अब जीवन हैं तो इच्छाए भी हैं ...
और जब इच्छाए हैं तो . ..हैं ..
पर उनको पूर्ति करने केलिए कोई न कोई माध्यम भी होना चाहिए .
“इच्छा विहीन पशु :” पशु की कोई इच्छा नही होती हैं .
तो क्या इच्छा करना गलत हैं .. नही ऐसा नही हैं ... यह जरुर हैं
कि हमारी शुभ इच्छाओ की पूर्ति होना ही चाहिए ..
और जब हमारी कह सकने वाली या न कह सकने वाली इच्छाए पूरी नही होती तो जीवन मे एक कमी सी दिखती हैं निराशा सी छा जाती हैं .. जीवन निस्सार सा लगने लगता हैं .
और जब हमारी कह सकने वाली या न कह सकने वाली इच्छाए पूरी नही होती तो जीवन मे एक कमी सी दिखती हैं निराशा सी छा जाती हैं .. जीवन निस्सार सा लगने लगता हैं .
एक इच्छा की पूर्ति हुयी तो उससे सबंधित नयी इच्छाओ का आगमन होना स्वाभाविक हैं और जीवन की यह श्रेष्ठता होगी कि व्यक्ति जो भी अपने मन मे शुभ संकल्प रखे वह पूरे होते जाए .
पर यह भी सच हैं कि छोटो छोटी इच्छाओ कि पूर्ति होते जाने से मन आत्मा प्रसन्न रहते हैं और
उमंगता का जीवन मे एक आगमन सदैव रहता हैं .
साधक
का एक अर्थ या मतलब ही हैं जो सदैव साधना मे रहे.पर
हर इच्छा की पूर्ति के लिए
एक बृहद साधना
तो उचित नही
हैं न ही आज के
समय मे किसी के पास इतना समय ....... या साधक पहले से
ही किसी बड़ी साधना को करते चले आ
रहा हैं ....तब
अब वह क्या करे ..??
· किसी इच्छित
व्यक्ति को
जीवन साथी के रूप
मे देखना ..
· किसी उचित
या श्रेष्ठ जगह ..व्यवसाय खोलना या नौकरी पाना
· और कह सकने योग्य
और ना कह सकने योग्य भी ..बाते ..
साधना
क्षेत्र अनेको विधियां
सामने रखता ही हैं और साधक अगर
मनो योग से करता हैं
तो फल की प्राप्ति भी संभव हैं
पर यह नही कि एक साधना की
और बस इंतज़ार मे बैठ
गए आपने अपना
कार्य पूरा किया और आगे बढते जाए .. अगर क्रिया सही ढंग से की हैं तो परिणाम प्राप्त होगा ही ..यह विश्वास भी मन मे होना
ही चाहिये .
“
ह्रीं “ यह महा बीज मंत्र
हैं जो कि ह्रदय
के आकार सा
दिखाई देता हैं और ह्रदय
जहाँ से भावनाये .इच्छाए जुडी हैं तो
क्यों न इस परम बीज का सहारा लिया
जाए . वेसे भी माँ पराम्बा के भुवनेश्वरी स्वरुप का यह मंत्र हैं .जो
सम्पूर्ण चौदह भुवनो
कि आधिस्ठार्थी हैं , और गृहस्थ जीवन और
सौम्य पक्ष जीवन
के उनसे ही
जुड़े हैं .
एक
ओर यह बीज मंत्र
महा लक्ष्मी से भी जुड़ा
हैं और तंत्र ग्रन्थ तो इस बीज मंत्र को भगवती महाकाली से युक्त भी मानते
हैं तो एक परम बीज मंत्र जो त्रयी महाशक्तियों से जुड़ा हैं
अगर उसे ही आधार बना कर एक यंत्र का
निर्माण किया जाए तो
....
निश्चय
ही जिस मनोकामना के लिए
किया जा रहा हैं उसके पूर्ति मे अनुकूलता तो होगी ही ...
इसमें
अनार की कलम का उपयोग होगा और स्याही तो अष्ट गंध की ही होना चाहिए . भोज
पत्र पर इस यन्त्र को
१०८ बार अलग
अलग बनाना हैं . और फिर अच्छे से पूजा
धूप दीप से करना हैं , इन यंत्रो की .
इसके बाद सिर्फ एक यन्त्र को अपने
पास रखना हैं उसे किसी भी चांदी के ताबीज मे रख कर धारण कर ले.
एक
और यन्त्र को
ले कर उसे पूजा स्थान मे रख ले नित्य पूजा आदि करते रहे ...
शेष
बचे १०६ यंत्रों को किसी भी पक्ष की दूज की शाम
को नदी या
साफ़ तालाब मे विसर्जित कर दे .
जिस
मनोकामना को मन मे रख
कर आपने इन यंत्रों का निर्माण किया
हैं उसमे अनुकूलता आयेगी ही.
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And when there are desires then….
But there should also be medium to fulfil them.
“IchhaVeehanPashuh:” Animal does not have any
desires.
So is it wrong to have desires……no it is not like
that…..It is necessary that all our good wishes should be fulfilled.
And when our wishes (both which can be told and
which cannot be told) are not fulfilled then we see start seeing deficiency in
our life, depression sets in and life appears to be meaningless.
When onewish is fulfilled then it is natural for
associated new wishes to arise. It will be the beauty of our life if all the
good resolutions what person keep in his mind, they are fulfilled.
But this is also true that fulfilment of
small-small desires makes our mind and soul happy and a sense of enthusiasm
always remains in life.
One meaning of sadhak is that the one who is in
sadhna always but it is neither correct to do high-order sadhna for fulfilment
of each wish nor we have the time to do so……. Or if sadhak is doing any big
sadhna already ….then what he should do …??
·
To see any desired person as life-partner…
·
To do any profession at any suitable place or to
get employment
·
And all other things which can be told or which
cannot be told.
Sadhna field definitely puts forward various
processes and if sadhak do them with dedication then getting results is also
possible. But it is not that you did one sadhna and then started waiting. You
have done your work and proceed forward…….If you have done the process in right
manner then results will definitely come….such type of confidence you should
have.
“Hreem” is that great beej mantra whose shape is like that of heart and
it is the heart where emotions and wish arise. So why not, we take the help of
this supreme beej. To add to that, it is the mantra of Bhuvneshwari form of Maa
Paramba who is the supreme deity of fourteen bhuvans.Married life and Saumya
side of life are connected with it.
This beej mantra is also connected with Maha Lakshmi and Tantra
scripture even considers this beej mantra to be connected to Maa Mahakali.So
this supreme beej mantra which is connected with three superpowers then why not
taking this as base; construction of one mantra should be done…
Definitely it will help in getting our wish
fulfilled…….
For it, pen/pencil of pomegranate should be used
and the ink should be of asthgandh. You have to make this yantra 108 times
separately on Bhoj patra and then you have to worship it nicely with dhoop and
deep. After that you have to keep one yantra along with you. You can wear it in
any silver amulet.
Establish one such yantra in worship room and
worship it daily…..
Offer rest of 106 yantra in any river or clean pond
on the evening of second day of any paksha.
The wishes which you had in mind while making this
yantra will definitely be complied with.
****NPRU****
Bhaiyya pls reply to karen , kyoki yahaa saaf paani ki nadi ya taalab milna kathin hai... bataiye ki baki 106 yantron ko kya peepal ke ped par chadha sakte hain ya fir koi doosra upaay hai?
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