Tuesday, July 10, 2012

KUNDALINI RAHASYAM - 9


मणिपुर चक्र के दस  दल में अंकित डँ, ढँ, णँ, तँ, थँ, दँ, धँ, नँ,पँ और फँ जो दस भावो का नियमन करते है वह तृष्णा, घृणा, शर्म, उदासी, भय, मूर्खता, द्रऋह  या कपट की भावना, सुपुष्टि या अध्यात्म का अस्वीकार, और भ्रान्ति या छल.मणिपूर चक्र के जागरण के साथ मनुष्य में यह भावो का नियमन होने लगता है और धीरे धीरे उसका इन भावो का पर नियंत्रण होने लगता है. फिर अपने अंदर इस प्रकार के भाव का संचार कितना करना है यह व्यक्ति के हाथो में होता है. वह चाहे तो इन भावो से पूर्ण मुक्त हो सकता है.

इस चक्र का अति महत्वपूर्ण सबंध सूर्यचक्र से है. वस्तुतः हमें सिर्फ सात चक्रों का ज्ञान है लेकिन सदगुरुदेव ने १०८ चक्र के बारे में कई बार बताया है. सूर्य चक्र, अग्नि चक्र, ह्रदयचक्र, शीत चक्र आदि ऐसे ही चक्र है जो की सप्त चक्रों से भी शुक्ष्म है तथा उनका कार्य और भी गुढ़ है. सूर्य चक्र भी ऐसा ही एक चक्र है. यह चक्र का सीधा सबंध सूर्य से है तथा सूर्य से जो प्राण उर्जा निसृत होती है उस उर्जा को प्राप्त कर उसका नियमन और शरीर में योग्य रूप से संचार हो यह कार्य सूर्य चक्र का है. यह सूर्य चक्र मणिपुर चक्र से जड़ा हुआ होता है. तथा मणिपुर के पूर्ण विकास के बाद ही इस चक्र का जागरण और विकास संभव है.

इस चक्र के जागरण मात्र से साधक को कई प्रकार के लाभी की प्राप्ति होती है. साधक में प्राणों का संचार योग्य होने लगता है. साधक को पेट से सबंधित सभी बिमारी से राहत मिलती है. अग्नि तत्व से सबंधित सारी प्रक्रियाए योग्य होने लगती है तथा इससे सबंधित सारी समस्याओ से साधक को मुक्ति मिलती है. साधक को श्रवण क्षमता तथा देखने की क्षमता भी कई गुना बढ़ जाती है तथा इसके पूर्ण विकास पर साधक को योग तथा तंत्र से सबंधित कई प्रकार की गोपनीय क्रियाओं का ज्ञान होने लगता है.
इस चक्र के जागरण के लिए साधक जालंधर बंध का अभ्यास करे उसके बाद साधक अपने पेट को अंदर की और खींचे. यह क्रिया साधक को कुछ देर करनी चाहिए. यह प्रक्रिया १० से २० मिनिट तक करे.
 इसके बाद साधक अपने पेट में हवा भरे तथा उसे बहार निकालने की क्रिया धीरे धीरे करे. यह प्रक्रिया १० से २० मिनिट तक करे.

यह क्रिया थोड़ी देर करने के बाद साधक वापस जालंधर बंध लगा कर मणिपुर चक्र का ध्यान करते हुए मानसिक रूप से बीज मंत्र ‘रं’ का जाप करे यह प्रक्रिया भी १० से २० मिनिट करे.
इस प्रकार करने पर साधक का मणिपुर जागृत होने लगता है.  

साधक को योगिक शक्ति की प्राप्ति के लिए तथा आध्यात्म के लिए चक्र के मध्य में भगवान शिव के रूद्र रूप का ध्यान करना चाहिए. जो की बाघ के चर्म पर बैठे हुवे है जिन्होंने अपने पूरे शरीर पर भभूत लगा राखी है तथा आयु में वह वृद्ध है जिनकी जटायें सफ़ेद है. ऐसे त्रिनेत्र युक्त रूद्र का ध्यान करना चाहिए. भाव नियंत्रण की इच्छा रखने वाले साधक भी भगवान रूद्र का ध्यान करे.
तांत्रिक शक्ति की प्राप्ति के लिए साधक को इस चक्र में देवी लाकिनी का ध्यान करना चाहिए जो की इस चक्र की मुख्य शक्ति है. देवी का वर्ण श्याम है. उनके तिन मुख है जो की उनके तीनों काल पर अपनी द्रष्टि की संज्ञा देती है. वह लाल कमल पर बैठी हुई है. जिनके चार हाथो में, उन्होंने अभयमुद्रा तथा वज्र, तीर तथा अग्नि कुंड को धारण किया है. भौतिक सफलता के इच्छुक, रोग मुक्ति तथा अग्नि तत्वों के योग्य संचार के लिए साधक को लाकिनी देवी का ध्यान करना चाहिए. 



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Established in ten petals of the Manipur chakra alphabets  Dam(डँ), Dham(ढँ), Nam(णँ), tam(तँ), tham(थँ), dam (दँ), dham (धँ), nam(नँ), pam(पँ) and pham(फँ) do control ten feelings which are craving nature, disgust, shame, sadeness, fear, foolishness, treachery, nature of spiritual decline or un acceptance, and deception . When manipur chakra is activated, control of these feelings starts in humans and slowly one may have hold on these emotions or feelings. After that, power stays in own hand that how much amount of which emotion should be flow in the body. If one wishes one may also gets completely freedom from these emotions.


This chakra has its very important relation with Surya chakra. Generally we know about seven chakras only but sadgurudev have many time told about 108 chakras. Surya chakra, agni chakra, hriday chakra, shit chakra etc are such chakras which are very micro and their works are more micro and mysterious. Surya chakra is one of such chakra. This chakra has direct relation with sun and praana energy which comes out of the sun is gathered and flowed & proper distribution of this energy in the body is work of surya chakra. This surya chakra is adjoined with Manipur chakra. And only after complete development of the Manipur chakra, activation of surya chakra becomes possible.


With activation of this chakra, sadhaka may receive many benefits. Paara flow in the sadhak remains on its desirable state. One may have relief from diseases of stomach. Processes related to fire element starts getting to its normal and one may have relief from every troubles related to this. Power of sight and listening increases many times more and with complete development of this sadhaka starts having knowledge of various secret processes of yoga and tantra.


For activation of this chakra, sadhak should practice Jalandhara Bandha and one should take stomach to inner side. One should practice this process for some time. This process should be done for 10 to 20 minutes.


After that sadhak should practice to inhale air in the stomach and exhale it slowly. This process should be done for 10 to 20 minutes.


After doing this process for some time, sadhak should again practice jalandhar bandha and with meditating Manipur chakra internally one should chant Beej Mantra ‘Ram’ (रं) mentally. Sadhak should practice this process too for 10-20 minutes.  By performing this practice, activation of the Manipur chakra starts.


For to have powers of yoga and spiritual field, one should meditate god Rudra; form of lord shiva established in the chakra. The one who is seated on the tiger skin and one who have applied ash on his whole body and the one who’s hairs are white and is old in age such three eyed rudra should be meditate. The one who wants control over feelings should also meditate god Rudra.


 To have powers of tantra one should meditate basic goddess of this chakra Goddess Lakini established in the chakra. Goddess is dark complexion. She is having three faces symbolised her visualisation of three tense. She is seated on the red lotus. In her four hands, she displays Abhay Mudra, vajra, arro and vessel of fire. One who wishes for material success, freedom from diseases and proper flow of the fire elements should meditate goddess Lakini.



****NPRU****







1 comment:

  1. जय सदगुरुदेव,

    हमेशा की तरह विस्तृत रूप में समझाया गया है,और बहुत से विकल्प दिए गए है|

    धन्याद,
    जय सदगुरुदेव

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