In This era of hidden
animosity, it can’t be said which enemy can inflict blows-counterblows
.Front-on attack can be faced but what can be said about attack done in hidden
manner or done as part of conspiracy…….These all are the part and parcel of
today’s era. Out of this, one way which is used most is to involve the person
in false court cases. Now the person can be innocent, but getting rid of it
results into waste of time, energy and money. Mental harassment which one has
to bear, that is entirely different.
Name of Balgamukhi and
other Mahavidyas comes to our mind when we talk of failing these hidden enemies
or the whole type of conspiracies. But these sadhnas are not that simple.
Prayogs related to them can definitely be done but the person remains in state
of confusion that somewhere nothing wrong is done or he is not aware of the
complete Vidhaan. At such times, easiest ways in yantra Vigyan, which are very
hard to believe, have proved to be very beneficial. Also whenever this court
fight begins, person do not have any relation with court proceedings and
therefore he gets anxious and wants to win court case at any cost so that he
can again live that comfortable life.
It has also been said
that weakness is evil and being strong is blessing. Life can’t be lived weeping
each moment. You all know this fact that getting no time in today’s era is very
big problem. However Sadgurudev has also said if we analyze it carefully, we
will know automatically how much time is spent in unnecessary activities .If
this time can be properly utilized then…..
If one has to achieve
heights in materialistic life, then also attain achievements in Tantra world.
This is height of life. So for this you have to take out your time. In the same
way, if your problem is not that much critical, then do this prayog and upon
doing it with dedication, you will definitely get success provided you are
right. This much of neutral analysis should be done by the person himself.
This is very easy
prayog of Yantra Vigyan and has been appreciated by others also.
You all know the
general rules of yantra Vidhaan. They have been written many times. It is not
appropriate to write them again and again. Make this yantra on Bhoj Patra by
kumkum. The person against whom you are fighting the case, do not forget to
write his name in the middle of yantra. Do the yantra poojan and other normal
Vidhaans which are given in previous yantra related posts. The day you have to
go to court for your court case, you put this yantra in amulet made up of three
metals and pour it in milk ….Only this is the rule.
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इस गुप्त शत्रुता वाले युग मे कौन सा शत्रु कब घात प्रतिघात कर दे कहा नही जा सकता हैं एक बार सामने के आघात तो सहन किये जा सकते हैं पर छुप कर या विभिन्न षडयंत्र बनाकर किये गए आघात के बारे मे क्या कहा जाए ... यह सब तो आज के युग की निशानी हैं इन्ही मे एक तरीका जो सर्वाधिक उपयोग होता हैं वह हैं सामने वाले को किसी भीझूठे मुकदमो मे फसवा दो , अब व्यक्ति कितना भी निर्दोष हो इस चक्कर से निकलते निकलते उसका बहुत संमय उर्जा और धन नष्ट हो जाता हैं मानसिक प्रताडना जो झेलनी पड़ती हैं वह तो बिलकुल ही अलग होती हैं.
यूँ
तो गुप्तशत्रुओं और समस्त प्रकार के षड्यंत्रो को निष्फल करने मे भगवती
बल्गामुखी और अन्य महाविद्याओ का नाम आता हैं पर इनकी साधनाए इतनी सरल
भी तो नही
हैं , इनसे सबंधित प्रयोग अवश्य किये जा सकते हैं पर व्यक्ति
भी कुछ संशय की अवस्था मे रहता
हैं की कहीं कुछ गलत न
हो जाए या उसे
पूरा विधान ठीक से मालुम भी नही होता ,
इस समय यंत्र विज्ञान के सरलतम
तरीके जिन पर भले ही एक पल
विस्वास न हो पर बहुत लाभदायक सिद्ध
हुये हैं .
वेसे भी कानूनी जब लड़ाई
प्रारंभ होती हैं तो एक व्यक्ति ,कानूनी दाव पेंच
से उसका कोई वास्ता नही होता
और वह परेशां होता जाता हैं और
किसी तरह मुकदमो मे विजय भी चाहता हैं की फिर से व ह आरामदायक जीवन
व्यतीत कर सके .
यह कहा भी गया हैं की
कमजोरी ही पाप हैं और बलयुक्त होना ही पुण्य हैं और जीवन ऐसे रो रो कर
घिसट घिसट कर तो काटा नही जा सकता
हैं यह तो आप हम सभी जानते हैं की
आज के युग मेसाधना के लिए समय न
मिल पाना एक बहुत बड़ी समस्या हैं ,हलाकि
सदगुरुदेव जी ने यह भी कहा हैं की अगर ध्यान से देखें तो स्वयं ही पता चल जाएगा की
दिन का कितना समय यूँ ही
बेकार के कामो मे जा ता हैं अगर
वहां समय बचाया जा सके तो.
अगर भौतिक जीवन मे उच्चता प्राप्त
कर ली हैं तो
इस तंत्र जगत मे भी कुछ
उपलब्धिया भी प्राप्त करें
यही तो
जीवन की उच्चता हैं .तो इसके लिए
समय निकालना ही पड़ेगा .ठीक इसी तरह अगर समस्या बहुत गंभीर
न हुयी हो तो आप इस प्रयोग को करें और पुरे मनो योग से करने मे सफलता आपको प्राप्त होगी बशर्ते आपका पक्ष सही
होना चहिये .इतना तो व्यक्ति का स्वयं के लिए
निष्पक्ष आकलन होना ही चाहिये.
यन्त्र विज्ञानं का यह बहुत ही सरल सा प्रयोग हैं अनेको द्वारा प्रशंशित भी हैं .
आप सभी को यंत्र विधान के सामन्य नियम ज्ञात हैं ही , अनेको बार
लिखे जा
चुके हैं तो बार बार उन्ही का उल्लेख उचित
नही हैं , इस यंत्र को भोजपत्र
पर कुकुम से बना ले . जिस व्यक्ति के विरुद्ध आपका मुकदमा
हो उसका नाम यंत्र के मध्य मे पहले से लिखना न भूले ,यंत्र का पूजन और अन्य सामान्य विधान जो की यन्त्र सबंधित
विगत कई पोस्ट मे दिए जा चुके हैं आप
उन्हें करे और जिस
दिन आपका मुकदमा हो कोर्ट मे जाना
हो इस यन्त्र को त्रिलोह धातु के
तावीज़ मे बंद करके दूध मे डा ल दे .. बस इतना विधान हैं .
****NPRU****
kya sare "ya" akshar ke upar bindi hai, kyonki kuch ke upar nahi lagi hai
ReplyDeletepriy aalok bhai ji ,
ReplyDeleteji haan y akshar ke upar bindi hain,
smile
anu
your assumption that even a new reader who reads this article, would know "yantra vigyan ke samanya niyam to aap jante hi honge... baar baar likhna uchit nahi ha", does not fit the new reader. Kindly advise them where to read related articles written in past or provide a link there itself so that one can go there to read related information. Thanks.
ReplyDeletepriy a p sharma bhai ji ,many articles related to yantra vigyan already have complete instruction and i agree that new reader have some problem ,but any one, who want to get benefit from this ,may take little pain in searching those articles and get the benefit .
ReplyDeletesmile
anu