तथा महादेव रूप मे पूजित है. तो इस निर्लिप्तता मे भी सर्व कल्याण की भावना समाहित हो कर समस्त जिव को बचाने के लिए विषपान करने वाले नीलकंठ भी यही है. मोह से दूर वह निरंतर समाधि रत रहने वाले महेश भी उनका रूप है तथा सती के अग्निकुंड मे दाह के बाद ब्रम्हांड को कंपाने वाले, तांडव के माध्यम से तीनों लोक को एक ही बार मे भयभीत करने वाले नटराज भी यही है. संहार क्रम के देवता होने पर भी अपने मृत्युंजय रूप मे भक्तो को हमेशा अभय प्रदान करते है. अत्यंत ही विचित्र तथा निराला रूप, जो हमें उनकी तरफ श्रध्धा प्रदर्शित करने के लिए प्रेम से मजबूर ही कर दे. सदाशिव तो हमेशा से साधको के मध्य प्रिय रहे है, अत्यधिक करुणामय होने के कारण साधको की अभिलाषा वह शीघ्रातिशिघ्र पूर्ण करते है.
शैव साधना और नाथयोगियो का सबंध तो अपने आप मे विख्यात है. भगवान के अघोरेश्वर स्वरुप तथा आदिनाथ भोलेनाथ का स्वरुप अपने आप मे इन योगियो के मध्य विख्यात रहा है. शिव तो अपने आप मे तन्त्र के आदिपुरुष रहे है. इस प्रकार उच्च कोटि के नाथयोगियो की शिव साधना अपने आप मे अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है. शिवरात्री तो इन साधको के लिए कोई महाउत्सव से कम नहीं है. एक धारणा यह है की शिव रात्री के दिन साधक अगर शिव पूजन और मंत्र जाप करे तो भगवान शिव साधक के पास जाते ही है. वैसे भी यह महारात्रि तंत्र की द्रष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण समय है. अगर इस समय पर शिव साधना की जाए तो चेतना की व्यापकता होने के कारण साधक को सफलता प्राप्ति की संभावना तीव्र होती है.
नाथयोगियो के गुप्त प्रयोग अपने आप मे बेजोड होते है. चाहे वह शिव साधना से सबंधित हो या शक्ति साधना के सबंध मे. इन साधनाओ का विशेष महत्व इस लिए भी है की सिद्ध मंत्र होने के कारण इन पर देवी देवताओं की विभ्भिन शक्तिया वचन बद्ध हो कर आशीर्वाद देती ही है साथ ही साथ साधक को नाथसिद्धो का आशीष भी प्राप्त होता है. इस प्रकार ऐसे प्रयोग अपने आप मे बहोत ही प्रभावकारी है. शिवरात्री पर किये जाने वाले गुप्त प्रयोगों मे से एक प्रयोग है अमोध शिव गोरख प्रयोग. यह गुप्त प्रयोग श्री गोरखनाथ प्रणित है.
साधक को पुरे दिन निराहार रहना चाहिए, दूध तथा फल लिए जा सकते है. रात्री काल मे १० बजे के बाद  साधक सर्व प्रथम गुरु पूजन गणेश पूजन सम्प्पन करे तथा अपने पास ही सद्गुरु का आसान बिछाए और कल्पना करे की वह उस आसान पर विराज मान है. उसके बाद अपने सामने पारद शिवलिंग स्थापित करे अगर पारद शिवलिंग संभव नहीं है तो किसी भी प्रकार का शिवलिंग स्थापीत कर उसका पंचोपचार पूजन करे. धतूरे के पुष्प अर्पित करे. इसमें साधक का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए. वस्त्र आसान सफ़ेद रहे या फिर काले रंग के. उसके बाद रुद्राक्ष माला से निम्न मंत्र का ३ घंटे के लिए जाप करे. साधक थक जाए तो बिच मे कुछ देर के लिए विराम ले सकता है लेकिन आसान से उठे नहीं. यह मंत्र जाप ३:३० बजने से पहले हो जाना चाहिए.
 शिव गोरख महादेव कैलाश से आओ भूत को लाओ पलित को लाओ प्रेत को लाओ राक्षस को लाओ, आओ आओ धूणी जमाओ शिव गोरख शम्भू सिद्ध गुरु का आसन आण गोरख सिद्ध की आदेश आदेश आदेश
मंत्र जाप समाप्त होते होते साधक को इस प्रयोग की तीव्रता का अनुभव होगा. यह प्रयोग अत्यधिक गुप्त और महत्वपूर्ण है क्यों की यह सिर्फ महाशिवरात्री पर किया जाने वाला प्रयोग है. और इस प्रयोग के माध्यम से मंत्र जाप पूरा होते होते साधक उसी रात्री मे भगवान शिव के बिम्बात्मक दर्शन कर लेता है. एक ही रात्रि मे साधक भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन को धन्य बना सकता है. अगर इस प्रयोग मे साधक की कही चूक भी हो जाए तो भी उसे भगवान शिव के साहचर्य की अनुभूति निश्चित रूप से होती ही है.
It is almost impossible to describe lord Shiva in the words. On one side he is on holder of maximum innocence in the universe with his worshiping form of Bholenath where as on the other hand he is Holocaust in the form of Mahakala. With complete unattached mind, living in seminary he is higher in the category of the gods and worshiped as Mahadeva. But with this nonattachment is also followed by feelings of complete welfare of mankind and thus the one who drunk the poison to save universal belongings is worshiped as nilkantha. His forms also include Mahesha who stays in Samadhi constantly with no amount of enchantment. And the one who thrilled whole universe when sati went to Agni Kunda, the one who can make fear all the three worlds with Taandava, the Nataraj also belongs to him. While being god of the destruction, he also provides fearlessness from these to his devotees in the form of Mrutyunjaya. His form is so unique and strange that always force us with love to devote our self towards him. Sadaashiv has always remained famous among sadhaka, being complete pitiful he sooner provides the desired results to sadhaka.
Relation of Shaiva sadhana and NathYogis has remained famous. Agoreshwar and aadinaath Bholenaath form of the god has remained famous among these Yogis. Shiv is provider of tantra.  This way shiva sadhana of higher NathYogis has remained very important. Shiv raatri is one of the biggest days for this sect.  This is a belief that anyone who do poojan and mantra chantings of the lord shiva on shivaratri, lord shiva will for sure visit that place. On other side, time of MahaShivaratri is also very important on the tantra point of view. If shiva sadhana is done on this particular time then because of the higher energy flow, possibilities to have accomplishments remain at its maximum.
The secret rituals of NathYogis are imcomparable. Rather it belongs to Shiva sadhana or shakti sadhana. These sadhana consist big importance because of being siddha mantra, various gods and goddesses bliss the sadhaka bounded by the promises with that sadhak also receives blessings of Nath Siddhas. This way such prayogs are very effective. One of such prayog, done on shivratri is Amodh Shiva Gorakh Prayoga. This prayoga was formed by Shri Gorakshnaath.
Sadhak should not have food in day time but can have milk and fruits. In the night time after 10PM one should do guru poojan followed by ganesha poojan and one should spread aasana for the guru imaging his presence on it, just near to the aasan of one’s self. After that sadhak should establish paarad shivalinga in front if that is not possible one may establish any shivalinga and do panchopachaar poojan. Flowers of Dhatoora should be offered. Direction should be north. Cloths and aasan should be either white or black in color. After poojan process one should chant following mantra for 3 hours. If sadhak feels tired then one can take rest for few minutes inbetween but sadhak should not stood up from the aasana. This mantra chantings should be completed before 3:30AM.
Om Shiv Gorakh Mahaadev Kailaash se aao bhoot ko laao palit ko laao pret ko laao raakshas ko laao aao aao dhooni jamaao shiv gorakh shambhoo siddh guru ka aasan aan gorakh siddh ki aadesh aadesh aadesh 

When mantra jaap is about to get over sadhak will feel the intensity of the mantra force. This process is very secret and important because this process could be done on Mahashivaraati Only. And with This prayog while mantra chantings is about to get over, sadhak gets glimpses of lord shiva. In one single night sadhak can have blessings of lord shiva and can bliss his whole life. If sadhak makes any minor mistakes in this process then too he will feel the presence of lord shiva for sure.
   

                                                                                               
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7 comments:

  1. jai gurudev bhaiyya prayog achha laga bhaiyya aapne jo kaha hai kiअपने पास ही सद्गुरु का आसान बिछाए और कल्पना करे की वह उस आसान पर...matlab aasan bhoomi par aapne bagal mein ya bajoot par pls bhaiyya ....

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  2. bhai aap baajot par aasan rakhe to behtar he lekin agar sambhav naa ho to bhoomi par bhi rakh skte he

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  3. Kripya gurubhai aap log yeh batayein ki is sadhana ke dwara koi bhi manokamana purna ho jati hai kya????apke jawaab ka intizaar rahega.....

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  4. Kripya gurubhai aap log yeh batayein ki is sadhana ke dwara koi bhi manokamana purna ho jati hai kya????apke jawaab ka intizaar rahega

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  5. jai gurudev, teek samay pe ye amogh sadhana batane ke liye bhahut bhahut dhanyavaad. Aaj Raat ko ye sadhana jaroor karoonga..

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  6. mantra me bhoot lao palit lao dhuni lagao... kya ese sabd ke side effects ho sakte he? matlab bhut ya negtive urja ghar me aa sakti he? ya agar koi side ffect ho o inse kese bache?

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  7. प्रीय भाई ये साबर मन्त्र है अतः इन मंत्रो में ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है. इस प्रयोग में किसी भी प्रकार से आपकी हानि होने की संभावना नहीं है,अतः आप निश्चिंत रहें

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