मनुष्य
के जीवन का वह सब से स्वर्णिम क्षण होता है जब उसे सद्गुरु की प्राप्ति होती है.
क्यों की बिना सद्गुरु के मनुष्य सिर्फ अपनी धारणाओं के सहारे मात्र से जीता है
लेकिन उसे यह ज्ञान नहीं होता है की क्या सत्य है या क्या स्थायी है. किस प्रकार
धारणाओं से भी आगे जीवन है और एक यांत्रिक जीवन का त्याग कर चेतनावान जीवन को जिया
जा सकता है. सद्गुरु के मिलन से पहले व्यक्ति थक उसी प्रकार होता है मिटटी का एक
भाग है, जिसको खुद ही ज्ञान नहीं है की वह क्या है. लेकिन सद्गुरु उस को ज्ञान
देते है उसका मूल स्वरुप दिखाते है और उस मिटटी से कई प्रकार की वस्तुए निर्माण
होती है जो की कई वर्षों तक न जाने किने मनुष्यों को लाभ देती रहती है. उसी एक
क्षण की कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए, अपना पूर्ण समर्पण प्रदान करने के लिए और
अपने आप को उनके चरणों में विसर्जित करने के लिए जो भावनाए हमारे दिल में है उनकी
अभिव्यक्ति हो सके यह भाग्य प्रदान करने वाला जो समय है वह समय है गुरुपूर्णिमा.
सदगुरुदेव
ने अपने पूरे जीवन काल में सिर्फ और सिर्फ प्यार ही बिखेरा है, भले ही वह किसी भी
स्वरुप में हो. कई बार साधना स्वरुप, कई बार उनके शब्दों के माध्यम से, कई बार
उनके मौन से, कई बार अनुभूतियो को प्रदान कर, कई बार अभिभूत हो कर, कई बार ये कह
कर की तुम मेरे अंदर हो, तो कई बार ये कह कर की में तुम्हारे अंदर हू. उनके कहे
हुए शब्द है “मेरे किसी भी शिष्य से पूछलो की गुरुदेव किससे सबसे ज्यादा प्यार
करते है, वो यही कहेगा की सदगुरुदेव सब से ज्यादा मुझे प्यार करते है.” और हम सब
का दिल यही ही तो कहता है की हाँ सदगुरुदेव ने मुझे हर क्षण संभाला है, जब मुझे
नहीं पता था की वो क्या है, कहा है, जब मुझे उनके अस्तित्व के बारे में भी नहीं
पता था तब भी तो हर क्षण उन्होंने मेरा ध्यान रखा है, मेरे साथ रहे है बस
अंतरआत्मा नहीं समज पायी, जान पायी की वह क्या है. क्या इन सब के मूल में मात्र और
मात्र विशुद्ध प्रेम नहीं है? और इसी प्रेम और स्नेह के वशीभूत उन्होंने हमेशा
अपने शिष्यों के कल्याण और उत्थान हेतु न दिन देखा है न रात. एक एक क्षण कार्यशील
रहे एक बहेतर भविष्य के लिए. बहेतर भविष्य अपने शिष्यों का. लेकिन हम भी तो कई बार
उपेक्षा कर देते है उनकी, की वो नहीं है अब. लेकिन क्या यही सत्य है? नहीं, ना ही
वाही कभी कही गए है ना ही कभी वह कही जा सकते है. वो तो हमेशा हर शिष्यों के दिल
में रहते है, लेकिन हमें ही तो अहेसास नहीं होता, हमारी ही कुबुद्धि उन स्तरों का
भेदन नहीं कर पाती जो सीधे ह्रदय तक उतर जाते है, ठीक वहाँ जहाँ सदगुरुदेव है. हर
पल, और जब उनका यह स्नेह और प्रेम देख कर भी अगर हम ये अहेसास नहीं कर पाते तो फिर
साधनाओ के माध्यम से तो कर ही सकते है. क्या इतना भी हमारा कर्तव्य नहीं है की
जिन्होंने हमें क्षण क्षण तक संभाला है, प्रेम दिया है उनको हम अपने अंदर अनुभूत
करे?
प्रस्तुत
विधान श्री सदगुरुदेव से सबंधित ऐसा विधान है जिसे सम्प्पन करने पर साधक अपने और
सदगुरुदेव के बिच के अंतर को कम कर के सदगुरुदेव के तरफ एक और कदम बाधा सकेगा. यह
साधना से साधक को हर वक्त अपने अंदर सदगुरुदेव की उपस्थिति का अहेसास होता है. यह
प्रयोग कोई भी शिष्य गुरुपूर्णिमा के दिन या रात किसी भी समय कर सकता है अगर कोई
कारणवश साधक यह प्रयोग गुरुपूर्णिमा पर ना कर सके तो उसे यह प्रयोग किसी भी
गुरुवार को सम्प्पन कर लेना चाहिए.
साधक
को सफ़ेद या पीले वस्त्र तथा आसान का उपयोग करना चाहिए. दिशा उत्तर या पूर्व रहे.
साधक सर्व प्रथम सदगुरुदेव का पूर्ण पूजन करे तथा गुरु मंत्र की १६ माला मंत्रजाप
करे. उसके बाद साधक चाहे तो ५ या १० मिनिट का विश्राम ले सकता है.
इसके
बाद साधक को निम्न मंत्रो का जाप करना चाहिए.
इसमें
साधक को आँखे बंद कर मंत्र जाप करना चाहिए. साधक को सबंधित चक्रों का ध्यान आतंरिक
रूप से करना चाहिए तथा मंत्र का जाप करना चाहिए. यह मंत्र जाप साधक गुरु माला से
कर सकता है, अगर साधक चाहे तो स्फटिक, या रुद्राक्ष माला का भी उपयोग कर सकता है.
आँखे
बंद कर साधक मूलाधार चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला जाप करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय पृथ्वी तत्व स्वरूपाय नमः
उसके
बाद आँखे बंद कर साधक स्वाधिष्ठान चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला
जाप करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय जल तत्व स्वरूपाय नमः
उसके
बाद आँखे बंद कर साधक मणिपुर चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला जाप
करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय अग्नि तत्व स्वरूपाय नमः
उसके
बाद आँखे बंद कर साधक अनाहत चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला जाप
करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय वायु तत्व स्वरूपाय नमः
उसके
बाद आँखे बंद कर साधक विशुद्ध चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला जाप
करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय आकाश तत्व स्वरूपाय नमः
उसके
बाद आँखे बंद कर साधक आज्ञा चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला जाप
करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय आत्म तत्व स्वरूपाय नमः
उसके
बाद आँखे बंद कर साधक सहस्त्रार चक्र पे ध्यान करते हुए निम्न मंत्र की एक माला
जाप करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय परम तत्व स्वरूपाय नमः
इसके
बाद साधक निम्न मंत्र की ११, २१या ५१ माला मंत्र जाप करे.
ॐ
निं निखिलेश्वराय रक्त बिंदु हृदयस्थ स्थापितं पूर्ण ब्रम्हांड जाग्रय निं ॐ
साधक
इसके बाद यथा संभव गुरु प्राणश्चेतना मंत्र का जाप करे तथा सदगुरुदेव से आशीर्वाद
के लिए प्रार्थना करे. साधक यह प्रयोग करने के तुरंत बाद ही अपने अंदर कई प्रकार
के परिवर्तन को अनुभव करेगा और सदगुरुदेव की तरफ उनका आशीर्वाद प्राप्त कर एक और
कदम उनके ह्रदय के निकट पहोचेगा.
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The golden moment of the man comes when he
get Sadgurudev in his life because without sadgurudev, man lives his life only
from his own viewpoint. He do not have have knowledge what is true or what is
stable. How the life exists moving ahead from his views and by giving up his
normal life routine, energyful(full of chetna)lifecan be lived. Before meeting
sadgurudev, man is exactly like that part of soil which itself does not know
what it is? But sadgurudev gives him the
real knowledge, show him his real identity and from that soil, a lot of things
are made which gives a lot of benefits to human beings for several years. To
express his full dedication and to flow
our feelings which we have in our heart, the exact golden time which provides all this is the
GURU POORNIMA.
Sadgurudev has spreaded only and only love
in his whole life, whether it is in any form. Some times in form of sadhna,
some times through his words, some times in silence, some time by giving
experiences,some times by saying that you are inside me and sometimes by saying
I am inside you. Sadgurudev said” Ask
any of my shishya that to whom sadgurudev loves the most, his answer will be
only that sadgurudev loves me the most. And our heart only says that yes,
sadgurudev has holded me in every moment.
The time when we do not know who is he, where is he, when we were not
even knowing about his divine personality, then also, he cared us at every
moment. Lived with us but the inner-soul do not understanded him that who he
is, is the root of all these is not only
and only the real love? And due to this binded love, for the betterment and
upliftment of his disciples he did not saw day or night, worked every moment
for the better future, the better future of his disciples and many-a-times , we
says that that now he is not here but is this the real truth? No, he has not
gone anywhere, nor he will go anywhere. He always lives in the heart of his
every disciple but we never realize this
and our dirty mind do not cross those levels
which directly flows down inside the heart, exactly there where sadgurudev is
present at every moment. After all this, if we are not realizing his love,
then, it can be done through the sadhnas. Is it not our our duty that who
holded us at everytime, loved us, we should feel him inside our heart.
The below procedure is only that
sadgurudev related procedure by doing
which a sadhak can minimise the distance between him and sadgurudev and able to
move one more step towards sadgurudev. By doing this sadhna, sadhak will fell
sadgurudev inside him every moment. This procdure can done by any disciple on
guru poornima in the day or night. If due to some circumstances, any sadhak is
not able to do this procedure on guru poornima that it can be done on any
thrusday.
Sadhak shoul wear white or yellow clothes
and aasan, direction will be north or east, sadhak should first do the complete
sadgurudev poojan and after that, chant 16 maalas of guru mantra, sadhak can
rest for 5-10 minutes if he wants after doing guru mantra.
After all this, sadhak should chant the
following mantras.
Sadhak should chant mantra by closing his
eyes, sadhak should do concentration of the related chakras internally and do
the mantra chanting. This mantra jap can be done by guru rosary and if sadhak
wants, he can use safaatik or rudraksh rosary.
Closing his eyes, sadhak should do one rosary
of below mantra by concentrating on mulladhaar chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY PRITHVI TATV SWARUPAAY NAMAH.
(ॐ निं
निखिलेश्वराय पृथ्वी तत्व स्वरूपाय नमः )
After this, sadhak should do one rosary of
below mantra by concentrating on swaadhistaan chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY JAL TATV SWARUPAAY NAMAH
(ॐ निं
निखिलेश्वराय जल तत्व स्वरूपाय नमः )
After this, sadhak should do one rosary of
below mantra by concentrating on Manipur chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY AGNI TATV SWARUPAAY NAMAH.
(ॐ निं
निखिलेश्वराय अग्नि तत्व स्वरूपाय नमः )
After this, sadhak should do one rosary of
below mantra by concentrating on anaahat chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY VAAYU TATV SWARUPAAY NAMAH.
(ॐ निं
निखिलेश्वराय वायु तत्व स्वरूपाय नमः )
After this, sadhak should do one rosary of
below mantra by concentrating on vishudh chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY AAKAASH TATV
SWARUPAAY NAMAH.
(ॐ निं निखिलेश्वराय आकाश तत्व स्वरूपाय नमः)
(ॐ निं निखिलेश्वराय आकाश तत्व स्वरूपाय नमः)
After this, sadhak should do one rosary of
below mantra by concentrating on aagya chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY AATM TATV SWARUPAAY NAMAH.
(ॐ निं
निखिलेश्वराय आत्म तत्व स्वरूपाय नमः )
After this, sadhak should do one rosary of
below mantra by concentrating on shastraar chakra.
Om NIM NIKHILESHWARAAY PARAM TATV SWARUPAAY NAMAH.
(ॐ निं
निखिलेश्वराय परम तत्व स्वरूपाय नमः )
After this, sadhak should do the 11,21 or
51 rosary of the following mantra.
OM NIM NIKHILESHWARAAY RAKT BINDU HRIDAYSTH STHAAPITAM POORN
BRAHMAAND JAAGRAY NIM OM
(ॐ निं
निखिलेश्वराय रक्त बिंदु हृदयस्थ स्थापितं पूर्ण ब्रम्हांड जाग्रय निं ॐ)
After this, sadhak should do the guru
pranaschetnaa mantra chanting as much as possible and pray to sadgurudev for
his blessings, Sadhak will experience many changes inside him just after completing
this procedure and by getting blessings of sadgurudev, sadhak will move one more step near to his heart.
****NPRU****
Jai Sadgurudev.
ReplyDeleteGuru Bhaiyo, Guru Bahino.
Namashkar,
My good wishes for tomorrows on the Gurupoornimas occasion.
Our praying to Sadgurudev that they keep blessing on all of us.
Expect that your sadhana is fulfill your dreams.
Thanks,
Jai Sadgurudev.
Jai Sadgurudev.
ReplyDeleteGuru Bhaiyo, Guru Bahino.
Namashkar,
My good wishes for tomorrows on the Gurupoornimas occasion.
Our praying to Sadgurudev that they keep blessing on all of us.
Expect that your sadhana is fulfill your dreams.
Thanks,
Jai Sadgurudev.
jai sadgurudev! bhai ji plz btane ki गुरु प्राणश्चेतना मंत्र shyad chetna mantra hi kya? kripa margdrsn kre..apka bht bht aabhar hoga
ReplyDeletejai sadgurudev! bhai ji plz btane ki गुरु प्राणश्चेतना मंत्र shyad chetna mantra hi kya? kripa margdrsn kre..apka bht bht aabhar hoga
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