अब समय हैं यह जान ने का की भू
हास्य कब होता हैं .साधारणतः यह लग सकता हैं की इतने नियम ..तो थोडा सा आप याद करे
जब आप साधना मे प्रथम बार आये
थे तब आपकी मंत्र, गुरु मंत्र, चेतना
मंत्र , माला को कैसे
पकडना हैं , कैसे
माला से जप करना हैं
मुख शुद्धि , आसन शुद्धि , गणपति पूजन , भैरव
पूजन, निखिल कवच,
सदगुरुदेव पूजन , विभिन्न न्यास , और कितनी न सारी चीजों ने आपको
हैरानी मे डाल
दिया होगा की कैसे करे ..
पर आज यह सब आपके लिए एक सामने सरल और सहज क्रम हैं जो अपने आप होता चलता हैं आपको कोई भी चिंता नही करना
पडता .. एक समय गुरु आरती या
स्त्रोत भी आपको कठिन लग सकते रहे होंगे पर आज... तो
आपकी सांस सांस मे हैं .ठीक इसी तरह इस विज्ञानं को ले .
मात्र १५
/ २० मिनिट मे आप सही समय का
निर्धारण कर सकते हैं .
भू हास्य –
तिथि मे ..पंचमी ,दशमी ,पूर्णिमा ,
वार मे - गुरु वार,
नक्षत्र मे –
पुष्य , श्रवण
मे पृथ्वी हसती हैं अतः इन दिनों का प्रयोग किया जाना
चाहिए .
गुरु और शुक्र अस्त
:
यह दोनों ग्रह
कब अस्त होते हैं और कब उदित ........आप लोकल पंचांग मे बहुत ही आसानी से देख सकते हैं , और इसका निर्धारण कर सकते हैं . अस्त होने का सीधा
सा मतलब हैं की ये ग्रह सूर्य के कुछ ज्यादा समीप हो गए . और अब अपना
असर नही दे पा रहे हैं .चूँकि इन दोनों
ग्रहो का प्रत्येक
शुभ कार्य से सीधा लेना देना हैं अतः इनके अस्त होने पर
शुभ कार्य नही किये जाते हैं
और इन दोनों के उदय रहने की अवस्था
मे शुभ कार्य किये जाना चा हिये .
आहुति कैसे दी जाए :::
· आहुति देते समय अपने सीधे
हाँथ के मध्यमा और
अनामिका उँगलियों पर
सामग्री ली जाए और
अंगूठे का सहारा ले कर
उसे प्रज्ज्वलित अग्नि मे ही छोड़ा जाए .
· आहुति हमेशा झुक कर डालना चाहिए वह भी इसतरह से की पूरी आहुति अग्नि मे ही
गिरे .
· जब आहुति डाली जा रही हो तभी सभी
एक साथ स्वाहा शब्द बोले .(यह एक शब्द
नही बल्कि एक देवी का नाम हैं और सदगुरुदेव जी ने
बहुत पहले स्वाहा साधना नाम की एक साधना भी हमें प्रदान की थी पत्रिका के माध्यम से ..
· जिन मंत्रो के अंतमे स्वाहा शब्द
पहले से हैं उसमे फिर से पुनः स्वाहा
शब्द न बोले ..यह ध्यान रहे .
वार ::
· रविवार और
गुरु वार सामन्यतः सभी यज्ञों के लिए श्रेष्ठ दिवस हैं .
· शुकल पक्ष मे यज्ञ
आदि कार्य कहीं ज्यादा उचित हैं .
किस पक्ष
मे शुभ कार्य न करे ..
· सदगुरुदेव लिखते हैं की ज्योतिष स्कंध ग्रथ
कार कहते हैं की जिस पक्ष मे दो क्षय तिथि हो
मतलब वह पक्षः १५ दिन का न हो कर
१३ दिन का ही होजायेगा उस पक्ष मे समस्त
शुभ कार्य वर्जित हैं .
· ठीक इसी तरह
अधि़क मास या मल मास मे भी यज्ञ कार्य वर्जित
हैं
किस समय हवन आदि कार्य करें ::
· सामान्यतः आपको इसके लिए पंचांग
देखना होगा उसमे वह दिन कितने समय का हैं उस दिन मान
के नाम से बताया जाता हैं उस समय के तीन भाग कर दे
और प्रथम भाग का उपयोग यज्ञ
अदि कार्यों के लिए किया जाना चाहिए
.
· साधारण तौर से
यही अर्थ हुआ की की दोपहर से पहले यज्ञ आदि कार्य प्रारंभ हो जाना चहिये .
· हाँ आप राहु काल आदि का ध्यान रख
सकते हैं और रखना ही चहिये ,क्योंकि
यह समय बेहद अशुभ माना
जाता हैं .
यज्ञ कुंड के
प्रकार ....
सदगुरुदेव ने यह
हम सबको यह बताया
ही हैं की यज्ञ कुंड मुख्यत:
आठ प्रकार के होते हैं और सभी का
प्रयोजन अलग अलग होता हैं
1.
योनी कुंड –योग्य पुत्र प्राप्ति हेतु
2.
अर्ध चंद्राकार
कुंड –परिवार मे सुख
शांति हेतु .पर पतिपत्नी दोनों को एक साथ आहुति
देना पड़ती हैं .
3.
त्रिकोण कुंड –शत्रुओं पर पूर्ण विजय हेतु
4.
वृत्त कुंड ..जन
कल्याण और देश मे शांति हेतु
5.
सम
अष्टास्त्र कुंड –रोग निवारण हेतु
6.
सम षडास्त्र
कुंड –शत्रुओ मे लड़ाई
झगडे करवाने हेतु
7.
चतुष् कोणा स्त्र
कुंड –सर्व कार्य की सिद्धि हेतु
8.
पदम कुंड –तीव्रतम प्रयोग और मारण प्रयोगों से
बचने हेतु
तो आप समझ ही गए होंगे की सामान्यतः
हमें चतुर्वर्ग के आकार के इस कुंड
का ही प्रयोग करना हैं .
ध्यान रखने योग्य बाते :
अबतक आपने शास्त्रीय
बाते समझने का प्रयास किया
. यह बहुत जरुरी हैं ...
क्योंकि इसके बिना सरल बाते पर आप गंभीरता से विचार नही कर सकते .सरल विधान
का यह मतलब कदापि नही की
आप गंभीर बातों को ह्र्द्यगम
ना करें ..
· .पर जप के बाद कितना और कैसे हवन किया जाता हैं ?,
· कितने लोग और किस
प्रकार के लोग की आप सहायता ले सकते हैं ?.
· कितना हवन किया
जाना हैं .?
· हवन करते समय किन किन बातों का ध्यान
रखना हैं .?
· क्या कोई और
सरल उपाय भी जिसमे हवन ही न करना पड़े ..???
· किस दिशा की ओर मुंह
करके बैठना हैं ?
· किस प्रकार की अग्नि का आह्वान करना हैं ??
· किस प्रकार की हवन सामग्री का उपयोग करना हैं ??
· दीपक कैसे और किस चीज का लगाना हैं .??
· कुछ ओर आवश्यक सावधानी ???
आदि बातों के साथ अब
कुछ बेहद सरल बाते .... को अब
हम देखेगे ...
क्रमशः .......
Now is the time to know
when does the Bhu-Haasay (Laughing of Earth) happen? Generally it seems that so many rules……Just remember when you entered
the field of sadhna for first time then your Guru Mantra, Chetna Mantra, how to
hold the rosary, how to chant the mantra with rosary, Mukh Shuddhi
(purification of mouth), Aasan shuddhi (Purification of aasan), Ganpati poojan,
Bhairav poojan, Nikhil Kavach, Sadgurudev poojan, various
nyas and many more things would have put you into astonishment that how to do
them…..
But now all these
things are simple and easy process for you which happen on their own. You do
not have to worry about it……One time you would also have faced difficulty doing
Guru aarti and Stotra but today it is in our breaths. Like this, take this
science. You can decide the correct time in merely 15-20 minutes.
Bhu
Haasay (Time of laughing of earth)
In terms of
tithi……Panchami (fifth day), Dashmi (tenth day), Poornima (15th day
of Shukla Paksha)
In terms of
Day…….Thursday
In terms of
constellation…..Pushya, Shravan
In all these days,
earth laughs. Therefore, these days should be utilized.
When
Jupiter and Venus are ast :
When these two planets
sets and when they rise……they can be seen very easily from the local Panchang
and one can decide its timings. Ast simply means that
these planets have got closer to sun and therefore are not able to give their
own influence. Since these two planets shave a direct bearing on every
auspicious work therefore when they are ast, no auspicious works are done. Auspicious
work should be done only at the time when both are raised.
How to offer
Oblation:
·
At the time
of offering oblation, take the articles in the middle and ring finger of right
hand and while taking the assistance of thumb, drop it only in the ignited
fire.
·
Always
offer the oblation while bending down and that too in such a way that entire
oblation falls into the fire.
·
When
oblation is being offered, then all the persons should pronounce swaha together
(this is not merely a word, rather it is the name of a goddess and Sadgurudev
has provided a sadhna named Swaha sadhna in magazine earlier)
·
In case of
mantras ending in swaha, swaha should not be pronounced again…keep this thing
in mind.
Day::
Sunday and Thursday
generally are the best day for all yagyas.It is much better to do yagyas in
Shukla paksha.
In
which Paksha auspicious works should not be done…
·
Sadgurudev
has written that author of Jyotish skandha says that in the paksha which
contains two kshaya tithi (meaning that paksha will contain 13 days instead of
15), all the auspicious works are prohibited.
·
In the
similar manner, yagya karma is prohibited in Aadhik month and Mal month.
At
what Time Hawan etc. should be done::
·
Generally,
you have to see Panchang for this. The total time of that day is shown in it by
the name of Din Maan.Divide that time by 3 and the first portion should be
utilized for yagya like works.
·
Normally it
means that yagya related works should be started before the afternoon.
·
You can
keep note of Rahu Kaal and you should since this time is always considered as
inauspicious.
Types
of Yagya Kund
Sadgurudev has told us
all that yagya kund primarily are of 8 types and purpose of each of them is
different.
1. Yoni Kund –For getting capable son
2. Ardha
Chandrakaar Kund (Kund having the shape of half-moon) –For peace in the family,
but both husband and wife have to offer oblation together.
3. Trikon Kund
(Triangular Kund) - For complete victory over enemies
4. Vrit Kund
(Circular Kund)-For public welfare and peace in the country
5. Sam Ashtastra
Kund-For removing diseases
6. Sam Shadastra
Kund- For creating a fight between your enemies.
7. Chatush Kona Str Kund (having 4 sides) –For
accomplishment of all work
8. Padam Kund –
For safety from highly intense prayog and Maaran prayog.
So you would have
understood that generally we have to use the kund of shape of square.
Points to Be Noted:
Till now you
have tried to understand the things given in shastra. This is very much
necessary.
………
Because
without these, you cannot think deeply over these easy things. Simple process
does not mean that you should not imbibe serious things in your heart.
·
But How
much and how the havan is done after chanting?
·
How many
persons and what type of person can help you?
·
How much
havan needs to be done..?
·
What are
the things to be kept in mind while doing havan..?
·
Is there
any easy process in which havan need not be done..?
·
Facing
which direction, you have to sit..?
·
Which type
of fire’s Aavahan needs to be done..?
·
Which type
of havan articles has to be used..?
·
How to
light the lamp and of which material?
·
Any other
precautions???
All these
things along with other very easy facts will be seen now…..
…..
To Be
continued……
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