Sunday, July 1, 2012

KUNDALINI RAHASYA - 7


स्वाधीष्ठान चक्र के जागरण से साधक को निम्न लाभों की प्राप्ति होती है.
यह चक्र का विकास हो जाने पर व्यक्ति का काम उर्जा पर नियंत्रण हो जाता है तथा वह इच्छानुसार ब्रम्हचर्य की प्राप्ति कर सकता है.
साधक के पेडू, जननेंद्रिय तथा प्रजनन सबंधित सभी रोग दूर होते है तथा साधक के शरीर में जल तत्व का संचार योग्य रूप से होने लगता है अतः उसे जल तत्व से सबंधित रोग नहीं होते
साधक की स्वाद परखने की क्षमता का विकास होता है तथा इस इन्द्रिय पर साधक को नियंत्रण प्राप्त होता है
साधक के अंदर कई प्रकार के भाव का संचार होने लगता है तथा उसमे करुणा और  स्नेह का विशेष रूप से विकास होता है.
साधक अपने चेतन मन से अवचेतन मन की अवस्था पर इच्छानुसार पहोच सकता है.  
इसके अलावा भी साधक कोई कई प्रकार के लाभों की प्राप्ति होती है.
इस चक्र को जागरण करने के लिए कई प्रकार की मुद्राओ का अभ्यास किया जा सकता है. मुख्यतः साधक अगर वज्रोली मुद्रा का अभ्यास करे. यह अभ्यास वायु के माध्यम से किया जाना चाहिए. साधक को अपनी जननेद्रिय से वायु को खींचने तथा बहारनिकालने की प्रक्रिया करनी चाहिए. मनः शक्ति के माध्यम से यह कुछ ही दिनों में संभव हो जाता है.
इसके अलावा साधक को सिद्धासन में बैठ कर इस चक्र का ध्यान करते हुवे ‘वं’ बीजमंत्र का जाप करना चाहिए. इस चक्र के ध्यान निम्न रूप से है.

साधक जल तत्व के साधन के चक्र के मध्य में मगरमच्छ को स्थापित मान कर व्यक्ति ध्यान करे

तंत्र क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति के लिए देवी राकिनी का ध्यान करे. देवी राकिनी का श्याम वर्ण है तथा उन्होंने लाल वस्त्र पहने है. लाल कमल देवी का आसान है. उनके चार हाथो में त्रिशूल, डमरू, नरमुंड तथा कमल पुष्प है.

भौतिक सुखो की प्राप्ति के लिए गरुड़ पर बिराजमान चतुर्भुज भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए तथा अध्यात्मिक उन्नति तथा इच्छा शक्ति के विकास के लिए साधक को गुलाबी कमल पर बिराजमान भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए.

मानसिक दुर्बलता तथा रोगों को दूर करने के लिए तथा विविध भावनाओ के योग्य संचार के लिए व्यकि को  चंद्र ग्रह का स्थापित मान कर ध्यान करना चाहिए.

भगवान वरुण को स्थापित मान कर ध्यान करने वाले व्यक्ति अपने आस पास के क्षेत्र में मान सन्मान की प्राप्ति करता है.

इस चक्र के जागरण के समय साधक में काम ऊर्जा का विशेष संचार होता है लेकिन व्यक्ति को विचलित नहीं होना चाहिए तथा अभ्यास करते रहना चाहिए. निरंतर अभ्यास से यह उर्जा का संचार योग्य रूप से होने लगता है.

इस प्रकार साधक जिन लाभों की प्राप्ति करना चाहता है उससे सबंधित चक्र में स्थापित देवी या देवता का ध्यान करते हुवे साधक को बीज मंत्र ‘वं’ का सिद्धासन में जाप करना चाहिए. साधक को इससे पहले संभव हो तो ऊपर वर्णित वज्रोली मुद्रा का भी अभ्यास कर लेना चाहिए. यह क्रम रोज आधे घंटे से ले कर एक घंटे तक १५ दिन करना चाहिए. साधक यह क्रम दिन या रात के समय खाली पेट कभी भी कर सकता है.
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With activation of swadhisthan chakra following benefits could be gained.

When this chakra is developed sadhak owns control over sexual power and according to will, one may follow celibacy.

Every disease related to sacrum, sexual organs and fertility or reproduction power goes away and flow of water elements goes smooth thus no diseases related to water element could take place.

Taste sense of the sadhaka increases and one may have hold over this sense.

Development of many feelings in the sadhaka take place especially affection and mercy.

One may reach to unconscious mind from conscious mind according to their will
Many benefits apart from mentioned could also be gained.

For the activation of this chakra there are various mudras taken to practice. Mainly, sadhak should practice Vajroli Mudra. This practice should be done with medium of air. Sadhak should inhale and exhale air through genital organ. With the help of manah shakti or power of mind, one may have success in this process in few days. Apart from this, sadhak should sit in siddhasana and meditating this chakra one should chant beej mantra ‘vam’ (‘वं’). Meditations of this chakra are as below.

For accomplishment of water element sadhak should meditate crocodile established in the chakra.

For success in the field of the tantra one should meditate goddess Rakini. Goddess Raakini is dark complexion and she is wearing red cloths. She is seated on red lotus. In her four hands she is holding trishula, Damroo (hand drum), naramundra (human skull), and kamal (lotus).

For material life benefits one should meditate four handed god Vishnu seated on the eagle and for benefit in spiritual life and development in will power one should meditate God Vishnu seated on Pink lotus.

To remove mental dullness and mental disorders and for right flow of various feelings one should meditate god Chandra (moon) established in middle of the chakra.

One who meditates God Varuna established in the chakra may receive honor in nearby places.

At the time of activation of this chakra, sexual power and feelings increases especially. But sadhak should not distract and should continue the practice. With regular practice this flow again goes to its normal state.

This way sadhak should do chanting of beej mantra ‘Vam’ sitting in the siddhasana by meditating particular god or goddess established in middle of the chakra according to wish of having specific benefit.



If possible sadhak should do above mentioned Vajroli Mudra before starting this process. This process should be done daily half an hour to one hour for 15 days. This process could be done in day or night time with empty stomach.


****NPRU****

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