Jai
Sadgurudev
It’s the great
of I ,that even at the age of just 32
years I was in the holy divine feet of Param Poojya sadgurudevji, as Sadgurudev
ji with me from previous lives
uncountable, but in this life , I meet
him in person oct 1996 ,now I am most
fortunate whose whole family , fully
devoted to his holy feet.
All the achievement
gained in the life is because of his blessing’s still remembered,1995-96 when
my father health was very critical condition, he himself, did the Dhanvantary mantra jap for him. what could
not positively achieved in two years of
medical treatment, is possible within 6
month of that jap.. in 2004 when my father completely lost his eye sight, and
no possibility of gaining back his eye sight, my mother and I did the “chakkshushi
strota “ jap provided by Sadgurudev , and with sadgurudevji blessing
my father regained his lost vision,
even at the age of 65 years , my mother
still not need any spectacles.
In 2001 , I read “Himalaya
ke yogiyon Ki gupt Siddhiyan “ authored by sadgurudev ji.and decided
to go for a prayog mentioned in that regarding
to have a child by reciting a specific strota mentioned in that in from of bhagvaan Pardeshwer for completely 60 days. this prayog was also 100% successful and my son is of 9 yrs age ,
what more, except Sadgurudev ji blessing.
with the blessing
of Sadgurudev, I was always lucky to have/gained direction from my elder guru
brothers. one of them is Arif Bhai.
My first meeting with Shri Arif bhai ji happened in Mumbai ,when he visited
there. he is having personality embedded
with scholar and wisdom.Arif ji
associated with Sadgurudev ji from the
very young age, I thrilled to listen various
old experience related to sadgurudev ji and of sadhana shivir held that
time.
I also remember
once I purchased book named ”Tantrik Siddhiyan” from Varanasi railway station.i read the chapter mentioning
kanak dhara in that, in which kanak dhara
sadhana described how ashta Lakshmi dhayan and viniyog and other process
, was completed in the indirection
Sadgurudev ji.but some of the point I was not able to understand completely, Arif bhai described
and cleared some of the point
that to me ,when I meet him.
Arif bhai described
kanakdhara sankalp ,dhyan viniyog and
matra jap process of related. also fully described the samputit path of kanakdhara strota.and later described about how to
perform havan for this sadhana.
This sadhana process of 11 days has been successfully completed by my wife. Till date ,eight times
,she successfully completely this
kanakdhara sadhana. Each times I and my family witnessed so any miracle, our financial status improved many
times, before that money comes but we
are not able to save that but now it seems all the financial insecurity has totally finished.
The sadhana
process , how my wife completed this
sadhana is as follows.
1. This sadhana can be
completed either in 11 days or in 21 days.
2. In
11days (what she used to prefer)..Every day , kanak dhara mantra jap of 11 complete round of rosary with Kamalgatta rosary and 21 times path
of samputit kanakdhara strota.
3. My wife did that every morning and evening time too (in each
sitting)..11round of kanakdhara mantra jap and 11 times recitation of samputit kanakdahara strotra.
4. This sadhana
required yellow colored cloths and asan (sitting mat)should be of yellow
color,and sadhak should sit on aasan
(sitting mat)facing east direction.
5. On Arif Bhai advice I got Kuber yantra, shree
yantra, and very special kanakdhara
yantra from jodhpur gurudham.(Most important point of
this very specific kanakDhara yantra is that Shree Yantra ,Kuber Yantra, And
shodshi kanakdhara yantra all are made in this very special kanakdhara yantra,
means all the three yantra is in one.that should be used).
6. First she did kalsh sthapan (pot filled with
water with special poojan ritual). Then Bhagvaan ganesh poojan,
Sadgurudev poojan and after that 1 round
of rosary guru mantra jap.
7. Take sankalp of this sadhana by taking water in right hand palm. Then same
way viniyog also did.
8. Than kakandhara dhyan is done after that panchopchar poojan(
poojan with five items),and than start
kanakdhara mantra jap of11 round of rosary.
9. Than 11 times path of samputit kanakdhara strota ,and than Mahalakshmi aarti
done.
10. Same process
repeated morning and evening times(means two times a single day ) for 11 days
continuously.
11. On the 12 thday, with havan with kanakdhara mantra performed for
two round of rosary i.e. 216 times aahuti required. ,after that havan with two
times path of samputit kanakdhara strota
also did. In aahuti of havan--- kheer/sukha meva and keshar /honey is used.
12. Later kanya bhojan
( food offering to girl child age not more than 16/17 years of age ,with
some money offered as a dakshina) for
5/7 girl child also did.
In this
way, my wife completed the adbhut kanadhara sadhana, and I already wrote the
effect I have got in short.
i am really thankful to Arif bhai, for clearing
the confusion and asking me have this
great special kanakdhara yantra.
This Great
yantra is still in my pooja room,
my wife still very happy to completed
this sadhana still make in it continue.
What more I say it is the blessing our sadgurudev
ji, what else.
Your gurubrother
Nitin Pancharia
npancharia-icc@modi.com
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जय सदगुरुदेव
यह मेरे जीवन का सौभाग्य हैं की मात्र ३२ वर्ष कि आयु मैं में सदगुरुदेव जी के चरण कमलो में
पहुँच गया था |कई जन्म और जन्मान्तरो का यह सम्बन्ध था पर इस जीवन में व्यक्तिगत रूप
से अक्टुबर १९९६ में उनके चरण कमलों में पहुँच सका , में आज उन भाग्शालियों में से अपने आप को एक मानता हूँ जिनका पूरा परिवार उनके प्रति श्रद्धा
युक्त हैं.. आज मैं जो भी इस जीवन में उपलब्धियां प्राप्त कर पाया हूँ
,इन सबके पीछे उनका आशीर्वाद ही तो
हैं|
मुझे आज भी याद हैं सन १९९५-९६ में जब मेरे
पिताजी का अत्याधिक ख़राब हो गया था , उस समय सदगुरुदेव जी ने
स्वयं धन्वन्तरी मंत्र का जप उनके लिए किया था | जो दो साल के मेडिकल इलाज़ से संभव नहीं हो पाया
,वह मात्र ६ महीने के मंत्र जप ने संभव
कर दिखाया ,सन २००४ में मेरे पिताजी की आखों की
रोशनी पूर्णतया चली गइ थी , और कोई भी सम्भावना शेष नहीं
रही कि, किसीतरह से उनकी आखों की रोशनी वापिस आ
सकेगी, तब सदगुरुदेव द्वारा प्रदत्त"चाक्षुषी स्त्रोत " का पाठ मैं और मेरी मां ने पिताजी
के लिया किया और पिताजी ने वापिस नेत्रज्योति प्राप्त कर ली| और यहाँ तक की मेरी माताजी जो इस समय ६५ वर्षों की हैं उन्हें अभी भी किसी भी प्रकार के
चश्में की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं.|
सन२००१ में मैंने
"हिमालयों के योगियों की गुप्त सिद्धियाँ
"नाम की सदगुरुदेव जी द्वारा लिखित
किताब पढ़ी | और उसमें वर्णित एक प्रयोग, जो पुत्र प्राप्ति के लिए दीया गया हैं उसे करने
का मन बनाया , उस प्रयोग
के अनुसार ,दिए गए
स्त्रोत का पाठ भगवान् पारदेश्वर के सामने ६० दिन तक
करना था| और इस
प्रयोग में भी मुझे १०० प्रतिशत सफलता मिली |आज मेरा पुत्र ९
वर्ष का हैं| सद गुरु देव जी का
आशीर्वाद नहीं तो और क्या हैं|
ये सदगुरुदेव जी की कृपा हैं , कि मुझे बरिष्ट
गुरुभाइयों से भी लगातार मार्ग दर्शन प्राप्त होता रहा हैं, उनमें से एक आरिफ
भाई भी हैं| मेरी पहली मुलाकात आरिफ भाई से ,उनके मुबई प्रवास के दौरान हुए
| उनके व्यक्तित्व में विद्वता के साथ
ज्ञान का भी समावेश हैं|वे सदगुरुदेव जी के साथ बहुत कम उम्र से हैं
, मै उनसे पहले हुए अनेकों शिविरों और सदगुरुदेव
जी के सम्बंधित अनेको पुराने संस्मरण सुन कर रोमांचित हो जाता था |
इसके साथ ही मुझे याद आता हैं कि ,बनारस
के रेलवे स्टेशन से मैंने सदगुरुदेव जी द्वारा रचित "तांत्रिक सिद्धियाँ " किताब खरीदी | उस में मैंने कनकधारा प्रयोग से सम्बंधित
अध्याय पढ़ा ,उसमे दिए विवरण के अनुसार सदगुरुदेव जी के निर्देशानुसार
किस तरह से अष्ट लक्ष्मी स्थापन
, उनके ध्यान, और विनियोग
को किस तरह से किया गया था, उसे समझाया गया था | परन्तु कुछ जगह पर दिए गए विवरणों
को मै ठीक से समझ नहीं पा रहा था |आरिफ भाई जी
ने मुझे इस प्रयोग से सम्बंधित बातों को ,
जिन्हें मै समझ नहीं पा रहा था
, समझाया| आरिफ भाई जी ने मुझे बताया कि
किस प्रकार से कनकधारा संकल्प ,ध्यान, और विनियोग , मंत्र जप करना
हैं |इसके साथ अत्याधिक महत्वपूर्ण संपुटित कनकधारा स्त्रोत का पाठ कैसे करना हैं, साथ ही साथ इससे
सम्बंधित किस प्रकार से हवन करना हैं उसे समझया | इस
11 दिवसीय साधना को मेरी धर्म पत्नी सफलता पूर्वक संपन्न कर चुकी हैं , तब से आज तक उन्होंने 8 बार ये साधना प्रक्रिया पूर्णता के साथ संपन्न की ,हर बार हम सभी परिवार वाले इस बारे के स्वयं गवाह हैं की किस प्रकार से चमत्कारिक परिणाम हमें प्राप्त हुए हैं |
हमारी आर्थिक स्थिति पहले से कई गुना अछ्छी हो गयी हैं,पहले पैसा या धन आता तो जरुर था ,पर रुकता नहीं था , पर अब हम इस आर्थिक असुरक्षा को पार कर चुके हैं|
इस साधना को जिस प्रकार से मेरी धर्मपत्नी ने संपन्न की हैं उसे मै,
आपके सामने रख रहा हूँ...
1. इस साधना को ११ या २१ दिन में संपन्न किया जा सकता
हैं|
2. ११ दिवसीय (जो उन्होंने पसंद की हैं ),उसमें ११ माला मंत्र जप कमल गट्टा की माला से तथा
संपुटित कनकधारा स्त्रोत के ११ पाठ भी करना होता हैं|
3. मेरी धर्मपत्नी ने ११ माला कनकधारा मंत्र जप और ११ पाठ संपुटित कनकधारा स्त्रोत का किया ,(सुबह और शाम दोनों समय , प्रत्येक दिन किया)
4. इस साधना में पीले वस्त्र ,पीले ही रंग का आसन हो साथ
ही साथ ,पुर्व दिशा की ओर मुख करके
बैठें|
5. आरिफ भाई जी की सलाहानुसार मैंने कुबेर यन्त्र
,श्री यन्त्र और अत्यावश्यक विशेष कनकधारा यन्त्र को , पुज्य गुरुदेव से जोधपुर से प्राप्त किया|( अत्याधिक महत्वपूर्ण तथ्य ये हैं कि इस
"विशिष्ट कनकधारा यन्त्र"
में ही कुबेर यन्त्र और श्री यन्त्र तथा षोडशी कनकधारा यन्त्र बने हुए रहते हैं |एक ही यन्त्र
में तीन यन्त्र होते हैं | इस प्रकार के यन्त्र पर ही ये साधना
संपन्न हो पाती हैं )
6. सबसे पहले उन्होंने कलश स्थापन ,भगवान् गणेश पूजन ,सद गुरुदेव जी पूर्ण पूजन
,इसके साथ ही १ माला गुरु मंत्र जप भी किया|
7. सीधे हाँथ की हथेली में जल ले कर पहले संकल्प लिया फिर इसी प्रकार
से विनियोग किया |
8. इसके वाद कनकधारा ध्यान किया फिर पंचोपचार पूजन किया | इसके वाद ११ माला कनकधारा मंत्र जप किया|
9. इसके वाद ११ पाठ संपुटित कनकधारा स्त्रोत के संपन्न किये |फिर महालक्ष्मी आरती संपन्न की | इस
पूरी प्रक्रिया को उन्होंने सुबह और शाम दोनों समय
,इसी प्रकार से संपन्न किया| ( प्रत्येक दिन, दो बार संपन्न
की ) और ये क्रम लगातार ११ दिन तक चलता रहा |
10. १२ बे दिन हमने दो माला हवन (२१६ बार) कनकधारा मन्त्रों से किया , इसके बाद संपुटित कनकधारा स्त्रोत से भी दो पाठ करते हुए
दी| हवन सामग्री में हमने , खीर/ सूखा मेवा तथा केसर /शहद
का प्रयोग किया |
11. इसके बाद हमने ५/७ कन्याओ का कन्या भोजन व उन्हें दक्षिणा
भी प्रदान की |
इस प्रकार से मेरी
धर्मपत्नी ने इस साधना को संपन्न किया , और मै पहले ही इस प्रयोग के
परिणाम को संक्षेप में लिख चुका हूँ |
मै आरिफ भाई
जी के लिए आभारी हूँ की उन्होंने न केबल इस साधना के बारे में, मेरी कठिनाइयों
को दूर किया,
साथ ही साथ मुझे इस यन्त्र को प्राप्त करने में सहयोग भी दिया |
यह महान यन्त्र अभी भी मेरी पूजा कक्ष
में हैं, मेरी धर्मपत्नी इस साधना के परिणाम से बेहद उत्साहित
हैं, और वे इसे लगातार
करना चाहती हैं |
इससे ज्यादा में क्या कह सकता हूँ की ये सदगुरुदेव
जी की कृपा हैं
,और क्या ...
आपका ही गुरु भाई
नितिन पंचारिया
npancharia-icc@modi.com
****NPRU****
samputit kanakdhara stotra kya hai? kanakdhara stotra ka path kis mantra se samputit kiya jata hai.plz margdarshan kare.
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