वर्तमान युग में पग
पग पर प्रतिस्पर्धा है ,और हर कोई जीतने का इच्छुक है, हर कोई अपना प्रभाव डाल कर
अपने कार्य को साधना चाहता है ,पर क्या इतना सहज है...... नहीं ना..... हम कितना
भी परिश्रम कर ले जब तक इष्ट बल साथ न हो , या भाग्य आपके परिश्रम को अनुकूलता न दे
तब तक सफलता तो कोसो दूर ही रहती है.नीचे जो प्रयोग आप सभी के सामने रख रहा हूँ
उसका अपने व्यवसाय और नौकरी में मैंने कई बार लाभ उठाया है , आखिर इतना महत्वपूर्ण
ज्ञान होता ही इसलिए है की हम उसका उचित लाभ उठा सके. हालाँकि इसका मूल विधान इतना
प्रभावकारी है की यदि मात्र व्यक्ति परिश्रम से उसे सिद्ध कर ले तब उसकी फूक मात्र
व्यक्ति और समूह को निद्रा में डाल सकती है सम्मोहित कर सकती है. परन्तु उस का
दुरूपयोग भी हो सकता है, इसलिए जितना सामान्य व्यक्ति को लाभ दे सके उतना ही विधान
मैं यहाँ रख रहा हूँ. ये प्रयोग भगवती काम कला काली से सम्बंधित है,और इसके प्रभाव
से साधक का व्यक्तित्व माया शक्ति से परिपूर्ण हो जाता है,कोई भी ऐसा नहीं रहता है
जो उसके प्रभाव से बच जाये.
नौकरी में प्रमोशन का
विषय हो
घर का विवाद सुलझाना हो
पत्नी या पति को अनुकूल
बनाना हो
घर का कोई सदस्य गलत मार्ग
पर जा रहा हो, और उसे सही मार्ग पर लाना हो
व्यवसाय का कोई
महत्वपूर्ण सहमती पत्र चाहिए
नौकरी के लिए साक्षात्कार
में सफलता पाना हो
पड़ोसियों को अपने अनुकूल
बनाना हो
समाज और खेल में
प्रतिष्ठा अर्जित करनी हो
उपरोक्त सभी स्थिति
में ये प्रयोग अचूक वरदान साबित होता है. कृष्ण पक्ष के किसी भी शुक्रवार से इस
साधना को प्रारंभ करके अगले शुक्रवार तक करना है. समय रात्रि का मध्यकाल होगा. लाल
वस्त्र, और लाल आसन प्रयोग करना है .पश्चिम दिशा की और मुख करके मंत्र जप
होगा.सिद्धासन या वज्रासन का प्रयोग किया जाता है. जमीन को पानी से धोकर साफ़ कर
लीजिए और उस पर एक त्रिकोण जो अधोमुखी होगा कुमकुम से उसका निर्माण कर लीजिए.
यन्त्र नीचे दी गयी आकृति के समान ही बनेगा. मध्य में एक मिटटी का ऐसा पात्र
स्थापित होगा, जिसमे अग्नि प्रज्वलित हो रही होगी. यन्त्र निर्माण के बाद
सद्गुरुदेव तथा भगवान गणपति का पूजन होगा. पूजन के पश्चात हाथ में जल लेकर माया
शक्ति की प्राप्ति का संकल्प तथा विनियोग करना है और निम्न ध्यान मंत्र का ७ बार
उच्चारण करना है .
विनियोग-
अस्य माया मन्त्रस्य
परब्रम्ह ऋषिः त्रिष्टुप छन्दः परशक्ति देवता पुष्कर बीजं माया कीलकं पूर्ण माया
प्रयोग सिद्धयर्थे जपे विनियोगः II
ध्यान मंत्र-
तापिच्छ-नीलां
शर-चाप-हस्तां सर्वाधिकाम् श्याम-रथाधिरुढाम् I
नमामि रुद्रावसनेन लोकां
सर्वान् सलोकामपि मोहयंतिम् II
ध्यान मंत्र के बाद
देवी का पूजन कुमकुम से रंगे अक्षतों और लाल जवा पुष्पों से करना है,गूगल की धुप
और तेल का दीपक प्रज्वलित करना है. नैवेद्य में खीर अर्पित कर दे . और त्रिकोण के
प्रत्येक कोनों पर एक-एक धतूरे का फल स्थापित कर दे. “ह्रीं” बीज से २१ बार
प्राणायाम करे ,और इसके बाद गूगल,लोहबान मिलाकर मूल मन्त्र बोलते हुए यन्त्र के
मध्य में स्थापित अग्निपात्र में सूकरी मुद्रा से आहुति दे. इस प्रकार २१६ मन्त्र
का उच्चारण करते हुए आहुति दें. और जप के
बाद ध्यान मंत्र का पुनः ७ बार उच्चारण करें. खीर को कही एकांत स्थान पर पत्तल में
डाल कर रख दें.
मूल
मंत्र-ओं ह्रीं भू: ह्रीं भुवः
ह्रीं स्वः ह्रीं शिवान्घ्री युग्मे विनिविष्टचित्तं सर्वेषां दृष्टयो हृदयस्य
बालम् रिपुणाम् निद्रां विवशम् करोति महामाये मां परिरक्ष नित्यं ह्रीं स्वः ह्रीं
भुवः ह्रीं भू: ओं स्वाहा II
यही क्रम आपको आगामी
शुक्रवार तक नित्य करना है. इसके बाद जब भी आपको किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए
जाना हो , मन्त्र को ७ बार बोलकर हाथो पर फूक मार ले और हाथ को पूरे शरीर पर फेर
ले. आप खुद ही प्रभाव देखकर आश्चर्यचकित हो जायेगे. तो फिर देर कैसी, यदि ऐसी
साधना पाकर भी हम ना कर सके और असफल होते रहे जीवन में , तो इसमें किसका दोष
रहेगा.
=========================================
In current time
there is competition at every step and everyone wish to win, few want to use
their impact to accomplish task, but is
it that easy…no…whatever amount of efforts we put, till the time power of isht
is not with us, or fortune do not grant for your efforts; success stays far.
The process mentioned below is the one which I used and became benefited many
times in business and job; perhaps such important knowledge is there just
because we can have benefit of the same. However, the main process of this is
so much powerful that if one accomplishes it with hard work, with single puff
one may make individual or group sleep or hypnotized. But it can even lead for
misusing; therefore here I am providing process which can give benefit to the
common people. This process is related to bhagawati kaamakala kaali, and with
the effect of this, sadhak become completely perfect by maya shakti, there
remains no one, who can save them self from the effect of this.
Issue of promotion in job
To overcome household disputes
To make husband/wife favorable
To control the person of house who is going on wrong track
To have consent in the business
For success in the interview of job
To make neighbors favorable
To have prestige in society and in games
In every above mentioned
situation, this process acts as bliss. The sadhana should be started from any
Friday of dark moon days (Krishna paksha) and should be done till next Friday.
Time would be midnight. Cloths and asana should used red in color. Direction
for mantra chanting would be west. Siddhasana or vajraasana could be taken to
practice. Wash the land with water and clean and prepare downward triangle with
kum kum. Yantra should be same as given below. In between of the same,
Establishment of clay vessel should be done in which fire could remain burn.
After yantra preparation poojan of sadgurudev and lord ganapati should be done.
After poojan one will have water in the palm and will do sankalpa and viniyog
& dhyan mantra should be receited 7 times.
Viniyoga-
Asy maya mantrasy parabramh rishih trishtup chhandah paraashakti
devata pushkar beejam maya kilakam purn maya prayog siddhayarthe jape
viniyogah||
Meditation
mantra (dhyan)-
Taapicchh-nilam shar-chaap-hastam sarvaadhikaam
shyam-rathaadhirudhaam |
Namaami rudravasanena lokam sarvaan salokaamapi mohayamtim ||
After dhyan mantra
poojan of goddess should be done with red colored rice and red jawa
flowers. Googal dhoop and lamp of oil
should be ligh. Offer khir in naivedhya (bhoga). And establish fruit of dhatura
one triangles 3 corner. Do pranayam with hrim beej for 21 times, after that
mixing guggal, lohbaan give offerings (aahuti) in the fire vessel established
in middle of yantra with Sukari Mudra. This way, give offering while chanting the mantra for
216 times. And after jaap again chant dhyana mantra for 7 times. Place kheer in
leaf dish at some far human place.
Mool
Mantra- Om Hreem Bhooh Hreem Bhuvah Hreem Svah Hreem
shivandhri yugme vinivishtachitam sarvesham drushtayo hradayasya baalam
ripunaam nidram vivasham karoti mahaamaaye mam pariraksh nityam hreem svah
hreem bhuvah hreem bhooh Om swaha
The process schedule
should continue till next Friday daily. After that whenever you want to go for
some important work chant mantra for 7 time and puff in your palm and turn
hands on whole your body. You your self will be amazed to see the impact. So what
is wait, owning such sadhana if we do not perform it and stay unsuccessful in
the life, whose fault is that.
****NPRU****
No comments:
Post a Comment