अब एक साधक को थोडा
सा ज्योतिष का ज्ञान
होना ही चाहिये, खासकर लोकल पंचांग देखना
तो बनना ही चाहिये.. क्योंकि आने
वाले अनेक तथ्य
सिर्फ इस बात पर आधारित
हैं की आज तिथि कौन सी
हैं ?? या किसी विशेष तिथि से अभी
तक या आज तक कितनी
तिथि निकल गयी हैं या
इनकी संख्या मे किसी राशि विशेष का भाग देना ... यह बहुत सरल सा हैं और मात्र कुछ मिनिट मे सीखा जा सकता हैं . पर इसकी उपयोगिता सारे जीवन भर
की रहेगी इस बात को विशेष ध्यान मे
रखे ..क्योंकि एक साधक को
पूर्ण होना हैं तो हर दिशा
से ही पूर्ण होना होगा ..केबल
एक पक्ष से आगे
जाना कुछ उचित
सा नही लगता ..जबकी सदगुरुदेव जैसे ब्रम्हांड
पुरुष का लहू हममे प्रवाहित
हो रहा हैं वह तो हमें
अब क्यों रुकना और
यह लोकल पंचांग
मे सिर्फ तिथि देखते बनना
तो बहुत ही
सरल कार्य हैं .
एक महीने मे दो
पक्ष होते हैं लगभग लगभग १५
/ १५ दिन के .
और एक का नाम शुक्ल पक्ष हैं तो
दूसरे का नाम कृष्ण पक्ष .
दोनों पक्षों मे पहली तिथि या दिन तो प्रतिपदा या प्रथम
तिथि कहते हैं .
·
शुक्ल
पक्ष के अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं .
·
तो
कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि
को अमावस्या कहते हैं .
ये दोनों पक्ष लगातार
एक के बाद एक चलते रहते हैं .
तो लोकल पंचांग मे
देखें की जिस
भारतीय महीने मे हम चल
रहे हैं ...तो मानलो आज हम कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि
मे चल रहे है तो ..
1.
शुक्ल
प्रतिपदा से पूर्णिमा
तक = १५ तिथि
2.
कृष्ण
पक्ष
की चौथी तिथि =
४ तिथि
3.
इस योग मे
जोड़े हमेशा = १
कुल योग आया = १५
+ ४+१ = २०
·
आज कौन सा दिन
हैं और इस दिन को
रविवार से गिने
·
मानलो
आज बुध वार हैं तो रविवार से
गिनने पर बुधवार = ३
आया
कुल योग २०
+ ३ = २३ / ४ कर
दे तो शेष कितना बचा .
४)२३(५
२०
---------
३ को शेष कहा जायेगा ..
परिणाम इस प्रकार से होंगे
·
शेष ०
तो अग्नि का निवास पृथ्वी पर
·
शेष १
तो अग्नि का निवास
आकाश मे
·
शेष
२ तो अग्नि का निवास पाताल मे
·
शेष ३
बचे तो
पृथ्वी पर माने
पृथ्वी पर अग्नि वास
सुख कारी होता हैं आकाश
मे प्राणनाश और
पाताल मे धन नाश होता हैं .
मतलब हमें वह तिथि चुनना हैं जिस तिथि मे
शेष ३ बचे .वह तिथि ही लाभकारी होगी .
प्रज्वलित अग्नि के
आकार को देख कर कई नाम रखे
गए हैं पर अभी उनसे हमें सरोकार नही हैं
इस तरह से अग्नि वास का
पता हमें लगाना हैं .
देव शयन ..
आशाढ शुक्ल ११ से लेकर
कार्तिक शुक्ल ११ (दीपावली के बाद
के ११
ग्यारह दिन तक ) तक का समय देव शयन
काल कहलाता हैं . इस काल मे सभी शुभ कार्य वर्जित हैं खासकर यज्ञ और
आहुति .
भू रुदन :
हर महीने की अंतिम घडी ,
वर्ष का अंतिम् दिन , अमावस्या ,
हर मंगल वार को भू रुदन होता हैं अतः इस काल को शुभ
कार्य भी नही लिया जाना
चाहिए ..
यहाँ महीने का मतलब
हिंदी मास से हैं .और एक घडी मतलब २४ मिनिट
हैं . अगर ज्यादा गुणा न किया
जाए तो मास का
अंतिम दिन को इस आहुति कार्य
के लिए न ले .
भू रजस्वला ::
इस का बहुत
ध्यान रखना चाहिए . यह तो हर व्यक्ति जा नता हैं की मकरसंक्रांति लगभग कब पड़ती हैं अगर इसका
लेना देना मकर राशि
से हैं तो तो इसका सीधा सा
तात्पर्य यह हैं की हर महीने एक सूर्य
संक्रांति पड़ती ही हैं
और यह एक हर महीने पड़ने वाला विशिष्ट साधनात्मक
महूर्त होता हैं , तो जिस भारतीय महीने
आपने आहुति का मन बनाया हैं , ठीक
उसी महीने पड़ने
वाली सूर्य संक्रांति से ,(हर लोकल पंचांग मे यह दिया
होता हैं .लगभग १५
तारीख के आस पास यह दिन होता हैं ..).मतलब सूर्य
संक्रांति को एक मान कर गिना जाए
तो १,५,१०,११, १६ , १८ ,१९ दिन भू रजस्वला होती हैं.
या
1. किसी भी पक्ष की
पंचमी को
मगंल वार . हो तो इसके आगे के तीन दिन
भू रजस्वला मानी जाती हैं
2. किसी भी पक्ष की षष्ठी
को रविवार हो तो इसके आगे के तीन दिन
भू रजस्वला मानी जाती हैं
3. किसी भी पक्ष की सप्तमी
को शुक्रवार हो तो इसके आगे के तीन दिन
भू रजस्वला मानी जाती हैं
भू शयन :;
आपको सूर्य संकृति समझ मे आ गयी हैं तो
किसी भी महीने की सूर्य संक्रांती से ५ ,
७, ९ , १५ २१,२४ वे दिन को भू
शयन माना जाया हैं .
सूर्य
जिस नक्षत्र पर हो ,
उस नक्षत्र से
आगे गिनने पर ५
, ७ ,
९ , १२ , १९ २६
बे नक्षत्र मे पृथ्वी
शयन होता हैं , इस तरह
से यहभी काल सही नही हैं ........
क्रमश ::
Now Sadhak should have
little bit knowledge of astrology, especially he must be able to see local
Panchang (Hindu calendar)……..because the various facts going to be revealed only depend on the fact that what is the today’s date? How
many dates have passed away from some special date till now or till today or
dividing the difference number by some particular zodiac sign…..This is
very simple and can be learnt in few minutes but the utility of it remains for
the entire life, sadhak should give special attention to this fact……Because if
sadhak has to attain completeness then he has to be complete in all
respects….only excelling in one field does not seem right. This is when the
blood of Sadgurudev, the Universal Man is running in our veins so why to stop
and
Seeing only the dates
in local Panchang is very simple task.
There are two Pakshas
in one month approximately of 15 days each. They are Shukla Paksha and Krishna
Paksha respectively.
The
first day or Tithi (Date is called Tithi in Hindi calendar) is called Pratipada
or First Tithi.
Last date of
Shukla paksha is called Poornima.
And the last
date of Krishna Paksha is called Amavasya.
These pakshas
continuously come one by one after each other.
So see in local
Panchang which Indian month is in progress …let us assume that it is the fourth tithi of Krishna Paksha then
1. From Shukla Pratipada
to Poornima = 15 Tithi
2. Krishna Paksha’s fourth tithi = 4 Tithi
3. Always add to this sum =1
Total
Sum =15+4+1=20
What
is the day today and count this day from Sunday. Let us suppose today is
Wednesday then upon counting from Sunday we get 3
Total
sum 20+3=23. Divide it by 4.then the remainder is
4)23(5
20
------------
3 will be called remainder….
Results
will be like…
·
If
remainder is 0 then fire resides on earth
·
If
remainder is 1 then fire resides in sky
·
If
remainder is 2 then fire resides in Paataal.
·
If
remainder is 3 then on earth.
Residing
of fire on earth is beneficial, in sky causes destruction to Praan and in
Paataal, there is loss of money.
This
simply means that we have to choose that tithi in which we get the remainder
3.That tithi will be only beneficial.
Based
on the shapes of ignited fire, many names have been given. But as per now we
are not concerned about them.
In
this way, we have to find the residing place of fire.
Sleeping time of Devas
From
the 11th tithi of Shukla Paksha of Ashada month to the 11th
tithi of Shukla Paksha of Kartik month (11 days after Diwali) is called the
sleeping time of Devas. In this time duration, all auspicious works are prohibited,
especially yagya and aahuti.
Bhu Rudan (Weeping time of earth)
On last
ghadi of every month, last day of year, amavasya, every Tuesday earth weeps.
Therefore, at such times, no auspicious works should be done…
Here
the month means Hindi month and one ghadi means a period of 24 minutes. To keep
it simple, do not take last day of the month for the aahuti work.
Menstrual Cycle of Earth
This
should be given more attention. Every one of us knows when Makar Sakranti it.If
it has something to do with Makar zodiac sign then it
simply means that in every month there is one Surya Sakranti and this is the
special time for doing sadhna every month. So the Indian month in which you
have made up your mind to offer oblation, then from the Surya Sakranti of that
month (In every local Panchang, it has been given. This day is around about 15
of every month) meaning if we take Surya Sakranti as 1 then on 1, 5, 10,
11, 16, 18,19th day earth is in menstrual cycle.
Or
1. If fifth tithi of any paksha is Tuesday, then on the
next 3 days earth is considered to be having menstrual cycle.
2. If the sixth day of any paksha is Sunday, then on the
next 3 days earth is considered to be having menstrual cycle.
3. If the seventh day of any paksha
is Friday,then on the next 3 days
earth is considered to be having menstrual cycle.
Sleeping time of Earth
You
all have now understood Surya Sakranti so for any month, 5th, 7th, 9th, 15th, 21st, 24th day from surya Sakranti is considered to be
sleeping time for earth.
The
constellation in which sun is present, then upon counting from that
constellation ,in fifth,seventh,ninth,twelvth.nineteenth and twenty sixth
constellation earth sleeps. In this way this duration is also not conducive…
To be
continued….
****NPRU****
bhai ies baar wo jaankari mili jo main kaafi samay se talaash raha tha.
ReplyDeletebahut sunder.
bhai, ies jaankari ko kaafi samay se talaash raha tha.
ReplyDeletedhanyaad.