Human life has many diverse aspects and every
aspect in itself is full of specialities. Whatsoever field the person is
working in, he gets various success according to his spiritual qualities and
abilities.
May it be any person; in any field having some
preliminary abilities is very essential element for fulfilment of desire or
success in his work. Out of these essential elements one is “Self-Confidence”.
Importance of self-confidence has been considered indisputably in modern era
irrespective of the field. Self-confidence is the base for any work of person
and it is ultimate factor in deciding the intensity of work or the amount of
hard-work the person will put in for accomplishing the work. Self-confidence
works as path for attaining any type of success for person. Trusting oneself
and one’s own working ability, attaining complete dynamism is attaining
Self-confidence. But how attainment of this type of self-reliant trust is
possible? Presented prayog is one such prayog by which person can develop his
self-confidence and beautify one important part of his life, by which sadhak
can increase chances of his success in his field of work multiple times.
Though it is one day prayog but if sadhak wants to
successively increase self-confidence, he can do this prayog more than one
times. This prayog is easy and it does not involve any cumbersome procedures.
Therefore any new entrant into sadhna field can also do this sadhna very
easily. Sadhak can do this sadhna on any day. Sadhak can select any time in day
or night for this sadhna.
After taking bath, sadhak should wear white dress.
Sadhak should sit on white aasan facing north or east direction.
First of all sadhak should do Guru Poojan, chant
Guru Mantra and pray to Sadgurudev for success in sadhna.
After this, sadhak should chant below mantra.
Sadhak should chant 51 rounds of this below mantra. Sadhak can take rest after
21 rounds. Sadhak can use sfatik or Rudraksh rosary for chanting this mantra.
om shreem ham sham Namah
After completing Mantra Jap, sadhak should again
chant one round of Guru Mantra. In this way prayog is completed. Sadhak should
not immerse the rosary. It can be used by sadhak again for this prayog.
मनुष्य के जीवन के विविध पक्ष है तथा सभी पक्ष अपने आप में विशेषताओं से परिपूर्ण है. व्यक्ति चाहे किसी भी क्षेत्र में हो अपने आत्मिक गुणों तथा योग्यता के अनुरूप वह विविध सफलताओ की प्राप्ति करता है.
चाहे वह कोई भी व्यक्ति हो, किसी भी क्षेत्र
की कुछ प्रारंभिक योग्यताओं का होना निश्चय ही आवश्यक अंग है कोई भी मनोकामना की
पूर्ति के लिए या अपने कार्यों की सफलता के लिए. इसी आवश्यक अंगों में से एक है
‘आत्मविश्वास’. आधुनिक युग में आत्मविश्वास की महत्ता को निर्विवादित रूप से
स्वीकार किया गया है. चाहे वह कोई भी क्षेत्र क्यों न हो. आत्म विश्वास व्यक्ति के
किसी भी कार्य के लिए एक आधार होता है की वह कार्य कितनी तीव्रता से हो सकता है या
उस कार्य के लिए व्यक्ति अपने कितने प्रयास को देना पसंद करेगा. आत्म विश्वास
व्यक्ति को किसी भी प्रकार की सफलता के लिए एक पथ का कार्य करता है. यूँ खुद के
ऊपर तथा कार्य क्षमता के ऊपर विश्वास पूर्ण गतिशीलता को प्राप्त करना ही
आत्मविश्वास को प्राप्त करना है. लेकिन इस प्रकार का आत्म केंद्रित विश्वास की
प्राप्ति किस प्रकार से संभव है? प्रस्तुत प्रयोग एक ऐसा ही प्रयोग है जिसके
माध्यम से व्यक्ति अपने आत्मविकास का विकास कर सकता है तथा अपने जीवन के एक
महत्वपूर्ण अंग को निखार सकता है, जिसके माध्यम से साधक अपने कार्य के क्षेत्र में
सफलता प्राप्ति की संभावना को कई गुना बाधा सकता है.
वैसे तो यह एक दिवसीय प्रयोग है लेकिन साधक
अगर चाहे तथा अपने आत्मिक विश्वास का उत्तरोत्तर और भी विकास करते रहना चाहे तो इस
प्रयोग को वो एक से ज्यादा बार भी कर सकता है. यह प्रयोग सहज है तथा इसमें ज्यादा
विधि विधान आदि नहीं है, अतः कोई भी साधना क्षेत्र में प्रविष्ट नया व्यक्ति भी इस
साधना को सहजता से सम्प्पन कर सकता है.
यह साधना
साधक किसी भी दिन को कर सकता
है. इस साधना में साधक दिन या रात्रि का कोई भी समय का चुनाव कर सकता है.
साधक स्नान आदि से निवृत हो कर सफ़ेद वस्त्र को
धारण करे. साधक को अपना मुख उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ कर के सफ़ेद आसन पर बैठना
चाहिए.
साधक सर्व प्रथम गुरुपूजन करे तथा गुरु मंत्र
का जाप कर सदगुरुदेव से साधना में सफलता के लिए प्रार्थना करे.
इसके बाद साधक निम्न मंत्र का जाप करे. साधक
को निम्न मंत्र की ५१ माला जाप करना है. साधक २१ माला के बाद कुछ देर विश्राम ले
सकता है . इस मंत्र के जाप के लिए साधक स्फटिक या रुद्राक्ष माला का प्रयोग कर
सकता है.
ॐ
श्रीं हं शं नमः
(om shreem ham sham namah)
मंत्र जाप पूर्ण होने पर साधक को फिर से एक
माला गुरु मंत्र की करनी चाहिए. इस प्रकार यह प्रयोग पूर्ण होता है. साधक माला का
विसर्जन न करे तथा भविष्य में भी अगर कभी यह प्रयोग करना हो तो व्यक्ति इस माला का
प्रयोग कर सकता है.
****NPRU****
agar diksha na li ho to fir gurumantra ka jap kse kre
ReplyDeletejai guru dev,
ReplyDeleteafter 21 rounds when take rest was it ok to stand and walk before continue again remaining mala