मनुष्य अपने जीवन काल मे कई प्रकार से अपने जीवन को उर्ध्वगामी बनाने की कोशिश मे रहता है. चाहे वह भौतिक पक्ष हो या आध्यात्मिक पक्ष. एक व्यक्ति के जीवन मे लक्ष्मी का क्या स्थान है यह कहने की बात नहीं है. आज के युग मे हर एक कदम पर व्यक्ति को धन की नितांत आवश्यकता होती ही है. लेकिन क्या मात्र धन प्राप्त हो जाने से ही सब कुछ संभव हो जाता है? नहीं. इसी लिए महालक्ष्मी के विभ्भिन्न रूप की साधना प्रचलन मे रही है. धन लक्ष्मी से जहा धन प्राप्त किया जाता है, वही सौभाग्यलक्ष्मी से सौभाग्यवृद्धि की जाती है और ऐश्वर्यलक्ष्मी से स्थिर ऐश्वर्य की प्रार्थना कर जीवन को सुखमय बनाया जाता है. इसी क्रम महालक्ष्मी का एक और मंगलमय रूप है संतानलक्ष्मी. संतानसुख, पूर्ण और सुखसम्प्पन भौतिक जीवन का एक बहुत बड़ा अंग है. सिर्फ संतान हो जाना ही संतान का पूर्ण सुख नहीं है. अगर आगे जा कर वही संतान अयोग्य वर्तन करने लगे या फिर किसी असामाजिक संगत मे फंस कर जीवन बर्बाद कर दे तो वही संतान सुख, एक बहोत ही बड़े दुःख मे परावर्तित हो जाता है. संतानलक्ष्मी की साधना अपने आप मे पूर्ण रूप से संतानसुख की प्राप्ति करवाता है. इस साधना से निम्न लाभ प्राप्त होते है.
· संतान के विचार अनुकूल तथा योग्य दिशा की और गतिशील रहे
· संतान को पूर्ण सौभाग्य की प्राप्ति हो
· संतान किसी गलत या असामाजिक संगत मे ना पड़े या अगर हो तो एसी संगत से मुक्ति मिले
· संतान को जीवन मे योग्य दिशा दर्शन प्राप्त होते रहे जिससे की जीवन के हर क्षेत्र मे उन्हें पूर्ण सफलता मिलती रहे.
· संतान घर के सदस्यों के अनुकूल रहे तथा पारिवारिक योग्य आचरण हो कर घर का वातावरण सुखमय बना रहे
इस प्रकार यह साधना जीवन मे संतान से सबंधित कई प्रकार के लाभ देती है. और सही अर्थो मे व्यक्ति को भी पूर्ण संतान सुख की प्राप्ति होती है. महालक्ष्मी से सबंधित इस रूप की साधना उच्च गृहस्थ जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण अंग है. अगर कोई व्यक्ति को संतान से सबंधित कोई समस्या नहीं भी है तो भी वह संतान को सौभाग्य प्राप्ति हो इस अर्थ से यह साधना कर सकता है. इसमें संतान की उम्र से कोई लेना देना नहीं है.
इस साधना को किसी भी शुक्रवार की रात्री मे १० बजे के बाद से शुरू किया जा सकता है.
इस साधना के लिए साधक के वस्त्र व् आसान लाल रंग के हो. दिशा उत्तर रहे.
अपने सामने व्यक्ति को संतान लक्ष्मी का चित्र लाल वस्त्र पर स्थापित करना चाहिए. संतानलक्ष्मी महालक्ष्मी का रूप है जो एक छोटे बालक को अपनी गोद मे रखे हुए है. अगर ऐसा चित्र ना मिले तो महालक्ष्मी का चित्र भी स्थापित किया जा सकता है. साधक धुप, दीप तथा भोग लगाए.
साधक चित्र का पूजन करे तथा इसके बाद देवी से पूर्ण संतान सुख और सिद्धि के लिए प्रार्थना कर मंत्र जाप शुरू करे. कमलगट्टे या मूंगा माला से निम्न मंत्र की २१ माला मंत्रजाप हो.
ॐ श्रीँ ऐं संतानलक्ष्मी पूर्ण सिद्धिं ऐं श्रीँ नमः
मंत्र जाप के बाद साधक देवी को अर्पित किया हुआ भोग ले कर प्रसाद रूप मे ग्रहण करे. साधक यह क्रम ११ दिनों तक जारी रखे. इसके बाद साधक माला को किसी देवी मंदिर मे कुछ दक्षिणा के साथ चडा दे.
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A human being always makes efforts as how his life could be better than present condition. Be it at materialistic front or the spiritual one. And I guess no need to explain the importance of money in anyone’s life.. Isn’t it? At every step of life one need to have money for moving ahead in his life. But only having money is sufficient? Hmm so answer is No.. That’s the reason various forms of Goddess Mahalaxmisadhna are in trend. From DhanLaxmi you get money, from SoubhagyaLaxmi you get good fortune and via AishvaryaLaxmi you get all the luxuries in your life. In the same sequence one more form of Mahalaxmi is their i.e. SantanLaxmi. The SantanLaxmi denotes progeny. Progeny not only bows you with happiness but also with this it enhances your completeness as it’s a very important part of life. Only by having child cannot complete you progeny happiness. Let say if in future the same child goes against you or behave wrongly or get trapped under wrong company and spoil his life then the same progeny becomes a curse or pain for you. Now the SantanLaxmiSadhna bows you with complete progeny happiness to you in your life. This sadhna benefices’ you in this manner..
· This makes children mental thought positive and navigates in right direction.
· It gives complete good fortune.
· It escapes children from bad company and if already caught then sets free from it.
· This guides them in appropriate direction via which they achieve success in each front of life.
· They should remain always in favour of family member so that home environment also remains healthy and fine.
This is how this sadhnagaves you many more benefits in your life. And in real sense you achieve issue happiness in your life. As this sadhna is an important part of married life as well. Even if anyone doesn’t have such problem can also attempt this sadhna. This has nothing to do with children age factor. I mean you can do it at any time.
You can start this sadhna on any Friday after 10 pm.
For this sadhna the clothes and asan should be red. Direction should be north.
One should place a photo of santanLaxmiinfront of him on red cloth. The form is like she is holding a small child in her lap. And if you don’t find such picture then you can use a ususalMahalaxmi picture also. Sadhak should use Dhup, Lamp and offer Sweets.
Sadhak should worship and then pray for complete happiness and siddhi. Then start mantra chanting by kamalgatta or coral rosary and complete 21 rosaries.
Om shreem aing santan lakshmi poorna siddhim aing shreem namah
After completion he should eat the offered sweet. Sadhak should continue this for 11 days. Then after completing sadhnasadhak should place the rosary at any Goddess (Devi) temple.
****NPRU****
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Jai gurudev...Arif bhaiya yeh sadhana pradaan karne ke liye bahut-2 shukriya...Arif bhaiya kya aap soundarya paraad lakshmi sadhana ke baare mein koi sadhana pradaan kar hamne kritarth karein...Jai gurudev..
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